गुरु नानक देव जीवनी – Biography of Guru Nanak in Hindi Jivani

जब भी हम सिख धर्म के बारे में पढ़ते हैं तो हमें सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी जरूर याद आते हैं, आपको बता दें इन्हें सिख धर्म का प्रथम गुरु कहा जाता है। सिख धर्म के गठन के साथ इन्होंने आध्यात्मिक शिक्षाओं को भारत के साथ दक्षिण एशिया में भी फैलाया था ... Read more

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Reported by Saloni Uniyal

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जब भी हम सिख धर्म के बारे में पढ़ते हैं तो हमें सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी जरूर याद आते हैं, आपको बता दें इन्हें सिख धर्म का प्रथम गुरु कहा जाता है। सिख धर्म के गठन के साथ इन्होंने आध्यात्मिक शिक्षाओं को भारत के साथ दक्षिण एशिया में भी फैलाया था इसके लिए इन्होंने अपना घर-बार और परिवार त्याग दिया ताकि ये इस शिक्षा का प्रचार कर सके। इनका प्रकाश उत्सव हमेशा कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। ये तत्कालीन अंधविश्वासों, पाखंडों को खत्म करने के लिए विरोध करते थे और अलग-अलग स्थानों पर घूमकर लोगों को यह बातें बताते थे। इस लेख में हम आपको गुरु नानक देव जीवनी (Biography of Guru Nanak in Hindi Jivani) से सम्बंधित प्रत्येक जानकारी साझा करने जा रहे हैं, अतः आपसे निवेदन हैं कि आप इस लेख को अंत तक ध्यानपूर्वक जरूर पढ़ें।

गुरु नानक देव जीवनी - Biography of Guru Nanak in Hindi Jivani
गुरु नानक देव जीवनी

गुरु नानक देव जीवनी

गुरु नानक का जन्म 15 अप्रैल 1469 को रावी नदी के किनारे तलवंडी नामक गांव में हुआ था। कई इतिहासकारों द्वारा इनके जन्म स्थान और तिथि को लेकर अभी भी कई मत भेद पाए जाते है। इनका जन्म एक खत्री कुल के परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम मेहता कालू तथा माता का नाम तृप्ता देवी था। इनकी एक बड़ी बहन भी थी जिसका नाम नानकी था। नानक ने फ़ारसी एवं अरबी भाषा की शिक्षा अपने बचपन के गुरु से प्राप्त की थी। इनके पिता ने इनको पांच साल की उम्र में पंडित गोपाल दास पांडे के पास भेजा दिया था ताकि वे इन्हें वैदिक साहित्य एवं हिंदी भाषा की शिक्षा प्राप्त करा सके। बचपन में यह बहुत कुशाग्र बुद्धि एवं चपल व्यवहार के थे, इसके साथ ही यह एक बुद्धिमान एवं होनहार बालक थे जिससे इनके गुरु पंडित गोपाल दास इनसे अत्यधिक खुश रहते थे।

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Biography of Guru Nanak in Hindi Jivani

नामगुरु नानक
जन्म15 अप्रैल 1469
जन्म स्थानतलवंडी ननकाना पाकिस्तान
प्रसिद्धिप्रथम सिक्ख गुरु
रचनाएंगुरु ग्रंथ साहेब, गुरुबाणी
पिता का नामकल्यानचंद मेहता
माता का नामतृप्ता देवी
बहननानकी
पत्नीसुलक्खनी देवी
संतानश्रीचंद, लक्ष्मीदास
मृत्यु22 सितम्बर 1539
मृत्यु स्थानकरतारपुर (वर्तमान में पाकिस्तान)
उत्तराधिकारीगुरु अंगद
समाधिकरतारपुर
धर्मसिख
कार्यकाल1469-1539

वर्ष 2023 गुरुनानक जयंती किस दिन है?

हर वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन बड़े जोर-शोर एवं उत्साह के साथ गुरुनानक जयंती मनाई जाती है, इस दिवस में लोग प्रभात फेरी निकलते हैं, बड़े-बड़े लोग लंगर देते हैं, कीर्तन-भजन एवं जश्न मनाया जाता है। इस वर्ष 27 नवंबर 2023 गुरुनानक जयंती मनाई जाएगी।

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विवाह

दोस्तों प्राचीन काल में बाल विवाह जैसी प्रथा का अधिक प्रचलन था। इस प्रथा में कम आयु के छोटे बच्चों का विवाह कराया जाता था, हालाँकि आज के समय में तो सरकार द्वारा विवाह करने के लिए उचित सीमा लागू की गई परन्तु प्राचीन समय में कोई भी ऐसी सीमा निर्धारित नहीं की गई थी जिसमें विवाह करने की सही उम्र बताई हो। जिस उम्र में बच्चों के हाथ में खिलौने होते थे उस उम्र में बच्चों की शादी करा कर उन्हें परिवार की जिम्मेदारियां सौंप दी जाती थी।

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गुरु नानक का विवहा भी ठीक ऐसी ही हुआ। इनके परिवार वालों ने इनकी केवल 16 साल की आयु में सुलक्खनी देवी से शादी करवा दी थी। सुलक्खनी ने दो पुत्रों को जन्म दिया एक नाम श्री चंद्र तथा दूसरे का नाम लक्ष्मी चंद्र था।

यज्ञोपवित संस्कार का किया विरोध

गुरु नानक देव पहले से ही धार्मिक एवं रूढ़िवादी परम्पराओं के खिलाफ थे। जब यह 11 वर्ष के थे इनके परिवार वालों ने यज्ञोपवित संस्कार अथवा जनेऊ धारण करने का कार्यक्रम रखा हुआ था। उस समय हिन्दू धर्म में सभी बालकों का यज्ञोपवित संस्कार किया जाता था और यह सबके लिए अनिवार्य था ताकि जनेऊ धारण करके इनके मन में कभी भी गलत खयाल या इनकी सोच साफ़ रहेगी।

कार्यक्रम के दिन इनके पिता ने अपने सभी रिश्तेदारों को आमंत्रित किया हुआ था। जैसे ही नानक जी को जनेऊ पहनाने की तैयारी कर रहे थे तो उन्होने साफ़ मना कर दिया कि मुझे यह जनेऊ पहनने की आवश्यकता नहीं और मैं इस धागे की शक्ति पर कोई भी भरोसा नहीं करता। नानक जी ने सभी परिवार एवं रिश्तेदार वालों के सामने बोला कि व्यक्ति के अच्छे कर्म, अच्छा व्यवहार और दिल साफ़ होना चाहिए किन्तु मात्र एक धागा गले में डालने से कोई भी इंसान पवित्र नहीं होता है।

सामाजिक कुरूतियों का विरोध

समाज में हो रहे जातीय भेदभाव, अंधविश्वास, मूर्ति पूजन, सांप्रदायिक भेदभाव, धार्मिक आडम्बर एवं अन्य सभी कुरीतियों का विरोध नानक जी हमेशा से ही करते आए थे। वे समाज में इन बातों के खिलाफ खुलकर बोलते थे। नानक जी कहते थे कि मंदिर, मस्जिद और धार्मिक स्थलों में जाकर कोई भी फायदा नहीं है आप ऐसी बात धारण कर ले कि हमारे मन के अंदर भगवान बसे हुए है हमें कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है। ईश्वर को यदि आप पाना चाहते हैं तो सबसे साथ दया-भाव, प्रेम और अच्छे, सच्चे व्यवहार के साथ पेश आओ। जो व्यक्ति अत्यधिक लालच एवं दूसरे व्यक्ति को हानि पहुंचाता है उसके मन में कभी भी भगवान वास नहीं करते हैं।

गुरुनानक के चमत्कार

Guru Nanak जी का ध्यान ईश्वर की भक्ति पर लगा रहता था जो कि उनके परिवार वालों को बिलकुल भी पसंद नहीं था, इनके पिता इनके ध्यान को और काम पर लगा देते थे ताकि इनका ध्यान ईश्वर से भटक सके। अकसर वे नानक को पशुओं को चराने के लिए भेजते थे और पिता की बात मानकर वे पशु चराने चले जाते थे।

चराने के लिए वह सभी पशुओं को जंगल में ले जाते थे और स्वयं एक वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान के नाम का जाप करते रहते थे ऐसा करते-करते वे भगवान की भक्ति में लीन हो जाते और पशुओं का ध्यान भूल जाते कि मैं तो यहां पशुओं को चराने आया हूँ, पशु वहां से भागकर लोगों की खेतों में चले जाते और फसल खाने लगते यह देखकर खेत का मालिक उन पशुओं को भगाने के लिए आया। वृक्ष के नीचे लगे हुए भगवान के जाप मंत्र करते हुए व्यक्ति को खेत के मालिक ने पहचान लिया कि यह पशु तो इनके हैं। यह देखकर वह इनके पिता के पास इनकी शिकायत करता हैं कि आपका पुत्र पशुओं पर ध्यान नहीं देता है और स्वयं वृक्ष के नीचे आँखें बन करके बैठ जाता है। ये सब सुनकर नानक के पिता अत्यधिक क्रोधित हुए और इन्हें जोर से डांट लगाई।

इसके पश्चात इनके पिता उस किसान के खेतों में देखने के लिए जाते हैं कि पशुओं ने उनके खेत का कितना नुकसान किया है परन्तु वहां पहुंचकर वे अचंभित हो गए क्योंकि वहां पर कोई नुकसान नहीं हुआ था फसल वैसी की वैसी सुरक्षित थी। यह सब एक चमत्कार था जो Guru Nanak जी ने किया था।

अन्य सिख गुरु

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सिख धर्म के सबसे पहले गुरु गुरुनानक जी को कहा जाता हैं क्योंकि इन्होंने ही सिख धर्म की स्थापना की थी। इनकी मृत्यु के बाद गुरु अंगद देव को सिख धर्म का उत्तराधिकारी बनाया गया था। हम नीचे आपको सिख धर्म के 10 गुरुओं के नाम बताने जा रहे हैं।

  1. गुरु नानक देव
  2. गुरु अंगद देव
  3. गुरु अमर दास
  4. गुरु राम दास
  5. गुरु अर्जुन देव
  6. गुरु हरगोविंद
  7. गुरु हर राय
  8. गुरु हर किशन
  9. गुरु तेग बहादुर
  10. गुरु गोबिंग सिंह

मृत्यु

गुरु नानक देव की मृत्यु 22 सितम्बर 1540 ईस्वी में हुआ था। मृत्यु होने से ही पहले इन्होंने अपना उत्तराधिकार अपने प्रिय शिष्य लहना को बनाने की घोषणा कर दी थी और ऐसा ही हुआ गुरु जी बातों का सम्मान रख कर लहना को ही उत्तराधिकार घोषित किया गया। यह गुरु अपने कार्यों और विचारों से अत्यधिक प्रसिद्ध हुए, इन्हें लोग गुरु अंगद देव कहकर बुलाते थे।

गुरु नानक देव जीवनी से सम्बंधित सवाल/जवाब

गुरु नानक देव का जन्म कब हुआ था?

इनका जन्म रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी गांव में 15 अप्रैल 1469 को हुआ था।

गुरु नानक जयंती कब मनाई जाती है?

भारत में कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन बड़े धूम-धाम से गुरु नानक जयंती मनाई जाती है, इस वर्ष की बात करें तो 27 नवंबर 2023 को गुरुनानक जयंती मनाई जाएगी।

गुरु नानक जी का क्या धर्म था?

गुरु नानक जी का सिख धर्म था और इन्हें सिखों का पहला गुरु कहा जाता है।

Guru Nanak जी की पत्नी का क्या नाम था?

इनकी पत्नी का नाम सुलक्खनी देवी था।

Guru Nanak के पिता का क्या नाम था?

इनके पिता का नाम कल्यानचंद मेहता था।

Guru Nanak किसकी भक्ति किया करते थे?

Guru Nanak कबीर भगवान की पूजा और भक्ति करते थे।

इस लेख में हमने Biography of Guru Nanak in Hindi Jivani से जुड़ी प्रत्येक डिटेल्स की जानकारी प्रदान कर दी है, यदि आपको इस लेख से सम्बंधित कोई अन्य जानकारी या प्रश्न पूछना है तो आप नीचे दिए हुए कमेंट बॉक्स में अपना मैसेज लिख सकते हैं, हमारी टीम द्वारा आपके प्रश्रों का उत्तर देने की पूरी कोशिश की जाएगी। ऐसी तरह के और लेखों की जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी साइट hindi.nvshq.org से ऐसे ही जुड़े रहें। उम्मीद करते हैं कि आपको इस लेख से जुड़ी जानकारी जानने में सहयता मिली होगी और यह लेख अवश्य अच्छा लगा हो धन्यवाद।

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