नदी पर निबंध हिन्दी में – Essay on River in Hindi

नदी पर निबंध:- प्रकृति में मौजूद नदी स्वच्छ जल का स्रोत नदी को माना गया है। दुनिया भर में बहुत सी सभ्यताएं नदी किनारे ही विकसित हुई हैं। आप जानते हैं की इस धरती पर जीवन के विकास में नदियों का अहम योगदान रहा है। नदियां हमारे लिए हमेशा से सहायक सिद्ध होती आयी हैं। ... Read more

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Reported by Rohit Kumar

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नदी पर निबंध:- प्रकृति में मौजूद नदी स्वच्छ जल का स्रोत नदी को माना गया है। दुनिया भर में बहुत सी सभ्यताएं नदी किनारे ही विकसित हुई हैं। आप जानते हैं की इस धरती पर जीवन के विकास में नदियों का अहम योगदान रहा है। नदियां हमारे लिए हमेशा से सहायक सिद्ध होती आयी हैं। जैसा की आप जानते हैं की अकसर विभिन्न भर्ती की प्रतियोगी परीक्षाओं में हिंदी के प्रश्न पत्र में निबंध-लेखन से संबंधित प्रश्न पूछ लिए जाते हैं। यदि आप भी किसी सरकारी भर्ती प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो हमारा यह आर्टिकल आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। आज के अपने इस लेख में हमने आपको नदी पर लिखे जाने वाले निबंध (Essay on River) के बारे में जानकारी प्रदान की है। यदि कभी आपके पास नदी पर निबंध लेखन से संबंधित प्रश्न आता है आप आर्टिकल में दिए गए नदी पर निबंध को समझकर एक बढ़िया निबंध लिख पाएंगे जिससे आप परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकें।

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प्रस्तावना (Preface):

नदी एक ऐसी प्रवाहित धारा जो न कृषि हेतु फसल उपजाति है बल्कि किसी भी सभ्यता के विकास में सहायक होती है। पुरातन समय से मनुष्य नदी को देवी-देवताओं के रूप में पूजता आया है। हम यह भी जानते हैं हमारे देश में बहुत से ऐसे ऋषि मुनि हुए हैं जिन्होंने नदी किनारे कड़ी तपस्या कर अध्यात्म और मोक्ष से संबंधित ज्ञान प्राप्त किया है।

नदी पर निबंध हिन्दी में - Essay on River in Hindi
Essay on River in Hindi

नदी किसे कहते हैं ?

नदी के महत्व को समझने से पहले आपको यह समझना होगा की नदी किसे कहा जाता है। भू वैज्ञानिकों ने नदी के सन्दर्भ में एक मानक परिभाषा तय की है। इस परिभाषा के अनुसार-“नदी भूमि की ऊपरी सतह पर बहती हुई वह जलधारा है जिसका स्रोत प्राकृतिक रूप से बने झील, हिमनद, झरना होते हैं।” आपको बताते चलें की नदी शब्द का उद्गम संस्कृत भाषा के शब्द नद्य से आया है। संस्कृत भाषा में नदी को एक और नाम से जाना जाता है वह है सरिता, तरिणी आदि।

नदी के कार्य:

नदियों को भूवैज्ञानिक आधार पर इसके कार्यों को तीन भागों में विभाजित किया गया है –

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  • अपरदन (erosion): अपरदन की क्रिया में नदी अपने साथ चट्टानों का विखंडन , जल एवं पवन का स्थानांतरण करती है। भू-वैज्ञानिकों के नदी की अपरदन क्रिया को चार भागों में बांटा है।
    • संक्षारण:
    • द्रवचालित क्रिया:
    • अपघर्षण
    • सन्निघर्षण:
  • नदी परिवहन: जब नदी के जल में घुलकर अपरदित पदार्थ एक स्थान से दूसरे स्थान तक बहकर चलें जाते हैं तो यह क्रिया नदी परिवहन कहलाती है।
  • नदी विक्षेपण: अब नदी के जल में मौजूद अपरदित पदार्थों के कारण नदी के प्रवाह तेज हो जाता है और नदी विभिन्न भागों में बंट जाती है। नदी विक्षेपण कहलाती है।
  • भू-गर्भ: जब भूमि के द्वारा बाढ़ या वर्षा का जल अवशोषित कर अपने अंदर समाहित कर लिया जाता है तो ऐसा जल भूगर्भीय जल कहलाता है।
नदी (River) कितने प्रकार की होती है ?

