हैदराबाद की चार मीनार का इतिहास

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Reported by Rohit Kumar

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Charminar Hyderabad: आज हम आप को इस लेख में Hyderabad के Charminar के बारे में बताएंगे। हमारे देश में बहुत सी प्रमुख ऐतिहासिक और सांस्कृतिक इमारतें और स्मारक हैं। जिनमें से एक हैं आंध्र प्रदेश स्थित हैदराबाद का चारमीनार। यह कहना गलत नहीं होगा कि हैदराबाद और चार मीनार आज एक दूसरे के पूरक हैं। जब भी इनमें से किसी भी एक का नाम आता है तो अपने आप ही दूसरे का नाम जुड़ जाता है। हैदराबाद का नाम हमारे देश भारत के 10 ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। और आप यदि कभी इस शहर में जाते हैं तो आप को चारमीनार देखने अवश्य ही जाना चाहिए। आज इस लेख में आप हैदराबाद चारमीनार के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे। जानने के लिए आप इस लेख को पूरा पढ़ें।

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जानिए Charminar Hyderabad के बारे में

हैदराबाद शहर चारमीनार के होने से देश के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। हैदराबाद में चारमीनार पर्यटन की नजर से काफी अच्छा है। ये हैदराबाद शहर के बिलकुल मध्य में स्थित है। इसे देखने लाखों की संख्या में लोग आते रहते हैं। इसके अतिरिक्त इसका धार्मिक पक्ष भी है जिसके चलते इसकी महत्ता बरकरार है। जैसे की आप नाम से ही समझ सकते हैं कि इसके चार मीनार यानी टावर हैं। चारमीनार के पास मूसी नदी बहती है। सुल्तान मोहम्मद कुली क़ुतुब शाह द्वारा चारमीनार का निर्माण कराया गया था। इसका निर्माण आज से 450 वर्ष पूर्व कराया गया था। चारमीनार के उत्तर दिशा में बने मुख्य द्वार पर चार प्रवेश द्वार बनाये गए हैं। जिन्हें चार कमान के रूप में जाना जाता है।

हैदराबाद की चार मीनार का इतिहास
हैदराबाद की चार मीनार का इतिहास | Charminar Hyderabad

चारमीनार की संरचना व वास्तुकला

चारमीनार हैदराबाद के साथ ही देश की भी ऐतिहासिक धरोहर है। जिसका निर्माण इंडो- इस्लामिक शैली में किया गया है। इसका निर्माण करने के लिए एक प्रख्यात फ़ारसी आर्किटेक्चर को लाया गया था। जिस वजह से चारमीनार में कहीं-कहीं फ़ारसी वास्तुकला की झलक भी देखने को मिलती है। बता दें की चारमीनार का निर्माण एक मस्जिद और मदरसा के तौर पर करवाया गया था। इसे चार मीनारों के साथ एक विशाल और बेहद प्रभावशाली संरचना माना जाता है।

चारमीनार को बनाने में ग्रेनाइट, चूना पत्थर, मोर्टार और चूर्णित संगमरमर का प्रयोग किया गया है। बताते हैं कि शुरुआत में मात्र चार मेहराबों के साथ बनाने की योजना थी, जिन्हें एक निश्चित अनुपात में बनाया जाना था। लेकिन बाद में शहर के निर्माण पूरा होने के बाद जब किले को खोला गया तो इससे शहर में काफी रौनक आ गयी। इसी के बाद चारमीनार का कार्य एक बड़े स्मारक के तौर पर शुरू किया गया है। चार मीनार दो मंजिला इमारत है जिसके बालकनी से इसके आस पास के बाज़ारों की रौनक और सजावट देखी जा सकती है।

