लोहड़ी पर निबंध: Lohri Essay in Hindi

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Reported by Dhruv Gotra

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जैसा की आप जानते है कि भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है क्योंकि भारत देश में विभिन्न प्रकार के पर्व मनाये जाते है। इसी प्रकार लोहड़ी का पर्व भी भारत देश में मनाया जाने वाला प्रमुख त्यौहार है। इस पर्व को खासतौर से पंजाबी लोग मनाते है लेकिन कुछ अन्य जगहों पर भी लोहड़ी का त्यौहार बहुत दी धूम-धाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यहाँ हम आपको लोहड़ी पर निबंध के माध्यम से लोहड़ी पर्व से जुडी समस्त जानकारी देने जा रहें है कि लोहड़ी का पर्व क्या है और क्यों मनाया जाता है ? इस त्यौहार को कौन लोग मनाते है ? और इस त्यौहार से संबंधित प्रचलित कथा क्या है? इन सभी के विषय में हम आपको विस्तारपूर्वक जानकारी देने जा रहें है।

लोहड़ी पर निबंध: Lohri Essay in Hindi
लोहड़ी पर निबंध: Lohri Essay in Hindi

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यदि आप भी लोहड़ी के उत्सव के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आप हमारे द्वारा लोहड़ी पर निबंध/Lohri Essay in Hindi/लोहड़ी फेस्टिवल एस्से से संबंधित जानकारी को ध्यानपूर्वक पूरा अंत तक पढ़िए।

लोहड़ी पर निबंध – Lohri Essay in Hindi

आपको बता दें कि लोहड़ी का त्यौहार पंजाबियों का प्रमुख त्यौहार है। इस पर्व को बहुत ही धूम-धाम से और नाचते गाते मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष इस त्यौहार को मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व मनाया जाता है। लोहड़ी का पर्व मनाने के पीछे बहुत सी ऐतिहासिक कथाएं प्रचलित है। जब पंजाब में फसल काटी जाती है और नई फसल बोई जाती है इसे किसानों के नया साल भी कहा जाता है और साथ इस लोहड़ी के पर्व मनाने के पीछे बहुत सी ऐतिहासिक और धार्मिक कथाओं को महत्व दिया जाता है जैसे की – सुंदरी-मुंदरी और डाकू दुल्ला भट्टी की कथा, भगवान श्री कृष्ण और राक्षसी लोहिता की कथा, संत कबीर दास की पत्नी लोई की याद में, आदि।

Lohri Essay in Hindi

यहाँ हम आपको लोहड़ी पर निबंध से जुडी कुछ जरूरी जानकारी देने जा रहें है। Lohri Essay in Hindi से संबंधित जानकारी आप नीचे दिए गयी सारणी के माध्यम से देख सकते है –

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लेखलोहड़ी पर निबंध
किसका प्रमुख पर्व हैपंजाबी लोगो का
त्यौहार का नामलोहड़ी
पहले क्या कहते थेतिलोड़ी
तिथिपौष मास की अंतिम रात्रि, मकरसंक्रांति की पूर्व संध्या
कब मनाया जाता है13 जनवरी

लोहड़ी से संबंधित प्रचलित कथा

एक बार की बात है दो अनाथ लड़कियाँ थी। एक लड़की का नाम सुंदरी और दूसरी का नाम मुंदरी था। सुंदरी और मुंदरी का एक चाचा भी था जो उनका विवाह विधिवत ढंग से करने के बजाय एक राजा को भेट स्वरूप देने चाहता है लेकिन उसी समय दुल्ला भट्टी नाम का एक डाकू भी हुआ करता था जो उन अनाथ लड़कियों को राजा को भेट होने से बचा लेता हो और उनके लिए योग्य वर की तलाश करके उनकी शादी पुरे विधिवत ढंग से कराता है और उनका कन्यादान भी स्वयं करता है। कन्यादान के रूप में दुल्ला भट्टी डाकू उनकी झोली में सेर शक्कर डालता है।

लोहड़ी पर्व मनाने के पीछे अन्य बहुत सी कथाएं प्रचलित है। कुछ लोगों का मानना है कि इस पर्व को संत कबीर दास जी की पत्नी लोई की याद में मनाया जाता है तो इसी प्रकार ऐसा भी कहा जाता है कि इसलिए लोहड़ी मनाई जाती है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का वध करने के उद्देश्य से कंश ने लोहिता नाम की एक राक्षसी को भेजा था परन्तु भगवान श्री कृष्ण खेलते-खेलते उस राक्षसी का ही वध कर देते है।

लोहड़ी का पर्व कब और कैसे मनाते है ?

