हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ विभिन्न राजनीतिक पार्टियां हैं जो चुनाव लड़ती हैं और जनता के चुनाव के आधार पर उनका चयन किया जाता है। जिस के बाद चयनित राजनीतिक पार्टी देश की सत्ता की बागडोर अपने हाथों में लेती है। ऐसे ही राजनीतिक पार्टियों में से एक है – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress). आज इस लेख के माध्यम से हम आप को भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस का इतिहास बताने जा रहे हैं। लेख में आप कांग्रेस व इस के इतिहास से जुड़े कई महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। जानने के लिए आप इस लेख को पूरा पढ़ें।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस : Indian National Congress
कांग्रेस भारत देश के सबसे पुराने राजनीतिक दलों में से एक है। वर्तमान में कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष (Indian National Congress President) मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) हैं। इस से पहले सोनिया गाँधी इस पद पर आसीन थी। सोनिया गाँधी सबसे लम्बी अवधि तक इस पर आसीन रहने वाली अध्यक्ष के रूप में जानी जाते है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसंबर 1885 में हुई थी। जिसकी स्थापना एलन ह्यूम ने की थी। तत्कालीन समय के वो सभी नेता जो आज़ादी की लड़ाई के संघर्ष में शामिल थे या इस से जुड़े थे, वो सभी जाने माने और प्रचलित शख्सियत इस कांग्रेस का हिस्सा बन चुके थे। इसमें महात्मा गाँधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल से लेकर राजेंद्र प्रसाद तक सभी मिलकर देशवासियों को एक करने में जुटे थे। और साथ मिलकर आज़ादी की इस लड़ाई को उस के अंजाम तक पहुँचाया था। इसे आम जनता की नुमाइंदगी करने वाली पार्टी कहा जाता था।
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जानिये कांग्रेस पार्टी की स्थापना किसने और क्यों की?
कांग्रेस की स्थापना : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी हैं। इसकी स्थापना करने वाले या संस्थापक का नाम A.O हयूम था। A.O हयूम का पूरा नाम एलन ऑक्टेवियन ह्यूम था। ये स्कॉटलैंड के रहने वाले असैन्य रिटायर्ड (British IAS) अधिकारी थे। इन्हे Hermit Of Shimla के नाम से भी जाना जाता है। A.O हयूम के साथ साथ दादाभाई नैरोजी और दिनशा वाचा भी कांग्रेस की स्थापना के लिए जाने जाते हैं। इसके अतिरिक्त थिओसोफिकल सोसाइटी के 72 राजनैतिक कार्यकर्ताओं की सहायता से Congress Party की स्थापना की थी। उस वक्त वायसराय लॉर्ड डफरिन थे।
बम्बई के गोकुल दास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में हुई इसकी पहली बैठक में स्थापना की गयी थी। ध्यान दें कि उस वक्त Indian National कांग्रेस की बजाए इसे इंडियन नेशनल यूनियन के नाम से जाना जाता था। जिसे बाद में दादाभाई नैरोजी द्वारा 1888 में हुए बैठक / अधिवेशन में बदल दिया गया था।
