दोराबजी टाटा जीवनी – Biography of Dorabji Tata in Hindi Jivani

आज हम इस आर्टिकल में भारत में औद्योगिक क्रांति की नींव रखने वाले दोराबजी टाटा के बारे में जानने वाले है इन्हें ‘मैन ऑफ स्टील’ के नाम से भी जाना जाता है। यह टाटा समूह के प्रथम चेयरमैन एवं ब्रिटिश राज के एक भारतीय उद्योगपति थे। टाटा ग्रुप के विकास में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका इन्होंने ... Read more

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Reported by Saloni Uniyal

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आज हम इस आर्टिकल में भारत में औद्योगिक क्रांति की नींव रखने वाले दोराबजी टाटा के बारे में जानने वाले है इन्हें ‘मैन ऑफ स्टील’ के नाम से भी जाना जाता है। यह टाटा समूह के प्रथम चेयरमैन एवं ब्रिटिश राज के एक भारतीय उद्योगपति थे। टाटा ग्रुप के विकास में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका इन्होंने ही निभाई, इनका योगदान सबसे अधिक रहा, इसके लिए इन्हें ‘नाइट’ की उपाधि वर्ष 1910 में प्रदान की गई थी। देश का प्रथम इस्पात संयंत्र जो कि नागपुर में स्थित है, तथा पश्चिमी घाट में पहला जल विद्युत स्टेशन की स्थापना इनके द्वारा ही की गई थी। यहां हम आपको दोराबजी टाटा जीवनी (Biography of Dorabji Tata in Hindi Jivani) से जुड़ी प्रत्येक जानकारी साझा करने वाले है, इच्छुक नागरिक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस आर्टिकल के लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

दोराबजी टाटा जीवनी

दोराबजी टाटा का जन्म 27 अगस्त 1859 को मुंबई में एक अमीर परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम जमशेदजी नुसरवानजी टाटा था जो कि एक बिजनेसमैन तथा टाटा ग्रुप के संस्थापक थे, तथा माता का नाम हीराबाई टाटा था, जो कि एक गृहणी थी। यह अपने माता-पिता की बड़े बेटे थे तथा इनका एक छोटा भाई था उनका नाम रतनजी टाटा था। इन्होंने मुंबई के पेटेंट सेकंडरी स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा को पूर्ण किया था जिसके पश्चात ये वर्ष 1875 में इंग्लैंड गए। कुछ समय बाद ये गोनविल और कैयस कॉलेज (कैम्ब्रिज) में गए और वहां दाखिला ले लिया। दो वर्ष तक पढ़ाई करने के बाद ये वर्ष 1879 में भारत लौट आए और मुंबई चले गए, यहां आकर सेंट जेवियर्स कॉलेज में इन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की और स्नातक डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी होने के बाद एक पत्रकार के रूप में मुंबई गजट में काम करने लगे तथा दो वर्ष तक यहां काम किया इसके पश्चात ये कपास विभाग के फर्म, एम्प्रेस मिल्स में कार्य करने लगे, यह कंपनी इनके पिता की थी।

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Biography of Dorabji Tata in Hindi Jivani

नामदोराबजी टाटा
जन्म27 अगस्त 1859
जन्म स्थानमुंबई
पेशाउद्यमी, बिजनेमैन
राष्ट्रीयताभारतीय
स्कूलपेटेंट सेकंडरी स्कूल, बॉम्बे
कॉलेजगोनविल और कैयस कॉलेज (कैम्ब्रिज), सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई
मृत्यु3 जून, 1932
मृत्यु स्थानबैड किसिंजेन, जर्मनी
राशिकन्या
गृहनगरमुंबई
जातिपारसी
शैक्षिक योग्यताकला स्नातक
माता का नामहीराबाई टाटा
पिता का नामजमशेदजी टाटा
भाईरतनजी टाटा
पत्नीमेहरबाई भाभा
संताननहीं
दोराबजी टाटा जीवनी - Biography of Dorabji Tata in Hindi Jivani
दोराबजी टाटा जीवनी

