सूर्य नमस्कार के 12 आसनों के नाम | Surya Namaskar names in Hindi | तरीके और फायदे जानिए

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Reported by Dhruv Gotra

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सूर्य नमस्कार हम सभी की स्वस्थ जीवन शैली के बहुत ही जरूरी व्यायाम है। हम सभी को सुबह उठकर Surya Namaskar जरूर करना चाहिए। सूर्य नमस्कार करने वाला व्यक्ति आलस्य, अनिद्रा, कब्ज़ जैसी बिमारियों से दूर रहता है। यदि आप सुबह उठकर रोज सूर्य नमस्कार करते हैं तो यह आपके लिए बहुत ही ज्यादा लाभकारी होता है। जैसा की आप जानते होंगे की सूर्य नमस्कार को 12 अलग-अलग चरणों और आसनों के साथ किया जाता है।

दोस्तों आज के आर्टिकल में हम आपको सूर्य नमस्कार के विभिन्न 12 आसनों के करने के तरीकों और उसके फायदों के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। यदि आप सूर्य नमस्कार के बारे में जानने के इच्छुक हैं तो आपको हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरूर पढ़ना चाहिए। आजकल हर कोई किसी न किसी बिमारी से ग्रसित है, हमने अपने वातावरण को इतना दूषित कर दिया है जिससे इंसान के साथ-साथ जानवरों और प्रकृति को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। वातावरण के दूषित होने की वजह से विभिन्न प्रकार की बीमारियां पनप रही हैं।

सूर्य नमस्कार के 12 आसनों के नाम | Surya Namaskar names in Hindi | तरीके और फायदे जानिए
सूर्य नमस्कार के 12 आसनों के नाम

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सूर्य नमस्कार क्या है ?

सूर्य नमस्कार एक योग क्रिया है। हिन्दू धर्म के पुरातन ग्रंथों में सूर्य नमस्कार की योगक्रिया के बारे में बताया गया है। आपको बता दें की सूर्य नमस्कार को सभी योग क्रियाओं में सबसे उत्कृष्ट माना गया है। बड़े-बड़े योग साधक और वैज्ञानिक हर रोज़ सुबह सूर्य नमस्कार करने की सलाह देते हैं।

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सूर्य नमस्कार का निरंतर अभ्यास व्यक्ति को निरोगी बनाता है। विद्वानों के अनुसार सूर्य नमस्कार को पुरुष, स्त्री , बाल, युवा तथा वृद्धों सभी के लिए उपयोगी बताया गया है। सूर्य नमस्कार को प्रतिदिन करने के बारे में पुराणों में एक प्रसिद्ध श्लोक में भी उल्लेखित किया गया है जो इस प्रकार से है –

आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने।
आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते ॥

श्लोक का हिंदी अर्थ: वह लोग जो हर रोज सूर्य नमस्कार करते हैं। तो उन व्यक्ति की आयु, प्रज्ञा, बल आदि सब तेजी से बढ़ता है।

सूर्य नमस्कार, Surya Namaskar
sources by wikipedia

सूर्य नमस्कार (Sun Salutation) के समय बोले जाने वाले मंत्र:

सूर्य नमस्कार करते समय 12 अलग-अलग मंत्रों का उच्चार किया जाता है। इन सभी मंत्रों में पृथ्वी को सूर्य भगवान से मिलने वाली जीवनदायिनी ऊर्जा की महत्ता के बारे में बताया गया है। सूर्य नमस्कार में प्रत्येक मंत्र में सूर्य भगवान के अलग-अलग नामों का उच्चारण किया जाता है।

हर एक मंत्र को बोलते समय अलग चरणों में शरीर की विभिन्न मुद्राएं बनानी होती हैं। दोस्तों आपको बता दें की सूर्य नमस्कार में बोले जाने वाले 12 मंत्रों का एक ही अर्थ है की “ सूर्य भगवान को मेरा नमस्कार ” आगे आर्टिकल में हमने आपको टेबल के माध्यम से सूर्य नमस्कार के सभी मंत्रों के बारे में जानकारी प्रदान की है।