क्यों की गयी थी कांग्रेस की स्थापना ? : कांग्रेस की स्थापना A.O हयूम द्वारा इस उद्देश्य के साथ की गयी थी जिससे शिक्षित भारतीयों के बीच नागरिक और राजनीतिक संवाद के लिए एक मंच तैयार करना था। दरअसल देश में उस समय अलग अलग क्षेत्रों में ब्रिटिशों के खिलाफ छोटे छोटे स्तरों पर विरोध किया जा रहा था। और इसी को ध्यान में रखते हुए ह्यूम मने एक Safety Wall यानी सुरक्षा घेरे के तौर पर इसकी स्थापना की। ताकि ये छोटे छोटे स्तरों पर होने वाले विरोध को रोक सके। और इस यूनियन के माध्यम से सभी अपने सम्मिलित रूप से अनुरोध पत्र के माध्यम से अपने सभी विचार और विरोध को दर्ज करा सकें। जिस के बाद इसे मैनेज करने का कार्य किया जा सके। हालाँकि आगे चलकर ये भारतीयों को ब्रिटिश राज्य से छुटकारा दिलाने में बहुत कारगर सिद्ध हुआ और इस प्रकार उद्देश्य के विपरीत ये भारतीयों के लिए अधिक लाभकारी हुआ।
Highlights Of Indian National Congress
आर्टिकल का नाम | कांग्रेस का इतिहास |
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का स्थापना वर्ष | 28 दिसंबर 1885 |
कांग्रेस के संस्थापक | ए ओ ह्यूम, दिनशा वाचा और दादा भाई नौरोजी |
कांग्रेस का मुख्यालय | नयी दिल्ली |
कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन | बम्बई (मुंबई) 1885 में आयोजित हुआ था |
कांग्रेस के पहले अध्यक्ष | व्योमेश चंद्र बनर्जी |
कांग्रेस का इतिहास Congress History in Hindi
भारत की आज़ादी तक, 1885 में स्थापित की गयी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सबसे बड़ी और प्रमुख भारतीय जन संस्था मानी जाती थी। जिसका स्वतन्त्रता आन्दोलन में केन्द्रीय और निर्णायक प्रभाव था। कांग्रेस के गठन के साथ ही शुरू हुआ अधिवेशनों का दौर। जिनका शुरूआती उद्देश्य था ब्रिटिश सरकार के साथ मिलकर देश की विभिन्न समस्याओं के निराकरण का प्रयास करना। इसके साथ ही कांग्रेस प्रांतीय विधायिकाओं में हिस्सा भी लेती रही। हालाँकि जब 1905 में बंगाल का विभाजन हुआ, उसके बाद पार्टी ने मजबूती के साथ अपना पक्ष रखा कर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आंदोलनों की शुरुआत कर दी।
समय के साथ साथ इन आन्दोलनों में तेजी आती गयी। इसके साथ ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भी दो गुटों में विभक्त होने लगी। जिन में से एक था गरम दल और दूसरा नरम दल। ये बात है सन 1907 की जब लाल-बाल-पाल के नाम से प्रख्यात बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय एवं बिपिन चंद्र पाल गरम दल का नेतृत्व सम्हालते थे। वहीँ गोपाल कृष्ण गोखले, फिरोजशाह मेहता एवं दादा भाई नौरोजी जैसे विख्यात सदस्य नरम दल के नेतृत्व करते थे।
अब इन दो गुटों यानी नरम दल और गरम दलों के बीच मुद्दा ये था कि गरम दल वालों की मांग थी की देश को पूर्ण स्वराज मिले जबकि नरम दल के नेताओं को ब्रिटिश राज के अंतर्गत ही स्वशासन से कोई ऐतराज नहीं था। हालांकि कुछ साल बाद हुए प्रथम विश्व युद्ध के छिड़ने के बाद 1916 में हुई लखनऊ की बैठक में ये दोनों ही दल एक साथ हो गए। जिस के बाद Home Rule आन्दोलन की शुरुआत हुई। होम रूल आंदोलन के तहत भारत के लिए ब्रिटिश राज में अधिराजकिय पद (अर्थात डोमिनियन स्टेट्स) की माँग की गयी।
जब कांग्रेस स्वतंत्रता जन आंदोलन के रूप में उभरी
होम रूल आंदोलन के बाद जल्द ही खिलाफत मोमेंट की शुरुआत भी हो गयी जिसे भारतीय इतिहास में भी हिन्दू मुलिम एकता का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ ही महात्मा गाँधी के भारत वापस लौटने के बाद वर्ष 1919 में चम्पारण आंदोलन और खेड़ा भी हुए जहाँ भरपूर जन समर्थन प्राप्त हुआ और ये दोनों ही सफल आंदोलनों में से रहे। इसके साथ खिलाफत मूवमेंट में भी गांधीजी को ही मुखिया का कार्यभार सौंपा गया। इससे पहले इसका सञ्चालन / नेतृत्व अली बंधू कर रहे थे। इसके बाद जालियांवाला बाग हत्याकांड के बाद गांधीजी को ही कांग्रेस के महासचिव पदभार दिया गया। जिन के मार्गदर्शन में कांग्रेस को एक नया रूप मिला। और कांग्रेस कुलीन वर्गीय संस्था से बदलकर एक जनसमुदाय संस्था बन गई। इसके अतिरिक्त बहुत से अन्य घटनाक्रम भी हुए जिनके चलते देश ने आजादी का जश्न मनाया। आइये इन घटनाक्रमों को संक्षेप में जानते हैं –
