रागी क्या है, जानिए रागी खाने के फायदे | Benefits of Ragi in Hindi

रागी क्या है:- हमारा देश एक कृषि प्रधान देश रहा है। आज भी देश की अधिकांश आबादी खेती पर ही निर्भर है। मोटे अनाजों को भारत में पारम्परिक रूप से उगाया जाता रहा है। मोटे अनाजों में रागी का प्रमुख स्थान है और रागी खाने के बहुत से फायदे (Benefits of Ragi) हैं। रागी को ... Read more

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Reported by Rohit Kumar

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रागी क्या है:- हमारा देश एक कृषि प्रधान देश रहा है। आज भी देश की अधिकांश आबादी खेती पर ही निर्भर है। मोटे अनाजों को भारत में पारम्परिक रूप से उगाया जाता रहा है। मोटे अनाजों में रागी का प्रमुख स्थान है और रागी खाने के बहुत से फायदे (Benefits of Ragi) हैं। रागी को हम मंडुआ के नाम से भी जानते हैं जिसे भारत के विभिन्न हिस्सों में उगाया और खाया जाता है।। भारत के विभिन्न हिस्सों में रागी को अलग अलग नामों से जाना जाता है। भारत में आर्य सभ्यता की शुरूआत के बाद से रागी की फसल उगायी जाने लगी।

रागी क्या है, जानिए रागी खाने के फायदे | Benefits of Ragi in Hindi
रागी क्या है, जानिए रागी खाने के फायदे | Benefits of Ragi in Hindi

Ragi की फसल को विषम परिस्थितियों में भी उगाया जा सकता है। इसलिये धीरे धीरे यह उत्तर भारत के साथ साथ मध्य भारत और दक्षिण भारत में भी उगाया जाने लगा। रागी हमारे स्वास्थ्य के लिये बहुत उपयोगी अनाज है। इसमें कई प्रकार के औषधीय और पौष्टिक गुण पाये जाते हैं। वर्तमान में रागी के विषेश गुणों को देखते हुये इसे सुपरफूड की संज्ञा दी गयी है। आज हम इस लेख में आपको रागी से होने वाले फायदे और इसके गुणों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। सम्पूर्ण जानकारी के लिये इस लेख को पूरा अवश्य पढें।

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रागी क्या है (What is Finger millet)

रागी मानव के कृषि के इतिहास में सबसे पहले उगाये जाने वाले अनाजों में से एक है। रागी की फसल की प्रमुख विशेषता यह है कि यह रबी, खरीफ तथा जायद तीनों फसल चक्रों में कभी भी उगायी जा सकती है। इसे साल में कभी भी बोया जा सकता है और इस फसल को तैयार होने में अन्य फसलों की अपेक्षा कम समय भी लगता है। इतिहास में जब आर्यों का आगमन हुआ तो उनके साथ रागी भी भारत आयी। इसलिये भारत में रागी को उगाये जाने का समय लगभग 4000 वर्ष पूर्व से माना जाता है।

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मूल रूप से यह अफ्रीकी फसल है जिसे समय के साथ साथ दक्षिण पूर्वी एशिया और नेपाल तथा हिमालय के अन्य स्थानों मे भी उगाया जाने लगा। अधिक उंचाई वाले स्थान रागी के लिये अनुकूल मौसम तैयार करते हैं। इसलिये सामान्यतः इसे 2000 मीटर या इससे अधिक उंचाई वाले पहाडी क्षेत्रों में अधिक उगाया जाता है। रागी के बीज गहरे भूरे रंग के होते हैं। ये गोलाकार बीज बहुत छोटे होते हैं और दिखने में राई के बीज से अधिक मिलते जुलते हैं। रागी की फसल को तैयार करने में अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती। इसलिये यह विषम परिस्थितियों और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में उगायी जाने वाली प्रमुख फसलों में आती है।

रागी की फसल (Ragi Crop)