पुराणों में सूर्य भगवान की महत्ता को बताने के लिए उल्लेखित श्लोक इस प्रकार से है –

ॐ ध्येयः सदा सवितृ-मण्डल-मध्यवर्ती, नारायण: सरसिजासन-सन्निविष्टः।
केयूरवान् मकरकुण्डलवान् किरीटी, हारी हिरण्मयवपुर्धृतशंखचक्रः ॥

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श्लोक का हिंदी अर्थ: हे सूर्य मंडल में स्थित , कमल के फूल पर विराजमान , स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित, स्वर्ण काँटी के शंख को धारण करने वाले, चक्रधारी हे सूर्य नारायण भगवान हम आपका ध्यान करते हैं।

क्रमांक सूर्य नमस्कार मंत्र
1मंत्र: ॐ मित्राय नमः
अर्थ: हम सबके साथ मैत्री भाव से रहें।
2मंत्र: ॐ रवये नमः
अर्थ: सूर्य जो प्रकाशमान है और सदा उजाला (प्रकाश) करने वाला है।
3मंत्र: ॐ सूर्याय नमः
अर्थ: सूर्य जो अन्धकार को मिटाने वाला है और जीवन को गतिशील बनाने वाला है।
4मंत्र: ॐ भानवे नमः
अर्थ: सूर्य जो सदैव के लिए प्रकाशमान है।
5मंत्र: ॐ खगाय नमः
अर्थ: अंतरिक्ष में घूमने वाला आकाशीय पिंड सूर्य सर्वव्यापी है।
6मंत्र: ॐ पूष्णे नमः
अर्थ: धरती को पोषण करने वाले और जीवन की पूर्ति करने वाले।
7मंत्र: ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
अर्थ: वह जिसके स्वर्ण के आभूषण सूर्य की तरह चमकदार और प्रकाशमान है।
8मंत्र: ॐ मरीचये नमः
अर्थ: वह जो अपना प्रकाश विभिन्न किरणों के रूप में पृथ्वी पर भेजता है।
9मंत्र: ॐ आदित्याय नमः
अर्थ: देवी अदिति जिनको पुरे ब्रह्माण्ड की माता माना गया है उनके पुत्र सूर्य भगवान हैं।
10मंत्र: ॐ सवित्रे नमः
अर्थ: पृथ्वी पर जो जीवन का कारक है।
11मंत्र: ॐ अर्काय नमः
अर्थ: वह जो सदैव ही प्रसंशा एवं महिमा के योग्य हैं।
12मंत्र: ॐ भास्कराय नमः
अर्थ: वह जो ब्रह्माण्ड को ज्ञान का प्रकाश प्रदान करने वाले हैं।

सूर्य नमस्कार के 12 आसन करने के तरीके एवं लाभ:

दोस्तों आपको पता ही होगा की सूर्य नमस्कार को 12 आसन की क्रियाओं में विभाजित किया गया है। आगे आर्टिकल में हम आपको सभी 12 आसन करने की क्रियाओं और उनके लाभ के बारे में जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं –

1. प्रणामासन (Pranamasana):

सूर्य नमस्कार की पहली मुद्रा या आसन प्रणामासन जो एक तरह की प्रार्थना मुद्रा है। जिसमें व्यक्ति को खड़े होकर सूर्य भगवान से प्रार्थना करनी होती है। यह आसन को करने वाले चक्र को अनन्तचक्र कहते हैं।

Pranamasana surya namaskar first aasan

प्रणामासन करने का तरीका:

  • सूर्य नमस्कार के पहले आसन Pranamasana करने के लिए आपको सबसे पहले सावधान की मुद्रा में सीधे खड़ा होना है।
  • इसके बाद दोनों हाथों को जोड़कर भगवान सूर्य का ध्यान करने के लिए आंखें बंद कर लें।
  • ध्यान करने के लिए अनंत चक्र की मुद्रा पर अपना ध्यान केंद्रित करें।
  • भगवान सूर्य का ध्यान करते हुए ‘ॐ मित्राय नमः’ मंत्र का जाप करें।
प्रणामासन करने के लाभ:
  • आपको बता दें की जो भी व्यक्ति प्रणामासन को करता है वह व्यक्ति तनाव (Stress),चिंता, अनिद्रा आदि से दूर रहता है।
  • प्रणामासन करने से आपका तंत्रिका तंत्र मजबूत होता है। यह आपके शरीर में संतुलन को बनाने में सहायता करता है।
  • प्रणामासन करने से आपकी ध्यान करने की क्षमता बढ़ती है।

2. हस्त उत्तानासन (Hasta Uttanasana):

सूर्य नमस्कार के दूसरे आसन का नाम है हस्त उत्तानासन या हस्तोत्थानासन जिसमें शरीर को ऊपर खींचकर ऊपर उठाना होता है। इस आसन में की जाने वाली मुद्रा विशुद्धिचक्र कहलाती है। आइये जानते हैं हस्त उत्तानासन करने के तरीके और लाभ के बारे में –

Hasta Uttanasana surya namaskar second aasan

हस्तोत्थानासन करने का तरीका:

  • हस्तोत्थानासन करने के लिए आपको दोनों हाथों को कानों के साथ सटाते हुए धीरे-धीरे ऊपर उठाना है।
  • इसके बाद अपनी गर्दन एवं भुजाओं को थोड़ा पीछे की ओर झुकाना है।
  • पीछे की ओर झुकते हुए विशुद्धि चक्र को ध्यान लगाएं। आपको इस मुद्रा में ध्यान केंद्रित करना है।
  • उपरोक्त बतायी गई मुद्रा में आपको सूर्य नमस्कार के दूसरे मंत्र “ॐ रवये नमः” का जाप करना है।

हस्तोत्थानासन करने के लाभ :

  • हस्तोत्थानासन आपके शरीर की त्वचा के रंग को साफ़ करने का काम करता है।
  • सूर्य नमस्कार का यह आसन पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने का काम करता है।
  • हस्तोत्थानासन की मुद्रा के निरंतर अभ्यास से पैरों की एड़ीयों से लेकर उँगलियों के सिरे तक की एक्सरसाइज हो जाती है।

3. हस्तपादासन (Hasta Padasana):

सूर्य नमस्कार के तीसरे आसन का नाम है हस्तपादासन जिसे उत्तानासन भी कहा जाता है। इस आसन में आपको स्वाधिष्ठानचक्र मुद्रा की अवस्था में आना होता है। हस्तपादासन की श्वसन क्रिया उच्छवास होती है।

Hasta Padasana surya namaskar third aasan

हस्तपादासन करने का तरीका:

  • हस्तपादासन करने के लिए आप सांस लेते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें।
  • इसके बाद घुटनों को आगे एवं नीचे की ओर मोड़ना शुरू करें। ऐसा करते समय आपको अपनी रीढ़ की हड्डी पर जोर लगाते हुए अपने आप को स्ट्रेच करना है।
  • इसके बाद आपने हाथों को फर्श या जमीन पर इस तरह से रखें की सिर्फ हाथों की उँगलियों का संपर्क जमीनी सतह से रहे।
  • इसके बाद अपने घुटनों को मोड़ते हुए अपनी छाती तक लाएं। इस मुद्रा में आपको छाती आपकी जाँघों के ऊपर टिकी होनी चाहिए तथा आपका सिर आपके घुटनों के ऊपर टिका होना चाहिए।
  • आपको उपरोक्त अवस्था में कम से कम 6 सेकेण्ड तक रहना है। इसी दूसरे पैर से भी यही प्रक्रिया को दोहराएं। इसके साथ ही ॐ सूर्याय नमः का जाप करें।