- गाँधी के नेतृत्व में प्रदेश काँग्रेस कमेटियों का निर्माण हुआ।
- काँग्रेस में सभी पदों के लिये चुनाव की शुरुआत हुई।
- कार्यवाहियों के लिये भारतीय भाषाओं का प्रयोग शुरू हुआ।
- काँग्रेस ने कई प्रान्तों में सामाजिक समस्याओं को हटाने के प्रयत्न किये जिनमें छुआछूत, पर्दाप्रथा एवं मद्यपान आदि शामिल थे।
स्वतंत्र भारत में कांग्रेस
भारत के स्वतंत्र होने के बाद देश में कांग्रेस एक प्रमुख पार्टी थी जिसमे कई दिग्गज स्वतंत्र सेनानी शामिल थे। समय समय पर इसकी नीतियों और विचाधाराओं में परिस्थितियों के अनुसार बदलाव किया जाता रहा। कई बार कांग्रेस को लोकतंत्र के चुनाव में जनता का समर्थन मिला तो कई बार उन्हें मुँह की खानी पड़ी। इसी तरह उनकी नीतियों का विरोध भी हुआ तो कभी इन नीतियों को लोगों ने समर्थन प्रदान करते हुए चुनाव में जीत भी दिलाई। इसी प्रकार इस पार्टी / राजनीतिक दल (भारतीय राष्ट्रीय congress) के नेता भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बने। भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जो कांग्रेस पार्टी से आते हैं, उनकी सूची आप नीचे देख सकते हैं।
प्रधानमंत्रियों की सूची (कांग्रेस दल से)
क्र० | प्रधानमन्त्री | वर्ष | अवधि | निर्वाचन क्षेत्र |
1 | जवाहरलाल नेहरू | 1947–64 | 17 वर्ष | फूलपुर |
2 | गुलज़ारीलाल नन्दा | 1964, 1966 | 26 दिन | साबरकंठा |
3 | लाल बहादुर शास्त्री | 1964–66 | 2 वर्ष | इलाहाबाद |
4 | इन्दिरा गाँधी | 1966–77, 1980–84 | 16 वर्ष | उत्तर प्रदेश (राज्य सभा), रायबरेली, मेदक |
5 | राजीव गाँधी | 1984–89 | 5 वर्ष | अमेठी |
6 | पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव | 1991–96 | 5 वर्ष | नांदयाल |
7 | मनमोहन सिंह | 2004–14 | 10 वर्ष | असम (राज्य सभा) |
राष्ट्रपतियों की सूची (कांग्रेस)
क्रम संख्या | राष्ट्रपति | वर्ष |
1 | डॉ राजेन्द्र प्रसाद | 1950- 62 |
2 | फखरुद्दीन अली अहमद | 1974-77 |
3 | ज़ैल सिंह | 1982-87 |
4 | रामास्वामी वेंकटरमण | 1987-92 |
5 | शंकर दयाल शर्मा | 1992-97 |
6 | के आर नारायणन | 1997-2002 |
7 | प्रतिभा देवीसिंह पाटिल | 2007-2012 |
8 | प्रणब मुखर्जी | 2012-2017 |
उपराष्ट्रपतियों की सूची
- बासप्पा दनप्पा जत्ती (1974-79)
- रामास्वामी वेंकटरमण (1984-87)
- शंकर दयाल शर्मा (1987-92)
- के आर नारायणन (1992-97)
- हामिद अंसारी (2007-2017)
उप प्रधानमंत्रियों की सूची
- सरदार वल्लभभाई पटेल (1947-50)
- मोरारजी देसाई (1967-69)
लोकसभा अध्यक्षों की सूची :
- गणेश वासुदेव मावलंकर (1952 – 1956)
- अनन्त शयनम् अयंगार (1956 – 1962)
- सरदार हुकम सिंह (1962 – 1967)
- नीलम संजीव रेड्डी (1967 – 1969)
- जी. एस. ढिल्लों (1969 – 1975)
- बलि राम भगत (1976 – 1977)
- बलराम जाखड़ 22 जनवरी 1980 से 18 दिसंबर 1989
- शिवराज पाटिल 10 जुलाई 1991 से 22 मई 1996
- पी. ए. संगमा 25 मई 1996 से 23 मार्च 1998
- मीरा कुमार 4 जून 2009 से 4 जून 2014
स्वतंत्रता पूर्व कांग्रेस के अधिवेशन
