आज के समय में दुनिया प्रदूषण से परेशान है और इसके विभिन्न परिणामों से भी जूझ रही है। इसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए सभी देश अब प्रदूषण को कम करने का प्रयास कर रहे हैं। जिससे प्रदूषण की समस्या पर रोक लग सके। विभिन्न देशों की तरह ही हमारे देश में भी प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए बहुत से कदम उठाये जा रहे हैं। जिनके विषय में हम आगे बात करेंगे। इससे पहले हम जानेंगे की प्रदूषण होता क्या है? साथ ही प्रदूषण के प्रकार, इसके प्रभाव और इसकी रोकथाम के विषय में भी आगे बात करेंगे। आज इस लेख के जरिये हम आप को प्रदूषण की समस्या पर निबंध (Pradushan ki Samasya Nibandh) लिखना बताएंगे –
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प्रस्तावना
समय के साथ-साथ विज्ञान में नयी नयी खोजो की मदद से दुनिया ने बहुत तरक्की की है। पहले की तुलना में आज हमारे लिए बहुत से कार्य बेहद सरल हो चुके हैं और हमें अनेक सुविधाएं मिल चुकी है। लेकिन जहाँ हमें एक ओर अनको सुविधाएं मिली वही दूसरी तरफ हमारे लिए दूषित पर्यावरण में रहना दिन प्रतिदिन मुश्किल होता जा रहा है। इसीलिए कहते हैं की विज्ञान हमारे लिए कभी वरदान तो कभी अभिशाप है। फर्क पड़ता है तो इस बात से कि हम विज्ञान का उपयोग कैसे करते हैं?
यदि हम विवेक पूर्ण तरीके से विज्ञान का उपयोग करते हैं तो हम इससे होने वाले दुष्प्रभावों से बच सकते हैं। इसी तरह हमें विज्ञान से मिले तकनीक का सही और संतुलित इस्तेमाल करके इसके दुष्प्रभाव जैसे की प्रदूषण आदि से बचना होगा। साथ ही अपना भविष्य सुरक्षित रखने के लिए हमें देश दुनिया में फैले प्रदूषण को कम करना होगा।
प्रदूषण क्या है ? प्रदूषण की समस्या
प्रदूषण का अर्थ होता है कि पर्यावरण में विषैले, हानिकारक और जीवन के लिए खतरा माने जाने वाले तत्वों की अधिकता हो जाती है तो उसे ही प्रदूषण कहते हैं। अन्य शब्दों में समझें तो – जब प्रकृति के संतुलन में दोष उत्पन्न हो जाए तब हम इसे प्रदूषण कह सकते हैं। आज के समय में जल से लेकर वायु तक हमारा वातावरण दूषित हो चुका है। जिसका सीधा प्रभाव पूरी मानव जाति पर पड़ेगा।
प्रदूषण के प्रकार (Types of Pollution) / प्रदूषण की समस्या
प्रदूषण मुख्य रूप से 4 प्रकार के होते हैं। जिनमें जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आते हैं। इसके अतिरिक्त भी अन्य प्रकार के प्रदूषण हैं जो धीरे-धीरे करके आज के समय में मानव जाति के लिए खतरा बन रहे हैं। इनमें हम रेडियोधर्मी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण को शामिल कर सकते हैं। आइये अब इन प्रदूषणों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
1- जल प्रदूषण (Water Pollution)
जल हमारे जीवन के लिए बहुत आवश्यक है। लेकिन वर्तमान समय में जल प्रदूषण के चलते पीने का पानी बहुत ही कम रह गया है। जिसके अनेक कारण हैं। लेकिन जो पीने योग्य उपलब्ध जल राशि है वो भी दूषित होती जा रही है। और इन सब में से मुख्य कारण है – जल का प्रदूषित होना।
बात करें जल प्रदूषण की तो इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि जल निकायों (water bodies) के दूषित होने पर इसे जल प्रदूषण कहते हैं। जैसे कि झील, नदियाँ, समुद्र और भूजल का प्रदूषण आदि भी इसमें शामिल है। ऐसा इसलिए क्योंकि नदियों, जलाशयों, तालाबों आदि में कारखानों के अपशिष्ट व रासायनिक पदार्थ डाले जाते हैं। जिससे पानी दूषित हो जाता है। यही नहीं ये अलग-अलग प्रकार से मानव शरीर में पहुंचकर गंभीर बीमारियां उत्पन्न करता है।
2- वायु प्रदूषण (Air Pollution)
