भारतीय संविधान सभा तथा संविधान निर्माण

स्वतंत्रता सेनानियों के अथक परिश्रम और अनको बलिदान देने के बाद आखिरकार भारत को आजादी मिल चुकी थी। आजादी मिलने के बाद सबसे बड़ी चुनौती देश को एकरूपता के सांचे में ढालने और सही ढंग से देश को चलाने के लिये पूरे देश में एक संविधान को लागू करने की थी। इसी चुनौती से पार ... Read more

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Reported by Rohit Kumar

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स्वतंत्रता सेनानियों के अथक परिश्रम और अनको बलिदान देने के बाद आखिरकार भारत को आजादी मिल चुकी थी। आजादी मिलने के बाद सबसे बड़ी चुनौती देश को एकरूपता के सांचे में ढालने और सही ढंग से देश को चलाने के लिये पूरे देश में एक संविधान को लागू करने की थी। इसी चुनौती से पार पाने के लिये एक सीमित भारतीय संविधान सभा (Indian Constituent Assembly) का गठन करने का निर्णय लिया गया।

संविधान सभा का गठन

देश को आजादी मिलने से पूर्व ही एक संविधान सभा का गठन करने की मांग उठने लगी थी। इन मांगो में सबसे पहले बाल गंगाधर तिलक के द्वारा 1895 ई में संविधान सभा का गठन करने की मांग उठाई गयी थी। इसके बाद महात्मा गांधी के द्वारा भी 1925 ई में संविधान बनाने के लिये कामनवेल्थ आफ इण्डिया के नाम से सीमित की रूपरेखा का एक ड्राफ्ट ब्रिटिश काउंसिल के सामने प्रस्तुत किया गया।

सीमित के गठन का अंतिम प्रयास जवाहर लाल नेहरू के द्वारा किया गया। पहली भारतीय संविधान सभा में मतदान के जरिये कुल 389 सदस्यों का चुनाव किया गया। आजादी मिलने के बाद यही सदस्य भारत की पहली संसद के सदस्य भी बने। जुलाई 1946 में सभी सदस्यों का चुनाव कर लिया गया। हालांकि देश का बंटवारा हो जाने के कारण कुल 389 सदस्यों में से 90 सदस्य पाकिस्तान में चले गये और भारत में 299 सदस्य रह गये।

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भारतीय संविधान सभा तथा संविधान निर्माण
भारतीय संविधान सभा तथा संविधान निर्माण

कैबिनेट मिशन (Cabinet Mission)

दूसरे विश्व युद्ध के समाप्त हो जाने के बाद ब्रिटेन में एक नई सरकार का गठन किया गया। इसी सरकार को भारत की आजादी के विषय में निर्णय भी लेना था। इसी सम्बन्ध में ब्रिटिश कैबिनेट के तीन सदस्यों को भारत भेजा गया। ये तीन सदस्य ए.वी.अलेक्जेंडर (AV Alexander), स्टैफोर्ड क्रिप्स (Stafford Cripps) और पेथिक लॉरेंस (Pethick Lawrence) थे। इन्हीं को कैबिनेट मिशन के नाम से जाना जाता है। इन लोगों ने भारत में बनी संविधान सभा की पुष्टि की और आजादी के लगभग एक वर्ष पहले 1946 ई में संविधान सभा के द्वारा अपना कार्य आरम्भ कर दिया गया।तत्कालीन संविधान सभा में भारत के लगभग प्रत्येक वर्ग और क्षेत्र को सभा में प्रतिनिधित्व दिया गया था। प्रत्येक प्रान्त से सदस्यों का चुनाव किया गया और कई सदस्यों को मनोनीत किया गया। तत्कालीन भारत में वर्तमान राज्य और उसकी सीमायें नहीं थी। उस वक्त तक भारत रियासतों और प्रान्तों में विभक्त था।

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तत्कालीन प्रान्त

उस दौर में भारत में अलग-अलग तरह की अनको रियासतें थी। आजादी के बाद इन रियासतों को भारत में विलय करने का विकल्प भी दिया गया था। जिसे अधिकांश रियासतों ने स्वीकार भी कर लिया था। बचे चुनिंदा राज्यों को भी भारत संघ में मिलाने का श्रेय देश के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को दिया जाता है। तत्कालीन प्रांतों और रियासतों के नाम निम्नलिखित हैं-

