गोल गुम्बद का इतिहास – Gol Gumbaz History in Hindi

हमारे देश भारत में ऐसे कई इमारते और स्मारक हैं जो अपने आप में अभूतपूर्व हैं और अपनी खूबसूरती व खासियतों के लिए विश्वभर में जानी जाती हैं। इनमे से आप ने ताजमहल के बारे में सुना होगा, जो कि सफ़ेद संगमरमर से बनी सबसे खूबसूरत कृति है। ऐसे ही एक अन्य स्मारक है जिसे ... Read more

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Reported by Rohit Kumar

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हमारे देश भारत में ऐसे कई इमारते और स्मारक हैं जो अपने आप में अभूतपूर्व हैं और अपनी खूबसूरती व खासियतों के लिए विश्वभर में जानी जाती हैं। इनमे से आप ने ताजमहल के बारे में सुना होगा, जो कि सफ़ेद संगमरमर से बनी सबसे खूबसूरत कृति है। ऐसे ही एक अन्य स्मारक है जिसे गोल गुम्बद (Gol Gumbaz) के नाम से जाना जाता है।

गोल गुम्बद का इतिहास - Gol Gumbaz History in Hindi
Gol Gumbaz History in Hindi

ये एक मकबरा है जो कर्णाटक के बीजापुर में स्थित है। और आज हम आप को इस लेख में गोल गुम्बज के बारे में ही बताएंगे। आखिर क्यों ख़ास है गोल गुम्बद और इसकी कौन कौन सी ऐसी विशेषताएं हैं जो इसे देश विदेश में एक अलग पहचान बनाती है? साथ ही आप ऐसी ही अन्य संबंधित जानकारियां भी लेख के माध्यम से पढ़ सकते हैं।

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जानिए gol gumbaz bijapur के बारे में

Bijapur Gol Gumbaz एक मकबरा है जिसका निर्माण बीजापुर के सुलतान मुहम्मद आदिल शाह द्वारा कराया गया था। यह उनकी मृत्यु के बाद उन्हें इसी गोल गुम्बद में दफनाया गया है। साथ ही उनकी दोनों बीवियों और नवासों के अंतिम विश्रामगृह के रूप में भी इसे जाना जाता है। इसका निर्माण गहरे स्लेटी बेसाल्ट से किया गया है। इस गोल गुम्बद का निर्माण सन 1656 AD में पूर्ण हो गया था।

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बीजापुर स्थित गोल गुम्बद का निर्माण एक फ़ारसी वास्तुकार दाबुल के याक़ूत द्वारा किया गया था। अपनी स्थापत्य विशेषताओं के चलते इसे दक्खिन वास्तुकला का विजय स्तंभ भी माना जाता है। इसके निर्माण में 30 वर्ष का समय लगा था। निर्माण कार्य की अवधि 1926 से सन 1956 तक की थी। इसके साथ ही ये आदिल शाही वंश के मकबरों में से इस प्रकार का एकमात्र उदाहरण है।

बीजापुर गोल गुमट / गुम्बद की संरचना

बीजापुर गोल गुम्बद, जो कि एक मकबरा है, का निर्माण 1956 में पूरा हुआ था। इसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गुम्बद मन जाता है। इसका कुल क्षेत्रफल 1,700 मी (18,000 वर्ग फुट) है। 47.5 मीटर (156 फीट) की भुजाओं वाले एक घन में जिसके ऊपर स्तिथ 44 मी॰ (144 फीट) बाहरी व्यास वाला एक विशाल गुम्बद है। इस मकबरे के चारों तरफ के कोने में चार मीनारें खड़ी की गयी हैं। ये सात मंजिला मीनारें हैं जिनके ऊपर बुर्ज स्थित है। ये मीनारें अष्टकोणीय हैं। जिनके अंदर सीढ़ीयों का भी निर्माण कराया गया है। ये चारों ही मीनारें गुम्बद के ऊपरी तक पर गुम्बद के गिलयारे में खुलती हैं।

मकबरे के मुख्य हॉल के अंदर चारों ओर एक चौकोर चबूतरा है जो कि सीढ़ियों से ढका है। इसी चबूतरे के बिल्कुल मध्य में कब्र का पत्थर देख सकते हैं जिसके नीचे असली कब्र बनाई गयी थी। बता दें कि छत से गुम्बद में जाने के लिए कुल आठ दरवाजे हैं।

क्यों ख़ास है गोल गुम्बज ? जानिए गोल गुम्बद की खासियत

जैसे कि आप ने जाना कि ये गुम्बद पूरे विश्व में दूसरा सबसे बड़ा गुम्बद, इससे पहले नाम आता है रोम के पेंथियन सेंट पीटर-गिरजा के गुम्बद का। भारत के कर्णाटक में स्थित गोल गुम्बद रोम के सेंट पीटर चर्च से कुछ ही छोटा है। बात करें इस गुम्बद की खासियत की तो ऐसे बहुत से तथ्य हैं जो आज भी इस संरचना के प्रति कौतुहल पैदा करते हैं।