आज के समय में कारखानों, विभिन्न मोटर कार, बाइक आदि गाड़ियों से निकलने वाले धुएं के कारण वातावरण बहुत ही प्रदूषित हो चूका है। सबसे अधिक वायु प्रदूषण गाड़ियों के धुएं से हो रहा है। इसके अतिरिक्त भी बहुत सी विज्ञान द्वारा दी गयी ऐसी तकनीक हैं जिनका इस्तेमाल करने से भी हमारे क्रियाकलापों से वायु प्रदूषण हो रहा है।
जैसे की सभी को ज्ञात है कि वायु में सभी गैसें एक संतुलित मात्रा में मौजूद है। जो कि सामान्य रूप से इंसानों के लिए हानिकारक नहीं होती, लेकिन यदि किसी कारणवश ये संतुलन बिगड़ जाता है तो इससे वायु प्रदूषित हो जाती है। वायु प्रदूषण का प्रभाव हम दिल्ली, हरियाणा व आस- पास के क्षेत्रों में देख सकते हैं।
3- मृदा / भूमि प्रदूषण (Soil Pollution)
बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ उनके रहने और बसने के लिए धरती से जंगल हटाए जा रहे हैं। साथ ही इतने सभी मनुष्यों के अपशिष्ट व अन्य कचरा का बोझ भी धरती पर ही पड़ता है। जिस से धरती भी प्रदूषित हो रही है। भूमि प्रदूषण के अन्य बहुत से कारण होते हैं।
जैसे कि – खेती में इस्तेमाल होने उर्वरक और कीट नाशक, जिन्हें विभिन्न केमिकलों को मिलाकर बनाया जाता है। ये केमिकल ही धरती की उत्पादकता को खत्म करते हैं। इसके अतिरिक्त दैनिक इस्तेमाल होने वाली वस्तुएं जिन्हें दूसरी बार इस्तेमाल नहीं कर सकते जैसे कि – प्लास्टिक से बनी हुई वस्तुओं आदि से भी धरती को नुकसान हो रहा है।
4- ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution)
ध्वनि प्रदूषण का अर्थ आप इसके नाम से ही लगा सकते हैं। इसका अर्थ होता है ध्वनि से होने वाला प्रदूषण। आप ने ध्यान दिया होगा कि सड़कों पर चलने वाले वाहनों से निकलने वाली हॉर्न वाली आवाज़ें और जगह-जगह लगे हुए लाउडस्पीकर से होने वाले आवाज़ से ध्वनि प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है। जो कि इंसानों में सुनने की क्षमता और मानसिक बीमारियों की जड़ बनती जा रही है। इसके अतिरिक्त अनेक अवसरों जैसे शादी – विवाह, त्योहारों आदि पर लोग पटाखे जलाते हैं व तेज आवाज में संगीत सुनते हैं जिससे ध्वनि प्रदूषण होता है।
5 – रेडियोधर्मी प्रदूषण (Radioactive Pollution)
रेडियोधर्मी प्रदूषण रेडिएशन से होने वाला प्रदूषण है जो कि इंसानों के लिए खतरनाक है। मुख्य रूप रेडियोएक्टिव पदार्थों से निकलने वाले विकिरण जैसे कि यूरेनियम, थोरियम, प्लूटोनियम आदि से रेडियोएक्टिव प्रदूषण होता है।
इसके अलावा दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाले गैजेट्स / यंत्र आदि का इस्तेमाल करते हैं जैसे कि मोबाइल फ़ोन व अन्य ऐसे ही यंत्रों का उपयोग करते हैं तो इस से भी नाभिकीय प्रदूषण फैलता है।
6 – प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution)
प्रकाश प्रदूषण को ही फोटो पॉल्यूशन (photo pollution) के नाम से जाना जाता है। इसे चमकदार पॉल्यूशन के नाम से भी जाना जाता है। ये प्रदूषण मुख्य रूप से कृत्रिम प्रकाश के इस्तेमाल से बढ़ रहा है।
जैसे-जैसे विकास हो रहा है और शहरीकरण बढ़ रहा है, वैसे ही कृत्रिम प्रकाश की मांग भी अनेक अवसर पर बढ़ जाती है। जिस से आस पास के वातावरण पर इसका बुरा प्रभाव भी पड़ने लग गया है। इसका सबसे अधिक प्रभाव हमारे आस पास के जीव जंतुओं पर पड़ता है। जैसे की सड़क किनारे पेड़, उद्यान व उसमें लगे पेड़ पौधे, इसके साथ ही अन्य जीव जंतु जिनमें कीट पतंगे भी शामिल हैं उन पर भी चकाचौंध रौशनी से दुष्प्रभाव पड़ रहा है।
प्रदूषण के स्रोत और कारण (Sources And Causes Of Pollution)
वर्तमान में मानव जाति विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों से जूझ रही है। जिसके कारण भी कहीं न कहीं हम खुद हैं। आगे दिए गए छोटे-छोटे पॉइंट्स में हम इन कारणों को समझेंगे।
