भारत देश त्योहारों का देश है। इन्हीं त्योहारों को हर धर्म के लोग बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं। दुर्गा पूजा भारत के सभी महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहारों में से एक है। इसे दुर्गोत्सव या शारदोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार प्रतिवर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा से लेकर दशमी तक मनाया जाने वाला त्यौहार है। यह उत्सव पुरे 10 दिनों तक चलने वाला त्यौहार है। दुर्गा पूजा ,दुर्गोत्सव या शारदोत्सव हर साल बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। अगर आप दुर्गा पूजा पर निबंध | Essay on Durga Puja लिख रहे हैं तो यहां देखें की निबंध कैसे।
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आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको दुर्गा पूजा पर निबंध ,Essay on Durga Puja के अलग-अलग निबंध उपलब्ध करा रहे हैं जिसकी सहायता से आप बड़ी ही आसानी से दुर्गा पूजा पर अपनी सुविधानुसार सरल और आसान भाषा में निबंध को लिख सकेंगे।
दुर्गा पूजा निबंध (100 शब्दों में)
प्रस्तावना –दुर्गा पूजा हिन्दुओं का महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है। आखिरी के 3 दिन यह पूजा बड़े ही धूम-धाम से मनाई जाती है। यह एक धार्मिक त्यौहार है जो हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा प्रतिवर्ष पुरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। विशेष रूप से पूर्वी भारत के लोगों द्वारा इस उत्सव में विशेष उत्साह देखने को मिलता है।
दुर्गा पूजा – नवरात्री या दुर्गा पूजा एक ऐसा त्यौहार है जो की पुरे भारत में खुशहाली पूर्ण तरीके से मनाया जाता है। दुर्गा पूजा के दिन लोग माँ दुर्गा के मंदिर जाते हैं और पूजा करते हैं। अपने घर में पूजा की तयारी करते हैं घर को सजाते हैं और माँ दुर्गा से घर परिवार की समृद्धि के लिए पूजा -अर्चना करते हैं। नवरात्र या दुर्गा पूजा का उत्सव बुराई पर अच्छे की जीत का प्रतीक के रूप में मनाये जाने वाला हिन्दुओं का धार्मिक त्यौहार है, भक्तों द्वारा यह विश्वास किया जाता है की इस दिन देवी माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध कर उसपर विजय प्राप्त की थी। उन्हें ब्रह्मा ,विष्णु और भगवान शिव जी के द्वारा इस महिषासुर राक्षस को मारकर लोगों को इस पापी राक्षस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए बुलाया गया था। माँ दुर्गा और राक्षस महिषासुर के बीच पुरे 9 दिनों तक घमासान युद्ध चला माँ दुर्गा द्वारा 10 वे दिन इस पापी राक्षस महिषासुर को मार गिराया गया। इसी दिन को दशहरा कहते हैं। और इसी विजय को विजयादशमी नाम से जाना जाता है।
दुर्गा पूजा पर निबंध (150 शब्दों में)
प्रस्तावना –दुर्गा पूजा जिसे दुर्गोत्सव या शारदोत्सव के नाम से भी जाना जाता है यह त्यौहार प्रतिवर्ष अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा से लेकर दशमी तक मनाया जाने वाला त्यौहार है। इसे शारदोत्सव नाम से भी जाना जाता है भारतीयों का एक धार्मिक त्यौहार है, दुर्गापूजा के दिन माँ शक्ति के अवतार की पूजा-अर्चना की जाती है। बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में इसको मनाया जाता है। नारी शक्ति माँ दुर्गा पूजा इसी बात को दर्शाता है की भारत में नारी को देवी स्वरूप माना गया है।
