भारत के संविधान सभा की मसौदा समिति के सबसे महत्वपूर्ण सदस्य एवं अध्यक्ष डॉ. भीम राव अंबेडकर जी ने हमारे देश के संविधान को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई। बाबा साहेब एक महान दार्शनिक विचारक , राजनेता , लेखक , सम्पादक एवं दलित एवं वंचित वर्ग के लोगों की आवाज़ उठाने वाले क्रांतिकारी नेता थे।
भीम राव अंबेडकर हमेशा से ही समाज में फैली कुरीतियां (जैसे : जातिवाद , छुआछूत , बाल विवाह प्रथा , दहेज़ प्रथा आदि) का पुरजोर विरोध किया। बाबा साहेब ने हमेशा से यही कहा की आप शिक्षित बनें संगठित रहें और अपने लक्ष्य प्राप्ति की ओर ध्यान केंद्रित करें।
दोस्तों आज हम आपके लिए बाबा साहेब डॉ. भीम राव अंबेडकर की जीवनी (Biography of Baba Saheb Ambedkar) लेकर आये हैं। बाबा साहेब का जीवन आज भी हम सबके लिए प्रेरणास्त्रोत है। चलिए आर्टिकल में आगे बढ़ते हैं जानते एवं समझते हैं बाबा साहेब के जीवन को।
भारतीय संविधान सभा तथा संविधान निर्माण
Biography of Dr Bhimrao Ramji Ambedkar in Hindi:
पूरा नाम (Full Name): | बाबा साहेब भीम राव रामजी आम्बेडकर |
जन्म तिथि (Date of birth) | 14 अप्रैल 1891 |
उम्र (Age) | 65 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth Place) | महू, मध्य प्रांत, ब्रिटिश भारत (अब डॉ॰ आम्बेडकर नगर, मध्य प्रदेश, भारत में) |
जन्म के समय नाम (Birth name) | भिवा, भीम, भीमराव |
निवास स्थान (Residence) | • राजगृह, मुंबई • 26 अलिपूर रोड, डॉ॰ आम्बेडकर राष्ट्रीय स्मारक, दिल्ली |
शैक्षिक डिटेल्स (Education Qualification) | • मुंबई विश्वविद्यालय (बी॰ए॰) • कोलंबिया विश्वविद्यालय (एम॰ए॰, पीएच॰डी॰, एलएल॰डी॰) • लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स (एमएस॰सी॰, डीएस॰सी॰) • ग्रेज इन (बैरिस्टर-एट-लॉ) |
पेशा (Profession) | विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, दार्शनिक, लेखक पत्रकार, समाजशास्त्री, मानवविज्ञानी, शिक्षाविद्, धर्मशास्त्री, इतिहासविद् प्रोफेसर, सम्पादक |
मृत्यु (Death) | 6 दिसम्बर 1956 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | डॉ॰ आम्बेडकर राष्ट्रीय स्मारक, नयी दिल्ली, भारत |
समाधि स्थल (Burial ground) | चैत्य भूमि, मुंबई, महाराष्ट्र |
बाबा साहेब डॉ. भीम राव अंबेडकर की जीवनी (Family):
बाबा साहेब जी के दादा जी का नाम | मालोजी सकपाल |
बाबा साहेब जी के पिता जी का नाम | रामजी सकपाल |
बाबा साहेब जी की सौतेली माँ का नाम | जीजाबाई |
बाबा साहेब जी के माता जी का नाम | भीमाबाई |
बाबा साहेब जी के बुआ जी का नाम | मीराबाई (बाबा साहेब के पिता जी की बड़ी बहन) |
बाबा साहेब की पहली पत्नी का नाम | रमा बाई अम्बेडकर |
बाबा साहेब की दूसरी पत्नी का नाम | सावित्री बाई अम्बेडकर |
बाबा साहेब के पुत्र का नाम | यशवंत अम्बेडकर , गंगाधर अम्बेडकर , रमेश अम्बेडकर |
बाबा साहेब की बेटियों के नाम | इंदु अम्बेडकर , राजरत्न अम्बेडकर |
बाबा साहेब को अम्बेडकर नाम कैसे मिला ?
