Bihar Land Survey: जमीन सर्वे में बदल गया एक और नियम, मौसम की तरह बदल रहे रोज नियम

पटना में जमीन सर्वे के बदलते नियमों ने रैयतों को उलझन में डाल दिया है। वंशावली की अनिवार्यता हटी, समयसीमा बदली, और आवेदन के लिए नई डेडलाइन तय। जानें कैसे करें ऑनलाइन-ऑफलाइन आवेदन और क्यों है यह प्रक्रिया आपके लिए जरुरी

Photo of author

Reported by Saloni Uniyal

Published on

Bihar Land Survey: जमीन सर्वे में बदल गया एक और नियम, मौसम की तरह बदल रहे रोज नियम
Bihar Land Survey: जमीन सर्वे में बदल गया एक और नियम, मौसम की तरह बदल रहे रोज नियम

बिहार में जारी जमीन सर्वे प्रक्रिया में लगातार बदलाव और संशोधनों के कारण रैयतों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सरकार ने सर्वे को आसान बनाने के उद्देश्य से कई गाइडलाइन्स जारी की हैं, लेकिन उनके लगातार बदलने से ग्रामीणों को यह समझ नहीं आ रहा कि उन्हें करना क्या है। इसी कारण, पटना जिले में अब तक केवल 40% रैयतों ने आवेदन जमा किए हैं।

वंशावली अब अनिवार्य नहीं

सर्वे प्रक्रिया के तहत हाल ही में सरकार ने वंशावली (Genealogy) को लेकर एक बड़ा बदलाव किया है। पहले वंशावली तैयार करने के लिए सरपंच से प्रमाण पत्र मांगा गया। फिर स्व-लिखित वंशावली देने को कहा गया। अब नए संशोधन के अनुसार, वंशावली प्रस्तुत करना अनिवार्य नहीं है। यह बदलाव उन रैयतों के लिए राहत लेकर आया है, जिन्होंने इस भ्रम के कारण बीते तीन महीनों में लाखों रुपये खर्च कर दिए थे।

सिर्फ 40% आवेदन, जागरूकता अभियान तेज

पटना जिले में कुल 1511 राजस्व ग्राम हैं, जिनमें 1300 ग्रामों में सर्वे शुरू हो चुका है। पटना जिले के 7 लाख परिवारों से आवेदन अपेक्षित हैं, लेकिन अब तक केवल 3 लाख आवेदन ही प्राप्त हुए हैं। यह कुल संख्या का मात्र 40% है। ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वे टीम द्वारा लोगों से संपर्क कर आवेदन संख्या बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। इसके साथ ही राजस्व विभाग ने समयसीमा बढ़ाकर प्रक्रियाओं को सरल बनाया है। व्यापक जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं ताकि अधिक से अधिक लोग अपनी जमीन का रिकॉर्ड अपडेट करा सकें।

समयसीमा में फिर बदलाव

बिहार भू राजस्व विभाग ने एक साल में सर्वे पूरा करने का दावा किया था, लेकिन अब तक दो बार समयसीमा बढ़ाई जा चुकी है। नए गाइडलाइन्स के अनुसार, यदि जमीन के दस्तावेजों में गड़बड़ी पाई जाती है तो संबंधित रैयत को दावा-आपत्ति (Claim-Objection) दर्ज करनी होगी।

किश्तवार (गांवों का नक्शा तैयार करना) के लिए समय सीमा 30 दिन से बढ़ाकर 90 दिन कर दी गई है। इसी प्रकार, खानापुरी पर्चा वितरण की समय सीमा 15 दिन से बढ़ाकर 30 दिन और उस पर दावा-आपत्ति दर्ज करने की अवधि 30 दिन से बढ़ाकर 60 दिन कर दी गई है। अब मार्च 2025 तक सभी रैयतों के लिए आवेदन करना अनिवार्य होगा।

आवेदन कैसे करें: ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों विकल्प

ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। रैयत DIRS बिहार वेबसाइट पर जाकर अपनी जमीन से संबंधित जानकारी जैसे खाता नंबर, खेसरा नंबर, रकवा, और चौहद्दी भर सकते हैं। साथ ही जमाबंदी रसीद अपलोड करनी होगी।
ऑफलाइन आवेदन के लिए पंचायत या अंचल कार्यालय जाकर खाता नंबर, खेसरा नंबर, और मालगुजारी रसीद के साथ आवेदन करना होगा।

अप्रैल 2024 से शुरू होगा सर्वेक्षण

सरकार का लक्ष्य है कि 1 अप्रैल 2024 से जमीन सर्वेक्षण का काम धरातल पर शुरू हो जाए। इसके लिए नागरिकों की जिम्मेदारी है कि वे समय पर आवश्यक जानकारी और दस्तावेज उपलब्ध कराएं। यह प्रक्रिया जमीन के रिकॉर्ड को डिजिटल और व्यवस्थित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

FAQs

1. बिहार जमीन सर्वे का उद्देश्य क्या है?
जमीन के रिकॉर्ड को डिजिटल और पारदर्शी बनाना, साथ ही विवादों को खत्म करना।

2. वंशावली क्यों हटाई गई?
वंशावली को लेकर ग्रामीणों में भ्रम और आर्थिक बोझ को देखते हुए इसे अनिवार्य से हटाया गया।

3. आवेदन करने की आखिरी तारीख क्या है?
मार्च 2025 तक आवेदन करना अनिवार्य है।

4. ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?
DIRS बिहार वेबसाइट पर जाकर खाता नंबर, खेसरा नंबर, रकवा, और चौहद्दी की जानकारी भरें और जमाबंदी रसीद अपलोड करें।

5. ऑफलाइन आवेदन के लिए क्या दस्तावेज चाहिए?
खाता नंबर, खेसरा नंबर, और मालगुजारी रसीद।

6. सर्वे में समयसीमा क्यों बदली गई?
प्रक्रियाओं को सरल और प्रभावी बनाने के लिए समयसीमा में बदलाव किया गया।

7. आवेदन संख्या अब तक इतनी कम क्यों है?
लगातार बदलते नियम और जागरूकता की कमी के कारण आवेदन संख्या कम है।

8. सर्वे प्रक्रिया कब शुरू होगी?
1 अप्रैल 2024 से सर्वेक्षण शुरू होगा।

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें