नई दिल्ली। ग्रामीण भारत में जमीन और मकानों के मालिकाना हक की अस्पष्टता के चलते लंबे समय से विवाद और मुकदमेबाजी होती रही है। केंद्र सरकार ने इन विवादों को खत्म करने और ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन-मकान का स्पष्ट मालिकाना हक दिलाने के लिए स्वामित्व योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत ड्रोन और जीआईएस तकनीक के माध्यम से गांवों का सर्वेक्षण किया जा रहा है और 2026 तक करीब 2.19 करोड़ स्वामित्व कार्ड बांटने का लक्ष्य तय किया गया है।
केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने बताया कि सरकार अब तक 1.37 करोड़ स्वामित्व कार्ड बांट चुकी है और हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 50,000 गांवों में 58 लाख कार्ड वितरित किए।
कर्ज की सुविधा के लिए शुरु हुई योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल 2020 में स्वामित्व योजना की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य गांवों में बसे क्षेत्रों (गैर-कृषि भूमि) के लिए राजस्व दस्तावेजों में अधिकारों का रिकॉर्ड तैयार करना है। भूमि स्वामित्व की स्पष्टता न होने से ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपनी संपत्तियों को गिरवी रखकर कर्ज नहीं ले पाते। ऐसे में वित्तीय संस्थान उन्हें उधार देने में हिचकिचाते हैं। इस योजना के माध्यम से सरकार संपत्ति को क्रेडिट लिंक करने की सुविधा देना चाहती है, ताकि ग्रामीण आसानी से आर्थिक गतिविधियों में भाग ले सकें।
भारद्वाज ने बताया कि यदि संपत्ति का स्वामित्व स्पष्ट होगा तो बैंकों से कर्ज लेना आसान होगा। इसके साथ ही संपत्ति के मॉनेटाइजेशन में भी आसानी होगी और संपत्ति विवादों में कमी आएगी।
3.45 लाख गांवों का होगा सर्वेक्षण
इस योजना के तहत भारत के 3.45 लाख गांवों को कवर किया जाएगा। अब तक 3.17 लाख गांवों का ड्रोन तकनीक से सर्वेक्षण किया जा चुका है। सचिव ने बताया कि ड्रोन और आधुनिक तकनीकों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी वाली जमीनों का सीमांकन किया जा रहा है। इसके बाद प्रत्येक परिवार को उनकी संपत्ति का अधिकार पत्र यानी स्वामित्व कार्ड सौंपा जाएगा।
2026 तक सभी गांव होंगे शामिल
सरकार का लक्ष्य 2026 तक सभी गांवों को इस योजना के दायरे में लाना है। हालांकि, योजना को लागू करने में कुछ राज्यों ने रुचि नहीं दिखाई है। पश्चिम बंगाल, बिहार, तेलंगाना, मेघालय और नगालैंड ने इस योजना में हिस्सा नहीं लिया है, जबकि तमिलनाडु ने इसे केवल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया है।
स्वामित्व कार्ड से क्या होंगे फायदे?
- ग्रामीण संपत्तियों का स्पष्ट दस्तावेज तैयार होगा।
- बैंकों से कर्ज लेने में सुविधा होगी।
- संपत्ति विवादों में कमी आएगी।
- आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा।
- ग्रामीण विकास की नई संभावनाएं खुलेंगी।
मार्च 2026 तक लक्ष्य
सरकार मार्च 2026 तक 2.19 करोड़ स्वामित्व कार्ड वितरित करने की योजना बना रही है। इनमें से 1.37 करोड़ कार्ड पहले ही बांटे जा चुके हैं। योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण भारत को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और संपत्ति अधिकारों की स्पष्टता प्रदान करना है।
FAQs
1. स्वामित्व योजना क्या है?
स्वामित्व योजना एक सरकारी पहल है जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन और मकानों के मालिकाना हक का रिकॉर्ड तैयार करना और संपत्ति अधिकारों की स्पष्टता प्रदान करना है।
2. स्वामित्व कार्ड से क्या लाभ होंगे?
स्वामित्व कार्ड से ग्रामीणों को बैंकों से कर्ज लेने में सुविधा मिलेगी, संपत्ति विवादों में कमी आएगी और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा।
3. योजना के तहत कितने गांव कवर किए जाएंगे?
योजना के तहत भारत के 3.45 लाख गांवों को कवर किया जाएगा।
4. यह योजना कब तक पूरी होगी?
योजना का लक्ष्य मार्च 2026 तक सभी 3.45 लाख गांवों में स्वामित्व कार्ड वितरित करना है।
5. ड्रोन तकनीक का क्या उपयोग है?
ड्रोन तकनीक का उपयोग ग्रामीण संपत्तियों के सीमांकन और उनके सटीक नक्शे बनाने के लिए किया जा रहा है।
6. कौन से राज्य इस योजना में शामिल नहीं हैं?
पश्चिम बंगाल, बिहार, तेलंगाना, मेघालय और नगालैंड ने इस योजना में हिस्सा नहीं लिया है।
7. अब तक कितने कार्ड बांटे जा चुके हैं?
सरकार अब तक 1.37 करोड़ स्वामित्व कार्ड बांट चुकी है।
8. यह योजना आर्थिक रूप से कैसे मदद करेगी?
यह योजना संपत्तियों को क्रेडिट से जोड़कर ग्रामीणों को वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेने में मदद करती है, जिससे वे आर्थिक गतिविधियों को आगे बढ़ा सकते हैं।