[100+] Lokoktiyan In Hindi | हिंदी की प्रमुख लोकोक्तियाँ

लोकोक्तियाँ का अर्थ होता है, पूरी तरह स्पष्ट होना। इसे कहावतें भी कहते हैं। लोकोक्तियाँ वाक्य के अर्थ को पूर्ण रूप से स्पष्ट करती है। कहावतें कही हुई बातों के समर्थन में होती है। यह संस्कृत भाषा का शब्द है। जब कोई पूरा कथन किसी प्रसंग विशेष में प्रचंड किया जाता है, तो उसे लोकोक्ति ... Read more

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Reported by Saloni Uniyal

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लोकोक्तियाँ का अर्थ होता है, पूरी तरह स्पष्ट होना। इसे कहावतें भी कहते हैं। लोकोक्तियाँ वाक्य के अर्थ को पूर्ण रूप से स्पष्ट करती है। कहावतें कही हुई बातों के समर्थन में होती है। यह संस्कृत भाषा का शब्द है। जब कोई पूरा कथन किसी प्रसंग विशेष में प्रचंड किया जाता है, तो उसे लोकोक्ति कहते हैं। तो आइये जानते है हिंदी की 100 से अधिक प्रमुख लोकोक्तियाँ कौन-कौन सी है। संक्षेप में जानने के लिए हमारे आर्टिकल को विस्तारपूर्वक अंत तक पढ़े।

[100+] Lokoktiyan In Hindi | हिंदी की प्रमुख लोकोक्तियाँ
हिंदी की प्रमुख लोकोक्तियाँ

हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से 100 से अधिक लोकोक्तियाँ बताई है, लेकिन क्या आप जानते हो लोकोक्तियाँ किसे कहते है एवं लोकोक्तियाँ और मुहावरे में क्या अंतर होता है ?