भू-वैज्ञानिकों ने नदियों को दो प्रकार में विभाजित किया है –

  • सदानीरा: सदानीरा उन नदियों को कहा जाता है जिनका स्त्रोत प्राकृतिक होता है यदि हम सरल भाषा में कहें की तो नदी का उद्गम स्थल प्राकृतिक होता है। गंगा, यमुना, कावेरी, ब्रह्मपुत्र, अमेज़न, नील आदि नदियां सदानीरा नदी का बेहतरीन उदाहरण हैं। सदानीरा नदियां वर्ष भर जल से भरी रहती हैं।
  • बरसाती नदियां: जिन नदियों का उद्गम बरसात के जल के कारण हुआ है उन्हें बरसाती नदियां कहा जाता है। यह नदियां बरसात के समय उत्पन्न होती हैं और बरसात का मौसम खत्म हो जाने पर समाप्त हो जाती हैं।

नदियों का हमारे जीवन में क्या महत्व है ?

  • आप तो जानते ही हैं की प्राचीन काल से नदियां हमारा भरण-पोषण करती आयी हैं। प्राचीन काल में ऋषि मुनि शान्ति की तलाश में नदी किनारे ही अपना स्थान बनाते थे और एकांत में बैठकर तपस्या करते थे
  • प्राचीन में व्यापार भी नदियों के द्वारा किया जाता था। सामान और वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में भू-मार्ग की बजाय जल मार्ग पर खर्च कम आता था इसलिए जल मार्ग का उपयोग अधिक किया जाता था।
  • नदियों ने हमेशा से ही निस्वार्थ भाव से मानव जाति की सेवा की है।
  • आज का आधुनिक मानव अपने स्वार्थ और विकास के लिए नदी जैसे प्राकृतिक संसाधन का दोहन करता जा रहा है। आज आप देखें की प्लास्टिक कचरा, फैक्ट्रियों का कचरा, महानगरों का सिविर का गंदा पानी सब नदियों में बहाया जा रहा है।
  • इस तरह के कचरे से नदियाँ प्रदूषित होती हैं और नदी में रहने वाले जलीय जीवों को नुकसान पहुँचता है।
  • प्रदूषण के कारण नदियों से हमें बाढ़ जैसे दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं जो मानव सभ्यता को बहुत नुकसान पहुंचाती है। यदि हमने समय रहते इन सब को रोकने के उपाय नहीं किये तो मानव सभ्यता का अंत निश्चित है।
  • नदियां हमें खेती हेतु उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी प्रदान करती है। कृषि हेतु जलोढ़ मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना गया है।
  • नदियां खेती की मिट्टी के साथ लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान करती है। आप देखेंगे की नदी में की जाने वाली बोटिंग, रिवर राफ्टिंग आदि कार्यों से पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलता है। यदि हम यह कहें की नदियां हमारे देश के आर्थिक विकास में अहम योगदान रखती हैं तो गलत नहीं होगा।
  • अपने देश भारत में यदि हम नदी के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व की बात करें तो बहुत से धार्मिक नगर वाराणसी, अयोध्या, मथुरा, नासिक, उज्जैन, गुवाहाटी, गया, पटना आदि नदियों के किनारे ही बसें हैं जहाँ प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु स्नान, पूजा आदि कार्यों के लिए आते हैं।
  • हमारे देश भारत में नदियों को जीवनदायिनी और मातृ स्वरूप माना गया है। लम्बे समय से हमारी आस्था नदियों से जुड़ी रही है।

दुनिया की सबसे लम्बी नदी कौन सी है ?

