16 महाजनपदों का इतिहास | 16 Mahajanapadas History In Hindi

16 महाजनपदों का इतिहास: प्राचीन समय में हमारे देश भले ही एक अखंड राज्य के रूप में स्थापित था लेकिन इतिहास में हमें ऐसे दस्तावेज और जानकारी मिलती है की देश अखंड राज्य होने के साथ-साथ राजनितिक एवं भौगोलिक इकाइयों के रूप में विभिन्न छोटे-बड़े 16 महाजनपदों में बंटा हुआ था। दोस्तों आज के आर्टिकल ... Read more

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Reported by Dhruv Gotra

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16 महाजनपदों का इतिहास: प्राचीन समय में हमारे देश भले ही एक अखंड राज्य के रूप में स्थापित था लेकिन इतिहास में हमें ऐसे दस्तावेज और जानकारी मिलती है की देश अखंड राज्य होने के साथ-साथ राजनितिक एवं भौगोलिक इकाइयों के रूप में विभिन्न छोटे-बड़े 16 महाजनपदों में बंटा हुआ था। दोस्तों आज के आर्टिकल में हम छठी शताब्दी में मौजूद देश के 16 महाजनपदों के इतिहास और इसके महत्व के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं। यदि आप भी इन महाजनपदों के बारे में जानना चाहते हैं और इतिहास में रूचि रखते हैं तो आपको हमारा यह आर्टिकल जरूर पढ़ना चाहिए।

16 महाजनपदों का इतिहास
16 Mahajanapadas History In Hindi

क्या थे महाजनपद जानें इसका मतलब ?

भारत के उत्तर वैदिक काल अर्थात छठी शताब्दी के समय में देश में बसाये गए लगभग 60 कस्बों को मिलाकर विभिन्न शहरों की स्थापना की गई और इन शहरों को मिलाकर जनपद बनाये गए जिन्हें बाद में बदलकर महाजनपद का रूप दे दिया गया। आपको बता दें की प्राचीन भारत में महाजनपद राज्य एक प्रशासनिक इकाइयों के रूप में स्थापित थे। जहाँ राजशाही से संबंधित कार्य किये जाते थे। उत्तर वैदिक काल के ऐतिहासिक दस्तावेज में इन महाजनपदों का उल्लेख मिलता है। महाजनपदों को अपने कार्यों के आधार दो भागों में बांटा गया था जो थे गणतंत्र और राजतंत्र। आगे आर्टिकल में हमने महाजनपदों के इन दो भागों की विस्तृत चर्चा की है।

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Key High lights of 16 Mahajanpadas:

भाषाएंसंस्कृत और प्राकृत
धर्महिन्दू धर्म
जैन धर्म
बौद्ध धर्म
शासनगणतंत्र
राजतंत्र
ऐतिहासिक युगलौह युग
युग की अवधि300 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व तक

महाजनपद के प्रकार (Types of Mahajanapad):