जल प्रदूषण : जल प्रदूषण के मुख्य कारण वर्तमान में निम्न हैं –
- नदियों, तालाबों व अन्य ऐसे ही जलाशयों में लोग नहाने, कपड़े धोने से लेकर शव बहाने तक का कार्य करते हैं।
- औद्योगिक कचरा जैसे कि कारखानों से निकलने वाला केमिकल व कचरा आदि नदियों में बहा देते हैं।
- कृषि में इस्तेमाल होने वाले केमिकल जो कि फसल को बचाने आदि के लिए प्रयोग किये जाते हैं।
- सीवेज, नदी नालों का पानी जो नदियों में बहा देते हैं। इससे जल दूषित हो जाता है।
- नदियों के किनारे गंदगी फैलाने से भी उस स्थान के पानी की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
- इसके अतिरिक्त कचरे के निपटान की अपर्याप्त व्यवस्था और पानी के बेहतर ट्रीटमेंट के लिए पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध न होना, आदि।
वायु प्रदूषण : वायु प्रदूषण फैलाने वाले विभिन्न कारण हैं जिनके बारे में आप आगे पढ़ सकते हैं –
- देश में लगने वाले विभिन्न उद्योगों के कारखानों से निकलने वाला धुआँ।
- गाड़ियों की बढ़ती संख्या, जिससे धुंए की मात्रा में बढ़ोतरी हो रही है।
- वनों की अंधाधुंध कटाई से वातावरण में आक्सीजन में कमी हो रही है। और अन्य हानिकारक गैस बढ़ रही हैं।
- परमाणु परीक्षण से भी वायु प्रदूषण बढ़ता है।
भूमि प्रदूषण :
- खेती में फसलों की मात्रा बढ़ाने या उत्पादकता में अधिकता लाने के लिए विभिन्न प्रकारों के केमिकल और उर्वरकों व कीट नाशक केमिकल का प्रयोग करने से भूमि प्रदूषण होता है।
- ऐसे पदार्थ जो भूमि में अवशोषित नहीं होते जैसे की प्लास्टिक आदि से भूमि प्रदूषण बढ़ता है।
- कारखानों से निकलने वाला ठोस कचरा।
- विभिन्न निर्माण जैसे की घर, भवन आदि में इस्तेमाल होने वाले अवशिष्ट पदार्थ का निपटान जैसे कि धातु, कांच, सेरामिक, सीमेंट आदि। ये भूमि में अवशोषित नहीं होते हैं।
ध्वनि प्रदूषण :
- परिवहन साधन जैसे की सड़कों पर चलने वाली गाड़ियां आदि से उत्पन्न होने वाली आवाज़ें जैसे की हॉर्न की आवाज़।
- कारखानों में चलने वाली मशीनों की आवाज।
- जहाँ निर्माण कार्य हो रहा हो। वहां से मशीन आदि की आवाज़।
- लाउड स्पीकर, डीजे आदि का इस्तेमाल, तेज आवाज़ में रेडियो टीवी या ऐसे ही कोई म्यूजिक सिस्टम का उपयोग।
- विभिन्न अवसरों पर होने वाली आतिशबाजी।
रेडियोएक्टिव प्रदूषण : खासकर परमाणु रिएक्टरों से होने वाले रिसाव, प्लूटोनियम तथा थोरियम के शुद्धिकरण, आणविक ऊर्जा संयंत्र, औषधि विज्ञान, नाभिकीय प्रयोग, रेडियोधर्मी पदार्थों के उत्खनन व परमाणु बमों के विस्फोट होने पर होता है।
प्रकाश प्रदूषण / फोटोपॉल्यूशन : कृत्रिम लाइट्स का अत्यधिक मात्रा में प्रयोग करना। कुछ खास अवसरों पर अत्यधिक प्रकाश वाली लाइट्स का उपयोग करना। जैसे कि गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाली अत्यधिक चमकदार रौशनी वाले बल्ब।
प्रदूषण के बुरे प्रभाव (Effects of Pollution)
वर्तमान में दुनिया भर में लोग प्रदूषण के चलते परेशान हैं। प्रदूषण से बहुत ही हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
- जल प्रदूषित होने से फसलें खराब होती हैं और साथ ही दूषित पानी किसी भी प्रकार से हमारे शरीर में जाने पर बीमारियों को जन्म देता है। साथ ही जल में रहने वाले जीव जंतुओं को भी नुकसान पहुंचाता है।
- ध्वनि प्रदूषण से इंसानों में मानसिक अस्थिरता और सुनने की क्षमता में कमी आती है।
- वायु प्रदूषण से न सिर्फ इंसानों को बल्कि अन्य जी जंतुओं के लिए भी खतरा होता है। इंसानों को सांस लेने में परेशानी, फेफड़ों से संबंधित बीमारियां होने लगती हैं।
- भूमि प्रदूषण से जमीन की उत्पादकता कम होती है।
- दूषित पदार्थ खाने से बीमारियां होती हैं, साथ ही अन्य आपदाएं जैसे कि भूस्खलन आदि की समस्या बढ़ जाती है।