तत्कालीन प्रान्तवर्तमान क्षेत्र
मद्रासवर्तमान सम्पूर्ण तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश का तटीय क्षेत्र।
बाम्बे राज्यवर्तमान में पूरे महाराष्ट्र और सम्पूर्ण गुजरात के अन्तर्गत आने वाला क्षेत्र।
पश्चिम बंगालतत्कालीन बंगाल और वर्तमान बांग्लादेश का क्षेत्र।
संयुक्त प्रान्तवर्तमान उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड का पूरा क्षेत्र।
पूर्वी पंजाबतत्कालीन पंजाब का क्षेत्र जो कि बंटवारे के बाद भारत में पूर्वी पंजाब का क्षेत्र रह गया जबकि पंजाब का शेष भाग पाकिस्तान चला गया।
बिहारवर्तमान बिहार और झारखण्ड राज्य। बिहार प्रांत पहले बंगाल रियासत का हिस्सा था।
मध्य प्रांतआज का मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का कुछ हिस्सा।
असमवर्तमान असम और बंगाल का पूर्वी इलाका। जिसे बाद में भाषा के आधार पर अलग कर दिया गया। असमिया और उडिया के आधार पर उडीसा और असम नये राज्य बनाये गये।
उडीसावर्तमान उडीसा और छत्तीसगढ का कुछ हिस्सा। जिसे बाद में भाषा के आधार पर अलग राज्य बना दिया गया।
दिल्ली—–
अजमेरउस दौर में अजमेर एक रियासत थी। यहां पर स्थानीय राजपूत राजाओं का अधिकार था। लेकिन ईस्ट इंण्डिया कंपनी से हार जाने के बाद दौलत राव सिंधिया के द्वारा अजमेर रियासत और मेरवाडा के अधिकार अंग्रेजों को दे दिये गये।
कुर्गवर्तमान कर्नाटक राज्य
मैसूरतत्कालीन मैसूर रियासत से भी प्रतिनिधियों के चुनाव किये जाने की घोषणा की गयी थी।
जम्मू एवं कश्मीरउस वक्त तक भारत का विभाजन नहीं हुआ था। इसलिये जम्मू और कश्मीर एक थे। इस क्षेत्र से भी भारतीय संविधान सभा में प्रतिनिधि चुने जाने का फैसला लिया गया।
त्रावणकोर और कोच्चिनयह राज्य बहुत अल्प समय के लिये अस्तित्व में रहा। सन 1956 ई में इसका विलय तमिलनाडु राज्य में कर दिया गया।
मध्य भारतवर्तमान मध्य प्रदेश के ग्वालियर के आस पास का क्षेत्र और भोपाल रियासत को मध्य भारत के नाम से जाना जाता था। बाद में आस पास की लगभग 25 रियासतों का विलय मध्य भारत में कर दिया गया।
सौराष्ट्रवर्तमान गुजरात का काठियावाड का इलाका जो कि अधिकतर रेतीला क्षेत्र है। यहां भगवान सोमनाथ का मंदिर भी है।
राजस्थानतत्कालीन सभी रियासतों को राजस्थान में मिलाते हुये राजस्थान राज्य की स्थापना की गयी थी। यह वर्तमान में भारत का क्षेत्रफल की दृष्टि से भी सबसे बडा राज्य है।
विंध्य प्रदेशवर्तमान में मध्य प्रदेश के रीवा जिले के आस पास का इलाका विंध्य प्रदेश में शामिल था। इसके उत्तर में तत्कालीन संयुक्त प्रान्त और दक्षिण में मालवा था।
कूच बिहारवर्तमान में कूच बिहार पश्चिम बंगाल राज्य का एक जिला है। तत्कालीन समय में यह एक स्वतंत्र और छोटी रियासत थी।
त्रिपुरा और मणिपुरवर्तमान में दोनों पृथक-पृथक राज्य हैं।
भोपाल—–
कच्छगुजरात का तटीय इलाका।
हिमाचल प्रदेशवर्तमान हिमाचल प्रदेश और हरियाणा और पंजाब के कुछ क्षेत्र।

संविधान समीति के सदस्य

यूं तो संविधान सभा का गठन अविभाजित भारत का संविधान लिखने के लिये किया गया था। लेकिन आजादी मिलने से पहले ही भारत को दो भागों में बांट दिया गया। जब देश बंट गया तो देश का संविधान बनाने वाली सभा भी बंट गयी। और कुल 389 में से 90 सदस्य पाकिस्तान चले गये। शेष 299 सदस्य ही भारतीय संविधान सभा में रह गये।

संविधान सभा के प्रमुख व्यक्ति और समीतियां

संविधान सभा के अन्तर्गत मुख्य रूप से 10 समितियां गठित की गयी थी। इनके अतिरिक्त अन्य 22 उप समितियां भी संविधान सभा के अन्तर्गत गठित की गयी थी। संविधान सभा की 10 प्रमुख समितियों और उनके अध्यक्षों की सूची नीचे दी जा रही है। संविधान सभा में देश के सभी वर्गों और क्षेत्रों को पूरा प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया गया था। इसके साथ ही देश के तत्कालीन बुद्धिजीवियों को भी संविधान सभा में सम्मिलित किया गया।