दुर्गा पूजा -महिषासुर नामक पापी राक्षस को युद्ध भूमि माँ शक्ति दुर्गा माँ ने 9 दिनों के घमासान युद्ध के बाद 10 वे दिन मार गिराया था। दुर्गा पूजा उत्सव नवरात्री के पहले दिन से मनाया जाता है, माँ दुर्गा की पूजा बड़े ही उत्साह के साथ की जाती है। इस दिन पूर्वी भारत में विशेष रूप से दुर्गा पूजा उत्सव को मनाया जाता है। दुर्गा पूजा त्यौहार को विशेष रूप से कोलकाता पश्चिम बंगाल में बंगालियों द्वारा बड़े ही उत्साहपूर्ण तरीके से मनाया जाता है।
माँ शक्ति दुर्गा के इस विजय उपलक्ष्य में दुर्गा माँ की पूजा आराधना की जाती है। दुर्गा पूजा को वास्तविक रूप से शक्ति पाने की इच्छा से मनाया जाता है जिससे विश्व की बुराइयों का अंत किया जा सके। बंगाली हिन्दू और आसामी हिन्दुओं की अधिकता वाले क्षेत्रों पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम में यह प्रत्येक वर्ष सभी त्योहारों में से बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। यह दुर्गा पूजा /शरदोत्सव प्रतिबद्धता, आनंद ,उमंग ,शक्ति और आध्यात्मिकता का त्यौहार है।
Essay on Durga Puja (under 200 word)
प्रस्तावना – भारत अपने विभिन्न त्योहारों इ लिए जाना जाता है। सभी धर्मों को सामान आज़ादी और अपने त्योहारों को धूमधाम से मनाये जाने की आजादी दी गयी है। भारत त्योहारों के लिए विश्वभर में विख्यात है। अपनी एकता अखंडता के लिए भारत विश्वभर में अपनी पहचान बना चूका है। भारत ऐसा देश है जो अपने विशेष त्योहारों के लिए विश्वभर में जाना जाता है।
विजयदशमी दुर्गा पूजा –दुर्गा पूजा या नवरात्री नौ रातों के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। माँ शक्ति की पूजा आराधना की जाती है। मंदिरों में तथा अपने घरों में लोग पूरी आस्था के साथ माँ शक्ति स्वरुप दुर्गा माँ की पूजा करते हैं। इस उत्सव में देवी माँ दुर्गा की पूजा करके सभी भक्तों द्वारा अपने जीवन में समृद्धि और कल्याण के लिए प्रार्थना की जाती है। बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में दशमी मनाई जाती है, महिषासुर जैसे दैत्य जिसने देवतागणों और साधुओं पर काफी अत्याचार किये थे उस पापी दैत्य पर माँ दुर्गा ने 9 दिन तक चले इस घमासान युद्ध के बाद 10 वें दिन विजय पायी थी।
भगवान शिव, ब्रह्मा, विष्णु जी ने शक्तिस्वरूप माँ दुर्गा से महिषासुर का वध करने के लिए कहा। कई दिनों तक चलने वाले इस युद्ध में आंत में दुष्ट महिषासुर जैसे राक्षस का अंत हुआ इसी दिन को दशहरा कहा जाता है। नवरात्रि को वास्तविक रूप से माँ दुर्गा देवी और शैतान आत्मा के बीच होने वाले घमासान युद्ध जो की नौ दिन और रातों तक चली थी और दसवें दिन माँ दुर्गा के द्वारा महिषासुर पर विजय पायी गयी जिसे विजयादशमी से जाना जाता है। विजयादशमी का यह त्यौहार जिसका समापन माँ दुर्गा की मूर्ति को जल में समाहित करते हुए होता है। भारत आध्यात्मिक और माँ दुर्गा के जयकारे के साथ इस उत्सव को मनाता है।
दुर्गा पूजा और विजयदशमी निबंध (400 शब्दों में )
प्रस्तावना – भारत त्योहारों और मेलों की भूमि है। ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यहाँ विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं और वे सभी पूरे साल अपने-अपने त्योहारों और उत्सवों को मनाते हैं। यह इस ग्रह पर पवित्र स्थान है, जहाँ बहुत सी पवित्र नदियाँ हैं और बड़े धार्मिक त्योहारों और उत्सवों को मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा का महत्व- लोगों विशेष रुप से, पूर्वी भारत के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला नवरात्र (अर्थात् नौ रातों का त्योहार) या दुर्गा पूजा एक त्योहार है। यह पूरे देश भर में खुशहाली पूर्ण उत्सवों का वातावरण लाता है। लोग देवी दुर्गा की पूजा के लिए मंदिरों में जाते हैं या घर पर ही पूरी तैयारी और भक्ति के साथ अपने समृद्ध जीवन और भलाई के लिए पूजा करते हैं।