लोहड़ी का पर्व हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है क्योंकि हर साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है इस प्रकार 14 जनवरी को लोहड़ी मनायी जाती है। ऐसा माना जाता है की उस समय से दिन छोटे और रातें लम्बी होने लगती है। लोहड़ी के दिन सभी लोग नए नए कपडे पहनते है और खुशी मनाते है।

इस दिन सभी लोग नाचते व गाते है। सभी लोग लोहड़ी के लिए उपले और लकड़ियाँ एक स्थान पर इकठ्ठा करके उसका ढेर बना लेते है और शाम के समय उनको जला कर उसकी परिक्रमा करते है। सभी माताएं अपने छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लेकर लोहड़ी की अग्नि की चक्कर लगाती है और अग्नि में मूंगफली, रेवड़ी, मेवे, गज्जक, पॉपकॉर्न आदि की आहुति देते है। ऐसा माना जाता है कि लोहड़ी के चक्कर लगाने से बच्चे को किसी की नजर नहीं लगती। किसानों द्वारा अपनी नई फसल का आहुति दी जाती है। प्रसाद के रूप में सभी लोगो में रेवड़ी, पॉपकॉर्न, मूंगफली का मिश्रण में बांटते हैं।

lohri essay in hindi

यह दिन नवविवाहित जोड़ो और नवजात शिशु के लिए बहुत ही ख़ास होता है क्योंकि इस दिन लड़की के घर वाले मूंगफली, रेवड़ी, मेवे, पॉपकॉर्न,कपड़े व मिठाई आदि भेजते है और इस शुभ दिन का आनंद उठाते है और भाँगड़ा करते है। इस दिन सभी लोग अपनी और अपने परिवार के खुशहाल जीवन की कामना करते है।

प्रसाद में प्रमुख चीजें

आपको बता दें कि लोहड़ी के पर्व का प्रसाद कुछ प्रमुख चीजों के मिश्रण से बनाया जाता है जैसे कि नीचे दिए गए पॉइंट्स के जरिये बताया गया है –

  • रेवड़ी
  • मूंगफली
  • पॉपकॉर्न
  • मेवे
  • लावा
  • तिल

भारत के किन-किन स्थानों पर मनाई जाती है लोहड़ी

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यहाँ हम आपको उन स्थानों के नाम बता रहें है जिन स्थानों पर लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। आप नीचे दिए गए पॉइंट्स के माध्यम से इनके विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते है –

  • पंजाब
  • दिल्ली
  • हरियाणा
  • पंजाब
  • जम्मू-कश्मीर
  • बंगाल
  • हिमाचल प्रदेश
  • ओडिशा
फसल की कटाई और बुआई

जैसा कि आप सभी जानते है कि पंजाब के लगभग सभी लोग खेती से जुड़े है। पंजाब में अधिक संख्या में किसान मिलेंगे और सभी किसान अपनी खेती में बहुत की मेहनत भी करते है। लोहड़ी के पर्व को सभी किसान अपनी फसल के कटने की ख़ुशी और साथ ही नयी फसल लगाने की खुशी में भी मनाया जाता है। लोहड़ी को किसानो का नया साल भी कहा जाता है। सभी किसान भाई और उनके परिवार ख़ुशी मनाते है और भंगड़ा करते है और साथ साथ बोलियाँ गाते है।

लोहड़ी पर निबंध

लोहड़ी भारत और पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र में सिखों और हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय त्योहार है। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार, शीतकालीन संक्रांति के अंत और माघ महीने की शुरुआत का प्रतीक है। लोहड़ी आमतौर पर जनवरी के 13वें दिन मनाई जाती है और इसे पंजाबी सांस्कृतिक कैलेंडर में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है।लोहड़ी की उत्पत्ति को रबी फसलों की फसल के उत्सव से जोड़ा जाता है, जिसमें गेहूं, गन्ना और सरसों शामिल हैं। यह त्योहार अग्नि के देवता अग्नि की पूजा से भी जुड़ा हुआ है, और इसे भरपूर फसल के लिए धन्यवाद समारोह माना जाता है।

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त्योहार एक अलाव जलाकर मनाया जाता है, जो अग्नि देवता का प्रतीक है। लोग अलाव के चारों ओर इकट्ठा होते हैं और प्रार्थना करते हैं। वे खुशी के उत्सव में आग के चारों ओर गाते और नृत्य भी करते हैं। लोहड़ी का पारंपरिक गीत “सुन्दर मुंदरिए हो” हर कोई गाता है। लोहड़ी दोस्तों और परिवार से मिलने और मिलने का भी समय है।लोहड़ी बांटने और देने का भी पर्व है। लोग दोस्तों और परिवार को मिठाई, गन्ना और पॉपकॉर्न बांटते हैं। यह फसल के सौभाग्य और आशीर्वाद को दूसरों के साथ बांटने का एक तरीका है।

लोहड़ी के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के अलावा, त्योहार की गहरी ऐतिहासिक जड़ें भी हैं। ऐसा कहा जाता है कि इसे प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता द्वारा मनाया जाता था, और ऐसा माना जाता है कि यह त्योहार हजारों वर्षों से मनाया जाता रहा है।आजकल, भारत और पाकिस्तान और यहां तक ​​कि विदेशों में विभिन्न समुदायों के लोग लोहड़ी समारोह में भाग लेते हैं। त्योहार क्षेत्र और समुदाय के आधार पर विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर, यह अधिक गंभीर और धार्मिक घटना है, जबकि अन्य में यह अधिक जीवंत और उद्दाम उत्सव है।

अंत में, लोहड़ी भारत और पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र में सिखों और हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार शीतकालीन संक्रांति के अंत और माघ महीने की शुरुआत का प्रतीक है। यह त्यौहार अग्नि के देवता अग्नि की पूजा से जुड़ा हुआ है, और इसे भरपूर फसल के लिए धन्यवाद समारोह माना जाता है। यह साझा करने और देने का त्योहार है और बसंत ऋतू आने का स्वागतोत्सव है

लोहड़ी पर निबंध से संबंधित कुछ प्रश्न और उनके उत्तर

लोहड़ी का त्यौहार कब मनाया जाता है ?