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Charminar Hyderabad वर्गाकार संरचना है जो कि प्रत्येक तरफ से 20 मीटर तक लम्बा है। इसके हर कोने में लगभग 184 फीट (56 मीटर) ऊँची मीनार है इनमे दो बालकनी है। इसके हर मीनार के ऊपर बल्बनुमा गुम्बद जैसी आकृति बनी है। जिसे देखने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी ने मीनार को ताज पहनाया गया है। चार मीनार की चारों दिशा में एक दरवाजा खुलता है जिसके दूसरी तरफ अलग अलग-अलग बाजार स्थित हैं। चार मीनार की खासियत इसकी चार मीनारें और बालकनी है जिनकी सजावट के लिए भी इन्हें जाना जाता है। यदि आप इसके सबसे ऊपर के हिस्से में जाना चाहते हैं तो इसके लिए आप को कुल 149 घुमावदार सीढ़ियां चढ़नी होगी।

  • चारमीनार के अंदर अनेक भूमिगत सुरंगों का निर्माण भी कराया गया था जिससे चारमीनार को गोलकोंडा किले से जोड़ा जा सके।
  • ऐसा माना जाता है की इन सुरंगों को बनाने का उद्देश्य दुश्मनों द्वारा आक्रमण की स्थिति में सुरंगों के जरिये सही सलामत निकल भागना रहा होगा।
  • जानकारी दे दें कि ये सुरंग आज कहाँ है इस बारे में अभी भी पूरी जानकारी नहीं है।
  • इमारत के ऊपरी हिस्से में खुली मस्जिद है, जो चार मीनार के पश्चिम दिशा में है और मक्का की ओर मुँह किये हुए है। इसके बाकी के हिस्से में क़ुतुब शाही का दरबार हुआ करता था।
  • इसकी मुख्य मस्जिद इमारत के सबसे ऊपरी हिस्से में है। इसके अलावा एक मुख्य बालकनी है जहाँ बैठकर प्रार्थना की जा सकती है।
  • चार मीनार के चारों मुख्य दिशाओं में 1889 के साल घड़ियां लगाई गयी थी।
  • इस इमारत के मध्य में पानी का छोटा सा तालाब जैसा बनाया गया है। जिस पर फव्वारा भी लगाया गया है। जहाँ मस्जिद में जाकर इबादत करने वाले अपने हाथ पैर धोया करते थे।

यहाँ जानिये चार मीनार का इतिहास

हैदराबाद के चार मीनार को अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। चारमीनार का निर्माण कुतुब शाही वंश के पाँचवें शासक सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुब शाह द्वारा वर्ष 1591 ईस्वी में कराया गया था। जब शासक मुहम्मद क़ुतुब शाह द्वारा अपनी राजधानी गोलकोण्डा से हैदराबाद स्थानांतरित कर दिया था जिस के बाद उन्होंने चारमीनार का निर्माण करवाया था।

मीनार के निर्माण से संबन्धित बहुत से कारण बताये जाते हैं। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मोहम्मद कुली क़ुतुब शाह ने अपनी राजधानी को इसलिए बदला था क्योंकि पूर्व राजधानी यानी गोलकोण्डा में पानी की कमी की समस्या आ रही थी। इस दौरान वाहन प्लेग /हैजा जैसी बीमारियां फ़ैल गयी थी। ऐसे समय में अपनी जनता को बचाने के लिए और इस महामारी से बचाने के लिए शाह ने ऊपरवाले की इबादत की और सभी की सलामती की दुआ मांगी। इस के साथ ही उन्होंने एक मस्जिद बनाने का संकल्प भी लिया।

इस के बाद जब शहर से प्लेग और हैजा की बीमारी खत्म हो गयी तब क़ुतुब शाह ने अपनी मन्नत के अनुसार हैदराबाद में ये ऐतिहासिक और धार्मिक स्मारक का निर्माण किया। चारमीनार का निर्माण एक मस्जिद और एक मदरसे के रूप में हुआ था। इसका उद्देश्य आमजन की सेवा करना था। इसके अलावा भी कुछ इतिहासकारों का ये मानना है कि हैदराबाद के चारमीनार का निर्माण गोलकुंडा के बाजारों को और मछलीपट्टनम के बंदरगाह शहर के व्यापारिक मार्गों को साथ जोड़ने के मकसद से किया गया था। इसके अतिरिक्त कुछ लोगों का मानना है कि कुतुब शाही राजवंश के पाँचवें शासक सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने अपनी पत्नी भागमती को इस स्थान पर पहली बार देखा था।

