रमाबाई आंबेडकर जीवनी – Biography of Ramabai Ambedkar in Hindi

दोस्तों आपने डॉ. भीमराव आम्बेडकर का नाम तो अवश्य सुना होगा, वह एक लोकप्रिय अर्थशास्त्री एवं समाज सुधारक थे जिन्होंने दलितों एवं अछूतों के भेदभाव को ख़त्म करने के लिए आंदोलन किया था। परन्तु आपको यह भी पता है कि इनको एक महापुरुष बनाने के पीछे किसका सबसे अधिक सहयोग था, नहीं ना। तो आपको ... Read more

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Reported by Saloni Uniyal

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दोस्तों आपने डॉ. भीमराव आम्बेडकर का नाम तो अवश्य सुना होगा, वह एक लोकप्रिय अर्थशास्त्री एवं समाज सुधारक थे जिन्होंने दलितों एवं अछूतों के भेदभाव को ख़त्म करने के लिए आंदोलन किया था। परन्तु आपको यह भी पता है कि इनको एक महापुरुष बनाने के पीछे किसका सबसे अधिक सहयोग था, नहीं ना। तो आपको बता दे इनकी पत्नी रमाबाई आंबेडकर के सहयोग के कारण ही यह एक प्रसिद्ध महापुरुष बन पाए।

इनके ही योगदान और प्यार के कारण ही समाज में असंगठित एवं वंचित तबके का उद्धार हो पाया। Ramabai ने हर मुश्किल समय एवं किसी भी परिस्थिति में आम्बेडकर जी का साथ नहीं छोड़ा। जब इनकी मृत्यु हुई तो भीम राव पूरी तरीके से टूट गए थे उनके सर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा क्योंकि इनका अपनी पत्नी के लिए प्रेम अमर था। यहां आज हम आपको रमाबाई आंबेडकर जीवनी (Biography of Ramabai Ambedkar in Hindi Jivani) से जुड़ी प्रत्येक जानकारी साझा कर रहे, यदि कोई इच्छुक नागरिक इनकी जीवनी की जानकारी प्राप्त करना चाहता है तो आपको इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।

रमाबाई आंबेडकर जीवनी - Biography of Ramabai Ambedkar in Hindi Jivani
रमाबाई आंबेडकर जीवनी

रमाबाई आंबेडकर जीवनी (Biography of Ramabai Ambedkar)

रमाबाई का जन्म रत्नागिरी के एक छोटे से वणद गांव के किनारे एक महारपुरा बस्ती में 7 फरवरी 1998 में हुआ था। इनका परिवार बहुत गरीब था। इनके पिता का नाम भिकु धुत्रे तथा माता का नाम रुक्मणि था। इनकी तीन बहन तथा एक भाई था जिसका नाम शंकर था। इनके पिताजी एक मजदूर थे जो भिकू दाभोल बंदरगाह में मछलियों की टोकरियां बेचते थे और अपने परिवार का पोषण करते थे। रमाबाई को बचपन में प्यार से रमा कहकर पुकारते थे। इनकी माता की मृत्यु कम ही आयु में हो गई थी उस समय यह बहुत छोटी थी। माता की मृत्यु से इन्हें कष्ट झेलने पड़े। दुखों की पीड़ा से थोड़ा क्या उभरे थे उनके पिता का भी देहांत हो गया। ये सब भाई-बहन छोटे थे इनका ख्याल रखने के लिए अब कोई नहीं था लेकिन इनके चाचा और मामा गोविन्दपुरकर इन सब को अपने साथ मुंबई ले गए थे।

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वहीं दूसरी ओर भीमराव आम्बेडकर के लिए उनके पिता सुभेदार रामजी आम्बेडकर लड़की ढूंढ रहें थे जैसे ही उन्हें मालूम हुआ कि रमाबाई एक लड़की है जो उनकी बहू बन सकती है वे तुरंत ही उन्हें देखने आ गए। रामजी को रमा का व्यवहार अच्छा लगा और उन्होंने दोनों के विवाह की बातचीत शुरू कर दी। वर्ष 1906 अप्रैल के महीने में इनकी शादी हुई उस समय रमा 9 वर्ष की तथा भीमराव 14 वर्ष के थे। भीमराव के साथ रहकर रमा पढ़ना-लिखना भी सीख चुकी थी।