समीति अध्यक्ष
नियम समीतिडा राजेन्द्र प्रसाद
संघ शक्ति समीतिपं जवाहर लाल नेहरू
संघ संविधान समीतिपं जवाहर लाल नेहरू
प्रांतीय समीतिसरदार वल्लभ भाई पटेल
संचालन समीतिडा राजेन्द्र प्रसाद
संविधान प्रारूप (ड्राफ्टिंग कमेटी) समीतिडॉ भीमराव आंबेडकर
राष्ट्रीय ध्वज समीतिजीवटराम भगवानदास कृपलानी
राज्य समीतिपं जवाहर लाल नेहरू
परामर्श समीतिसरदार वल्लभ भाई पटेल
सर्वोच्च न्यायालय समीतिश्रीनिवास वरदाचारियर

डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर (B. R. Ambedkar)

बाबा साहेब आंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक भी माना जाता है। इनकी भारत के संविधान को मूर्त रूप देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। डॉ आम्बेडकर एक महान शिक्षाविद और दर्शन शास्त्री थे। कानून और जन अधिकारों में इनकी विशेषज्ञता को देखते हुये इन्हें संविधान सभा की ड्राफ्टिंग सीमित का अध्यक्ष भी बनाया गया था। कोलंबो विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकानोमिक्स के साथ साथ डॉ साहब ने कई विश्वविद्यालयों से मानद स्कॉलर और पी एच डी की डिग्री उत्तीर्ण की। भारत में पिछडों और दलितों के समाज सुधारक के रूप में उनके द्वारा अनेक कार्य किये गये। भारत को आजादी मिलने के बाद वे स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री भी बने।

यह भी देखें :- मौलिक अधिकार – अनुच्छेद 12-35 (भारतीय संविधान का भाग III)

पं जवाहर लाल नेहरू (J. L. Nehru)

जवाहर लाल नेहरू को हम भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में जानते हैं। पं नेहरू भी एक स्कॉलर, राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। पं नेहरू ने अपनी उच्च शिक्षा कैंम्ब्रिज और ट्रिनीटी जैसे विश्वविद्यालयों से प्राप्त की। इसके बाद इन्होंने लॉ की डिग्री पूरी की और भारत लौटकर वकालत करने लगे। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान नेहरू दो बार कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष चुने गये। आजादी के आंदोलन के दौरान और आजादी के बाद नेहरू देश के सर्वोच्च और सर्वमान्य नेता रहे। इन्होंने संविधान के निर्माण में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। संविधान सभा में इन्हें ऊर्जा समिति और राज्य समिति का अध्यक्ष चुना गया। भारत की आजादी के बाद नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने। कुशल राजनीतिज्ञ के साथ-साथ पं नेहरू एक बेहतरीन लेखक भी रहे हैं।

वल्लभ भाई झावेर भाई पटेल (Sardar Patel)

वल्लभ भाई पटेल को सरदार पटेल और लौह पुरुष के उपनाम से भी जाना जाता है। आजाद भारत के पहले गृह मंत्री रहने का सौभाग्य सरदार पटेल को प्राप्त है। इसके साथ ही वे पहले उप प्रधानमंत्री भी रहे हैं। सरदार पटेल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अग्रणी नेताओं में रहे। उन्हें तत्कालीन रियासतों को भारतीय संघ में मिलाने का श्रेय दिया जाता है। सरदार पटेल स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी नेता रहे। इसके साथ ही सरदार पटेल को संविधान सभा में भी सम्मिलित किया गया। संविधान सभा की प्रांतीय समिति और नागरिक अधिकार समिति का अध्यक्ष चुना गया।

डॉ राजेन्द्र प्रसाद (Rajendra Prasad)

भारत रत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद को स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त है। डॉ प्रसाद एक महान स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद थे। कानून में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद डॉ प्रसाद बिहार में ही वकालत की प्रैक्टिस करने लगे। यहां वे महात्मा गांधी के सम्पर्क में आये और आजादी के आन्दोलन में कूद पडे। इसके बाद डॉ साहब ने अपना सम्पूर्ण जीवन आजादी और समाज के लिये समर्पित कर दिया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होने के बाद दिल्ली के अधिवेशन में उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष चुन लिया गया। भारत के संविधान निर्माण में भी डॉ प्रसाद ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे संविधान सभा के अन्तर्गत तीन समितियों के मानद अध्यक्ष रहे। आजादी के बाद वे भारत के पहले राष्ट्रपति चुने गये और 1962 तक इसी पद पर बने रहे।

बेनेगल नरसिम्हा राव (B. N. Rao)