यूं तो रागी को किसी भी फसल चक्र में बोया जा सकता है। लेकिन भारत में अधिकांशतः इसे मानसून की शुरूआत में ही बोया जाता है। इसलिये इसे खरीफ की फसलों की श्रेणी में रखना उचित है। Ragi की बुआई का समय जून-जुलाई है। फसल को बोने के बाद 20 से 25 दिनों के बाद पहली बार तथा इसके 15 से 20 दिनों के बाद दूसरी निराई गुडाई की जाती है। रागी की फसल कम वर्षा में भी अच्छी पैदावार देती है। इसके साथ ही इसमें आसानी से कीट और रोग का प्रभाव नहीं हो पाता है।

Ragi Crop
रागी की फसल

यह फसल अन्य मोटे अनाजों की तुलना में कम दिनों में तैयार हो जाती है। और अच्छी उपज प्रदान करती है। फसल के पक जाने पर बालियों को काट लिया जाता है। इन्हें काटने के बाद अच्छी तरह से धूप में सुखाया जाता है। अच्छी तरह से सूख जाने के बाद कुटाई की जाती है। कुटाई और साफ सफाई के बाद हमें उपभोग के योग्य रागी प्राप्त हो जाती है। पहाडी क्षेत्रों में आमतौर पर इसका भंडारण किया जाता है।

रागी की किस्में

भारत में रागी की मुख्य रूप से चार किस्मों की खेती की जाती है जो इस प्रकार हैं-

  • GPU 45- रागी की इस किस्म केे पौधे अन्य किस्मों की तुलना में हरे होते हैं। साथ ही मुडी हुयी बालियों के साथ यह किस्म सबसे जल्दी तैयार हो जाती है।
  • शुव्रा (OUAT-2) -इस किस्म के पौधे अपेक्षाकृत लम्बे होते हैं और इनकी बालियां भी अधिक लम्बी होती हैं। उंचाई में लगभग 1 मीटर और बालियों की लम्बाई सामान्यत 7 से 8 सेंटीमीटर होती है।
  • VL 149– यह विषम परिस्थितियों में अधिक पैदावार देने वाली किस्म है। इसलिये रागी की इस किस्म को पठारी क्षेत्रों में अधिक उगाया जाता है। इस किस्म के रागी की बालियां हल्के बैंगनी रंग की होती है।
  • चिलिका OEB-10– पौष्टिकता के आधार पर यह रागी की सबसे उन्नत किस्म है। इस किस्म में पौधे की बालियां अधिक चौडी और हल्के रंग की होती है।

रागी के उपयोग (Usage of Ragi)

अधिक उंचाई वाले और सूखाग्रस्त इलाकों में रागी आहार के लिये एक वरदान की तरह है। यहां रागी को दैनिक भोजन के रूप में उपयोग में लाया जाता है। गांवों में खेती करने वाले किसान फसल को काटने के बाद रागी के डंठलों का पराली के रूप में उपयोग करते हैं। हम जानते हैं कि भारत एक बहु विविधता वाला देश है। इसी के अनुसार देश के अलग अलग क्षेत्रों में रागी की अलग अलग किस्मों का उत्पादन किया जाता है। और विभिन्न प्रकार के आहारों के रूप में उपयोग में लाया जाता है। उदाहरण के लिये उत्तर भारत में रागी की रोटियां बनायी जाती है और हलुवे के रूप में भी उपयोग किया जाता है। वहीं दक्षिण भारत मे इडली और डोसा बनाने में रागी का उपयोग किया जाता है। वर्तमान में रागी के लड्डू और बिस्किट भी बनाये जा रहे हैं।

आहार के साथ साथ रागी का उपयोग कई प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के निवारण में भी किया जाता है। रागी में कैल्शियम, कार्बोहाईड्रेट, प्रोटीन और वसा के साथ साथ आयरन की भी प्रचुर मात्रा पायी जाती है। इसलिये इसका उपयोग मधुमेह, खून की कमी, पाचक शक्ति को बढाने और ब्लड प्रेशर जैसी कई बीमारियों की रोकथाम में किया जा रहा है।

रागी खाने के फायदे (Benefits of Ragi)

हमारे स्वास्थ्य के लिये रागी एक वरदान की तरह है। इसका कारण इसमें पाये जाने वाले प्राकृतिक पोषक तत्व हैं जो कि हमारे शरीर को निरोग रखने में सहायता करते हैं। यूं तो रागी खाने से हमें अनगिनत फायदे होते हैं लेकिन यहां हम आपको रागी के सेवन से होने वाले कुछ प्रमुख फायदे बता रहे हैं-

