मलाला युसुफ़ज़ई एक पाकिस्तानी कार्यकर्त्ता है जिनको सबसे कम उम्र में शान्ति नोबल पुरस्कार मिला है। 2012 में तालिबानों द्वारा गोली लगने के बाद इनको अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली। यह एक ऐसी शख्सियत है जिन्होंने छोटी सी उम्र में ही नारी शिक्षा के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया और तालिबानों को खिलाफ जाकर अपनी और अन्य लड़कियों की शिक्षा पूरी करने के लिए सभी को प्रोत्साहित किया जिसके प्रणामस्वरूप लड़कियों को पढ़ने का अधिकार मिल सका।
आज हम ऐसी ही महान शख्सियत के विषय में चर्चा करेंगे और जानेगे मलाला युसुफ़ज़ई जीवनी – Biography of Malala Yousafzai in Hindi Jivani. अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए लेख के अंत तक हमारे साथ जुड़े रहे :-
मलाला युसुफ़ज़ई जीवनी
Malala Yousafzai एक ऐसी महिला है जिसने बच्चो के अधिकारों के लिए बहुत से सफल प्रयास किये। बचपन से ही वे महिलाओ के अधिकारो के लिए लड़ती आ रही है। वे आज भी महिलाओ की शिक्षा और अधिकारों के लिए कार्य कर रही है। मलाला नाम से एक फण्ड भी है जो जरूरतमंद बच्चो को स्कूल एजुकेशन हासिल करने में मदद करता है। यहाँ आप मलाला युसुफ़ज़ई जीवनी के बारे में अथवा उनसे सम्बंधित मुख्य घटनाओ के बारे में जानेगे।
जन्म
मलाला युसुफ़ज़ई का जन्म 12 जुलाई 1997 में पाकिस्तान की स्वात घाटी के एक छोटे से गॉंव मिंगोरा में हुआ था। उनके परिवार में उनके पिता जियाउद्दीन योसुफ़जाई, माता और एक भाई है। मलाला के गॉंव में लड़की के पैदा होने पर जश्न नहीं मनाया जाता लेकिन इनके पिता ने इनके जन्म पर ख़ुशी से जश्न मनाया था। इनके पिताजी इनको प्यार से जानी कहते थे। इनके पिताजी एक स्कूल चलते थे और लोगो तक शिक्षा पहुंचाने का कार्य भी करते थे।
Biography of Malala Yousafzai in Hindi Jivani Overview
नाम | मलाला युसुफ़ज़ई |
निकनेम | गुल मकई |
पिता | जियाउद्दीन योसुफ़जाई |
माता का नाम | पिकाई |
भाई का नाम | अटल |
पति | असर मालिक |
धर्म | मुस्लिम |
राष्ट्रीयता | पाकिस्तानी |
पेशा | महिला अधिकार कार्यकर्ता |
शैक्षिक योग्यता | स्नाकोत्तर उत्तीर्ण |
नारी शिक्षा के लिए मलाला के प्रयास
Malala Yousafzai को बच्चो के अधिकारो के कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता है। जब मलाला मात्रा 13 वर्ष की थी तभी उन्होंने तहरीक ए तालिबान शासन के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी थी।
जब स्वात घाटी पर तालिबान का आतंक चरम सीमा पर था तब यह गुल मकई नाम से बीबीसी उर्दू के लिए ब्लॉगिंग करती थी। इसमें वे तालिबान के खून खराबे उनकी जबरदस्ती की हर दस्तक दर्ज करती थी।
मलाला ने जब तालिबान के अत्याचारों के बारे में लिखना शुरू किया तो उसको बहुत धमकिया मिलनी शुरू हो गयी। लेकिन वे इस सब धमकियों से नहीं डरी जब वे अक्टूबर 2012 में तालिबानियों के आतंकी हमले में घायल हो गयी तब उनके राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खूब सुर्खिया मिली। उनके द्वारा किये गए नारी शिक्षा के प्रयासों को सफलता भी मिली।
आखिर क्यों किया तालिबान में मलाला पर हमला ?
