महाराणा प्रताप जीवनी – Biography of Maharana Pratap in Hindi Jivani

Photo of author

Reported by Rohit Kumar

Published on

पुराने समय से ही राजस्थान वीरों की भूमि की रही है और इस वीर भूमि जन्में एक वीर योद्धा थे महाराणा प्रताप। महाराणा प्रताप भारत के एक महान वीर योद्धा और उदयपुर कुम्भलगढ़ दुर्ग मेवाड़ (Mewar), राजस्थान के राजा थे।

जिन्होंने मुग़ल बादशाह अकबर की आधीनता को स्वीकारने से मना कर दिया था। जीवन के अंतिम समय तक राणा ने मुग़लों के काफी संघर्ष किया महाराणा प्रताप ने युद्ध में मुग़लों कई बार हराया था। महाराणा प्रताप के शौर्य के आगे मुगलों ने घुटने तक दिए थे।

maharana pratap ki veerta aur shaury
महाराणा प्रताप की वीरता और शौर्य का समग्र इतिहास

दोस्तों यह तो आप जानते ही हैं की इतिहास में दर्ज महाराणा प्रताप का नाम बड़े ही सम्मान पूर्वक लिया जाता है। जैसा की आपको पता होगा की मुग़ल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच लड़ा गया हल्दी घाटी का युद्ध सुप्रसिद्ध है।

दोस्तों ऐसे महान वीर योद्धा के बारे में जानना और पढ़ना हम सभी को जीवन की कठिनाइयों से लड़ने को प्रेरित करता है। हमें ऐसे महान वीर योद्धा के बारे में जरूर जानना चाहिए।

व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp

दोस्तों आज के आर्टिकल में हम आपको इन्हीं महान वीर योद्धा Maharana Pratap के शौर्य, इतिहास, जीवन आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं। यदि आप भी कुंभलगढ़ दुर्ग (किला) के राजा महाराणा प्रताप के बारे में जानना चाहते हैं तो हम आपसे अनुरोध करेंगे की आर्टिकल को ध्यानपूर्वक अंत तक जरूर पढ़ें।

महाराणा प्रताप का जीवन परिचय (Biography)

पूरा नाम (Full Name)महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया
उपनाम (Nick Name)कीका
जन्मतिथि (Date of birth)9 मई 1540 (हिन्दू पंचांग के अनुसार – बैशाख 19, 1462)
उम्र (Age)57 वर्ष (मृत्यु के समय)
जन्मस्थान (Birth Place)कुम्भलगढ़ दुर्ग, राजसमंद जिला, राजस्थान, भारत
वंश एवं घरानासिसोदिया राजपूत
मृत्यु (Death)19 जनवरी 1597 (हिन्दू पंचांग के अनुसार – पौष 29, 1518)
मृत्यु स्थान (Death of Place)चावंड, उदयपुर जिला, राजस्थान, भारत
धर्म (Religion)हिन्दू सनातन धर्म

महाराणा प्रताप का परिवार (Family):

पिता जी का नाम (Father’s Name)महाराणा उदयसिंह
माता जी का नाम (Mother’s Name)महारानी जयवंता बाई
भाई (Brother’s)शक्ति सिंह
खान सिंह
विरम देव
जेत सिंह
राय सिंह
जगमल
सगर
अगर
सिंहा
पच्छन
नारायणदास
सुलतान
लूणकरण
महेशदास
चंदा
सरदूल
रुद्र सिंह
भव सिंह
नेतसी सिंह
बेरिसाल
मान सिंह
साहेब खान
महाराणा प्रताप की पत्नियां (Wives)महाराणा प्रताप की 14 पत्नियां थीं जिनके नाम इस प्रकार से हैं –
अजबदे पंवार
फूल बाई राठौर
अमरबाई राठौर
जसोबाई चौहान
आलमदेबाई चौहान
चंपाबाई झाटी
लखाबाई
खींचण आशा बाई कंवर
सोलनखिनीपुर बाई
शाहमतीबाई हाड़ा
रत्नावतीबाई परमार
माधो कंवर राठौड़
रणकंवर राठौड़
भगवत कंवर राठौड़
बच्चे (children’s)महाराणा प्रताप के कुल 17 बेटे थे जिनके नाम इस प्रकार से हैं –
अमर सिंह
भगवानदास
सहसमल
गोपाल
काचरा
सांवलदास
दुर्जनसिंह
कल्याणदास
चंदा
शेखा
पूर्णमल
हाथी
रामसिंह
जसवंतसिंह
माना
नाथा
रायभान
बेटियांमहाराणा प्रताप की कुल 5 बेटियां थीं जिनके नाम इस प्रकार से है –
रखमावती
रामकंवर
कुसुमावती
दुर्गावती
सुक कंवर
परपोता या परनातीजगत सिंह प्रथम

महाराणा प्रताप की शक्ति, कवच और भाला:

  • महाराणा प्रताप की युद्ध क्षमता और शक्ति का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है की मुग़ल बादशाह अकबर की विशाल सेना जिसमें 85,000 से अधिक सैनिक बल था उस सेना को महाराणा प्रताप की 20,000 की छोटी सेना ने हरा दिया था।
  • लगातार 30 सालों तक चलें मुग़लों और राणा के बीच चले संघर्ष में मुग़ल कभी महाराणा प्रताप को बंदी नहीं बना सके।
  • महाराणा प्रताप के युद्ध – कौशल की प्रशंसा मुग़ल बादशाह भी किया करते थे।
  • आपकी जानकारी के लिए बता दें की महाराणा प्रताप के पास एक बहुत ही लम्बा और भारी भाला था माना जाता है जिसका वजन 81 किलो था। हर युद्ध में राणा इसी भाले का उपयोग किया करते थे।
  • इसी क्रम में यदि हम बात करें महाराणा प्रताप के कवच की तो राणा के लोहे के बने छाती के कवच का वजन 72 किलो था। राणा की युद्ध पोशाक का वजन ही 208 किलो था। जिसमें भाला, कवच, ढाल और दो तलवारें सदैव ही शामिल रहती थीं।
  • इतने भारी कवच को पहनने वाले महाराणा प्रताप के स्वयं का वजन 110 किलो, लम्बाई 7 फ़ीट 5 इंच थी। सबके लिए यह आश्चर्य की बात है की राणा इतने सारे वजन के साथ युद्ध क्षेत्र में कैसे लड़ते थे।

Maharana Pratap के कुल देवता

  • महाराणा प्रताप राजपूत वंश सिसोदिया के राजा थे जिनके कुल देवता एकलिंग भगवान शिव जी हैं। मेवाड़ में हुए राजाओं के लिए शिव जी अपना ही एक अलग महत्त्व होता था। आपको बताते चलें की राजस्थान के उदयपुर में भगवान शिव का पुरातन स्थापत्य कला शैली में बना प्रसिद्ध मंदिर है। इतिहासकारों का मानना है की भगवान महादेव शिव मंदिर की स्थापना मेवाड़ के संस्थापक बप्पा रावल ने 8वीं शताब्दी में की थी।

महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक (Coronation):

  • महाराणा प्रताप के पिता उदय सिंह ने अकबर से डरकर मेवाड़ त्याग दिया था क्योंकि अकबर ने मेवाड़ पर कब्ज़ा कर लिया था। मेवाड़ छोड़ने के बाद उदय सिंह और उनका परिवार राजस्थान की अरावली पर्वत की पहाड़ियों में जाकर बस गए थे जहाँ उन्होंने उयदयपुर को अपनी राजधानी बनाया। लेकिन जब उदय सिंह का अंत समय नजदीक था उन्होंने अपने छोटे बेटे को राजगद्दी पर बिठाने का फैसला किया जो की राजघराने के नियमों के खिलाफ था।
  • परन्तु राजा उदय सिंह की मृत्यु के बाद सभी राजपूत सरदारों ने मिलकर यह निर्णय लिया महाराणा प्रताप राजा बनने के लिए पूरी तरह से योग्य है जिसके बाद 1628 फाल्गुन शुक्ल 15 अर्थात 1 मार्च 1576 को गोगुंदा में राणा का राज्याभिषेक कर मेवाड़ का राजा नियुक्त कर दिया गया।

महाराणा प्रताप और उनका घोड़ा

महाराणा प्रताप और उनका घोड़ा
  • जैसा की आप जानते हैं की महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक (Chetak) था। चेतक राणा को सबसे प्रिय था। इतिहासकारों के मुताबिक़ चेतक बहुत ही समझदार घोड़ा था। ऐसा माना जाता है की चेतक ने हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की जान बचाने के लिए 25 फीट गहरी नदी में छलांग लगा दी थी।
  • चेतक ऐसा घोड़ा था की जो इतना लंबा और ऊंचा था की जिसकी पैरों के टाप की पहुँच हाथी की सूंड तक पहुँचती थी जिससे राणा हाथी पर बैठे दुश्मन से भी लड़ जाते थे। इतिहासकारों के मुताबिक़ चेतक की ऊंचाई 7 फ़ीट से भी अधिक थी।
  • दोस्तों आपको बता दें की हल्दी घाटी के युद्ध में मुगलों से लोहा लेते हुए महाराणा प्रताप बुरी तरह से घायल हो गए थे जिस कारण उन्हें युद्धभूमि छोड़नी पड़ी लेकिन इस युद्ध में चेतक भी काफी घायल हो गया था जो अंत में मृत्यु को प्राप्त हुआ।
  • हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार श्याम नारायण पांडेय जी ने महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के बारे में अपनी एक प्रसिद्ध कविता लिखी है जिसे स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। यह कविता इस प्रकार से है –

रण बीच चौकड़ी भर – भर कर,
चेतक बन गया निराला था।
राणा प्रताप के घोड़े से,
पड़ गया हवा का पाला था।
गिरता न कभी चेतक तन पर,
राणा प्रताप का कोड़ा था।
वह दौड़ रहा अरि-मस्तक पर,
या आसमान पर घोड़ा था।
जो तनिक हवा से बाग हिली,
लेकर सवार उड़ जाता था।
राणा की पुतली फिरी नहीं,
तब तक चेतक मुड़ जाता था।
है यहीं रहा, अब यहां नहीं,
वह वहीं रहा था यहां नहीं।
थी जगह न कोई जहाँ नहीं
किस अरि – मस्तक पर कहाँ नहीं।
कौशल दिखलाया चालों में,
उड़ गया भयानक भालों में।
निर्भीक गया वह ढालों में,
सरपट दौड़ा करबालों में।
बढ़ते नद सा वह लहर गया,
वह गया गया फिर ठहर गया।
विकराल वज्रमय बादल सा
अरि की सेना पर घहर गया।
भाला गिर गया, गिरा निशंग,
हय टापों से खन गया अंग।
बैरी समाज रह गया दंग,
घोड़े का ऐसा देख रंग।

:श्याम नारायण पाण्डेय

उपरोक्त कविता चेतक की वीरता और शौर्य और राणा के साथ चेतक के प्रेम को प्रदर्शित करती है।

महाराणा प्रताप का कुंभलगढ़ दुर्ग
  • राजस्थान के राजमसंद जिले में स्थित कुम्भलगढ़ दुर्ग पुराने समय से ही राजपूतों का शासकीय क्षेत्र रहा है। कुम्भलगढ़ किला मेवाड़ के लगभग 30 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के दायरे में फैला हुआ है।
  • आपको बता दें कुंभलगढ़ दुर्ग का निर्माण मेवाड़ के बहुत ही प्रसिद्ध और प्रतापी राजा महाराणा कुम्भा ने करवाया था। यह किला राजपूतों के शौर्य और वीरता का साक्षी रहा है।
  • कुम्भलगढ़ किले को बनने में 15 वर्षों से अधिक का समय लगा था। इस किले को अजेयगढ़ के नाम से भी जाना जाता है।
  • कुंभलगढ़ किला वीर महान योद्धा महाराणा प्रताप की जन्मस्थली रहा है। समुद्र तल से किले की ऊंचाई 3,568 फ़ीट है। इस किले में 32 बड़े किले हैं। किले के चारों तरफ बनीं प्राचीर 7 मीटर से अधिक चौड़ी है।
  • पुरातन स्थापत्य कला के नमूने के तौर पर यह किला चित्तोड़गढ़ के किले के बाद दूसरे नंबर पर आता है।
  • कुम्भलगढ़ किले के अंदर आपको बादल महल, झाली रानी, कुम्भस्वामी का मंदिर आदि पर्यटक दर्शनीय स्थल देखने को मिल जाते हैं।

जब महाराणा ने जंगल में घास खाकर जीवन बिताया:

  • दोस्तों कुछ विदेशी इतिहासकारों के द्वारा यह बताया गया की महाराणा प्रताप ने मेवाड़ छोड़कर अरावली की पहाड़ियों में जीवन बिताते हुए घास की रोटियां खायीं थी।
  • विदेश के एक प्रसिद्ध लेखक कर्नल टॉड ने अपनी किताब में महाराणा प्रताप के बारे में बताया है की जब अकबर ने मेवाड़ पर कब्ज़ा कर लिया था तो राणा प्रताप को मेवाड़ छोड़ अरावली की पहाड़ियों में जाना पड़ा था।
  • जहाँ उन्होंने अपने परिवार के साथ बहुत समय तक रहकर कंद मूल , घास की रोटी खाकर अपना जीवन बिताया था। लेकिन कुछ इतिहासकार इस तथ्य को नहीं मानते वह कहते हैं जिसने जीवन भर किसी की स्वाधीनता स्वीकार ना करी हो और जिसके पास एक विशाल सेना हो तो वह इतना कमजोर नहीं हो सकता की जंगलों में घास की रोटी खाकर अपना जीवन बिताये।

यह भी पढ़ें : गोल गुम्बद का इतिहास

यह भी देखेंगुरु नानक देव जीवनी - Biography of Guru Nanak in Hindi Jivani

गुरु नानक देव जीवनी - Biography of Guru Nanak in Hindi Jivani

महाराणा प्रताप के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  • महाराणा प्रताप ने प्रसिद्ध युद्ध कला गोर्रिला युद्ध को ईजाद किया था जिसका उपयोग करके महाराणा प्रताप हमेशा ही युद्ध में दुश्मन की सेना को हरा देते थे।
  • महाराणा प्रताप के पिता महाराणा उदय सिंह छापामार युद्धप्रणाली को विकसित किया था परन्तु इस पद्धति का उपयोग कभी महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में नहीं किया। लेकिन आगे चलकर छत्रपति शिवाजी, महाराजा राज सिंह जैसे राजाओं के इस युद्ध कला का प्रयोग युद्ध लड़ने में किया।
  • अकबर ने 9 सालों तक मेवाड़ को जीतने के उद्देश्य से आक्रमण करता रहा लेकिन हर बार उसे महाराणा के हाथों अपनी हार स्वीकार करनी पड़ी।
  • अकबर के दरबार के प्रसिद्ध साहित्यकार और कवि पृथ्वीराज राठौड़ भी महाराणा प्रताप के बहुत बड़े प्रशंसक थे।

महाराणा प्रताप की वीरता और शौर्य से जुड़े प्रश्न एवं उत्तर (FAQs):

महाराणा प्रताप के घोड़े का क्या नाम था ?

महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था जिसका मतलब होता है हवा की रफ़्तार से तेज दौड़ने वाला

महाराणा प्रताप की कुल कितनी संतानें थीं ?

आपको बता दें की इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों और शोध पत्र लेखों के द्वारा बताया है की राणा की कुल 22 संतानें थीं जिनमें 17 बेटे और 5 बेटियां थीं।

महाराणा प्रताप के पास कितने सैनिक थे ?

महाराणा प्रताप के सेना में 20,000 पैदल सैनिक, 100 हाथी और लगभग 10,000 घुड़सवार थे।

महाराणा प्रताप के बचपन का क्या नाम था ?
व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp

राजा उदय सिंह और रानी जयवंता बाई राणा प्रताप को बचपन में कीका कहकर बुलाते थे।

मेवाड़ के इतिहास का मैराथन किस युद्ध को कहा जाता है ?

दिवेर का युद्ध को कर्नल जेम्स टॉड ने अपनी किताब में मेवाड़ के इतिहास का मैराथन कहकर सम्बोधित किया है।

हल्दी घाटी का युद्ध कब लड़ा गया था ?

हल्दी घाटी का युद्ध 18 जून, 1576 ई. को बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच लड़ा गया था। जिसमें राणा प्रताप मृत्यु को प्राप्त को गए थे।

यह भी जानें:

यह भी देखेंPeyush Bansal Biography, पियूष बंसल का जीवन परिचय

Peyush Bansal Biography, Net Worth, जीवन परिचय, परिवार, पत्नी, करियर

Photo of author

Leave a Comment

हमारे Whatsaap ग्रुप से जुड़ें