दोस्तों बाबा साहेब को का जन्म मध्य प्रदेश के छोटे से गाँव महुँ में छोटी जाति के गरीब परिवार राजजी सकपाल के घर हुआ था। बाबा साहेब राज जी और भीमाबाई की 14 वीं और आखिरी संतान थी। भारत में उस समय जातिवाद अपने चरम सीमा पर था। बचपन से ही बाबा साहेब को जातिसूचक शब्दों का सामना करना पड़ता था।
जब भी भीमराव के पिता जी स्कूल में पढ़ने के लिए भीमराव का नाम स्कूल में लिखवाते थे तो उनका सरनेम जानकर उनकों स्कूल से निकाल दिया जाता था।
इसी समस्या हल निकालते हुए भीमराव के पिताजी ने स्कूल के दाखिले के समय भीमराव का उपनाम (surname) अम्बेडकर लिखवा दिया। इस उपनाम का कारण यह था की बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के पिताजी कोंकण के अंबाडवे गांव के मूल निवासी थे। बाद में आकर वह मध्य प्रदेश के महुँ गांव आकर बस गये थे।
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बाबा साहेब की उपलब्धियां (Achievements):
- बॉम्बे विधान परिषद् के सदस्य – वर्ष 1926 से लेकर वर्ष 1936 तक
- बॉम्बे विधानसभा के सदस्य – वर्ष 1937 से लेकर वर्ष 1942 तक
- बॉम्बे विधानसभा के विरोधी राजनेता – वर्ष 1937 से लेकर वर्ष 1942 तक
- श्रम मंत्री , वायसराय की कार्य परिषद् – जुलाई 1942 से लेकर वर्ष 1946 तक
- भारतीय संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष – 29 अगस्त 1947 से लेकर 24 जनवरी 1950 तक
- भारत के प्रथम कानून मंत्री – 15 अगस्त 1947 से लेकर सितम्बर 1951 तक
- राष्ट्रपति: राजेन्द्र प्रसाद
- प्रधानमंत्री: जवाहरलाल नेहरू
- उत्तराधिकारी: चारु चंद्र बिस्वार
- राज्य सभा के सदस्य बॉम्बे राज्य – 3 अप्रैल 1952 से लेकर 6 दिसम्बर 1956 तक
- राष्ट्रपति: राजेन्द्र प्रसाद
- प्रधानमंत्री: जवाहरलाल नेहरू
डॉ भीम राव अम्बेडकर द्वारा लिखे गए साहित्य एवं पुस्तकें :
दोस्तों आपको बताते चलें की बाबा साहेब की बचपन से ही अध्ययन एवं लेखन में बड़ी गहरी रूचि थी। बाबा साहेब अपना अधिकतर समय किताबों के अध्ययन , शोध और लेखन में बिताते थे। हमने यहाँ टेबल के माध्यम से हमने आपको बाबा साहेब द्वारा रचित किताबें और शोध पत्रों , रचनाओं की जानकारी दी है आप देख सकते हैं।
पुस्तक का नाम | पुस्तक के बारे में | प्रकाशित वर्ष |
एडमिनिस्ट्रेशन एंड फिनांसेज़ ऑफ़ द ईस्ट इंडिया कंपनी | एम॰ए॰ की थीसिस) | |
द एवोल्यूशन ऑफ़ प्रोविंशियल फिनांसेज़ इन ब्रिटिश इंडिया | पीएच॰डी॰ की थीसिस | 1917 1925 में प्रकाशित |
दी प्राब्लम आफ दि रुपी : इट्स ओरिजिन एंड इट्स सॉल्यूशन | डीएस॰सी॰ की थीसिस | 1923 में प्रकाशित |
अनाइहिलेशन ऑफ कास्ट्स | जाति प्रथा का विनाश) | मई 1936) |
विच वे टू इमैनसिपेशन | मई 1936) | |
फेडरेशन वर्सेज़ फ्रीडम | 1936) | |
पाकिस्तान और द पर्टिशन ऑफ़ इण्डिया/थॉट्स ऑन पाकिस्तान | 1940) | |
रानडे, गाँधी एंड जिन्नाह | 1943) | |
मिस्टर गाँधी एण्ड दी एमेन्सीपेशन ऑफ़ दी अनटचेबल्स | सितम्बर 1945) | |
वॉट कांग्रेस एंड गाँधी हैव डन टू द अनटचेबल्स ? | जून 1945) | |
कम्यूनल डेडलाक एण्ड अ वे टू साल्व इट | मई 1946) | |
हू वेर दी शूद्राज़ ? | अक्तुबर 1946) | |