तालिबान ने 2007 से 2009 तक स्वात घाटी पर कब्ज़ा कर रखा था। मलाला उस समय आठवीं कक्षा की छात्रा थी और उनका संघर्ष यही से शुरू हुआ। लड़कियों के शिक्षा के पक्ष में खड़े होकर मलाला ने कहा कि महिलाओ को भी शिक्षा प्राप्त करने का समान अधिकार है।
उस समय तालिबान ने 400 स्कूल बंद करा दिए थे। 2009 में तालिबान ने स्वात घाटी पर पूरी तरह कब्ज़ा कर लिया था। तालिबान ने वहाँ नाच, गाना, टीवी एवं ब्यूटी पार्लर पर बैन लगा दिया था। 5 टाइम की नमाज़ पढ़ना और मर्दो को दाढ़ी अनिवार्य कर दिया और लड़कियों को हमेशा बुरखा पहनने के हुक्म दे दिया साथ ही ये भी कहा की कोई भी लड़की या औरत अकेले बाहर ना निकले।
लड़कियों का स्कूल जाना बैन करते हुए ये ऐलान भी कर दिया था कि यदि कोई लड़की 15 जनवरी से स्कूल गयी तो उसकी जिम्मेदारी उसकी वालिदेन या स्कूल पर होगी। 14 जनवरी को स्कूल की प्रिंसिपल ने सर्दियों की छुट्टियों का ऐलान किया और स्कूल दोबारा खुलने की तारिख नहीं बताई क्योंकि संभवतः तालिबानियों के ऐलान की वजह से प्रिंसिपल ने ऐसा किया होगा।
तालिबानियों को मलाला का लड़कियों की शिक्षा के पक्ष में कार्य करना गवारा नहीं था। महिलाओ की शिक्षा के लिए लगातार किये जा रहे कार्यो से तालिबान डर गया था। इन्ही सब मुद्दों के चलते 9 अक्टूबर 2012 में तालिबानियों ने मलाला पर हमला किया।
हत्या का प्रयास
जब Malala Yousafzai 9 अक्टूबर 2012 में मलाला स्कूल वैन से अपने घर जा रही थी तो तभी बाइक पर सवार दो युवाओ ने वैन रुकवाई और एक शख्स ने पूछा की क्या यह खुशाल पुब्लिक स्कूल की बस है। तभी वैन के ड्राइवर उस्मान को लगा कि ये आदमी कैसा वाहियाद सवाल पूछ रहा है वैन पर साफ़ अक्षरों में स्कूल का नाम लिखा है।
तभी दूसरा शख्स पीछे के दरवाजे से चढ़ा और बोला मलाला कौन है लेकिन किसी ने कोई उत्तर नहीं दिए लेकिन लड़किया मलाला की ओर देखने लगी केवल मलाला के चेहरे पर ही नकाब नहीं थी और वे समझ गए थे की मलाला कौन है। तभी उसमे पिस्तौल निकाली और तीन गोलिया चला दी गोली मलाला के माथे की बायीं ओर जाकर लगी।
जिसके बाद उन्हें इलाज की पहली सर्जरी पेशावर के मिलिटरी हॉस्पिटल में हुई उसके बाद और दो सर्जरी बिर्मिंघम के क्वीन एलिज़ाबेथ हॉस्पिटल में हुई। वहाँ उनकी हालत में थोड़ा सुधार आया।
उस समय तालिबानियों को लगा की ये मुद्दा अब यही शांत हो जायेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ इसके विपरीत इस मुद्दे ने मलाल के साथ हज़ारो आवाजों को खड़ा कर दिया। मलाला अब और भी ज्यादा साहसी और निडर हो चुकी थी। मौत को शिकस्त देकर मलाला ने वे एक के बाद एक कामयाबी हासिल करती गयी।
मलाला ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि यदि तालिबान मेरे सामने भी खड़े हो और मेरे हाथो में बन्दूक भी हो तो तब भी मैं उनको नहीं मारूंगी। मैंने यह धैर्य शान्ति के पैगम्बर मोहम्मद, जीजस क्राइस्ट एवं बुद्ध से सीखा है। हमारा शिक्षा और शान्ति का सफर ऐसे ही जारी रहेगा हमें कोई नहीं रोक सकता। हम अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएंगे और बदलाव भी लाएंगे।
निकाह
मलाला युसुफ़ज़ई ने असर मालिक से नवंबर 2021 में निकाह कर लिया। दोनों का निकाह बिर्मिंघम में एक छोटे स्तर पर अपने परिवारों के बीच हुआ। निकाह की फोटो ट्विटर पर शेयर करते हुए मलाला ने कैप्शन में लिखा कि आज मेरे जीवन का सबसे अनमोल दिन है। आज सभी हमारे लिए दुआ कीजिये।
मलाला नाम क्यों रखा गया ?