करियर की शुरुआत

इनके पिता जमशेदजी भारत को औद्योगिक राष्ट्र के रूप में विकसित होता देखना चाहते थे इसके लिए वे स्टील प्लांट का निर्माण करना चाहते थे परन्तु उनका यह सपना अधूरा ही रह गया और वर्ष 1904 को इनकी मृत्यु हो गई। अपने पिता की इच्छाओं को पूरा करने के लिए 26 अगस्त 1907 को दोराबाजी ने आयरन तथा स्टील की कंपनी को स्थापित किया था। वर्तमान समय की बात करें टाटा स्टील क्रूड स्टील का उत्पाद हर साल करीबन 34 मिलियन टन करती है।

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टाटा पावर की स्थापना

दोराबजी टाटा उद्योग में जितनी से जितनी अधिक रिसर्च हो सके उतना ठीक समझते थे। उनके लिए रिसर्च का बहुत अधिक महत्व था वे कहते थे, किसी भी काम में रिसर्च का होना जरुरी है तभी जाकर उस काम में प्रगति हासिल होगी।एवं रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1909 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस को स्थापित किया गया तथा टाटा हाइड्रो इलेक्ट्रिकल पावर सप्लाई कंपनी लिमिटेड की स्थापना वर्ष 1910 में कर डाली ताकि देश का विकास किया जा सके। आज के समय में भी ये दोनों संस्थान देश का विकास कर रहे हैं।

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आधुनिक नियोजित शहरों के निर्माण में मुख्य भूमिका

पिता ने अपनी मृत्यु से पहले दोराबजी टाटा के ऊपर कार्य-भार छोड़ा था शहरों में विकास किस तरह से होना चाहिए। वे एक ऐसे शहर की कल्पना करते थे जहां पर चौड़ी सड़कें, घर, लोन, बगीचे एवं प्रत्येक धर्मों के पूजा स्थल आदि सुविधा उपलब्ध हो। इसके पश्चात जमशेदपुर शहर को एफसी टेम्पल के टाउन प्लानिंग के अनुसार शहर को हेक्सागोल पैर्टन के अनुसार वर्ष 1919 में बदल कर विकास किया गया। यहां पर पार्क, चौड़ी सड़कें, कूड़ेदान, अपशिष्ट प्रबंधन, लॉन, डिजिटल कूड़ा दान, एलईडी स्ट्रीट लाइटिंग, बायोगैस, बाजार एवं जलपूर्ति के लिए प्रणाली की सुविधा प्रदान की गई थी। अपने पिता का यह सब सपना पूरा करके इन्होंने जमशेदपुर को स्मार्ट सिटी में रूपांतरित कर दिया।

संस्थानों का निर्माण

दोराबजी टाटा ट्रस्ट द्वारा कई संस्थानों का निर्माण किया गया है जैसे- चिकित्सा, कला एवं शिक्षा क्षेत्र आदि में कार्य कराने का पूर्ण सहयोग इनकी के द्वारा प्रदान होता है।

विवाह

वर्ष 1897 में मैसूर राज्य के शिक्षा महा निरीक्षक एचजे भाभा की बेटी मेहरबाई भाभा से इनका विवाह हुआ था। इन दोनों की शादी इनके घर वालों ने कराई उस समय Tata 38 वर्ष के थे तथा उनके पिता ने मेहरबाई को पसंद किया और शादी कराई, लेकिन इनकी कोई भी संतान नहीं हुई।

एक अच्छे खिलाड़ी एवं

दोस्तों आपको ये तो पता है कि Dorabji Tata एक बड़े एवं बेहतरीन बिजनेसमैन तो थे ही परन्तु वे एक अच्छे खिलाड़ी भी थे। जब ये स्कूल में पढ़ाई करते थे तो हर खेल में हिस्सा लेते थे तथा जब वे कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे तो उस समय भी वे क्रिकेट, फुटबॉल, वॉलीबॉल एवं अन्य सभी खेलों को खेलते थे, इसके अतिरिक्त इन्हें घुड़सवारी करनी भी अच्छी लगती थी अर्थात बिजनेस के अलावा इन्हें खेलों में भी रुचि थी।