हस्तपादासन करने के लाभ:

  • हस्तपादासन में की गए स्ट्रेचिंग हाथ , पैरों की नसों को खोलती हैं तथा मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
  • हस्तपादासन पेट की समस्याओं को दूर करने में काफी मददगार होता है।
  • हस्तपादासन हमारे नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाता है।
किनकों नहीं करना चाहिए हस्तपादासन:
  • जिस भी व्यक्ति को पीठ में दर्द की शिकायत है उन्हें हस्तपादासन नहीं करना चाहिए।

4. अश्व संचालनासन (Ashwa Sanchalanasana or Equestrian Pose Benefits):

सूर्य नमस्कार के चौथे आसान का नाम है अश्व संचालनासन जिसे एकपादप्रसारणासन के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन की श्वसन क्रिया श्वास प्रकार की होती है। अश्व संचालनासन में आपको आज्ञा चक्र की मुद्रा में ध्यान केंद्रित करना होता है।

Ashwa Sanchalanasana surya namaskar fourth aasan

अश्व संचालनासन करने का तरीका:

  • अश्व संचालनासन में आपको सबसे पहले दाएं पैर को पीछे ले जाते हुए घुटने को नीचे रखना होता है।
  • इसके बाद आपको फर्श पर अपने बाएं पैर को सपाट रखते हुए घुटने को मोड़ना है।
  • इसके बाद अपनी हाथों की उँगलियों को फर्श पर रखें।
  • उपरोक्त अवस्था के बाद अपने कन्धों को पीछे की ओर घुमाते हुए सिर को ऊपर की ओर उठाएं।
  • सर को ऊपर उठाते हुए सूर्य नमस्कार के चौथे मंत्र ॐ भानवे नमः का जाप करें।

अश्व संचालनासन करने के लाभ:

  • अश्व संचालनासन करने से आपके शरीर का खून का संचालन सही होता है।
  • अश्व संचालनासन करने से आपकी पैर और रीढ़ की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

5. पर्वतासन (Mountain pose or Parvatasana):

सूर्य नमस्कार के पांचवे आसन का नाम है पर्वतासन जिसे चतुरंग दंडासन के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन की श्वशन की क्रिया उच्छवास है।

सूर्य नमस्कार, Parvatasana surya namaskar fifth aasan

पर्वतासन करने का तरीका:

  • पर्वतासन में आपको सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए दाएं पैर को पीछे लेकर जाएँ। पीछे ले जाने पर दोनों पैरों की एड़ियां मिली हुई होनी चाहिए।
  • इसके बाद आपको पाने शरीर में थोड़ा खींचाव देना है। इसके बाद पैरों की एड़ियों को जमीन को मिलाने का प्रयास करें।
  • इस अवस्था में अपने पृष्ठ भाग को और अधिक ऊपर की ओर उठाएं। गर्दन को नीचे झुकाएं और ठोड़ी को अपने गले से मिलाएं।
  • इसी अवस्था में कुछ देर रहकर ‘सहस्रार चक्र’ में अपना ध्यान केंद्रित करें। ध्यान केंद्रित करते हुए ॐ खगाय नमः का उच्चारण करें।

पर्वतासन करने के लाभ:

  • पर्वतासन करने से आपके शरीर का फैट (fat) कम होता है। इससे आपका वजन कम होता है।
  • पर्वतासन करने से आपके शरीर की माँसपेशियों का दर्द दूर होता है।
  • एकपादप्रसारणासन का निरंतर अभ्यास करने से आपके शरीर का ब्लड सर्कुलेशन सही होता है।

6. अष्टांग नमस्कार(Ashtanga Namaskar):

सूर्य नमस्कार के छठे आसन का नाम है अष्टांग। इस आसन की सांस लेने की क्रिया श्वास होती है। सूर्य नमस्कार के छठे आसन में मणिपूरक चक्र के तहत ध्यान केंद्रित करना होता है।

