अयोगवाह किसे कहते हैं – Ayogwah Kise Kahate Hain

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Reported by Saloni Uniyal

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दोस्तों जैसा की हम सब जानते है कि हिंदी वर्णमाला के अंतर्गत स्वर व व्यंजन होते हैं। इसके अलावा अयोगवाह वर्ण भी होता है। जिसके बारे में अधिक लोगों को जानकारी नहीं होती हैं तो आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से अयोगवाह किसे कहते हैं ? सभी जानकारी उदाहरण सहित देने वाले है। इसके लिए हमारे साथ अंत तक बने रहे।

अयोगवाह किसे कहते हैं - Ayogwah Kise Kahate Hain
Ayogwah

अयोगवाह किसे कहते हैं ?

ऐसे वर्ण जो न तो स्वर की श्रेणी में आते है और न ही व्यंजन की श्रेणी में आते हैं। लेकिन उनमें स्वर एवं व्यंजन दोनों के गुण पाए जाते है, उन्हें आयोगवाह कहते है। अनुस्वार (अं), अनुनासिक (अँ), और विसर्ग (अः) को अयोगवाद कहलाते है।

  1. अनुस्वार वर्ण – जिन वर्णों को बोलते समय नाक से ध्वनि निकलती है, उन्हें अनुस्वार कहते है। इस वर्ण का प्रयोग किसी भी वर्ण के ऊपर बिंदु (अं) देने का कार्य होता है। जैसे – चांदनी, डंडा, घंटी, सुंदर, कंधा आदि।
  2. अनुनासिक – जिन वर्णों का उच्चारण करने से मुख और नाक दोनों से ध्वनि निकलती है, तो उसे अनुनासिक कहते है। इन वर्णों का प्रयोग चंद्र बिंदु (अँ) के रूप से किया जाता है। जैसे – आँख, दाँत, साँप, ऊँट आदि।
  3. विसर्ग – ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण करने पर हल्के ह के समान ध्वनि उत्पन्न होती है, उसे विसर्ग कहते है। इनका प्रयोग वर्ण के बाद दो बिंदुओं (अ:) के रूप में होता है। जैसे – अतः, प्रातः, पुनः आदि।

यह भी देखें: क्या आप जानते हो हिंदी वर्णमाला में कितने स्वर और व्यंजन होते हैं ?

अयोगवाह की संख्या

भारतीय हिंदी वर्णमाला में तीन अयोगवाह होते है – अं, अँ एवं अ:

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ये तीनों अक्षर न तो पूर्ण रूप से स्वर है और न पूर्ण रूप से व्यंजन होते है। जिस वजह से इनकी गिनती नहीं की जाती है।

अयोगवाह पूर्ण रूप से स्वर एवं व्यंजन क्यों नहीं होते हैं ?

जैसा की हम जानते है कि स्वर का उच्चारण करने के लिए अन्य किसी वर्ण की आवश्यकता नहीं होती है, परन्तु अं , अँ एवं अ: का उच्चारण बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता के नहीं किया जाता है। इसके विपरीत व्यंजन वर्णों का उच्चारण करने के लिए स्वरों की सहायता लेनी होती है। इसलिए इन दोनों वर्णों को स्वरों के साथ नहीं मिलाया जा सकता है।

व्यंजन वर्ण का उच्चारण करने के लिए स्वर की आवश्यकता होती है, स्वरों के बिना व्यंजन का उच्चारण नहीं किया जा सकता है। उस हिसाब से अनुस्वार (अं) एवं विसर्ग(अ:) को स्वर होना चाहिए जो की नहीं है।

अनुस्वार(अं) एवं विसर्ग(अ:) स्वर न होने के कारण इनका उच्चारण व्यंजन वर्ण में भी नहीं हो सकता है। इसलिए यह न तो स्वर होते है और न ही व्यंजन।

अयोगवाह से संबंधित सवालों के जवाब FAQs –

अयोगवाह की परिभाषा क्या है ?

यह भी देखेंHindi Varnamala – हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन (Hindi Alphabet Varanmaala)

Hindi Varnamala – हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन (Hindi Alphabet Varanmaala)

ऐसे वर्ण जो न जो स्वर हैं और न ही व्यंजन होते है, उन्हें अयोगवाह कहते है। इसके अतिरिक्त ये स्वर एवं व्यंजन के बीच की कड़ी होती है, जिनमे स्वर व व्यंजन दोनों क गुण पाए जाते है।

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अयोगवाह कितने होते है ?

ये मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते है – अनुस्वार वर्ण (अं), अनुनासिक (अँ) एवं विसर्ग (अ:)

अनुस्वार वर्ण किसे कहते है और इनका प्रयोग कब होता है ?

ऐसे वर्ण जिन्हें बोलते समय नाक से ध्वनि निकलती है, उन्हें अनुस्वार वर्ण कहते है। इनका प्रयोग स्वर के बाद किया जाता है। जैसे – गंगा, दंत, चंचल आदि।

अनुनासिक वर्ण का चिन्ह कैसे होता है ?

अनुनासिक वर्ग का चिन्ह चंद्र के समान होता है, इस वर्ण का प्रयोग चंद्रबिंदु के रूप में किया जाता है। जैसे – माँ, गाँधी, मूँग, हँस, उँगली आदि।

यह भी देखें[100+] Lokoktiyan In Hindi | हिंदी की प्रमुख लोकोक्तियाँ

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