प्रत्येक वर्ष लोहड़ी का त्यौहार जनवरी माह में 13 तारीख को मनाया जाता है।

भारत में किन जगहों पर लोहड़ी फेस्टिवल सेलिब्रेट किया जाता है ?

लोहड़ी का पर्व भारत देश में बहुत-सी जगहों पर मनाया जाता है जैसे-
पंजाब
दिल्ली
हरियाणा
पंजाब
जम्मू-कश्मीर
बंगाल
हिमाचल प्रदेश
ओडिशा, आदि

लोहड़ी का पूर्व नाम क्या था ?

पहले लोहड़ी के त्यौहार को तिलड़ी के नाम से जाना जाता था।

लोहड़ी के पर्व का प्रसाद बनाने के लिए कौन-कौन सी चीजे प्रमुख है ?

प्रसाद बनाने के लिए कुछ प्रमुख चीज़ों के मिश्रण बनाया जाता है जैसे – रेवड़ी, मूंगफली, पॉपकॉर्न, मेवे, लावा, तिल, आदि।

Lohri की अग्नि में क्या डालते हुए परिक्रमा की जाती है ?

शाम के समय लोहड़ी के दिन सभी लोग इकट्ठे होते है और लकड़ियों और उपलों को जलाया जाता है और उस अग्नि में पॉपकॉर्न, मूंगफली, रेवड़ी, गज्जक आदि डाले जाते है और उस अग्नि की परिक्रमा की जाती है।

लोहड़ी व्याहना क्या होता है ?

इस पर्व पर जैसे कि बहुत से शरारती युवक दूसरे मोहल्ले में जाते है जहाँ पर लोहड़ी जलती दिखाई देते है वे वहां से जलती हुई लकड़ी को उठाकर ले आते है और अपने मोहल्ले की लोहड़ी की अग्नि में डाल देते है इसे ही लोहड़ी व्याहना कहा जाता है।

दुल्ला भट्टी कौन था ?

दुल्ला भट्टी एक डाकू था लेकिन वह अनाथ लड़कियों जिनका नाम सुंदरी और मुंदरी होता है। दुल्ला भट्टी उनके लिए योग्य वर की तलाश करके उनकी शादी करवा देता है और उनका कन्या दान करता है। कन्यादान में वह उनकी झोलियों में सेर शक्कर डालता है और एक पिता की तरह कन्यादान करके पिता की भूमिका अदा करता है।

Lohri कैसे मनाई जाती है ?

सभी लोग इस पर्व को नाचते व गाते और हसीं ख़ुशी के साथ मनाते है। सभी लोग लोहड़ी के लिए उपले और लकड़ियाँ एक स्थान पर इकठ्ठा करके उसका ढेर बना लेते है और शाम के समय उनको जला कर उसकी परिक्रमा करते है। सभी माताएं अपने छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लेकर लोहड़ी की अग्नि की चक्कर लगाती है और अग्नि में मूंगफली, रेवड़ी, मेवे, गज्जक, पॉपकॉर्न आदि की आहुति देते है। ऐसा माना जाता है कि लोहड़ी के चक्कर लगाने से बच्चे को किसी की नजर नहीं लगती। किसानों द्वारा अपनी नई फसल का आहुति दी जाती है। प्रसाद के रूप में सभी लोगो में रेवड़ी, पॉपकॉर्न, मूंगफली का मिश्रण में बांटते हैं।

दुल्ला भट्टी अनाथ लड़कियों की शादी क्यों करवा देता है ?

क्योंकि उन अनाथ लड़कियों का चाचा उन्हें भेट स्वरुप किसी राजा को सौपना चाहता है इसलिए उन्हें बचाने के लिए दुल्ला भट्टी उन लड़कियों की शादी करवा देता है।

जैसा की लेख में हमने आपको लोहड़ी पर निबंध से संबंधित जानकारी दी है और लोहड़ी पर्व से जुड़े मुख्य जानकारी भी दी है। अगर आप इस टॉपिक दे जुडी कोई अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आप नीचे दिए गए कमेंट सेक्शन में जाकर मैसेज करके पूछ सकते है। हमारे द्वारा आपके प्रश्न का उत्तर अवश्य दिया जायेगा। आशा करते है आपको हमारे द्वारा लोहड़ी पर निबंध पर दी गई जानकारी अच्छी लगी होंगी।

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