अपने कार्यों के आधार पर वर्गीकृत महाजनपद के दो प्रकार इस तरह से हैं –

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  1. राजशाही या राजतंत्र महाजनपद (Monarchical Mahajanapadas):
    • जिन महाजनपद में सभी कार्य राज्य वंशानुगत या प्रशासनिक राजा द्वारा किये जाते थे उन्हें राजशाही महाजनपद कहा जाता था।
    • राजतंत्र महाजनपद में क्षत्रिय राजाओं और ब्राह्मणों द्वारा किये गए वैदिक विधि विधान , पूजा पाठ और यज्ञों को बहुत अधिक महत्व दिया जाता था।
    • दोस्तों इतिहास में दर्ज जानकारी के अनुसार 16 महाजनपदों में से कोशल और मगध महाजनपदों को राजशाही महाजनपद प्रकार का माना गया है।
  2. गणतंत्र महाजनपद (Republican Mahajanapadas):
    • गणतंत्र महाजनपद विभिन्न छोटे – छोटे जनपदों का समूह हुआ करते थे। इन महाजनपदों में चलने वाली शासन प्रक्रिया लोकशाही या लोकतांत्रिक हुआ करती थी।
    • गणतांत्रिक जनपदों को समूह में शामिल कुलीन राजवंश के शासकों द्वारा चुना जाता था। यह कुलीन राजा अपनी-अपनी लड़ने की क्षमता के अनुसार गणतांत्रिक महाजनपद के समूह में शामिल होते थे।
    • लेकिन दोस्तों उस समय के गणतांत्रिक महाजनपद की सबसे बड़ी कमीं यह थी की यहां किये जाने वाले वैदिक यज्ञों और ब्राह्मणों के पूजा पाठ को कोई महत्त्व नहीं दिया जाता था।
    • इतिहास के कुछ बौद्ध धर्म के ग्रंथों में बताया गया है की गणतांत्रिक महाजनपद में मिलने वाले सामाजिक पदों में क्षत्रियों को ब्राह्मणों से अधिक महत्वपूर्ण पद और स्थान दिए जाते थे। Republican Mahajanapadas यह व्यवस्था कई बार गणतंत्र महाजनपद के पतन का कारण बनती थी।
    • वज्जि महाजनपद को गणतंत्र महाजनपद का बेहतरीन उदाहरण माना जाता है।
    • आपको बताते चलें की कहीं – कहीं इतिहास की किताबों में गणतंत्र महाजनपद को गण संघ (Gana Sanghas) के नाम से सम्बोधित किया गया है।
महाजनपदों का उदय (Ascent of Mahajanpadas):
  • इतिहास के जानकार और विद्वान मानते हैं की भारत में जिस समय उत्तर वैदिक काल चल रहा था जो की लगभग 1100 ईसा पूर्व माना जाता है उस समय देश में कस्बों और शहरों का स्थापित होना शुरू हुआ।
  • ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार भारत में छठी शताब्दी (लगभग 700 से 600 ईसा पूर्व) के समय जब बौद्ध और जैन धर्म का उदय हो रहा था तब तत्कालीन प्राचीन राजवंश के शासकों द्वारा छोटे-छोटे कस्बों और शहरों को मिलाकर महाजनपदों की स्थापना और इनका विकास शुरू हुआ।
  • आपको बता दें की महाजनपद के समय शासन करने वाले राजवंश निम्नलिखित इस प्रकार से हैं –
    • कुरु राजवंश,
    • कोशल राजवंश
    • पांचाल राजवंश
    • विदेह राजवंश,
    • मत्स्य राजवंश
    • चेदि राजवंश
    • प्राचीन मगध
    • गांधार राजवंश
  • प्राचीन काल के समय देश के यह 16 महाजनपद विख्यात शिल्प कला एवं व्यापार का प्रमुख आकर्षण केंद्र हुआ करते थे। व्यापार का प्रमुख केंद्र होने के कारण विदेशों से आने वाले यात्रियों , कवियों , दार्शनिकों और शासकों ने अपनी-अपनी रचनाओं में भारत की इस विशेषता का सुन्दर रूप से वर्णन किया है।
  • प्राचीन भारतीय इतिहास में उत्तर भारत में स्थित महाजनपद लोहे के सामान और व्यापार के लिए पुरे विश्व में प्रसिद्ध थे।
  • इसी तरह भारत के उत्तर मध्य क्षेत्र में कृषि के साधनों और कृषि के उन्नत तरीकों का व्यवस्थित एवं सम्पूर्ण विकास हुआ।
  • इतिहासकार मानते हैं की जब सिंधु घाटी सभ्यता का पतन हुआ तो द्वितीय शहरीकरण की प्रक्रिया के कारण देश में नए महाजनपदों की स्थापना हुई।
  • बौद्ध धर्म ग्रंथों के इतिहास में 16 महाजनपदों की प्रमुख बस्तियों का उल्लेख मिलता है। लेकिन इतिहासकार मानते हैं की बौद्ध धर्म ग्रंथों के इतिहास में वर्णित और जैन धर्म ग्रंथों के इतिहास में वर्णित 16 महाजनपदों की सूची में बहुत सी भिन्नताएं हैं।

List of 16 Mahajanapadas (16 महाजनपदों की सूची)

दोस्तों नीचे टेबल में हमने आपको प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों के नाम उनकी राजधानी और वर्तमान समय में महाजनपद जिन नामों से जाने जाते हैं उन सभी की जानकारी प्रदान की है।

