हमारे देश में शासन व्यवस्था दुरुस्त बनाये रखने हेतु संविधान में बहुत सी व्यवस्था की गयी है। अलग अलग कार्यों को सम्हालने के लिए अनेक पद बनाये गए हैं, जिससे कार्य व्यवस्था बेहतर बनी रहे। ऐसे ही सरकार में एक महत्वपूर्ण पोस्ट / पद है। जिसका नाम है – Comptroller and Auditor General. इसे संक्षिप्प्त में CAG भी कहते हैं। हिंदी में इसे भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक सीएजी के नाम से भी जानते हैं। CAG के कंट्रोलर और ऑडिटर जनरल का कार्यालय नयी दिल्ली में स्थित है।आज इस लेख में हम आप को इसी पद के बारे में जानकारी देंगे। साथ ही आप को वर्तमान में इस पद पर अभी तक रह चुके नियंत्रक महालेखा परीक्षकों के बारे में। जानने के लिए पूरे लेख को अवश्य पढ़ें –
Comptroller and Auditor General or CAG
नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक का पद हमारे भारतीय संविधान द्वारा स्थापित पद है। इस के संबंध में संविधान के अध्याय 5 में वर्णन किया गया है। इस पद पर आसीन व्यक्ति संविधान द्वारा स्थापित एक प्राधिकारी होता है जिसका कार्य सभी राज सरकारों के हर तरह के लेखों का ऑडिट यानी उनकी सत्यता की जांच करना होता है। देश के नियंत्रण और महालेखापरीक्षक (Comptroller and Auditor General) की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। Comptroller and Auditor General यानी कि CAG ही भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा का भी मुखिया होता है।
वर्तमान में कैग संस्था के प्रमुख – गिरीश चंद्र मूर्मू हैं, जो कि 14वें नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक हैं। जानकारी दे दें कि संविधान के अनुसार भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक होगा जिसका कार्य भारत सरकार की रिपोर्ट राष्ट्रपति को और सभी राज्य सरकारों की रिपोर्ट संबंधित राज्यपाल को देना होगा।
Comptroller and Auditor General or CAG Highlights
आर्टिकल का नाम | Comptroller and Auditor General or CAG information |
संविधान में वर्णन | अनुच्छेद 148, अनुच्छेद 149, अनुच्छेद 150, अनुच्छेद 151 और (अनुच्छेद 279) |
आधिकारिक वेबसाइट | कैग की ऑफिसियल वेबसाइट |
वर्तमान सीएजी | श्री गिरीश चंद्र मुर्मू |
वर्तमान वर्ष | 2023 |
जानिये नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षकों की नियुक्ति और उनका कार्यकाल
जैसे कि अभी लेख के माध्यम से आप ने जाना कि देश के कैग प्रमुख की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति (President) के द्वारा की जाती है। अनुच्छेद 148 के तहत सीएजी (CAG) की नियुक्ति, शपथ और सेवा से संबंधित जानकारी दी गयी है। जिसके अनुसार भारत के सीएजी प्रमुख का कार्यकाल 6 वर्षो का होता है या फिर 65 वर्ष की आयु तक का। इन दोनों ही में से जो भी पहले होगा, उस की अवधि के अनुसार कार्यकाल होगा। CAG को अध्यक्ष द्वारा हटाया जा सकता है। हालाँकि ये सिर्फ कदाचार और अक्षमता के आधार पर ही हटाया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है की ये दोष साबित होने चाहिये और विशेष बहुमत के साथ विधेयक की स्वीकृति होनी चाहिए। जिसके बाद ही सीएजी को हटाया जा सकता है। इस प्रक्रिया को महाभियोग यानी इम्पीचमेंट कहते हैं।
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Comptroller and Auditor General – CAG के कार्य
कैग यानि नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक एक महत्वपूर्ण अधिकारी है। जिसका कार्य इस बात को सुनिश्चित करना है कि संसद द्वारा अनुमन्य खर्चों की सीमा से अधिक धन खर्च न होने पाए और संसद द्वारा विनियोग अधिनियम में निर्धारित मदों पर ही धन खर्च किया जाए। संविधान के तहत ये एक स्वतंत्र प्राधिकरण है। जिसका अर्थ है कि ये एक स्वतंत्र संस्था के रूप में कार्य करते हैं। इस संस्था के ऊपर कोई सरकारी नियंत्रण नहीं होता। संविधान के अनुच्छेद 149 के अनुसार इस संस्था के अन्य कार्य आप नीचे दिए गए पॉइंट्स से समझ सकते हैं –