कोलेस्ट्रॉल कम करने में (Ragi to Lower Cholesterol)

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वर्तमान समय की जीवनशैली के कारण कोलेस्ट्रॉल की समस्या दिन ब दिन बढती जा रही है। वास्तव में कालेस्ट्रॉल के बढ जाने से हमारे रक्त में वसा की मात्रा बढ जाती है, जिससे हमारे रक्त में गाढापन आ जाता है। यदि समय पर इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो रक्त के थक्के बनने लगते हैं। इन थक्कों से हृदय संबंधी गंभीर रोगों के साथ साथ हार्ट अटैक का खतरा भी बढ जाता है। रागी में अमीनो अम्ल पाये जाते हैं जो कि रक्त में बढी हुयी वसा की मात्रा को सामान्य स्तर तक लाने में फायदेमंद होता है। यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का सबसे सरल उपाय है।

डायबिटीज को नियंत्रित करने में (Ragi to Lower Diabetes)

मधुमेह वैश्विक रूप से गंभीर बीमारी बनती जा रही है। डायबिटीज एक जीवन पर्यन्त रहने वाला रोग है। अर्थात यदि व्यक्ति एक बार इस रोग की चपेट में आ जाता है। तो इसे पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है। इसे नियंत्रित जरूर किया जा सकता है। इसे नियंत्रित करने में रागी बहुत उपयोगी सिद्व होता है। रागी में पाया जाने वाले फाईबर और रसायन शरीर में ग्लूकोज के स्तर को सामान्य करने में फायदेमंद होता है। साथ ही यह हमारे पाचन क्षमता को बढाता है। जिससे शरीर को निरंतर उर्जा मिलती रहती है।

खून की कमी से बचने के लिये (Ragi to Prevent Anemia)

हमारे रक्त में आयरन की कमी हो जाने पर एनीमिया रोग के होने की प्रबल संभावना रहती है। रक्त में आयरन की कमी को खून में होने वाली कमी के तौर पर भी जाना जाता है। रागी में आयरन की भरपूर मात्रा पायी जाती है। यह रोग कुपोषण का शिकार हुये बच्चों और महिलाओं में अधिकतर देखा जाता है। शरीर में आयरन की कमी और रक्त के स्तर को बढाने के लिये रागी का सेवन करना एक रामबाण इलाज है। खून का स्तर बढाने के लिये सुबह खाली पेट रागी का सेवन किया जाता है।

शिशुओं के लिये जरूरी है रागी

नवजात शिशुओं को छ माह अथवा एक साल के बाद पौष्टिक आहार दिया जाता है। यदि बच्चे को जरूरी पोषक तत्व और प्रोटीन्स इस अवस्था में नहीं मिलते हैं तो उनमें कुपोषण का खतरा बढ जाता है। ऐसी स्थिति में बच्चे को आहार के रूप में रागी देना बहुत फायदेमंद होता है। क्योंकि रागी में अनेक तत्व एक साथ पाये जाते हैं जो बच्चे के सम्पूर्ण विकास के लिये आवश्यक होते हैं। बच्चों की हड्डियों को मजबूत बनाने के लिये कैल्शियम की भरपूर मात्रा रागी में पायी जाती है। कैल्शियम के साथ साथ रागी में प्रोटीन और आयरन भी पाया जाता है जो बच्चे के सम्पूर्ण विकास के लिये आवश्यक है। इसके अलावा एंटी बैक्टीरियल गुण भी इसमें होते हैं जो शिशुओं को कई गंभीर बीमारियों से बचाते हैं।

माताओं के लिये फायदेमंद है रागी

नवजात शिशुओं के साथ साथ उनकी माताओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी होता है। नवजात शिशुओं के लिये मां के दूध को अमृत माना गया है। बच्चों को स्तनपान कराने वाली माताओं को कैल्शियम और आयरन की आवश्यकता होती है ताकि बच्चे को भी सही पोषण मिल सके। रागी में अमीनो अम्ल भी उचित मात्रा में पाया जाता है जो कि माता के दूध को बढाने में सहायक होता है। इसलिये स्तनपान कराने वाली माताओं का रागी का सेवन करना माता के साथ साथ शिशु के शारीरिक विकास में भी उपयोगी है।