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भारतीय संविधान की नींव रखने का श्रेय सर बी०एन० राव को दिया जाता है। पूरी संविधान सभा में बी०एन० राव सबसे अधिक शैक्षिक योग्यता रखने वाले व्यक्ति थे। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे बी०एन० राव अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश भी रहे। वे जम्मू एवं कश्मीर के प्रधानमंत्री भी रहे हैं। भारत के संविधान के निर्माण में सर बी०एन० राव का योगदान अमूल्य है। उन्हें संविधान सभा का संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया था। वास्तव में भारत के संविधान का पहला मसौदा बी०एन० राव ने ही ड्राफ्ट किया था। उन्होंने पारिश्रमिक के रूप में कुछ भी पारितोषिक लेने से इनकार कर दिया था। भारत सरकार के द्वारा 1988 में सर बी०एन० राव के नाम पर उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया था।

भारतीय संविधान सभा – प्रमुख तिथियां

संविधान सभा की स्थापना 6 नवंबर 1946 ई को की गयी थी। संविधान सभा की स्थापना से पूर्ण संविधान के तैयार और लागू होने का घटना क्रम इस प्रकार है-

तिथि घटनाक्रम
6 दिसम्बर 1946भारतीय संविधान सभा की स्थापना की गयी। सभी मानद सदस्यों ने सदस्यता ग्रहण की गयी।
9 दिसम्बर 1946संविधान सभा की पहली बैठक का आयोजन किया गया। अंतरिम अध्यक्ष सच्चिदानन्द सिन्हा को चुना गया। जीवटराम भगवान दास कृपलानी के द्वारा सबसे पहले संविधान सभा को संबोधित किया गया।
11 दिसम्बर 1946डॉ राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया।
22 जुलाई 1947राष्ट्रीय ध्वज समिति के द्वारा ध्वज का प्रारूप सभा में प्रस्तावित किया गया। सर्वसम्मति से तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज चुना गया।
15 अगस्त 1947भारत की आजादी की घोषणा की गयी। इसी के साथ देश का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान नया देश बना।
29 अगस्त 1947संविधान सभा के द्वारा संविधान को पूरा करने के लिये ड्राफटिंग समिति का गठन किया गया। डॉ भीमराव आंबेडकर को इस सभा का अध्यक्ष चुना गया।
26 नवम्बर 1949लिखित संविधान को सभा में प्रस्तुत किया गया और कई तथ्यों पर चर्चा की गयी। चर्चा करने के पश्चात संशोधन के साथ संविधान को सभा के द्वारा स्वीकार कर लिया गया। संशोधनों पर भी चर्चा की गयी।
24 जनवरी 1950संविधान सभा की अंतिम बैठक की गयी। इस बैठक में संविधान सभा के सभी सदस्यों के द्वारा अपने हस्ताक्षर करके लिखित संविधान को मान्यता दी गयी।
26 जनवरी 1950आज के दिन संविधान को पूरे भारत गणराज्य में लागू कर दिया गया। (जम्मू एवं कश्मीर को छोडकर)

भारतीय संविधान सभा से सम्बन्धित प्रश्न

भारत का संविधान कब लागू हुआ?

26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान पूरे भारत गणराज्य में लागू कर दिया गया।

भारतीय संविधान का पिता किसे कहा जाता है?

संविधान के निर्माण और संविधान लेखन की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर अपना अमूल्य योगदान देने के लिये डॉ भीमराव आंबेडकर को भारतीय संविधान का पिता कहा जाता है।

संविधान सभा में कुल कितने सदस्य थे?

भारतीय संविधान सभा के लिये कुल 389 व्यक्तियों का चुनाव किया गया था। किन्तु भारत का विभाजन होने के बाद संविधान सभा में कुल 299 सदस्य रह गये।

भारतीय संविधान दिवस कब मनाया जाता है?

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सम्मान में प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को सामाजिक न्याय मंत्रालय के द्वारा भारतीय संविधान दिवस मनाया जाता है।

संविधान प्रारूप समीति ड्राफ्टिंग कमेटी में कितने सदस्य थे?

संविधान का मसौदा तैयार करने के लिये प्रारूप समीति का गठन किया गया था। डॉ भीमराव आंबेडकर को इस समीति का अध्यक्ष बनाया गया था। डॉ आंबेडकर के अतिरिक्त इस समीति में 6 सदस्य और थे- अल्लादी कृष्णा स्वामी अयंगर, एन गोपाल स्वामी अयंगर, कन्हैयालाल माणिक्यलाल मुंशी, एन माधवराज, टी, टी कृष्णामाचारी और मोहम्मद सादुल्ला.

संविधान सभा का गठन कब किया गया?

6 दिसम्बर 1946 को संविधान सभा का गठन किया गया था। हालांकि संविधान सभा के द्वारा पहली बैठक 9 दिसम्बर 1946 को आयोजित की गयी थी।

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