यह भी पढ़े :- 300+ हिंदी मुहावरे – हिंदी में मुहावरे, अर्थ और प्रयोग

हिंदी की प्रमुख लोकोक्तियाँ

क्र.संप्रमुख लोकोक्तियाँअर्थ
1आप भला तो जग भलाअच्छे आदमी के लिए सारी दुनिया अच्छी
2अक्ल बड़ी या भैंसबल से बुद्धि बड़ी होती है
3अंधेर नगरी, चौपट राजाचारों तरफ अन्याय एवं अव्यवस्था
4आँख का अंधा, गांठ का पूरामूर्ख लेकिन धनवान्
5अपने दही को कौन खट्टा कहता है ?अपनी चीज सबको अच्छी लगती है
6अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ताअकेला आदमी कठिन कार्य नहीं कर सकता
7अधजल गगरी छलकत जाएओछे व्यक्ति में अकड़पन होता है
8आटे के साथ घुन भी पिसता हैदोषी के साथ निर्दोष भी दंडित होता है
9आम के आम, गुठली के दामदोहरा फायदा उठाना
10आये थे हरि भजन को, ओटन लगे कपासबड़े काम को छोड़कर छोटे काम में लग जाना
11ताड़ से गिरा तो खजूर पर अटकाएक संकट के बाद दूसरा संकट
12ओस चाटे प्यास नहीं बुझतीजरूरत से कम होने पर काम नहीं चलता
13उलटे चोर कोतवाल को डाँटेदोषी ही दोष बतलानेवाले पर बिगड़े
14ऊँट के मुँह में जीराआवश्यकता अधिक लेकिन मिलना बहुत कम
15एक म्यान में दो तलवारसबल प्रतिद्वंद्वी एक साथ
16एक पंथ दो काजएक साथ दो काम या एक ही साथ दो-दो काम सधना
17हाथी चले बजार, कुत्ता भुंके हजारकाम करनेवाले या आगे बढ़नेवाले विरोध की परवाह नहीं करते
18ऊँची दुकान, फीका पकवानसिर्फ बाहरी चमक दमक, भीतर खोखलापन
19एक अनार, सौ बीमारवस्तु कम, लेकिन माँग बहुत अधिक
20एक तो चोरी, दूसरे सीनाजोरीगलती करना साथ ही रोब भी गाठना
21ऊखल में सिर दिया तो मूसल से क्या डरनाकठिन कार्य में हाथ लगाकर विघ्न-बाधा की परवाह न करना
22कहाँ राजा भोज, कहाँ भोजवा (गंगू) तेलीबहुत छोटे की तुलना बड़ों से नहीं होती है
23काठ की हाँड़ी दूसरी बार नहीं चढ़तीछल-कपट सदा नहीं चलता है
24खोदा पहाड़, निकली चुहियाप्रयत्न बड़ा, लेकिन लाभ छोटा
25एक हाथ से ताली नहीं बजतीकोई लड़ाई एकतरफा नहीं होती है
26खेत खाये गदहा, मार खाये जोलहागलती करे कोई, और फल भुगते कोई
27काला अक्षर भैंस बराबरनिरक्षर, अनपढ़
28लिखे ईसा पढ़े मूसागंदी लिखावट
29अन्त भले तो सब भलाजो भले काम करता है, अन्त में उसे सुख मिलता है
30अपनी पगड़ी अपने हाथआपकी इज्ज़त आपके हाथों में है
31होनहार बिरवान के होत चिकने पातमहानता के लक्षण बचपन से दिखाई पड़ना
32रस्सी जल गयी, पर ऐंठन न गयीनाश हो जाने बाद भी व्यक्ति की अकड़ न जाना
33कौआ चला हंस की चालछोटों या क्षुद्र व्यक्ति द्वारा बड़ों की नकल करना
34मियाँ की दौड़ मस्जिद तकसाधारण व्यक्ति का सीमित क्षेत्र में काम करना
35न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगीकाम टालने के लिए साधन का बहाना)
36खिसियानी बिल्ली खंभा नोचेअसफलता या लज्जा के कारण किसी दूसरी चीज पर क्रोध प्रकट करना
37पढ़े फारसी बेचे तेलभाग्य क्या न करा दे
38दीवार के भी कान होते हैंकोई भेद या रहस्य न खुले, अतः सावधान
39तेते पाँव पसारिए जेती लंबी सौरअपनी शक्ति या सामर्थ्य के मुताबिक काम या व्यापार
40भागते भूत की लैंगोटी सही या भलीन से, जो मिल जाए वही काफी
41टेढ़ी अँगुली से ही घी निकलता हैसीधापन से काम नहीं चलता है
42छछूदर के सिर पर चमेली का तेलनीच को सुंदर वस्तु की प्राप्ति
43तू डाल-डाल, मैं पात-पातनहले पर दहला, चालाकी का जवाब चालाकी
44अपनी करनी, पार उतरनीजैसा करोगे वैसा पाओगे
45झूठ के पांव नहीं होतेझूठ बोलने में कुछ खर्च नहीं होता
46धोबी का कुत्ता, न घर का न घाट कानिकम्मा व्यक्ति, कहीं का न रहना
47चौबे गये छब्बे बनने, दूबे होके आयेलाभ के बदले हानि उठाना
48बोये पेड़ बबूल के आम कहाँ ते होयबुरे काम का परिणाम बुरा ही होता है
49दूध का जला मट्ठा भी फूंक-फूंककर पीता हैधोखा खाने के बाद आदमी सँभल जाता है
50टंटा विष की बेल हैझगड़ा करने से बहुत हानि होती है
51छोटे मियौँ तो छोटे मियौं बड़े मियाँ सुभान-अल्लाहबड़ों में छोटों की अपेक्षा अधिक बुराई या कमी
52घर का भेदिया लंकादाहआपसी फूट से सर्वनाश हो जाना
53गाँव का जोगी जोगड़ा, आन गाँव का सिद्धदूर के ढोल सुहावन या घर की मुरगी दाल बराबर
