राजस्थान की धरती पर जन्मे कुशाल सिंह धनला एक बहुआयामी व्यक्तित्व हैं। समाजसेवी, सफल उद्यमी और राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय नेता के रूप में उनकी पहचान है। गरीबों की सहायता, शिक्षा के प्रसार और सामाजिक सरोकारों के प्रति निष्ठा उन्हें आम जनता के बीच सम्मानित और आदरणीय बनाती है। वहीं, शिक्षा प्राप्त करने के बाद उनकी कड़ी मेहनत से शुरू किए गए व्यवसायों ने उन्हें आर्थिक क्षेत्र में भी सफलता दिलाई है। राजनीति में भी उन्होंने अपनी भूमिका निभाई है और वर्तमान में एक प्रमुख राजनीतिक दल के जिला उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं। आइए, उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर एक नजर डालते हैं।
जन्म | 1 जुलाई 1975 |
जन्मस्थान | पाली, राजस्थान |
पिता | श्री प्रेम सिंह कुम्पावत |
माता | श्रीमती कचन कंवर |
शिक्षा | B.A (जयपुर विश्वविद्यालय), B.PEd (नागपुर विश्वविद्यालय) |
व्यवसाय | शिक्षाविद्, हार्डवेयर व्यवसायी |
पत्नी | श्रीमती प्रमोद कंवर |
बच्चे | डॉ. प्रियदर्शनी कंवर, आदित्य प्रताप सिंह राठौड़ |
रुचि | वॉलीबॉल, कबड्डी, संगीत |
आदर्श | स्वामी विवेकानन्द |
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
कुशाल सिंह का जन्म 1 जुलाई 1975 को राजस्थान के पाली जिले के एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री प्रेम सिंह कुम्पावत और माता श्रीमती कचन कंवर खेती का कार्य करते थे। बचपन से ही समाज सेवा की भावना रखने वाले कुशाल सिंह ने शिक्षा के क्षेत्र में भी रुचि प्रदर्शित की। उन्होंने ग्रामीण विद्यालयों में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और बाद में जयपुर विश्वविद्यालय से कला स्नातक (B.A) की डिग्री हासिल की। इसके पश्चात उन्होंने शारीरिक शिक्षा में रुचि के चलते नागपुर विश्वविद्यालय से B.PEd की डिग्री भी प्राप्त की।
पारिवारिक जीवन:
कुशाल सिंह बड़े ही पारिवारिक व्यक्ति हैं, वे हमेशा ही संयुक्त परिवार में रहना पसंद करते हैं, उनके परिवार में उनके भाई देवेंद्र सिंह(छोटसा), ख़ुशवीर सिंह, तेजपाल सिंह हैं, जो सभी एक साथ रहते हैं। वे अपने परिवार को अत्यधिक प्रेम करते हैं जिस कारण से उन्हें एक साथ रहना पसंद है। साथ ही उनके भाई व्यवसाय में भी एक साथ ही हैं, वे सभी एक साथ मिलकर व्यवसाय चलाते हैं।
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खेल और रुचियां:
कुशाल सिंह को बचपन से ही खेलों में गहरी रुचि रही है। विशेष रूप से वॉलीबॉल और कबड्डी उनके पसंदीदा खेल हैं। पढ़ाई के साथ-साथ वह इन खेलों में भी सक्रिय रूप से भाग लेते थे। संगीत के क्षेत्र में भी उनकी रुचि देखने को मिलती है। स्वर कोकिला लता मंगेशकर की मधुर आवाज उन्हें मंत्रमुग्ध कर देती है। खाली समय में वे हमेशा लता जी के गाने सुनना पसंद करते हैं।
आदर्श और प्रेरणा:
जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करने वाले आदर्शों का होना बहुत जरूरी है। कुशाल सिंह, स्वामी विवेकानंद और उमेद सिंह जी (उनके दादा जी) को अपना आदर्श एवं प्रेरणा स्रोत मानते हैं। स्वामी विवेकानंद के विचारों और कार्यों से प्रेरणा लेकर उन्होंने समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण के कार्यों में निरंतर योगदान दिया है।
समाज सेवा की राह:
कुशाल सिंह धनला का जीवन समाज सेवा के कार्यों से भरा हुआ है। उनका मानना है कि समाज में समानता और न्याय स्थापित करना ही सच्चा विकास है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए हैं।
- शिक्षा: गरीब बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए उन्होंने निशुल्क शिक्षा शिविरों का आयोजन किया है। साथ ही, विद्यालयों के विकास में भी योगदान दिया है। उन्होंने दयानन्द उच्च प्राथमिक विद्यालय, खिवाड़ा की स्थापना भी की है।
- स्वास्थ्य: ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को दूर करने के लिए उन्होंने स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया है।