14 जनवरी 2009 में जब मलाला ने अपने माँ से पूछा की उनके अब्बा ने उनका नाम मलाला क्यों रखा तो इस बात का जवाब देते हुए उनकी माँ ने कहा कि अफगानिस्तान के दूर के एक गॉंव खेक में मलालाई नाम की 17 साल की एक लड़की रहती थी। उसके पिता जी एक चरवाहे थे। ये बात उन दिनों कि है जब मेहवन्त ने अफ़ग़निस्तानियो पर हमला कर दिया था जिसमे मलालाई के पिता ने भी हिस्सा लिया था। तो मलालाई भी वहाँ चली गयी थी।
अफगानिस्तानी मेहवन्त से बुरी तरह से हार रहा था तो मलालाई ने अपने हिजाब को पर्चम में बदला और फौजियों के लिए एक गाना गया ” ए मेरे हम वतन जवानो मैदान ए जंग में मिली सहादत के बदले हार की तौहीन को अपने सर का ताज न बनाये” इससे जोशी मंद होकर जवानो ने बड़ी बहादुरी से जंग लड़ी।
लेकिन फिर उन्हें पता चला कि मलालाई तो जंग शहीद हो गयी। फिर मलालाई को उसके गॉंव खेक में ही सुपुर्दे ख़ाक कर दिया गया और उसकी मजार आज भी मौजूद है। इसलिए ही अब्बा ने आपका नाम मलाला रखा है।
पुरस्कार
- 19 दिसंबर 2011 में पाकिस्तान का राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार।
- 6 सितम्बर 2013 में अंतर्राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार।
- 20 सितम्बर 2013 में साख़ारफ़ (सखारोव) पुरस्कार।
- 2013 में मक्सिक्सो का समानता पुरस्कार।
- 2013 में एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ आर्ट्स की उपाधि प्राप्त की।
- 10 दिसंबर 2013 में संयुक्त राष्ट्र का मानवाधिकार सम्मान।
- 10 अक्टूबर 2014 शांति नोबेल पुरस्कार।
- 10 अप्रैल 2017 में यूनाइटेड स्टेट में मेस्सेंजर ऑफ़ पीस की उपाधि मिली।
मलाला द्वारा बोले गए अनमोल वचन
- अपनी बेटियों का सम्मान करना चाहिए, वे भी सम्मानीय है।
- मैं बस एक चीज चाहती हूँ वो है शिक्षा और मैं किसी से नहीं डरती।
- मैं अपना चेहरा नहीं ढकती क्योंकि मैं अपनी पहचान दिखाना चाहती हूँ।
- यदि आप किसी व्यक्ति को मारते हो तो इस बात से पता चलता है कि आप उससे डरे हुए हो।
- मैं कहती हूँ कि मैं डर से भी ज्यादा शक्तिशाली हूँ।
- मैं शांति और दया में यकीन रखती हूँ।
- मुझे उस लड़की के रूप याद नहीं किया जाना चाहिए जिसे गोली मार दी गयी थी बल्कि उस लड़की के रूप में याद किया जाना चाहती हूँ जिसने खड़ा होकर सामना किया।
- लोगो की भाषा, त्वचा का रंग, धर्म को लेकर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए।
- कुछ लोग दुसरो पर निर्भर रहते लेकिन मेरा मानना है कि मै किसी का इंतज़ार क्यों करूँ? क्यों न मैं ही कदम उठाऊं और आगे बढ़ जाऊ।
मलाला युसुफ़ज़ई जीवनी से सम्बंधित कुछ प्रश्न उत्तर
यूसुफ़ज़ई महिलाओ के बुनियादी अधिकारों के लिए संघर्ष के कार्य करने वाली एक सामाजिक कार्यकर्त्ता है।
मलाला का नाम गुल मकई उनकी अम्मी ने रखा था।
यूनाइटेड नेशन (UN) में मलाला के जन्मदिन (12 जुलाई) को मलाला डे घोषित किया।
संयुक्त राष्ट्र का मानवाधिकार सम्मान पांच वर्षो के अंतराल में दिया जाता है।
मलाला पर गोली ताउल्ला नाम के तालिबानी आतंकी ने चलायी थी।