सूर्य नमस्कार, Ashtanga Namaskar surya namaskar sixth aasan

अष्टांग करने का तरीका:

  • अष्टांग करते समय आपको सांस छोड़ते हुए अपने घुटनों को नीचे की ओर ले जाना है। इसके बाद अपने सिर को जमीन की तरफ आगे की ओर झुकाते हुए छाती को नीचें लाएं।
  • यह अवस्था आपको ऐसे करनी है जैसे की आप सूर्य भगवान को नमस्कार कर रहे हों।
  • इसके बाद अपने हाथों की कोहनियों को नीचे की ओर करते हुए भगवान सूर्य का ध्यान करें।
  • ध्यान करने हुए आपको ॐ पूष्णे नमः मंत्र का जाप करना है।

अष्टांग करने के लाभ:

  • अष्टांग आसन आपके शरीर की इम्युनिटी शक्ति में वृद्धि करता है।
  • अष्टांग के रोज अभ्यास से आपकी रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आता है।
  • अष्टांग करने से आपके शरीर के मुख्य रूप से कार्य करने वाले आठ अंगों को लाभ पहुँचता है।

7. भुजंगासन (Cobra pose or Bhujangasana):

सूर्य नमस्कार के सांतवे आसन का नाम है भुजंगासन जिसे अधोमुखश्वानासन के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन के तहत आपको विशुद्धिचक्र का ध्यान पर केंद्र करना होता है।

सूर्य नमस्कार, Bhujangasana surya namaskar seventh aasan

भुजंगासन करने का तरीका:

  • भुजंगासन करने के लिए आपके सबसे पहले अपने हाथ एवं पैरों को एक ही स्थान पर रखें। इस क्रिया को करते हुए धीरे-धीरे सांस लेते रहें।
  • इसके बाद आगे की ओर बढ़ते हुए अपनी छाती को ऊपर की ओर उठाएं।
  • अब इसके बाद अपने कन्धों को पीछे की ओर घुमाते हुए अपनी कोहनियों को एक-दूसरे दबाते धीरे-धीरे ऊपर की ओर देखें।
  • इस अवस्था में रहते हुए ॐ हिरण्यगर्भाय नमः मंत्र का जाप करें।

भुजंगासन करने के लाभ:

  • भुजंगासन आपके शरीर को लचीलापन प्रदान करता है।
  • भुजंगासन करने से आपके कंधे , पीठ , छाती और पैरों की मांसपेशियों मजबूत होती हैं।
  • भुजंगासन आपके तनाव और थकान को दूर भगाता है।
  • भुजंगासन आपके वजन को कम करने में सहायक है।

8. अधो मुख श्वानासन (Adho mukha svanasana):

सूर्य नमस्कार का आठवां आसन है अधो मुख श्वानासन जिसे कोबरा पोज़ (अवस्था) भी कहा जाता है। इस आसन में उच्छवास सांस लेने की प्रक्रिया को करना होता है। अधो मुख आसन में किया जाने वाला चक्र विशुद्धि चक्र कहलाता है।

Adho mukha svanasana surya namaskar eigth aasan

अधो मुख श्वानासन करने का तरीका:

  • आधो मुख श्वानासन करते हुए आपको धीरे-धीरे सांस लेते हुए अपने हाथों और पैरों को जमीन पर रखते हुए अपनी कमर और कूल्हों को ऊपर की ओर उठाना होता है।
  • इसके बाद आपको अपने शरीर की अवस्था की एक पर्वत की भाँती अर्थात उल्टे V आकार की बनानी होती है।
  • इसके बाद अपने हाथों को स्थिर रखते हुए आपको अपने पैरों को आगे की ओर लाना है।
  • उपरोक्त अवस्था की मुद्रा में रहते हुए आपको सूर्य नमस्कार का आठवां मंत्र ॐ मरीचये नमः का जाप करना है और सूर्य भगवान का ध्यान करना है।