क्रमांकआधुनिक शहर महाजनपद का नाममहाजनपद की राजधानी
1बनारसकाशीवाराणसी
2बिहारवज्जिवैशाली
3पूर्वी उत्तर प्रदेशकोशलश्रावस्ती
4गया और पटनामगधराजगृह या गिरिव्रज
5देवरिया और उत्तर प्रदेशमल्लकुशीनारा
6बुन्देलखंडचेदिसोथिवती या बांदा
7मेरठ और दक्षिण पूर्व हरियाणाकुरुइंद्रप्रस्थ
8प्रयागराज ( पहले – इलाहाबाद )वत्सकौशाम्बी
9पश्चिमी उत्तर प्रदेशपांचालअहिच्छत्र और काम्पिल्य
10मथुरासूरसेन या शूरसेनमथुरा
11गोदावरी नदी का किनाराअश्मक या अस्सकपैठण
12मालवा और मध्य प्रदेशअवन्तिमहिषामति और उज्जैन
13रावल पिंडीगांधारतक्षशिला
14 जयपुर (राजस्थान)मत्स्यविराटनगर
15राजौरी और हजराओकम्बोजपूंछ
16मुंगेर और भागलपुरअंगचम्पा

जानें 16 महाजनपदों का इतिहास :

अब आर्टिकल में हम आपको एक-एक करके सभी 16 महाजनपदों के ऐतिहासिक महत्व और इतिहास के बारे में विस्तृत रूप से बताएंगे –

काशी महाजनपद: (Kashi Mahajanapad)

16 महाजनपदों का इतिहास
काशी (वाराणसी) महाजनपद
  • आधुनिक समय में उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित शहर वाराणसी प्राचीन समय में काशी के नाम प्रसिद्ध था। वर्तमान समय में काशी हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थ स्थल है।
  • काशी में पार्श्वनाथ के पिता प्रसिद्ध राजाओं में से एक अश्वसेन का शासन हुआ करता था।
  • जब काशी में ब्रह्मदत्त नामक राजा का शासन था तो कोशल महाजनपद के राजा कंस ने ब्रह्मदत्त को युद्ध में हराकर काशी महाजनपद राज्य जीत लिया।
  • आपकी जानकारी के लिए बता दें की काशी महाजनपद प्राचीन काल में वज्जि महाजनपद के उत्तर पश्चिम में स्थित था।

वज्जि (वैशाली) महाजनपद: (Vaishali Mahajanapad)

16 महाजनपदों का इतिहास
वज्जि महाजनपद
  • वज्जि महाजनपद जिसको वैशाली के नाम से भी जाना जाता था। वज्जि महाजनपद आठ राज्यों का संघ समूह जनपद था।
  • वज्जि महाजनपद में तीन शासकों का शासन था जो थे विदेह, वज्जि और लिच्छवि।
  • इतिहास के मुताबिक लिच्छवि वंश के राजा की राजधानी वैशाली थी।
  • दोस्तों आपको बता दें की वैशाली को अब वर्तमान समय में बसाढ़ नामक स्थान के रूप में जाना जाता है।

कोशल महाजनपद: (Kosala Mahajanapad)

16 महाजनपदों का इतिहास
कोशल महाजनपद
  • कोशल महाजनपद की दो राजधानियां थीं। पहली राजधानी अयोध्या और दूसरी राजधानी श्रावस्ती।
  • कोशल महाजनपद अपने समय में समृद्ध संस्कृति वाला राज्य था।
  • बौद्ध धर्म काल के समय में राजा प्रसेनजीत नामक राजा का राज हुआ करता था।
  • इतिहास खोजकर्ताओं के मुताबिक़ कोशल महाजनपद में कपिलवस्तु नामक गणतंत्र महाजनपद स्थित था।
  • कपिलवस्तु जनपद में खोजकर्ताओं को खोज करने पर दो जगहें मिलीं हैं सिद्धार्थ एवं पिपरहवा जो उस समय की सबसे प्रसिद्ध जगहों में से एक थीं।
  • भारत में मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद कोशल महाजनपद पर देव वंश, दत्त वंश और मित्र वंश का शासन रहा।
  • पुराणों (रामायण, महाभारत आदि) में कोशल महाजनपद पर इक्षवाकु वंश के शासन का उल्लेख मिलता है।