भारतीय संविधान में परिवर्तन हेतु कैबिनेट मिशन के प्रस्तावों का, अनुसूचित जनजातियों | अछूतों) पर उनके असर के सन्दर्भ में दी गयी समालोचना | 1946) |
द कैबिनेट मिशन एंड द अंटचेबल्स | 1946) | |
स्टेट्स एण्ड माइनोरीटीज | 1947) | |
महाराष्ट्र एज ए लिंग्विस्टिक प्रोविन्स स्टेट | 1948) | |
द अनटचेबल्स: हू वेर दे आर व्हाय दी बिकम अनटचेबल्स | अक्तुबर 1948 | |
थॉट्स ऑन लिंगुइस्टिक स्टेट्स: राज्य पुनर्गठन आयोग के प्रस्तावों की समालोचना | प्रकाशित 1955 | |
द बुद्धा एंड हिज धर्म | भगवान बुद्ध और उनका धर्म) | 1957 |
रिडल्स इन हिन्दुइज्म | ||
डिक्शनरी ऑफ पाली लॅग्वेज | पालि-इग्लिश | |
द पालि ग्रामर (पालि व्याकरण) | ||
वेटिंग फ़ॉर अ वीज़ा | (आत्मकथा) | (1935-1936) |
अ पीपल ऐट बे | ||
द अनटचेबल्स और द चिल्ड्रेन ऑफ़ इंडियाज़ गेटोज़ | ||
केन आय बी अ हिन्दू? | ||
व्हॉट द ब्राह्मिण्स हैव डन टू द हिन्दुज | ||
इसेज ऑफ भगवत गिता | ||
इण्डिया एण्ड कम्यूनिज्म | ||
रेवोलोटिओं एंड काउंटर-रेवोलुशन इन एनशियंट इंडिया | ||
द बुद्धा एंड कार्ल मार्क्स (बुद्ध और कार्ल मार्क्स) | ||
कोन्स्टिट्यूशन एंड कोस्टीट्यूशनलीज़म |
बाबा साहेब के कुछ मुख्य वक्तव्य Quotes:
- पुणे समझौते के समय बाबा साहेब के द्वारा दिए भाषण का अंश:
हमें अपना रास्ता स्वयं बनाना होगा और स्वयं… राजनीतिक शक्ति शोषितो की समस्याओं का निवारण नहीं हो सकती, उनका उद्धार समाज मे उनका उचित स्थान पाने में निहित है। उनको अपना रहने का बुरा तरीका बदलना होगा… उनको शिक्षित होना चाहिए… एक बड़ी आवश्यकता उनकी हीनता की भावना को झकझोरने और उनके अंदर उस दैवीय असंतोष की स्थापना करने की है जो सभी उँचाइयों का स्रोत है।
- बाल विवाह एवं महिलाओं के प्रति दुर्व्यवहार के संबंध में दिया गया बाबा साहेब के भाषण का मुख्य अंश :
बहुविवाह और रखैल रखने के दुष्परिणाम शब्दों में व्यक्त नहीं किये जा सकते जो विशेष रूप से एक मुस्लिम महिला के दुःख के स्रोत हैं। जाति व्यवस्था को ही लें, हर कोई कहता है कि इस्लाम गुलामी और जाति से मुक्त होना चाहिए, जबकि गुलामी अस्तित्व में है और इसे इस्लाम और इस्लामी देशों से समर्थन मिला है। जबकि कुरान में निहित गुलामों के न्याय और मानवीय उपचार के बारे में पैगंबर द्वारा किए गए नुस्खे प्रशंसनीय हैं, इस्लाम में ऐसा कुछ भी नहीं है जो इस अभिशाप के उन्मूलन का समर्थन करता हो। अगर गुलामी खत्म भी हो जाये पर फिर भी मुसलमानों के बीच जाति व्यवस्था रह जायेगी।
डॉ भीम राव अम्बेडकर जी के पुरूस्कार एवं सम्मान:
बाबा साहेब एक महान दार्शनिक एवं विचारक थे जिनके विचारों से पूरी दुनिया प्रभावित थी और आज भी है। आपको बता दें की बाबा साहेब को उनके जीवन में कई पुरूस्कार एवं सम्मान मिलें जिनके बारे में हमने आपको आगे आर्टिकल में बताया है
- वर्ष 1956 में बौद्ध धर्म के बोधिसत्व नामक सम्मान से सम्मानित।
- वर्ष 1990 में मरणोपरांत (Posthumously) बाबा साहेब को देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2004 में डॉ भीम राव अम्बेडकर जी को पहले कोलंबियन अहेड ऑफ देअर टाईम पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 2012 में बाबा साहेब को द ग्रेटेस्ट इंडियन अवार्ड से सम्मानित किया गया।