साथ ही इस नगर का नाम पहले भाग नगर था जो रानी भागमती के बाद उनके नाम पर हैदराबाद रख दिया गया था। और इसी वजह से हैदराबाद के चारमीनार को रानी भागमती और सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह की शाश्वत प्रेम और अटूट विश्वास के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है। जो वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी अलग पहचान बनाये हुए हैं।

Charminar Hyderabad कुछ रोचक तथ्य

  • चार मीनार एक बहुत प्राचीन और उत्कृष्ट वास्तुशिल्प का नायाब नमूना है। 
  • चार मीनार में जितनी भी चाप हैं उन सभी का निर्माण सन 1889 में किया गया है।
  • जनश्रुति के अनुसार मोहम्मद कुली क़ुतुब द्वारा किये गए किसी गुप्त वादे के चलते इस मीनार का निर्माण कराया गया था।
  • चारमीनार को गोलकोण्डा से जोड़ने वाली बहुत सी सुरंगे हैं इस ईमारत में, लेकिन इन सुरंगों के स्थान के बारे में किसी को कुछ जानकारी नही है।
  • चारमीनार में एक बड़ी मस्जिद है जिसे मक्का मस्जिद कहते हैं। इसके निर्माण के लिए मोहम्मद कुली क़ुतुब शाह ने मिट्टी से बने ईंट, इस्लाम के तीर्थ स्थल कहे जाने वाले मक्का से मंगवाए थे।

चारमीनार हैदराबाद से संबंधित प्रश्न उत्तर

Charminar कहाँ स्थित है ?

चारमीनार हैदराबाद में स्थित है।

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चारमीनार क्यों फेमस हैं ?

चारमीनार का अपना ही ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। चारमीनार के आसपास लोकप्रिय और व्यस्त स्थानीय बाजारों के लिए भी जाना जाता है। चारमीनार कई त्योहार समारोह जैसे कि ईद-उल-अधा और ईद-उल-फितर आदि के लिए साइट है।

चार मीनार का निर्माण क्यों किया गया था?

मुहम्मद कुली कुतब शाह ने गोलकोंडा से हैदराबाद में अपनी राजधानी स्थापित करने के बाद स्मारक के रूप में चारमीनार का निर्माण कराया था । ऐसा करने के पीछे उद्देश्य गोलकोंडा और पोर्ट शहर मछलीपट्टनम को ऐतिहासिक व्यापार मार्ग को जोड़ना था।

चारमीनार के अंदर क्या है?

करीब 48 मीटर ऊंची ये शानदार ऐतिहासिक स्मारक अर्थात चारमीनार के अंदर एक भव्य मस्जिद बनी हुई है, जो कि मक्का मस्जिद के नाम से जानी जाती है।

चारमीनार कितने साल पुराना है ?

चारमीनार का निर्माण 1591 में कुतुब शाही वंश के पांचवें शासक मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने करवाया था.

चारमीनार के पास कौन सी नदी बहती है ?

चारमीनार मूसी नदी के किनारे बसा है।

आज इस लेख के माध्यम से हमने आप को हैदराबाद के चारमीनार के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है। उम्मीद है आप को ये जानकारी पसंद आयी होगी। यदि आप ऐसे ही अन्य उपयोगी और रोचक जानकारी पढ़ने के इच्छुक हैं तो आप हमारी वेबसाइट Hindi NVSHQ पर विजिट कर सकते हैं।

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