जैसा की हमने बताया की देश की समस्याओं के खिलाफ होने वाले आंदोलन को रोकने के मकसद के साथ स्थापित की गयी कांग्रेस अपने अधिवेशनों के जरिये आगे चलकर देश को आज़ादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जरिये ही सभी एक साथ आ पाए और एकजुट होकर देश की आजादी के लिए प्रयास किये। इनमे अहम भूमिका निभायी कांग्रेस की विभिन्न बैठकों और अधिवेशनों ने। आएये अब आगे दी गयी सारणी से इन अधिवेशन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य जानिये।
अधिवेशन | वर्ष | स्थान | अध्यक्ष |
पहला अधिवेशन | 1885ई. | बम्बई (वर्तमान मुम्बई) | व्योमेश चन्द्र बनर्जी |
दूसरा अधिवेशन | 1886ई. | कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) | दादाभाई नौरोजी |
तीसरा अधिवेशन | 1887ई. | मद्रास (वर्तमान चेन्नई) | बदरुद्दीन तैयब जी (प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष) |
चौथा अधिवेशन | 1888ई. | इलाहाबाद | जॉर्ज यूल (प्रथम ब्रिटिश अध्यक्ष) |
पाँचवा अधिवेशन | 1889ई. | बम्बई | सर विलियम वेडरबर्न |
छठा अधिवेशन | 1890ई. | कलकत्ता | फ़िरोजशाह मेहता |
सातवाँ अधिवेशन | 1891ई. | नागपुर | पी. आनंद चारलू |
आठवाँ अधिवेशन | 1892ई. | इलाहाबाद | व्योमेश चन्द्र बनर्जी |
अधिवेशन वर्ष 1893 ई से 1900 तक –
नौवाँ अधिवेशन | 1893 | लाहौर | दादाभाई नौरोजी |
दसवाँ अधिवेशन | 1894 | मद्रास | अल्फ़ेड वेब (कांग्रेस संविधान का निर्माण) |
ग्यारहवाँ अधिवेशन | 1895 | पूना | सुरेन्द्रनाथ बनर्जी |
बारहवाँ अधिवेशन | 1896 | कलकत्ता | रहीमतुल्ला सयानी |
तेरहवाँ अधिवेशन | 1897 | अमरावती | सी. शंकरन नायर |
चैदहवाँ अधिवेशन | 1898 . | मद्रास | आनंद मोहन दास |
पन्द्रहवाँ अधिवेशन | 1899 | लखनऊ | रमेश चन्द्र दत्त |
सोलहवाँ अधिवेशन | 1900 | लाहौर | एन.जी. चंद्रावरकर |
अधिवेशन वर्ष 1901 से 1908 तक –
सत्रहवाँ अधिवेशन | 1901 | कलकत्ता | दिनशा इदुलजी वाचा |
अठारहवाँ अधिवेशन | 1902 | अहमदाबाद | सुरेन्द्रनाथ बनर्जी |
उन्नीसवाँ अधिवेशन | 1903 . | मद्रास | लाल मोहन घोष |
बीसवाँ अधिवेशन | 1904 | बम्बई | सर हेनरी काटन |
इक्कीसवाँ अधिवेशन | 1905 | बनारस | गोपाल कृष्ण गोखले |
बाईसवाँ अधिवेशन | 1906 | कलकत्ता | दादाभाई नौरोजी (पहली बार स्वराज शब्द का प्रयोग) |
तेईसवाँ अधिवेशन | 1907 | सूरत | डॉ. रास बिहारी घोष (कांग्रेस का प्रथम विभाजन) |
चौबीसवाँ अधिवेशन | 1908 | मद्रास | डॉ. रास बिहारी घोष |
अधिवेशन वर्ष 1909 से 1920 तक –
पच्चीसवाँ अधिवेशन | 1909 | लाहौर | मदन मोहन मालवीय |
छब्बीसवाँ अधिवेशन | 1910 | इलाहाबाद | विलियम वेडरबर्न |
सत्ताईसवाँ अधिवेशन | 1911 | कलकत्ता | पंडित बिशननारायण धर |
अट्ठाईसवाँ अधिवेशन | 1912 | बांकीपुर | आर.एन. माधोलकर |
उन्नतीसवाँ अधिवेशन | 1913 | कराची | नवाब सैयद मोहम्मद बहादुर |
तीसवाँ अधिवेशन | 1914 | मद्रास | भूपेन्द्र नाथ बसु |
इकतीसवाँ अधिवेशन | 1915 | बम्बई | सर सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा |
बत्तीसवाँ अधिवेशन | 1916 | लखनऊ | अंबिकाचरण मजूमदार |
तैतीसवाँ अधिवेशन | 1917 | कलकत्ता | श्रीमती एनी बेसेन्ट |
विशेष अधिवेशन अधिवेशन | 1918 | बम्बई | सैयद हसन इमाम (कांग्रेस का दूसरा विभाजन) |
चौतीसवाँ अधिवेशन | 1918 | दिल्ली | मदन मोहन मालवीय |
पैतीसवाँ अधिवेशन | 1919 | अमृतसर | पं. मोतीलाल नेहरू |