बाबा साहेब का निधन (demise):
दोस्तों आपको बता दें की वर्ष 1948 में बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर मधुमेह बीमारी से संक्रमित थे। वर्ष 1954 में माह जून से लेकर अक्टूबर तक उनकी तबियत बहुत ज्यादा खराब हो गई।
लेकिन तबियत सही ना होने के कारण भी बाबा साहेब लगातार काम करते रहे जिसने उनके शरीर को तोड़ के रख दिया। इतिहासकारों की मानें तो अपनी रचना भगवान बुद्ध और उनका धर्म को पूरा करने के तीन दिन बाद 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में अपने निवास स्थान में मृत्यु को प्राप्त हो गए।
बाबा साहेब Bhimrao Ramji Ambedkar जी के बारे में रोचक तथ्य (Amazing facts):
- आपको बता दें की बाबा साहेब अम्बेडकर जी को लगभग 9 भाषाओं का ज्ञान था।
- भारत रत्न(Bharat Ratan): आपकी जानकारी के लिए बता दें की बाबा साहेब को मृत्यु के बाद 14 अप्रैल 1990 के दिन 99वें जयंती के अवसर पर हमारे देश भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में तत्कालीन राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरमण के द्वारा प्रदान किया गया था।
- दोस्तों आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है की बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर जी के पास लगभग 32 डिग्रियां थीं।
- बाबा साहेब अम्बेडकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने विदेश जाकर अर्थशास्त्र में Ph.D. की।
- बाबा साहेब कभी भी संविधान की धारा 370 के समर्थक नहीं रहे।
- हमारे देश के पहले कानून मंत्री के रूप में बाबा साहेब Ambedkar जी को जाना जाता है।
- 21 साल की उम्र में बाबा साहेब ने सभी धर्मों की किताबों का अध्ययन कर लिया था।
बाबा साहेब डॉ. भीम राव अंबेडकर की जीवनी से संबंधित प्रश्न एवं उत्तर (FAQs):
भारत में बाबा साहेब के द्वारा लिखित किताबों का संग्रह मुंबई में बाबा साहेब के घर राजगृह ग्रंथालय में स्थित हैं। इस ग्रंथालय में लगभग 50 हजार से भी अधिक किताबें संग्रहित हैं।
बाबा साहेब ने 13 अक्टूबर 1935 को नासिक शहर के निकट येवला के सम्मेनल में भाषण देते हुए अपने धर्म परिवर्तन की घोषणा की। जिसमें बाबा साहेब ने बौद्ध धर्म को अपनाया।
आपको बता दें की बाबा साहेब अम्बेडकर जी ने भारत संविधान के निर्माण हेतु 60 से भी अधिक देशों के संविधानों का अध्ययन किया था।
दोस्तों आपको बता दें की बाबा साहेब ने जीवन भर महात्मा गौतम बुद्ध , संत कबीर और महात्मा ज्योतिराव फुले को अपना गुरु माना। बाबा साहेब इन तीन व्यक्तियों के विचारों से प्रेरित थे।
आम्बेडकरवाद बाबा साहेब के विचारों , आदर्शों , सिद्धांतों , विश्वासों एवं दर्शन रूपी दार्शनिक का संग्रह है। कोई भी व्यक्ति आम्बेडकरवाद पढ़कर बाबा साहेब की सामाजिक, राजनीतिक तथा धार्मिक विचारधारा से प्रेरणा ले सकता है।
बाबा साहेब जी के द्वारा संपादित पत्र एवं पत्रिकाएं निम्नलिखित इस प्रकार से हैं –
मूकनायक
बहिष्कृत भारत
समता
जनता
प्रबुद्ध भारत