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Biography of Ramabai Ambedkar in Hindi Jivani

नामरमाबाई आंबेडकर
जन्म7 फरवरी 1998
जन्म स्थानवणदगांव, रत्नागिरी
जातिमराठी
मृत्यु27 मई 1935
आयु37 (मृत्यु के समय)
पतिभीमराव आम्बेडकर
विवाहअप्रैल 1906
बेटायशवंत आम्बेडकर
माता का नामरुक्मणि
पिता का नामभिकु धुत्रे

विवाह के बाद

विवाह होने के बाद भीमराव और रमा बहुत ख़ुशी से एक-दूसरे के साथ रहते थे आम्बेकर रमा को प्यार से रामू कहते थे और रमा उनको साहब बोलती थी। इसके पश्चात भीमराव अमेरिका चले गए जिस कारण रमाबाई को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा उन्हें कई कष्ट सहन करने पड़े परन्तु इन सब के बारे में उन्होंने आम्बेडकर जी को मालूम ना होने दिया।

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अगली बार भीमराव इंग्लैंड देश चले गए थे ताकि वे अपनी पढ़ाई को पूरा कर सके तब उन्होंने रमाबाई को कुछ रुपए दिए थे जिससे वे घर-परिवार को चला सके परन्तु ये थोड़े से रुपए कुछ ही दिन चले और जल्द ही ख़त्म हो गए। अब उनके पास एक रुपया ना था कि वे अपने परिवार को संभाल सके इसलिए इन्होंने उपले बनाना शुरू किया और इन्हें बेचकर वे अपना पोषण करती थी।

चार संतानों की मृत्यु का दुख

Ramabai ने पांच बच्चों को जन्म दिया था और लगभग वर्ष 1924 तक यह सभी संतानें हो गई थी। लेकिन पांच में से एक ही संतान बच पाई बाकी चार बच्चे इनके मर गए जिस कारण इन्हें बहुत आघात पहुंचा दुखों की घड़ियों ने इनका पीछा ना छोड़ा।

एक पुत्र की मृत्यु ढाई साल में हो गई थी इसका नाम गंगाधर था उस समय यह इतने गरीब थे कि एक कपड़ा भी ना ले पाए जिससे अपने पुत्र के शव को ढक सके लेकिन रमा ने अपनी साड़ी का ही एक टुकड़ा फाड़ा और शव को लपेट कर रट हुए शमशान घाट ले गए। इसके पश्चात पहले पुत्र की मृत्यु का दुख खत्म ही नहीं हुआ कि दूसरे पुत्र रमेश की भी मृत्यु हो गई और फिर बेटी की मृत्यु जिसका नाम इंदु था और सबसे छोटा पुत्र भी मर गया इसका नाम राजरतन था केवल इनका सबसे बड़ा पुत्र यशवंत राव ही जीवित था।

सदाचारी एवं धार्मिक प्रवृत्ति

एक निर्धन परिवार में जन्म लेने के कारण रमाबाई को भीमराव आम्बेडकर की निर्धनता से कोई फर्क नहीं पड़ा, इन्होंने बड़े धैर्य, प्रेम एवं संतोष से एक गृहणी बनकर भीमराव का साथ दिया यह एक सदाचारी एवं धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी। ये चाहती थी कि ये महाराष्ट्र के विट्ठल-रुक्मणि के प्रसिद्ध मंदिर जाए परन्तु उस समय दलितों, अछूतों और कम जाति के लोगों को हिन्दू मंदिरों में नहीं जाने देते थे यह एक घोर अपमान माना जाता था। भीमराव कहते थे कि कोई फायदा नहीं है इन मंदिरों का, यहां हमारा क्या कल्याण होगा जब हमें यहां अंदर प्रवेश ही नहीं करने देते।