- गरीब सहायता: गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता के लिए उन्होंने कई योजनाएं चलायी हैं।
- महिला सशक्तिकरण: महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्होंने कौशल विकास कार्यक्रमों का आयोजन किया है।
- पर्यावरण संरक्षण: पर्यावरण की रक्षा के लिए उन्होंने वृक्षारोपण अभियान चलाए हैं।
- गरीब लड़कियों का विवाह: इसके साथ ही कुशाल सिंह धनला और उनके भाइयों ने मिलकर गरीब मेघवाल परिवार की कन्याओं का विवाह भी अपने घर से बड़े ही धूमधाम से करवाया था।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: हाल ही में कुशाल सिंह धनला जी ने अपने गाँव में भूरा राठौड (सायर जी) का मेले का आयोजन करवाया था, जिसमें भोजन-प्रसाद की व्यवस्था आदि भी थी, इस आयोजन में 12,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया था।
व्यावसायिक सफलता:
शिक्षा प्राप्त करने के बाद कुशाल सिंह ने 1999 में दयानन्द उच्च प्राथमिक विद्यालय, खिवाड़ा की स्थापना की। शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देने के साथ-साथ उन्होंने हार्डवेयर के व्यवसाय में भी कदम रखा। 2007 से वे दिल्ली, जम्मू, जयपुर और कानपुर में हार्डवेयर की दुकानों का सफलतापूर्वक संचालन कर रहे हैं। वे कुशल व्यवसायी हैं और उन्होंने अपने व्यवसायों में लगातार विकास किया है।
व्यवसाय |
1999 में दयानन्द उच्च प्राथमिक विद्यालय, खिवाड़ा की स्थापना |
2007 से हार्डवेयर की दुकानें दिल्ली में प्रिया इंटरप्राइजेज और भवानी इंटरप्राइजेज जम्मू में बालाजी ट्रेडर्स और जगदम्बा इंटरप्राइजेज जयपुर में आदित्य इंटरप्राइजेज कानपुर में बालाजी इंटरप्राइजेज |
राजनीतिक जीवन:
सामाजिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में सफल होने के साथ ही कुशाल सिंह विश्वविद्यालय के समय से ही राजनीति में भी सक्रिय हैं। 1994-95 में उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय में अपना पहला चुनाव लड़ा और जीता। वर्तमान में वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पाली जिला किसान मोर्चा के उपाध्यक्ष हैं। उनकी पत्नी प्रमोद कंवर भी सरपंच हैं। वे राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं और लोगों के हितों के लिए कार्य करते हैं।
राजनीति में प्रवेश | 1994-95 |
पहला चुनाव | राजस्थान विश्वविद्यालय |
वर्तमान पद | भाजपा के पाली जिला किसान मोर्चा उपाध्यक्ष |
पत्नी का पद | सरपंच |
विशेषताएं | सक्रिय राजनीतिज्ञ, लोगों के हितों के लिए कार्य |
सम्मान और पुरस्कार:
अपने सामाजिक कार्यों और योगदान के लिए कुशाल सिंह को अनेक सम्मानों से नवाजा गया है। इनमें SDM मारवाड़ जंक्शन, पाली, जिला कलेक्टर पाली, राजस्थान और मारवाड़ राजपूत सभा भवन जैसे सम्मान शामिल हैं। उन्हें उनके सामाजिक कार्यों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित किया गया है।
प्रकार | सामाजिक कार्यों के लिए |
उदाहरण | SDM मारवाड़ जंक्शन, पाली, जिला कलेक्टर पाली, राजस्थान, मारवाड़ राजपूत सभा भवन, राष्ट्रीय स्तर के सम्मान |
विशेषताएं | समाज सेवा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित |
संघर्ष और चुनौतियाँ:
कुशाल सिंह के जीवन में भी कई संघर्ष और चुनौतियाँ आईं। गरीब परिवार से होने के कारण उन्होंने शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत संघर्ष किया। दुग्ध डेरी, खेती का कार्य, उचित मूल्य की दुकान पर भी उन्होंने कार्य किया। सामाजिक कार्यों में भाग लेने के कारण उन्हें कई बार विरोध का सामना भी करना पड़ा। उन्होंने अपनी लगन और मेहनत से इन सभी चुनौतियों का सामना किया और सफलता प्राप्त की।
कुशाल सिंह धनला एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं। उन्होंने समाज, व्यवसाय और राजनीति के क्षेत्रों में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। निश्चित रूप से वे युवाओं के लिए एक आदर्श हैं।