छत्तीसवाँ अधिवेशन | 1920 | नागपुर | सी. वी. राघवचारियार (कांग्रेस संविधान में परिवर्तन) |
विशेष अधिवेशन अधिवेशन | 1920 | कलकत्ता | लाला लाजपत राय |
अधिवेशन वर्ष 1921 से 1933 तक –
सैतीसवाँ अधिवेशन | 1921 | अहमदाबाद | हकीम अजमल ख़ाँ |
अड़तीसवाँ अधिवेशन | 1922 | गया | देशबंधु चितरंजन दास |
उनतालीसवाँ अधिवेशन | 1923 | काकीनाडा | मौलाना मोहम्द अली |
विशेष अधिवेशन अधिवेशन | 1923 | दिल्ली | मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (सबसे युवा अध्यक्ष) |
चालीसवाँ अधिवेशन | 1924 | बेलगांव | महात्मा गाँधी |
एकतालीसवाँ अधिवेशन | 1925 | कानपुर | श्रीमती सरोजनी नायडू |
बयालीसवाँ अधिवेशन | 1926 | गुवाहाटी | एस. श्रीनिवास आयंगर |
तैंतालिसवाँ अधिवेशन | 1927 | मद्रास | डॉ.एम.ए. अंसारी (पूर्ण स्वाधीनता की मांग) |
चौवालिसवाँ अधिवेशन | 1928 | कलकत्ता | जवाहर लाल नेहरु |
पैंतालिसवाँ अधिवेशन | 1929 | लाहौर | जवाहर लाल नेहरु (पूर्ण स्वराज की मांग) |
छियालिसवाँ अधिवेशन | 1931 | कराची | सरदार वल्लभ भाई पटेल (मौलिक अधिकार की मांग) |
सैंतालिसवाँ अधिवेशन | 1932 | दिल्ली | अमृत रणछोड़दास सेठ |
अड़तालिसवाँ अधिवेशन | 1933 | कलकत्ता | श्रीमती नलिनी सेनगुप्ता |
अधिवेशन वर्ष 1934 से 1947 तक –
उन्चासवाँ अधिवेशन | 1934 | बम्बई | बाबू राजेन्द्र प्रसाद |
पचासवाँ अधिवेशन | 1936 | लखनऊ | जवाहर लाल नेहरु |
इक्यावनवाँ अधिवेशन | 1937 | फ़ैजपुर | जवाहर लाल नेहरु |
बावनवाँ अधिवेशन | 1938 | हरिपुरा | सुभाष चन्द्र बोस |
तिरपनवाँ अधिवेशन | 1939. | त्रिपुरी | सुभाष चन्द्र बोस |
चौवनवाँ अधिवेशन | 1940 | रामगढ़ | मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद |
पचपनवाँ अधिवेशन | 1946. | मेरठ | आचार्य जे.बी. कृपलानी |
छप्पनवाँ अधिवेशन | 1947 | दिल्ली | राजेन्द्र प्रसाद |
कांग्रेस का इतिहास से संबंधित प्रश्न उत्तर
कांग्रेस पार्टी की स्थापना किसने की और कब की?
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना ए ओ ह्यूम द्वारा 28 दिसंबर 1885 में की गयी थी।
कांग्रेस पार्टी के संस्थापक कौन हैं?
Congress के सस्थापक ए ओ ह्यूम थे जिन्होंने इसकी स्थापना दिनशा वाचा और दादा भाई नौरोजी के सहयोग से की।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष कौन थे ?
Indian National congress के पहले अध्यक्ष थे – व्योमेश चंद्र बनर्जी (Wyomesh Chandra Banerjee)
वर्तमान में कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर कौन है ?
कांग्रेस के वर्तमान पार्टी अध्यक्ष के पद पर मल्लिकार्जुन खरगे आसीन हैं।
कांग्रेस की स्थापना क्यों की गयी थी ?
कांग्रेस की स्थापना करने के पीछे सेवानिवृत्त ब्रिटिश भारतीय सिविल सेवा (आईसीएस) अधिकारी एलन ऑक्टेवियन ह्यूम का उद्देश्य शिक्षित भारतीयों के बीच नागरिक और राजनीतिक संवाद के लिए एक मंच तैयार करना था। 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद, भारत का नियंत्रण ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश साम्राज्य में स्थानांतरित कर दिया गया था।
आज इस लेख में आप ने Indian National Congress के इतिहास के बारे में पढ़ा। उम्मीद है आप को इस लेख से काफी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी और ये आप को उपयोगी लगी होगी। यदि आप ऐसी ही अन्य जानकारियों को पढ़ना चाहते हैं तो हमारी वेबसाइट Hindi NVSHQ से जुड़ सकते हैं।