दुर्गा पूजा जो की हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है प्रत्येक साल बहुत ही धूम-धाम से घरों की सजावट और मंदिर पंडाल को अच्छे से सजा कर माँ दुर्गा के सम्मान और उनके राक्षस महिषासुर पर विजय प्राप्त कर बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। भगवान राम द्वारा रावण पर विजय प्राप्ति के लिए माँ दुर्गा की पूजा की गयी थी तभी से शक्ति स्वरूप माँ दुर्गा की पूजा दुश्मनों पर विजय प्राप्त करने के लिए की जाने लगी।
बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में दशमी मनाई जाती है ,महिषासुर जैसे दैत्य के संहार के लिए त्रिदेवों द्वारा माँ दुर्गा को महिषासुर वध के लिए बकाया गया उस दैत्य पर माँ दुर्गा ने 9 दिन तक चले इस घमासान युद्ध के बाद 10 वें दिन विजय पायी थी। कई दिनों तक चलने वाले इस युद्ध में आंत में दुष्ट महिषासुर जैसे राक्षस का अंत हुआ इसी दिन को दशहरा कहा जाता है। माँ दुर्गा जिन्हें शक्ति की देवी कहा जाता है पुरे भारत में इसे बड़े पैमाने पर धूम-धाम से मनाया जाता है।
यह सितम्बर, अक्तूबर में मनाया जाता है। माँ दुर्गा जिन्हें शक्ति का प्रतीक मन उन्होंने महिषासुर जैसे दैत्य का वध किया था बुराई का नाश करके माँ शक्ति ने अच्छाई को विजय दिलाई थी। माँ दुर्गा की पूजा को 3 दिनों तक की जाती है और इसके 4 दिन में माँ दुर्गा को नदी में विसर्जित किया जाता है।
निष्कर्ष –माँ दुर्गा की पूजा शक्ति प्राप्त करने की इच्छा से मनाया जाता है बुराई पर अच्छाई की जीत हो सके और संसार से बुराई का अंत हो इसकी कामना माँ दुर्गा से की जाती है। दुर्गा पूजा का यही सन्देश है की पापियों का अंत कर अच्छाई को संसार में चारों ओर विस्तारित किया जाये बुरी भावनाओं और बुरी प्रवृति का अंत हो। नव संचार और ऊर्जा के प्रवाह के लिए समय-समय पर त्योहारों का आयोजन होता है। माँ दुर्गा पूजा उन्हीं महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक धार्मिक त्यौहार है जिसका अपना विशेष महत्व है।
Essay on Durga Puja FAQ
दुर्गा पूजा उत्सव क्यों मनाया जाता है ?
दुर्गा पूजा का पर्व देवी माँ दुर्गा की बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष में मनाया जाता है।
माँ दुर्गा को अन्य किस नाम से जाना जाता है ?
माँ दुर्गा को महिषासुरमर्दिनी नाम से भी जाना जाता है ,इसके अलावा माँ दुर्गा को अपर्णा, अनीका, गौतमी, कमाक्षी, मलिनी नीयति आदि नाम से भी जानते हैं।
माँ दुर्गा को महिषासुरमर्दिनी की उपाधि कब प्राप्त हुई?
माँ दुर्गा द्वारा दानव महिषासुर का 9 दिन तक माँ दुर्गा के साथ चले वध के बाद 10 वे दिन महिषासुर का अंत कर बुराई पर विजय प्राप्त करने के बाद से माँ दुर्गा को महिषासुरमर्दिनी कहा जाने लगा।
महिषासुर कौन था ?
वह ब्रह्म ऋषि कश्यप का परपोता और रम्भ का पुत्र था। यह दानव अपने आकार को बदलकर बुरे कार्यों को करता था। स्वर्गलोक और पृथ्वीलोक पर इस राक्षस ने बहुत उत्पात मचाया था जिसका वध माँ दुर्गा द्वारा किया गया था।
देवी माँ दुर्गा और दानव महिषासुर के बीच कितने दिन युद्ध चला था ?
नौ दिनों तक माँ दुर्गा और दैत्य महिषासुर के मध्य युद्ध हुआ और अंत में 10 वें दिन माँ दुर्गा ने इस बुराई का अंत किया जिसे विजयादशमी के रूम में जाना जाता है