अधो मुख श्वानासन करने के लाभ:

  • अधो मुख श्वानासन से आपके शरीर का ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है।
  • अधो मुख श्वानासन महिलाओं में होने वाली मोनोपॉज बीमारी के लक्षणों को सही करने में सहायक है।

9. अश्व संचालनासन (Ashwa Sanchalanasana):

सूर्य नमस्कार की योग क्रिया में नवां आसन है अश्व संचालनासन जिसे दंडासन के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन में आपको श्वास क्रिया के तहत सांस लेना और सांस छोड़ना करना होता है। इस आसन को करने की पूरी प्रक्रिया सूर्य नमस्कार के चौथे आसन के समान है। नौवें आसन में किया जाने वाला चक्र आज्ञा चक्र कहलाता है।

Ashwa Sanchalanasana) surya namaskar ninth aasan

अश्व संचालनासन करने का तरीका:

  • अश्व संचालन में आपको सबसे पहले अपना दायाँ पैर पीछे की ओर ले जाना होता है और घुटने नीचे जमीन से छूता हुआ होना चाहिए।
  • इसके बाद बाएं पैर को ऊपर की ओर थोड़ा उठाएं और बायें पैर के पंजे जमीन को छूने चाहिए।
  • इसके बाद आपको अपने हाथों को जोड़ते हुए ऊपर की ओर उठाना है। हाथों को ऊपर की तरफ उठाते हुए थोड़ा पीछे की ओर झुकें।
  • इसी अवस्था में रहते हुए आपको ॐ आदित्याय नमः मंत्र का जाप करते हुए भगवान सूर्य का ध्यान करना है।

अश्व संचालन करने के लाभ:

  • अश्व संचालन या दण्डासन आपके कंधे एवं छाती को मजबूत करने का कार्य करता है।
  • यह आसन शरीर में लचीलापन लेकर आता है।
  • अश्व संचालन पीठ की मांसपेशियों में होने वाले दर्द में आराम पहुंचाता है।
  • दण्डासन हमारी एकाग्रता को बढ़ाने में सहायक होता है।

10. हस्तपादासन (Hasta Padasana):

सूर्य नमस्कार के दसवें आसन का नाम है “हस्तपादासन” इस आसन को उत्तानासन भी कहा जाता है। इस आसन के तहत साँस लेने की प्रक्रिया उच्छवास कहलाती है। उत्तानासन करते हुए स्वाधिष्ठानचक्र की अवस्था में रहते हुए आपको सूर्य देवता का ध्यान करना होता है।

सूर्य नमस्कार

हस्तपादासन करने का तरीका:

  • हस्तपादासन करने के लिए आपको सबसे पहले धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए आपको आगे की ओर झुकना होता है।
  • इसके बाद आपको अपने हाथों को गर्दन के साथ चिपकाते हुए नीचे की ओर झुकाते हुए अपने दाएं और बाएं पैरों को जमीन से स्पर्श करें।
  • इस अवस्था में आपको अपना माथा घुटनों के बीच रखना है। आसन की इस मुद्रा में आपका ध्यान नाभि के पीछे ‘मणिपूरक चक्र’ पर केंद्रित करना है।
  • आपको उपरोक्त अवस्था में कम से कम 4 से 5 सेकेण्ड तक रहना है। इसी के अवस्था में रहते हुए आपको सूर्य नमस्कार के दसवें मंत्र ॐ सवित्रे नमः का जाप करना है।

हस्तपादासन करने के लाभ:

  • हस्तपादासन करने से आपको अनिद्रा की समस्या दूर होती है।
  • हस्तपादासन करने से ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या में आराम मिलता है।
  • यह आसन आपके सिर में होने वाले दर्द , स्ट्रेस , चिंता , तनाव , घबराहट आदि में आराम प्रदान करता है।

11. हस्त उत्तानासन (Hasta Uttanasana):

