दोस्तों आपने कर्पूरी ठाकुर का नाम तो अवश्य सुना होगा, क्योंकि यह भारत के एक प्रसिद्ध व्यक्ति रहें हैं। यदि आपको इनके बारे में कोई भी जानकारी पता नहीं है तो कोई बात नहीं हम आपको इनकी सम्पूर्ण जानकारी बताने जा रहें हैं। कर्पूरी ठाकुर भारत के एक प्रसिद्ध नेता तथा बिहार राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री थे। भारत सरकार द्वारा इन्हें मरणोप्रांत भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। आइए जानते हैं आज इस लेख में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री की पूरी कहानी। लेख में आगे तक अवश्य बने रहें।
कौन थे कर्पूरी ठाकुर?
कर्पूरी ठाकुर बिहार के एक महान नेता थे। वे दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे और एक बार उपमुख्यमंत्री भी रहे। वे बिहार में मुख्यमंत्री बनने वाले पहले गैर-कांग्रेसी नेता थे।
कर्पूरी ठाकुर ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होकर की। स्वतंत्रता के बाद, वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और 1952 में पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए।
नाम | कर्पूरी ठाकुर |
जन्म | 24 जनवरी 1924 |
जन्म स्थान | पितौंझिया, बिहार |
मृत्यु | 17 फरवरी 1988 |
मृत्यु स्थान | पटना, बिहार |
व्यवसाय | स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ |
पुरस्कार/ सम्मान | भारत रत्न (2024) |
पद | बिहार राज्य के मुख्यमंत्री थे |
मुख्यमंत्री शपथ | 1970 |
दूसरी बार मुख्यमंत्री शपथ | 1977 |
कॉलेज | पटना विश्वविद्यालय |
शिक्षा | मैट्रिक |
कर्पूरी ठाकुर जन्म तथा शिक्षा
कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले के पितौंजिया गांव में हुआ था। उनका जन्म एक गरीब नाई परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव के स्कूल में प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इनके माता-पिता दोनों ही खेतीबाड़ी करते थे परन्तु फिर भी उन्होंने अपने पुत्र को पढ़ाने लिखाने में कोई भी कमी नहीं की। कर्पूरी को इन्होंने गांव के स्कूल से राजकीय शिक्षा प्राप्त करवाई इसके बाद इन्होने उच्च शिक्षा करने के लिए इनका कॉलेज में दाखिला करवाया। अर्थात एक छोटा किसान होने के बावजूद भी इन्होंने अपने बेटे को पूर्ण शिक्षा प्राप्त करवाई।
कर्पूरी ठाकुर द्वारा किए गए कार्य
जैसा की आपने ऊपर पढ़ा की कर्पूरी ठाकुर बिहार के लोकप्रिय नेता है इनके द्वारा राज्य के हिट के लिए कई कार्य किए गए हैं जो कि निम्नलिखित हैं:
- कर्पूरी जी ने शिक्षा के क्षेत्र में सुधार किया। उन्होंने बिहार में प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य बनाया और स्कूलों की संख्या में वृद्धि की।
- उन्होंने बिहार में स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार किया। उन्होंने बिहार में अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या में वृद्धि की।
- कृषि के क्षेत्र में सुधार किया। उन्होंने बिहार में सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि की और किसानों को अनुदान प्रदान किया।
- उन्होंने बिहार में रोजगार के अवसरों में वृद्धि की। उन्होंने बिहार में औद्योगिक विकास को बढ़ावा दिया।
- राज्य के पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की।
- बिहार राज्य में पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत किया।
- राज्य में गरीबी और भुखमरी को कम करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए।
छात्र नेता से मुख्यमंत्री तक: कर्पूरी ठाकुर का प्रेरणादायक सफर
कर्पूरी जी ने राजनीतिक करियर की शुरुआत अपने छात्र जीवन में ही शुरू कर दी थी। आपको बता दें इन्हें अखिल भारतीय छात्र संघ का सदस्य बनाया गया था। इसके पश्चात इन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भी हिस्सा लिया और खूब संघर्ष किया। और ऐसा काम किया कि अपने आत्मसमर्पण की मिसाल प्रस्तुत कर दी। उस समय इनकी बहादुरी और संघर्ष की खूब चर्चाएं की गई।
वर्ष 1952 में इन्हें पहली बार विधानसभा का सदस्य चुना गया तथा करीबन चार बार इन्हें ही चयनित किया गया। इन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन में भारत को कई योगदान दिए जिन्हें अभी तक याद किया जाता है।