- संसद के अनुमन्य खर्चों के अतिरिक्त ये संस्था सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों का भी अंकेक्षण करती है।
- सीएजी देश की संचित निधि और सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों (जिसकी विधानसभा हो) उनकी भी संचित निधि से जुड़े खातों व सभी तरह के खर्चों को ऑडिट करती है।
- हमारे देश की आकस्मिक निधि और साथ ही सार्वजानिक खाते से होने वाले खर्चों को भी ऑडिट करता है। ऐसा ही प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के आकस्मिक और सार्वजानिक खाते के खर्चों का भी परिक्षण होता है।
- सीएजी द्वारा केंद्र और राज्य सरकार के अन्य सभी विभाग जैसे – लाभ- हानि खातों, विनिर्माण, ट्रेडिंग, बैलेंस शीट और अन्य अतिरिक्त खातों को भी ऑडिट किया जाता है।
- आवश्यकता पड़ने पर सीएजी द्वारा सबंधित कानूनों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र व राज्य सरकारों के जरिये वित्तपोषित किये जाने वाले सभी निकायों, प्राधिकरणों, सरकारी कंपनियों, निगमों और निकायों की आय-व्यय का परीक्षण किया जाता है।
- सीएजी सबंधित सभी रिपोर्ट्स को राष्ट्रपति और राजयपाल को सौंपते हैं।
- केंद्र के खातों की ऑडिट रिपोर्ट राष्ट्रपति को दी जाती है जिसे संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखा जाता है।
- राज्य के खातों की ऑडिट रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी जाती है, जो कि राज्य विधानमंडल के समक्ष रखी जाती है।
- सीएजी किसी अन्य प्राधिकरण जैसे की कोई स्थानीय निकाय के खातों को भी ऑडिट कर सकता है। ऐसा तब हो सकता है जब इस संबंध में राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा अनुशंसित किया गया हो।
- इसके अतिरिक्त सीएजी एक सलाहकार के तौर पर भी अपना दायित्व निभाते हैं।
- केंद्र और राज्यों के खातों को जिस प्रारूप में रखना होता है, उस सम्बन्ध में राष्ट्रपति को सलाह देना भी इसमें आता है।
- इस के अतिरक्त संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) के मित्र, सलाहकार और मार्गदर्शक के रूप में भी कार्य करते हैं।
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वर्तमान तक के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षकों की सूची
क्रमांक | नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक | कार्यकाल का आरम्भ | कार्यकाल का अन्त |
---|---|---|---|
1 | वी० नरहरि राव | 1948 | 1954 |
2 | ए० के० चन्द | 1954 | 1960 |
3 | ए० के० राय | 1960 | 1966 |
4 | एस० रंगनाथन | 1966 | 1972 |
5 | ए० बक्षी | 1972 | 1978 |
6 | ज्ञान प्रकाश | 1978 | 1984 |
7 | त्रिलोकी नाथ चतुर्वेदी | 1984 | 1990 |
8 | सी० एस० सोमैया | 1990 | 1996 |
9 | वी० के० शुंगलू | 1996 | 2002 |
10 | वी० एन० कौल | 2002 | 2008 |
11 | विनोद राय | 2008 | 2013 |
12 | शशिकान्त शर्मा़[7] | 2013 | 2017 |
13 | राजीव महर्षि | 2017 | 2020 |
14 | गिरीशचंद्र मुर्मू | 2020 | पदस्थ |
Comptroller and Auditor General से जुड़े प्रश्न उत्तर
सीएजी का फुल फॉर्म होता है – Comptroller and Auditor General
राष्ट्रपति द्वारा सीएजी की नियुक्ति की जाती है।
भारत के वर्तमान नियंत्रक और महालेखापरीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मू हैं।
वी. नरहरि भारत के पहले नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) हैं।
जी नहीं, ये दोनों ही संस्था अलग अलग हैं। सीएजी एक संवैधानिक संस्था है जबकि सीजीए संवैधानिक निकाय नहीं है। इसके अतिरिक्त दोनों में एक अन्य अंतर ये है कि सीएजी एक स्वतंत्र निकाय है जबकि सीजीए स्वतंत्र निकाय नहीं है। यह व्यय विभाग के अंतर्गत आता है।
आज इस लेख में आप ने Comptroller and Auditor General के बारे में जानकारी प्राप्त की। यदि आप को ये जानकारी उपयोगी लगी हो तो आप ऐसे ही अन्य लेखों को पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Hindi NVSHQ से जुड़ सकते हैं।