वर्ष 1920 में एंटवर्प आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक खेलों में भारत की ओर से जाने के लिए दो पहलवानों एवं चार एथलीटों का खर्च स्वयं ही उठाया था एवं पेरिस ओलम्पिक के लिए वर्ष 1924 में आर्थिक सहायता भी प्रदान की थी। उनके इन सब योगदान के लिए अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति का सदस्य तथा भारत ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष बनाया गया था।

सामाजिक कार्यों के लिए अपनी सम्पति दान की

वर्ष 1931 में दोराबजी की पत्नी का देहांत ल्यूकेमिया के कारण हुआ था उस समय वे 52 साल की उम्र की थी। इसके पश्चात उन्होंने लेडी टाटा मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना की थी। यह ट्रस्ट रक्त सम्बन्धी रोगों का अनुसंधान था यहां पर इन सब के बारे में अध्ययन किया जाता था। ट्रस्ट की स्थापना के बाद टाटा ने अपनी सम्पूर्ण सम्पति सार्वजनिक एवं सामाजिक कार्यों के लिए दान कर दी। टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में कैंसर का इलाज किया जाता था।

भारत के श्रम कल्याण उपायों में अग्रणी कार्य

टाटा जी के आठ घंटे का कार्य दिवस, श्रमिक भविष्य निधि, मुफ्त चिकित्सा सहायता, मजदूरों के लिए समितियों का गठन, मजदूर दुर्घटना के लिए आर्थिक मदद, कल्याण विभाग का विकास, वेतन एवं छुट्टियां आदि सुविधाओं को भी महत्व दिया।

मृत्यु

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Dorabji Tata का निधन जर्मनी के बैड किसिंगन में 3 जून 1932 को हुई थी। मृत्यु के समय ये 73 साल के थे। इनकी कोई भी संतान नहीं थी इसलिए इनके शरीर को इंग्लैंड में दफनाया गया था। इससे पहले इन्होंने एक ट्रस्ट फंड का निर्माण किया था इसका कार्य किसी की भी राष्ट्रीयता पर अंतर ना करना था तथा आपदा में कैसे राहत की जाए एवं विकास ले लिए किया गया था।

दोराबजी टाटा जीवनी से सम्बंधित सवाल/जवाब

Dorabji Tata का जन्म कब हुआ था?

इनका जन्म 27 अगस्त 1859 को मुंबई शहर में हुआ था।

दोराबजी टाटा की शैक्षिक योग्यता क्या थी?

इनकी शैक्षिक योग्यता की बात करें, इन्होंने कला विषय में स्नातक की डिग्री को हासिल किया था।

दोराबजी ने अपनी प्राम्भिक शिक्षा कहाँ से अपनी प्राम्भिक शिक्षा की?

पेटेंट सेकंडरी स्कूल, बॉम्बे से अपनी प्राम्भिक शिक्षा को प्राप्त किया था।

Dorabji Tata की पत्नी का क्या नाम था एवं इनकी संतान क्या थी?

इनकी पत्नी का नाम मेहरबाई भाभा था, लेकिन इनकी कोई भी संतान नहीं थी।

Dorabji Tata की माता का नाम क्या था?

इनकी माता का नाम हीरा बाई टाटा था।

Dorabji Tata की मृत्यु कब हुई थी?

इनकी मृत्यु 3 जून, 1932 को जर्मनी के बैड किसिंजेन में हुई थी।

Dorabji Tata के पिता का क्या नाम था?

Dorabji Tata के पिता का नाम जमशेदजी टाटा था।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की स्थापना कब की गई थी?

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की स्थापना वर्ष 1910 में की गई थी।

Biography of Dorabji Tata in Hindi Jivani से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी को हमने इस लेख के माध्यम से प्रदान कर दिया है, फिर भी यदि आप लेख से जुड़ा प्रश्न या अन्य जानकारी प्राप्त चाहते हो तो आप नीचे दिए हुए कमेंट बॉक्स में अपना मैसेज लिख सकते है, हम कोशिश करेंगे कि आपके प्रश्नों का उत्तर जल्द से जल्द दे पाएं। उम्मीद करते है कि आपको हमारा यह लेख अवश्य पसंद आया हो। इसी तरह अन्य लेखों की जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी साइट hindi.nvshq.org से ऐसे ही जुड़े रहें धन्यवाद।

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