राजनीतिक क्रियाएं और सामाजिक विकास
कर्पूरी ठाकुर ने राजनीति करियर की शुरुआत से पहले शिक्षा क्षेत्र में अपना पहला कदम बढ़ाया। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने राजनीतिक में अपना रुझान नहीं दिखाया था। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करने के लिए इन्होंने कई कार्य किये, इसमें इन्होंने मुफ्त शिक्षा को लेकर बात की। इन्होंने बिहार राज्य में प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य किया तथा माध्यमिक शिक्षा को मुफ्त करने का निर्णय लिया।
वर्ष 1970 में इन्हें बिहार राज्य का सीएम घोषित किया गया जिसके पश्चात इन्होंने अपने कार्यकाल में देश के हित के लिए कई कार्य किए, जिसमें गरीबों, पिछड़ों तथा अति पिछड़ी जाति के लोगों के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित की गई। इसके अतिरिक्त इन्होंने भूमि सुधार, रोजगार सृजन तथा गरीबी उन्मूलन जैसे कई कार्य किए।
इसके बाद इन्हें फिर से दूसरी बार वर्ष 1977 में बिहार का मुख्यमंत्री बनाया गया। इस कार्यकाल में भी इनके द्वारा कई जरुरी योजनाएं लॉन्च की गई। अपने इतने योगदान और बेहतर कार्य के लिए इन्हें बिहार राज्य की रियासत में समाजवाद का सबसे बड़ा चेहरा किया गया।
कर्पूरी ठाकुर का निधन
कर्पूरी ठाकुर बिहार की राजनीति में एक जीवित हस्ती हैं। 1988 में उनके निधन के बाद भी, बिहार के पिछड़े और अति पिछड़े मतदाता इनके द्वारा किए गए कार्य के लिए बहुत पसंद करते थे। बिहार में पिछड़ों और अतिपिछड़ों की आबादी की बात करें तो लगभग 52% है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपनी पकड़ बनाने के मकसद से कर्पूरी ठाकुर का नाम लेते रहते हैं। यही एक सबसे बड़ा कारण रहा कि 2020 में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ‘कर्पूरी ठाकुर सुविधा केंद्र’ खोलने की घोषणा कर दी थी।
कर्पूरी ठाकुर को बिहार का जननायक कहा जाता है। वे एक कुशल राजनीतिज्ञ और समाजसेवी थे। उन्होंने बिहार के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में सुधार किया। उन्होंने भूमि सुधार और गरीबी उन्मूलन के लिए भी काम किया।
कर्पूरी ठाकुर के विचार और आदर्श आज भी बिहार के लोगों के बीच जीवित हैं। वे बिहार के लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं।
हिंदी भाषा के थे वकील
कर्पूरी ठाकुर एक सामाजिक न्याय के लिए समर्पित नेता थे। उन्होंने अपनी राजनीति को सामाजिक न्याय के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समर्पित कर दिया था।
ठाकुर राजनीतिज्ञ तो थे ही साथ में वे एक हिंदी भाषा के वकील भी थे और बिहार के शिक्षा मंत्री के रूप में, उन्होंने हिंदी को बढ़ावा प्रदान किया। इन्होंने मैट्रिक स्तर से अंग्रेजी भाषा को हटाने का प्रयास किया ताकि भारत में हिंदी भाषा को बढ़ावा मिले। उन्होंने सरकारी नौकरियों में पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण लागू करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आपातकाल के दौरान, ठाकुर ने अन्य जनता पार्टी नेताओं के साथ मिलकर “संपूर्ण क्रांति” आंदोलन का नेतृत्व किया। यह आंदोलन भारतीय समाज में सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने के लिए था।
ठाकुर को जनता पार्टी के भीतर आंतरिक संघर्ष के कारण 1979 में पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण नीति पर इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन उन्होंने कभी भी सामाजिक न्याय के अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ा।
1978 में, उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण शुरू किया।
भारत रत्न से किया जाएगा सम्मानित
कर्पूरी ठाकुर को बिहार का जननायक कहा जाता है। वे बिहार के लोगों के बीच एक लोकप्रिय नेता थे। उनके निधन के बाद भी, वे बिहार के लोगों के बीच एक प्रेरणा हैं।
भारत सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित करते हुए कहा कि वह एक महान नेता थे जिन्होंने सामाजिक न्याय और समानता के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था।
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