सूर्य नमस्कार का यह आसन सूर्य नमस्कार योग क्रिया की दूसरी अवस्था के समान होता है। इसमें आपको सूर्य भगवान के अनंत चक्र का ध्यान करना होता है।

सूर्य नमस्कार, Hasta Uttanasana surya namaskar second aasan

हस्त उत्तानासन करने का तरीका:

  • हस्त उत्तानासन करने की क्रिया पूर्णतः सूर्य नमस्कार की द्वितीय चरण की तरह है। इसमें आपको सबसे पहले गहरी सांस लेते हुए अपने हाथों को सर के ऊपर ले जाना होता है।
  • इसके बाद आपको ऊपर की ओर देखना है। देखते हुए आपको अपने पैरों की उँगलियों के बल पर खड़ा होना है।
  • इसके बाद आपको अपने शरीर को पीछे की ओर ले जाते हुए ऊपर की खींचना है जिस तरह से ताड़ासन में किया जाता है।
  • ताड़ासन की मुद्रा में रहते हुए ॐ अर्काय नमः मंत्र का जाप करें और सूर्य भगवान के विशुद्धिचक्र पर ध्यान केंद्रित करें।

हस्त उत्तानासन करने के लाभ:

  • हस्त उत्तानासन करने से आपको अस्थमा , पीठ में दर्द और थकान में आराम मिलता है।
  • उत्तानासन आपकी पाचन तंत्र की क्रिया को सही करता है।
  • उत्तानासन हमारे शरीर में ऑक्सीजन के प्रवाह को सही करता है।

12. प्रणामासन या प्रार्थना मुद्रा:

सूर्य नमस्कार का अंतिम चरण है प्रणामासन जो पूर्व में किये गए सूर्य नमस्कार के प्रथम चरण के समान होता है। इस आसन को करते हुए आपको सूर्य भगवान के अनन्तचक्र का ध्यान करना होता है।

सूर्य नमस्कार, Pranamasana surya namaskar first aasan

प्रणामासन करने का तरीका:

  • प्रणामासन करने के लिए आपको सूर्य नमस्कार के प्रथम चरण की भाँती सीधा खड़ा होना है।
  • सीधे खड़े होते हुए दोनों हाथों को जोड़कर प्रार्थना की मुद्रा में आना है।
  • प्रार्थना की अवस्था में आने के बाद आपको सूर्य नमस्कार के बारहवें मंत्र ॐ भास्कराय नमः का जाप करना है।

प्रणामासन करने के लाभ:

  • प्रणामासन हमारी एकाग्रता की शक्ति को बढ़ाता है और मन को शांत करता है।
  • प्रणामासन तनाव (Stress) को दूर भगाता है।
  • यह आसन हमारे पैरों के जाँघों , घुटनों और टखनों की मांसपेशियों को मजबूत करता है।

सूर्य नमस्कार से संबंधित Frequently Asked Question (FAQs):

सूर्य नमस्कार का उल्लेख किस पुरातन ग्रन्थ में मिलता है ?

विद्वानों के अनुसार सूर्य नमस्कार का उल्लेख महर्षि पतंजलि द्वारा लिखित योगसूत्र में मिलता है।

सूर्य नमस्कार में कुल कितने मंत्र हैं ?

सूर्य नमस्कार में कुल 12 मंत्र हैं जो हमारी 12 राशि चिन्हों को प्रदर्शित करते हैं।

सूर्य (SUN) में कौन से दो रासायनिक तत्व मौजूद हैं ?

Sun या सूरज में हाइड्रोजन और हीलियम दो रासायनिक तत्व मौजूद हैं।

सूर्य भगवान को किसका पुत्र बताया गया है ?

पुराणों में सूर्य भगवान को ब्रह्माण्ड की देवी अदिति का पुत्र बताया गया है।

सूरज के भीतर का तापमान कितना है ?

वैज्ञानिकों के अनुसार सूरज के भीतर का तापमान लगभग 5,778 K केल्विन है।

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