जैसे कि गुम्बद की चौड़ाई ही देखें तो ये बहुत ही विशाल है। बीजापुर के इस गोल गुम्बद का व्यास 44 मीटर है। गुम्बद के अंदरूनी हिस्से में कोई भी सहारा नहीं दिया गया है, जो अपने आप में आश्चर्यजनक है। दीवारों पर कई डिज़ाइन या संरचनाएं बनाई गयी हैं जिनका उद्देश्य बाहरी दीवारों पर इसके भार को कम करने और गुम्बद के पूरे भार को इसके भीतरी ओर रखना है।

इसकी दूसरी खासियत है कि यहाँ एक ऐसा गलियारा भी है जिसे फुसफुसा गैलरी के नाम से भी जानते हैं। इस गलियारे की खासियत है की यहाँ कोई भी आवाज़ 7 बार गूंजती है। यही नहीं इस आवाज को आप दूसरी तरफ से भी बिलकुल साफ़ सुन सकते हैं। यानी एक तरफ से दूसरी तरफ से आवाज आसानी से सुनी जा सकती है। बताते हैं कि गायक इसी गलियारे में अपनी गायन प्रतिभा का परिचय देते थे। या यूँ कहें की वो यहाँ बैठकर गाना गाते थे जिससे उनका संगीत हर तरफ पहुँच सके।

गोल गुम्बद में बताते हैं कि किसी व्यक्ति की पदचाप भी ऐसी सुनाई पड़ती है मानों बहुत से व्यक्ति साथ चल रहे हों। वहीँ अगर कोई जोर से हंसे तो भी ऐसा लगेगा जैसे कोई शोर मचा रहा हो और तो और कागज को फाड़ने की आवाज़ भी किसी बिजली के कड़कने की आवाज सी सुनाई देती है और इसी वजह से कोई भी दो व्यक्ति गुमबद के भीतर दूर खड़े होकर बात नहीं कर सकते क्यूंकि ऐसे में आवाज साफ न आकर किसी प्रकार के शोर जैसी भी लग सकती है।

गोल गुम्बद/ Gol Gumbaz से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • Gol Gumbaz भारत के कर्नाटक में बीजापुर शहर में स्थित है।
  • ये आदिलशाही वंश के सातवें शासक मुहम्मद आदिलशाह का मक़बरा है।
  • गोल गुमट को बनने में करीब 30 वर्ष का समय लगा था। जिसका निर्माण 1926 से लेकर 1956 तक किया गया है।
  • विश्व का दूसरा सबसे बड़ा और भारत का सबसे बड़ा गुम्बद है गोल गुम्बद।
  • गोल गुंबज जे ऊपर से पूरा बीजापुर देखा जा सकता है।
  • यहाँ पहुँचने के लिए रेल मार्ग, सड़क मार्ग, और हवाई मार्ग तीनों की सुविधा उपलब्ध है। आप यहाँ किसी का भी उपयोग करके बेलगाम तक पहुँच सकते हैं। जिसके बाद आप को सड़क मार्ग से बीजापुर पहुंचना होगा।
  • बीजापुर का गोल गुंबज Gol Gumbaz एक ऐतिहासिक धरोहर है जहाँ हर साल लाखों लोग इसे देखने आते हैं।

गोल गुम्बद से जुड़े प्रश्न उत्तर

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भारत में सबसे बड़ा गुंबज कौन सा है?

हमारे देश में बीजापुर, कर्णाटक में स्थित गोल गुंबद देश का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गुम्बद है।

विश्व का सबसे बड़ा गुम्बज कौन सा है ?

विश्व का सबसे बड़ा गुम्बद अमेरिका में है जिसे एस्ट्रो गुम्बद के नाम से जाना जाता है।

गोल गुम्मट किसका है?

ये अद्वितीय मकबरा आदिलशाही वंश के सांतवे शासक मुहम्मद आदिल शाह का है। जो कि दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक के विजयपुरा (भूतपूर्व बीजापुर) शहर में स्थित है। यही मकबरा गोल गुम्बद, गोल गुम्बज या गोल घुमट के नाम से जाना जाता है।

गोल गुम्बज क्यों विशेष है ?

ये इसलिए विशेष है – सात मंजिला अष्टकोणीय मीनार, चारों कोनों पर स्थित है और पैरापेट के नीचे भारी कोष्ठक कॉर्निस लगे हैं हैं। इसके साथ ही अद्भुत फुसफुसाहट गैलरी में कोई भी ध्वनी स्पष्ट रूप से 11 बार गूंजती है।

आज इस लेख के माध्यम से आप ने गोल गुम्बज / Gol Gumbaz के बारे में जाना। उम्मीद है आप को ये जानकारी पसंद आयी होगी। यदि आप ऐसे ही अन्य जानकारियों को पढ़ने के इच्छुक हैं तो आप हमारी वेबसाइट Hindi NVSHQ पर विजिट कर सकते हैं।

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