मगध महाजनपद: (Kosala Mahajanapad)

16 महाजनपदों का इतिहास
मगध (वर्तमान में पटना) महाजनपद
  • प्राचीन समय में मगध जनपद 16 महाजनपदों में से एक बहुत बड़े क्षेत्रफल पटना और गया जिले में फैला हुआ महाजनपद था।
  • मगध महाजनपद को अब वर्तमान समय में पटना के नाम से जाना जाता है।
  • आपकी जानकारी के लिए बता दें की मगध की प्रारम्भिक राजधानी राजगीर थी। राजगीर एक ऐसा स्थान था जो चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ था जिस कारण इतिहास के दस्तावेजों में कहीं – कहीं पर मगध को गिरिब्रज के नाम से सम्बोधित किया गया है।
  • मगध महाजनपद को राजा बृहद्रथ ने बसाया था। राजा बृहद्रथ की मृत्यु के बाद जरासंध नामक शासक ने मगध की राजगद्दी संभाली।
  • इतिहासकार बताते हैं की छठी शताब्दी में प्राचीन मगध महाजनपद को 16 महाजनपदों में से सबसे शक्तिशाली महाजनपद के रूप में जाना जाता था।

मल्ल महाजनपद: (Mall Mahajanapad)

malal mahajanpad
मल्ल महाजनपद
  • प्राचीन समय में मल्ल महाजनपद एक गणतंत्र महाजनपद था जो की वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर के आस पास के क्षेत्र तक फैला हुआ था।
  • मल्ल महाजनपद की दो राजधानियां थीं। पहली राजधानी थी कुशीनारा जिसको वर्तमान में कुशीनगर के नाम से जाना जाता है।
  • इसी तरह से दूसरी राजधानी थी पावा या पव जिसको वर्तमान में फाजिल नगर के नाम से जाना जाता है।

चेदि महाजनपद: (Chedi Mahajanapada)

16 महाजनपदों का इतिहास
श्री कृष्ण द्वारा शिशुपाल का वध (शक्तिमती)
  • महाभारत काल के समय में चेदि महाजनपद की राजधानी सोत्थीवती को शक्तिमती के नाम से सम्बोधित किया जाता था।
  • आपको बताते चलें की चेदि महाजनपद को वर्तमान समय में बुंदेलखंड के नाम से जाना जाता है।
  • प्राचीन समय में मल्ल महाजनपद की राजधानी सोत्थीवती थी। महाभारत काल के समय में शक्तिमती के राजा शिशुपाल का वध श्री कृष्ण ने किया था।
  • ऋग्वेद की दानस्तुति में चेदि महाजनपद का उल्लेख मिलता है। ऋग्वेद में बताया गया है की चेदि महाजनपद के राजा नरेश कशु एक शक्तिशाली राजा थे।

कुरु महाजनपद: (Kuru Mahajanapad)

16 महाजनपदों का इतिहास
कुरु राजवंश (कुरु महाजनपद)
  • आधुनिक समय में हरियाणा तथा दिल्ली की यमुना नदी के किनारे का पश्चिम इलाका कुरु महाजनपद के क्षेत्र में शामिल था।
  • इतिहास में जैन धर्म के उत्तराध्ययनसूत्र इस कुरु जनपद के इक्ष्वाकु नामक राजा का उल्लेख मिलता है।
  • ऐतहासिक दस्तावेज के अनुसार सुतसोम, कौरव और धनंजय जैसे शासकों को इस महाजनपद का राजा माना गया है।
  • कुरु महाजनपद में कुरु राजवंश का शासन (1200 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व तक) रहा। इतिहास के अनुसार यह महाजनपद भारतीय उपमहाद्वीप में एक राज्य स्तरीय समाज के रूप में विकसित था।

वत्स महाजनपद: (Vatsa Mahajanapad)