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नील नदी

दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दें की दुनिया की सबसे लम्बी नदी नील नदी (Nile River) है। जो अफ्रीका महाद्वीप के North-East (नार्थ-ईस्ट) क्षेत्र में बहती है। दुनिया की सबसे लम्बी नदी नील नदी की लम्बाई 6,650 किलोमीटर (4132 मील) है जो हमारे देश की सबसे लम्बी नदी गंगा से तीन गुनी है। आपको बता दें की नील नदी के नाम की उत्पत्ति यूनानी भाषा के शब्द “नीलोस” से हुआ है। नील नदी का उद्गम अफ्रीका के बहुत प्रसिद्ध ब्लू नील वाटर फॉल झरने से होता है और यह नदी अफ्रीका के मिश्र, युगाण्डा, इथियोपिया, सूडान जैसे देशों से होकर गुजरती है। इसके बाद नदी का अंतिम स्थान भूमध्य सागर है जहाँ नदी डेल्टा बनाकर भू मध्य सागर से मिल जाती है।

भारत की कुछ प्रमुख नदियां:

भारत में नदियों को पवित्र और पूजनीय माना जाता है। मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक के सभी धर्म के कार्यों में नदियों का अपना ही महत्व है। आप देखें की जब मनुष्य की मृत्यु हो जाती है और मनुष्य का दाह संस्कार कर दिया जाता है तो दाह संस्कार के बाद मनुष्य का अस्थि विसर्जन नदी में किया जाता है। मान्यता है की नदियों में प्रवाहित की गयी अस्थियों से मृतक की आत्मा को मोक्ष मिलता है। यहाँ लिस्ट में हमने आपको भारत की कुछ प्रमुख पवित्र नदियों के बारे में बताया है आप देख सकते हैं –

क्रमांक नदी नदी की लम्बाई
1गंगा नदी2,510 किलोमीटर
2यमुना नदी1,375 किलोमीटर
3गोदावरी नदी1,465 किलोमीटर
4कावेरी नदी805 किलोमीटर
5महानदी900 किलोमीटर
6तुंगभद्रा नदी531 किलोमीटर
7हुगली नदी260 किलोमीटर
8नर्मदा नदी1,312 किलोमीटर
9चम्बल नदी960 किलोमीटर
10ब्रह्मपुत्र नदी2,880 किलोमीटर
निष्कर्ष (Conclusion):

दोस्तों आज आपने इस लेख नदी के बारे में जाना। यदि नदियां साफ़ एवं स्वच्छ होंगी तो हमारा प्राकृतिक वातावरण भी शुद्ध होगा। बिना जल और नदियों के इस धरती पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। धरती पर अपने जीवन के अस्तित्व को बचाने के लिए हमें नदी संरक्षण कार्यक्रम के तहत लोगों को जागरूक करना होगा।

नदी (River) से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण रोचक तथ्य:

  • दुनिया में ऐसे 18 देश हैं जहाँ एक भी नदी नहीं है।
  • उत्तरी अमेरिका की सबसे लम्बी नदी का नाम है मिसौरी नदी
  • दुनिया में बांग्लादेश को नदियों की भूमि कहा जाता है। आपको बता दें की बांग्लादेश में लगभग 700 से अधिक नदियां हैं।
  • अमेरिका में बहने वाली रो रिवर. ये मोंटाना दुनिया की सबसे छोटी नदी है। इस नदी की लम्बाई 201 फ़ीट (61 मीटर) है।

नदी से संबंधित प्रश्न एवं उत्तर (FAQs):

नदी के पर्यायवाची शब्द कौन से हैं ?

नदी –
तरिणी
तरंगवती
अपगा
निम्नगा
तरंगिनी
प्रवाहिनी
द्वीपवती
लरमाला
नदिया
निर्झरणी
जलमाला
शैवालिनी
कूलंकषा
नद
सरिता

हमारे देश की राष्ट्रीय नदी कौन सी है ?

भारत की राष्ट्रीय नदी गंगा है।

गंगा की लम्बाई कितनी है ?

भारत की पवित्र नदियों में से एक माने जाने वाली गंगा की लम्बाई (भारत से लेकर बांग्लादेश तक) 2,525 किलोमीटर है।

दुनिया की सबसे बड़ी नदी कौन सी है ?
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दुनिया की सबसे बड़ी नदी साउथ अमेरिका महाद्वीप की अमेज़न (Amazon) नदी है। यहाँ बड़ी का मतलब नदी की चौड़ाई से है। जिसकी लम्बाई 6,400 किलोमीटर है।

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