आम्बेडकर की प्रेणना स्तंभ

जैसा कि आपने हमेशा सुना होगा कि एक पुरुष की सफलता के पीछे औरत का सबसे बड़ा हाथ होता है तो यह बिलकुल सही साबित हुआ है, क्योंकि एक महापुरुष बनने के पीछे भी रमा का ही योगदान था। यदि इनकी पत्नी Ramabai ना होती तो समाज में व्याप्त बुराइयां ख़त्म ना हो पाती और आज हम आम्बेडकर जी को भी याद ना कर पाते। इन्होंने अपने धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ अपने पति का हर कदम पर साथ दिया।

विदेश में जब अंबेडकर जिस समय अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए गए उस दौरान भी Ramabai को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था और उस दौरान अंबेडकर जी ने डॉक्टरेट की डिग्री को हासिल किया। रमा ने अपने पति का पूर्ण सहयोग किया कि वे अपनी शिक्षा को पूरा करें इसलिए वे अमेरिका भी गए। अमेरिका जाने का (suggestion) भी इन्होंने ही दिया था। वे चाहती थी कि अंबेडकर जी विदेश से पढ़ कर भारत आए और हमारे समाज का उद्धार कर सके।

मृत्यु

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आम्बेडकर का जीवन दुखों से भरा हुआ था। इनकी पत्नी रमाबाई पहले से ही बीमार थी और तबियत दिखाने के लिए भीमराव उन्हें धारवाड भी ले गए थे लेकिन उनके स्वास्थ्य में कोई भी सुधार नहीं आया बल्कि और अधिक तबीयत ख़राब होती जा रही थी तथा 27 मई 1935 को उनका निधन हो गया और वे इस दुनिया को छोड़ कर चली गई। रमाबाई की अर्थी को करीबन 10 हजार से अधिक लोग ले गए। आम्बेडकर को बहुत बड़ा आघात हुआ और वे फूट-फूट कर रोने लगे। उनका अपनी पत्नी के प्रति बहुत गहरा प्रेम था और उनके जाने इ बाद वे पूरी तरह से टूट गए। आम्बेडकर ने अपना बाल मुंडवा लिए और वे घर छोड़कर साधु बन गए, वे एक उदासी एवं दुखों के माहौल में अपना जीवन रहे थे। उनका एक महापुरुष बनने के पीछे उनकी पत्नी का ही योगदान था।

रमाबाई आंबेडकर जीवनी से सम्बंधित प्रश्न/उत्तर

रमाबाई आंबेडकर का जन्म कब हुआ?

इनका जन्म 7 फरवरी 1998 को रत्नागिरी के वणदगांव में हुआ था।

रमाबाई आंबेडकर के पति का नाम क्या था?

इनके पति का नाम भीमराव आम्बेडकर था।

रमाबाई आंबेडकर और भीमराव आंबेडकर की शादी कब हुई थी?

इनकी शादी अप्रैल के माह में वर्ष 1906 को हुई थी।

Ramabai Ambedkar की जाति क्या थी?

इनकी जाति मराठी थी।

Ramabai Ambedkar के पुत्र का क्या नाम था?

इनके पुत्र का नाम यशवंत भीमराव आम्बेडकर था।

Ramabai Ambedkar का निधन कब हुआ?

इनका निधन 27 मई 1935 को हुआ था। जब इनकी अर्थी को निकाला गया तो लगभग दस हजार लोग इनकी अर्थी यात्रा में शामिल थे।

इस लेख में हमनें Biography of Ramabai Ambedkar in Hindi Jivani से सम्बंधित सभी जानकारी को उपलब्ध किया है, यदि आप लेख से जुड़ी कोई अन्य जानकारी या प्रश्न पूछना चाहते है तो आप नीचे दिए हुए कमेंट बॉक्स में अपना मैसेज लिख सकते है, हम कोशिश करेंगे कि आपके प्रश्रों का उत्तर जल्द दे पाएं। आशा करते है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया हो और इससे जुड़ी जानकारी जानने में सहायता प्राप्त हुई हो। इसी तरह के अन्य लेखों की जानकारी के लिए हमारी साइट से ऐसे ही जुड़े रहें।

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