16 महाजनपदों का इतिहास
वत्स महाजनपद
  • वत्स महाजनपद की राजधानी कौशाम्बी थी। माना जाना है की वत्स महाजनपद में अर्जुन के पौत्र परीक्षित के पुत्र जनमजेय का शासन था।
  • इतिहासकारों के मुताबिक़ राजा निश्च्छु के द्वारा यमुना नदी के तट पर अपने राज्य वंश की स्थापना की थी। जिसके बाद इस महाजनपद का नाम वत्स पड़ गया।
  • महाभारत काल के समय जब वत्स महाजनपद की राजधानी कौशाम्बी थी तो उस समय हस्तिनापुर का पतन हुआ और कौरवों के वंश का अंत हुआ।
  • आज के समय की बात करें तो उत्तर प्रदेश राज्य का प्रयाग राज आज वहीं स्थित है जहाँ पर वत्स राजवंश का शासन था।

पांचाल महाजनपद: (Panchal Mahajanapad)

panchal mahajanapd
  • पांचाल महाजनपद आज के समय में उत्तर प्रदेश में केंद्रित था।
  • प्राचीन समय में पांचाल महाजनपद की दो शाखाएं थी (उत्तरी और दक्षिणी )
  • आपकी जानकारी के लिए बता दें की उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिच्छत्र थी।
  • और हम बात करें दक्षिणी पांचाल की राजधानी काम्पिल्य थी।
  • 5वीं और छठीं शताब्दी के समय पांचाल महाजनपद में चुलानी ब्रह्मदत्त नामक शासक का शासन था। ब्रह्मदत्त को इस जनपद का एक महान शासक माना जाता था।

शूरसेन महाजनपद: (Shursen Mahajanapad)

sursen Mahajanpad
  • प्राचीन समय में शूरसेन महाजनपद की राजधानी मथुरा थी।
  • भारत के पुरातन नक़्शे के अनुसार सूरसेन महाजनपद कुरु महाजनपद के दक्षिण क्षेत्र में स्थित था।
  • प्राचीन बौद्ध ग्रथों के अनुसार अवन्तीपुत्र को शूरसेन महाजनपद का राजा बताया गया है।
  • इस महाजनपद के लोगों की ज्ञान, बुद्धि और वैभव की चर्चा उस समय पुरे विश्वभर में थी।
  • आपको बताते चलें की पुराणों में मथुरा के राजवंश को यदुवंश के नाम से उल्लेखित किया गया है।

अश्मक महाजनपद: (Ashmak Mahajanapad)

asmak mahajanpad
अश्मक महाजनपद
  • अश्मक महाजनपद एक मात्र ऐसा जनपद था जो भारत के दक्षिण क्षेत्र में स्थित है।
  • वर्तमान समय में नर्मदा और गोदावरी नदी के बीच स्थित इस महाजनपद की राजधानी पोटन थी।
  • इतिहास में अश्मक महाजनपद के राजा इच्छवाकु वंश के राजा को बताया गया है।
  • अवन्ति के राजा से युद्ध में हारने के बाद अश्मक महाजनपद अवन्ति के आधीन हो गया।

अंग महाजनपद: (Ang Mahajanapad)

ang mahajanpad
  • मगध महाजनपद के पूर्व में स्थित महाजनपद का नाम अंग था।
  • वर्तमान में अंग जनपद में बिहार राज्य के मुंगेर और भागलपुर जिले स्थित है।
  • अंग महाजनपद की राजनधानी चम्पा था जो की यहाँ पर बहने वाली नदी के नाम पर पड़ा।
  • मगध के राजा बिम्बिसार से हारने के बाद अंग महाजनपद को मगध जनपद में मिला लिया गया।

गांधार महाजनपद: (Gandhar Mahajanapad)

gandhar-mahajanpad
  • दोस्तों पाकिस्तान के पश्चिमी और अफगानिस्तान के पूर्वी क्षेत्र और कश्मीर का कुछ क्षेत्र इस महाजनपद में सम्मिलित था।
  • गांधार महाजनपद की राजधानी तक्षशिला थी। जो की उस समय का शिक्षा, कला और व्यापार का एक बहुत बड़ा केंद्र था।
  • कुषाण शासकों के द्वारा यहाँ बौद्ध धर्म की स्थापना की गयी। कुषाण शासन काल 600 ईसा पूर्व से 11वीं सदी तक रहा।
  • महाभारत काल के समय गांधार जनपद के राजा शकुनि थे।