रागी खाने से कम होता है ब्लड प्रेशर (Ragi Benefits in Blood Pressure)

बदलती जीवन शैली के कारण वर्तमान समय में ब्लड प्रेशर की समस्या आम हो गयी है। बढता हुआ ब्लड प्रेशर किडनी और दिल की गंभीर बीमारियों का कारण बनता है, जिसके गंभीर परिणाम भुगतने पडते हैं। रागी में महत्वपूर्ण फाईबर पाये जाते हैं जो हमारे रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। ऐसे में उच्च रक्तचाप की समस्या से पीडित लोगों के लिये रागी का नियमित सेवन बहुत उपयोगी होता है।

इसके अलावा रागी का उपयोग त्वचा से संबधित रोगों, हड्डियों को मजबूत बनाने, पाचन तंत्र को मजबूत बनाने और कब्ज जैसी बीमारियों में भी किया जाता है।

रागी के विभिन्न नाम

भारत के साथ साथ दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में रागी खाने के रूप में उपयोग में लायी जाती है। भारत में भी रागी को अलग अलग नामों से जाना जाता है। रागी का वैज्ञानिक नाम एलुसाइनी कोराकैना (Eleusinii Coracana) है। रागी के अन्य प्रचलित नाम इस प्रकार हैं-

  • हिंदी भाषी क्षेत्रों में रागी को मंडुआ और नाचनी के नाम से भी जाना जाता है।
  • भारत के उत्तरी क्षेत्र उत्तराखण्ड और नेपाल में रागी को कोदो कहा जाता है।
  • अंग्रेजी भाषा में रागी को मिलेट या फिंगर मिलेट (Finger Millet) कहा जाता है।
  • दक्षिण भारत के तमिल भाषी क्षेत्रों में रागी को केलवारागू कहा जाता है।
  • तेलुगु भाषी इलाकों में रागी को रागुलु कहते हैं।
  • गुजरात में रागी को नावतोनागली कहा जाता है।
  • अरब देशों में रागी को तैलाबौन के नाम से जाना जाता है।
  • रागी का संस्कृत में नाम नृत्यकुंडल है।
  • पंजाब में चालोडरा के नाम से रागी को उगाया जाता है।
  • मराठी भाषी हिस्सों में रागी को नचीरी कहा जाता है।
  • मलयालम में मुत्तरि के नाम से रागी उगायी और खायी जाती है।

रागी खाने से क्या फायदे होते हैं?

रागी में कैल्शियम, प्रोटीन के साथ ही कई प्रकार के पोषक तत्व पाये जाते हैं। रागी का सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिये बेहद फायदेमंद है। इसका उपयोग मधुमेह, उच्च रक्तचाप और ऐनीमिया जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिये किया जाता है।

रागी खाने का सबसे अच्छा विकल्प क्या है?

रागी को कई प्रकार के व्यंजनों के रूप में आहार के रूप में उपयोग किया जाता है। सामान्यत रागी की रोटी का सेवन अधिक किया जाता है।

रागी के अन्य नाम क्या है?

रागी को विभिन्न क्षेत्रों में मंडुआ, कोदो, फिंगर मिलेट जैसे नामों से भी जाना जाता है।

क्या रागी की रोटी गेंहू की रोटी से बेहतर है?

वैज्ञानिकों के द्वारा किये गये अध्ययन के अनुसार रागी या मंडुये की रोटी में गेंहूं की रोटी की तुलना में अधिक पौष्टिक होती है। रागी की रोटी से हमें अधिक फायदा पंहुचता है।

भारत में रागी कहां उगायी जाती है?

कर्नाटक राज्य में सबसे अधिक रागी की पैदावार होती है। इसके अलावा महाराष्ट्र, उत्तराखण्ड, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ आदि राज्यों में मुख्य रूप से यह फसल उगायी जाती है।

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