लोकसभा चुनाव 2024 का पहला चरण 19 अप्रैल से शुरू होगा और चुनाव आयोग इसके सुचारू संचालन के लिए हर संभव कदम उठा रहा है। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा जारी एक नोटिस चर्चा का विषय बना हुआ है। इस नोटिस में निजी गाड़ियों के मालिकों से चुनाव ड्यूटी के लिए उनकी गाड़ियां पुलिस लाइन में जमा करने को कहा गया है। इस प्रक्रिया और इसके कानूनी आधार के बारे में विस्तार से जानें।
चुनाव आयोग द्वारा गाड़ियों के अधिग्रहण का प्रावधान
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 160 के तहत, सरकार और प्रशासन को यह अधिकार दिया गया है कि वे चुनाव के सुचारू संचालन के लिए निजी या व्यावसायिक वाहनों को अधिग्रहित कर सकते हैं। धारा 160 की उपधारा 1 के खंड ख में यह स्पष्ट है कि मतदान केंद्रों तक मतपेटियों के परिवहन, पुलिस बल के आवागमन, और अन्य चुनावी प्रक्रियाओं के लिए किसी भी वाहन की मांग की जा सकती है।
गाजियाबाद में जारी हुआ नोटिस
गाजियाबाद जिला निर्वाचन अधिकारी ने एक नोटिस जारी किया है जिसमें कहा गया है कि संबंधित वाहन मालिक अपनी गाड़ी 23 अप्रैल को सुबह 10:00 बजे रिजर्व पुलिस लाइन में सुपुर्द करें। गाड़ी को अच्छी स्थिति में बनाए रखने और तिरपाल की व्यवस्था का जिम्मा भी मालिक का होगा। अधिग्रहित गाड़ियों का किराया चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित दरों पर दिया जाएगा।
किन गाड़ियों को अधिग्रहित किया जा सकता है?
गाजियाबाद के अपर जिलाधिकारी (नगर) गंभीर सिंह ने बताया कि इनोवा, अर्टिगा, स्कॉर्पियो जैसी बड़ी गाड़ियों को प्राथमिकता दी जा रही है। ऐसे वाहन जिनका इस्तेमाल किसी प्रत्याशी या उनके एजेंट द्वारा चुनाव से संबंधित कार्यों के लिए कानूनी रूप से हो रहा हो, उन्हें अधिग्रहित नहीं किया जाएगा।
इमरजेंसी की स्थिति में क्या करें?
अगर किसी वाहन मालिक को अपनी गाड़ी अत्यावश्यक कारणों से चुनाव ड्यूटी से हटानी हो, तो वे जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं। उचित दस्तावेज और कारण प्रस्तुत करने पर इस पर विचार किया जाएगा।
अधिग्रहण के बाद वाहन मालिक को क्या मिलेगा?
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अनुसार, वाहन मालिक को उनकी गाड़ी के लिए उचित किराया दिया जाएगा। यह भुगतान ई-पेमेंट के माध्यम से अधिग्रहण या गाड़ी लौटाने की तारीख से एक महीने के अंदर किया जाएगा।
चुनाव ड्यूटी के लिए गाड़ी अधिग्रहण की प्रक्रिया पर विशेषज्ञ की राय
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह कानूनी और आवश्यक बताया है। उन्होंने कहा कि चुनाव में बड़ी संख्या में गाड़ियों की आवश्यकता होती है, जो केवल सरकारी वाहनों से पूरी नहीं हो सकती। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी घर में केवल एक गाड़ी है, तो प्रशासन कोशिश करता है कि उसे अधिग्रहित न किया जाए।
प्रक्रिया के कानूनी पहलू और वाहन मालिकों के अधिकार
धारा 160 की उपधारा 2 में स्पष्ट है कि प्रशासन गाड़ी अधिग्रहण के लिए लिखित आदेश जारी करेगा। वाहन मालिक को इसका पालन करना अनिवार्य है। हालांकि, वाहन मालिकों को यह अधिकार भी दिया गया है कि वे नुकसान या अन्य समस्याओं की सूचना जिला निर्वाचन अधिकारी को दें।
निजी वाहन मालिकों की चिंता और समाधान
अधिग्रहण की प्रक्रिया के बावजूद, कई वाहन मालिक इसे अपने अधिकारों का उल्लंघन मान सकते हैं। प्रशासन का कहना है कि इस प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुविधाजनक बनाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए गए हैं।
FAQ:
Q1. क्या सरकार निजी गाड़ियों को चुनाव ड्यूटी के लिए जब्त कर सकती है?
हाँ, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 160 के तहत ऐसा प्रावधान है।
Q2. किन परिस्थितियों में प्रशासन मेरी गाड़ी नहीं ले सकता?
अगर गाड़ी का इस्तेमाल किसी प्रत्याशी या उनके एजेंट द्वारा चुनाव से जुड़े कामों में हो रहा हो।
Q3. गाड़ी अधिग्रहित करने पर मुझे क्या मिलेगा?
आपको चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित दर पर किराया मिलेगा, जो ई-पेमेंट के जरिये किया जाएगा।
Q4. अगर मेरे पास केवल एक गाड़ी है तो क्या इसे भी लिया जाएगा?
आमतौर पर ऐसी गाड़ियों को अधिग्रहण से बचाने की कोशिश की जाती है।
Q5. अगर मेरी गाड़ी को नुकसान हुआ तो क्या होगा?
आप इसकी सूचना जिला निर्वाचन अधिकारी को दे सकते हैं। उचित समाधान का प्रावधान है।
Q6. गाड़ी अधिग्रहण से बचने के लिए क्या कर सकते हैं?
आप आवश्यक दस्तावेजों के साथ जिला निर्वाचन कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं।
Q7. गाड़ी लौटाने में कितना समय लगेगा?
गाड़ी 23 अप्रैल को ली जाएगी और 26 अप्रैल को लौटा दी जाएगी।
Q8. किराया कब मिलेगा?
गाड़ी लौटाने की तारीख से एक महीने के भीतर भुगतान हो जाएगा।