मत्स्य महाजनपद: (Matsya Mahajanapad)

matsay mahajanpad
16 महाजनपदों का इतिहास
  • मत्स्य जनपद आज के समय के राजस्थान के अलवर, भरतपुर तथा जयपुर जिला क्षेत्र शामिल थे।
  • ऐसा माना जाता है की उस समय मत्स्य जनपद के रहने वाले लोग बहुत ईमानदार हुआ करते थे।
  • मत्स्य जनपद की राजधानी विराटनगर थी।

कम्बोज महाजनपद: (Kamboj Mahajanapad)

Kamboj mhajanpad
16 महाजनपदों का इतिहास
  • कम्बोज महाजनपद की राजधानी पूंछ थी। जो की वर्तमान समय में जम्मू और कश्मीर में स्थित है।
  • प्राचीन पुराणों की बात करें तो महर्षि पाणिनि के द्वारा लिखित अष्टध्यायी में कम्बोज महाजनपद का उल्लेख मिलता है।
  • कम्बोज महाजनपद के राजपुर, द्वारका तथा कपिशि इसके प्रमुख नगर थे।
  • ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार राजा कम्बीजेस को इन जनपद का राजा माना जाता है।
  • बौद्ध धर्म ग्रन्थ अंगुत्तर निकाय, महावस्तु में 16 महाजनपदों के साथ कम्बोज जनपद का उल्लेख मिलता है।

अवन्ति महाजनपद: (Avanthi Mahajanapad)

अवन्ति महाजनपद
अवन्ति महाजनपद में चलन में उपयोग किये जाने वाले सिक्के
  • आधुनिक मालवा के नाम से प्रसिद्ध शहर प्राचीन समय में अवन्ति जनपद में स्थित था।
  • अवन्ति महाजनपद के दो भाग थे उत्तर अवन्ति और दक्षिण अवन्ति।
  • इतिहासकारों के अनुसार उत्तर अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी थी जिसको वर्तमान समय में उज्जैन के नाम से जाना जाता है।
  • इसी तरह दक्षिण अवन्ति की राजधानी माहिष्मति थी।
  • इतिहास के विद्वानों के अनुसार प्राचीन समय में अवन्ति महाजनपद में हैहयवंश का शासन था।

महाजनपदों का अंत और साम्राज्यों का उदय:

दोस्तों आपकी जानकारी के लिए के लिए बता दें की जब भारत में शिशुनाग वंश के शासन का अंत हुआ तो नंद वश के संस्थापक राजा महापद्मनंद ने 345 ईसा पूर्व में शासन व्यवस्था संभाली और मगध का शासक बना।

मगध का शासक बनने के साथ ही महापद्मनंद ने युद्ध में बाकी बचे सारे महाजनपद जीत लिए और पुरे भारत में अपने नंद साम्राज्य की स्थापना के साथ अपने साम्राज्य का विस्तार किया। इतिहासकार मानते हैं की नंद वंश साम्राज्य के उदय के साथ ही महाजनपदों का अंत हो गया।

लेकिन इसके बाद जब (322 ईसा पूर्व से 185 ईसा पूर्व) के बीच मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य ने महापद्मनंद की हत्या कर मगध पर अपना साम्राज्य स्थापित किया। मौर्य वंश की स्थापना के साथ ही देश में अखंड भारत की नींव पड़ी।

16 महाजनपदों का इतिहास से संबंधित (FAQs):

प्राचीन भारत में महाजनपदों की कितनी संख्या थी ?

आपको बताते चलें की इतिहास के साक्ष्यों के अनुसार प्राचीन भारत में 16 महाजनपद मौजूद थे।

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कौशाम्बी किस महाजनपद की राजधानी थी ?

वत्स महाजनपद की राजधानी कौशाम्बी थी।

महाजनपद की अवधि कब से कब मानी जाती है ?

महाजनपद की अवधि 600 ईसा पूर्व से 300 ईसा पूर्व तक मानी जाती है।

कम्बोज महाजनपद का विस्तार कहाँ से कहाँ तक था ?

कम्बोज महाजनपद का विस्तार कश्मीर से हिन्दू कुश तक था।

इंद्रप्रस्थ किसका प्राचीन नाम है ?

आज के आधुनिक शहर दिल्ली का प्राचीन नाम इंद्रप्रस्थ था।

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