- ओजोन लेयर, जो कि धरती पर जीवन बनाये रखने में मददगार होती है, उसे भी प्रदूषण के कारण नुकसान पहुंचा है।
प्रदूषण रोकने के उपाय (Measures To Prevent Pollution)
वर्तमान में प्रदूषण का स्तर देखते हुए सभी संभव प्रयास करने होंगे की जल्द से जल्द प्रदूषण की समस्या को खत्म किया जा सके। और इसके लिए जो बन पड़े वो सभी को अपने स्तर पर करना होगा। इसके लिए हम निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं –
- सबसे पहले तो हमें वृक्षारोपण करना होगा। जिससे वायु प्रदूषण को कुछ हद तक कम कर सकें।
- सीवेज को साफ़ करने के लिए सीवर शोधन यंत्रों का उपयोग कर नगरपालिका इस समस्या से छुटकारा दिला सकती है।
- किसी भी प्रकार का कूड़ा, कचरा या अवशिष्ट पदार्थों को पानी या खुले स्थान पर न डालें। साथ ही नदियों या जलस्रोतों के पास खासकर कचरा न फैलाएं जिनमें प्लास्टिक या फिर नॉन रीसायकल वाले पदार्थ हों।
- वृक्षों को लगाने से न केवल वायु प्रदूषण कम होगा बल्कि इससे ध्वनि प्रदूषण भी नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हरे पेड़ पौधे ध्वनि की तीव्रता को 10 से 15 डी.वी. तक कम करने में सक्षम होते हैं।
- सार्वजनिक वाहनों का अधिकतर उपयोग करना ज्यादा लाभकारी है। इससे वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और आदि में कमी आएगी।
- गाड़ियों के इंजन समय-समय पर चेक किये जाएँ व गाड़ियों की रेगुलर मरम्मत की जाए।
- शहरों की तरफ अत्यधिक पलायन को रोका जाए और इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में ही रोजगार उपलब्ध कराये जाए।
- नदियों और समुद्री तटों की नियमित सफाई कराये जाए।
- आम नागरिकों को भी अपने स्तर पर प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए आगे आना होगा।
- प्लास्टिक व अन्य ऐसी वस्तुओं का इस्तेमाल बिलकुल बंद कर दिया जाए। सरकार ने इस पर बैन भी लगा दिया है। सभी नागरिकों को इसका पालन करना चाहिए।
- ऐसा ईंधन प्रयोग करें जिसमें कम से कम धुआं निकले।
- जनसंख्या वृद्धि को भी नियंत्रित किया जाए।
प्रदूषण की समस्या से जुड़े प्रश्न उत्तर
Pollution / प्रदूषण क्या है कितने प्रकार के होते हैं?
प्रदूषण का अर्थ है कि हमारे वातावरण में दूषित करने वाले तत्वों की अधिकता होना, जो कि मानव जीवन के लिए हानिकारक हो। इसके 5 प्रकार है – वायु प्रदूषण (Air Pollution), ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution),भूमि प्रदूषण (Soil Pollution), जल प्रदूषण (Water pollution), रेडियोधर्मी प्रदूषण (Radioactive Pollution)
वायु प्रदूषण क्या है इसके प्रमुख कारण क्या है ?
जब वायु में मौजूद विभिन्न गैसों की संतुलित मात्रा से अधिक हो जाती है तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं। गैसों के असंतुलन से न सिर्फ मानव जीवन पर फर्क पड़ता है बल्कि पर्यावरण में अन्य जीव जंतुओं के लिए भी ये हानिकारक होता है। इसके प्रमुख कारणों में कारखानों से निकलने वाले धुंए, सड़कों पर चलने वाले गाड़ियों का धुआं आदि।
ध्वनि प्रदूषण क्या होता है ?
ध्वनि प्रदूषण अत्यधिक तीव्र आवाज के कारण होता है। जिससे सामान्य से अधिक आवाज के कारण लोगों को समस्या का सामना करना पड़े।
प्रदूषण का मुख्य स्रोत क्या है?
प्रमुख स्रोतों में ठोस अपशिष्टों का जलना, औद्योगिक कारखाने और खासकर परिवहन के साधन से उठने वाला धुआं हैं।
आज इस लेख में हमने आप को प्रदूषण की समस्या पर निबंध की जानकारी दी हैं। उम्मीद है आप को ये जानकारी उपयोगी लगी होगी। यदि आप ऐसे ही अन्य विषयों पर उपयोगी निबंध पढ़ना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट HINDI NVSHQ से जुड़ सकते हैं।