54घी का लड्डू टेढ़ा भी भलागुणवान् वस्तु या व्यक्ति का रूप रंग नहीं देखा जाता
55अपने मुंह मियां मिळूअपने मुंह से अपनी बड़ाई करने वाला व्यक्ति
56आंसू एक नहीं और कलेजा टूक-टूकदिखावटी रोना
57गोद में लड़का, नगर (शहर) में ढिंढोरापास की वस्तु की खोज दूसरी जगह
58अभी दिल्ली दूर हैअभी काम पूरा होने में देर है
59अंधे के आगे रोवे, अपना दीदा खोवेमूर्खों को सदुपदेश देना या उनके लिए शुभ कार्य करना व्यर्थ है
60चोर-चोर मौसेरे भाईएक ही क्षेत्र के लोग अपनो का ही साथ देते है
61सूम के धन शैतान खाएफ्री में मिला हुआ धन या संपत्ति व्यर्थ ही जाता है
62कौवा चला हंस की चाल अपनी भी भूल गयादूसरों की नकल करने के प्रयास में अपनी विशेषता भी गवा देना
63आंखों के आगे पलकों की बुराईकिसी के भाई बन्धुओं या इष्ट-मित्रों के सामने उसकी बुराई करना
64भूखे पेट भजन नही होयविना मुनाफा के कोई कार्य नही होता
65खिसयानी बिल्ली खम्भा नोचयगुस्साया हुआ व्यक्ति किसी को भी डाटे
66एक तो करेला दूजे नीम चढ़ाएक दोष तो था ही दूसरा और लग गया
67कोयले की दलाली में मुंह कालारे के साथ रहने से बुराई बुराई ही मिलती है
68बाँझ का जाने प्रसव की पीड़ापीड़ा को सहकर ही समझा जा सकता है
69जैसी राजा वैसी प्रजाजैसे मालिक वैसे ही बाकी सब लोग
70झूठ के पांव नहीं होतेझूठा आदमी बहस में नहीं ठहरता, उसे हार माननी होती है
71झट मँगनी पट ब्याहकिसी काम के जल्दी से हो जाने पर उक्ति
72जैसा घर वैसा आगनजैसा काम वैसा परिणाम
73जो दूसरों के लिए गड्ढ़ा खोदता है, वही गड्ढ़ा में गिरता हैजो दूसरे लोगों को हानि पहुँचाता है उसकी हानि अपने आप हो जाती है
74जो गुड़ खाय वही कान छिदावेजो आनंद लेता हो वही परिश्रम भी करे और कष्ट भी उठावे
75ज्यों-ज्यों भीजै कामरी, त्यों-त्यों भारी होयजितना ही अधिक ऋण लिया जाएगा उतना ही बोझ बढ़ता जाएगा
76सहजय गुड़ पक्कय ता सबै लपक्कयअगर कोई काम सरल होता, तो सब ही कर लेते
77जीभ और थैली को बंद ही रखना अच्छा हैकम बोलने और कम खर्च करने से बड़ा लाभ होता है
78न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरीन कारण होगा, न कार्य होगा
79एक अंडा वह भी गंदाएक ही पुत्र, वही भी निकम्मा
80एक ही थैले के चट्टे-बट्टेएक ही प्रकार के लोग
81श्वर की माया, कहीं धूप कहीं छायाभगवान की माया विचित्र है। संसार में कोई सुखी है तो कोई दुःखी, कोई धनी है तो कोई निर्धन
82जी कहो जी कहलाओयदि तुम दूसरों का आदर करोगे, तो लोग तुम्हारा भी आदर करेंगे
83गिलोय और नीम चढ़ीदुर्गुणों में और वृद्धि हो जाना, दो-दो दुर्गुण
84जान है तो जहान हैयदि जीवन है तो सब कुछ है। इसलिए सब तरह से प्राण-रक्षा की चेष्टा करनी चाहिए
85अपने मुंह मियां मिळूअपने मुंह से अपनी बड़ाई करने वाला व्यक्ति
86अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता हैअपने घर या मोहल्ले आदि में सब लोग बहादुर बनते हैं
87एक और एक ग्यारह होते हैंमेल में बड़ी शक्ति होती है
88आ बैल मुझे मारजान- बूझकर विपत्ति में पड़ना
89कर नहीं तो डर नहींबुरा ना किया तो किसी से डरना कैसा
90काठ के उल्लूनिकम्मा आदमी, किसी काम का नहीं
91हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के कुछ औरअति कंजूस होना
92उल्टा चोर कोतवाल को डांटेअनुचित काम करके भी न दबना
93ईश्वर देता है तो छप्पर फाड़ केअकस्मात अत्यधिक लाभ हो जाना
94आधा तेल आधा पानीऐसी मिलावट जो अनुपयोगी हो।
95अपना हाथ जगन्नाथअपने हाथ से काम करने में ईश्वरीय शक्ति है
96अंधा पीसे कुत्ता खाएनासमझ के कामों का लाल चतुर्थ आते हैं
97एक मछली सारे तालाब को गंदा करती हैएक के दुष्कर्म से सहकर्मी बदनाम होते हैं
98जिसकी बिल्ली उसी से म्याऊँ करेजब किसी के द्वारा पाला हुआ व्यक्ति उसी से गुर्राता है
99आम के आम गुठलियों के दामकिसी वस्तु से दोहरा लाभ होना
100जिसके राम धनी, उसे कौन कमीजो भगवान के भरोसे रहता है, उसे किसी चीज की कमी नहीं होती
101जैसा देश वैसा वेशजहाँ रहना हो वहीं की रीतियों के अनुसार आचरण करना चाहिए
102इधर कुआं उधर खाईदोनों तरफ से हानि की संभावना
103डूबते को तिनके का सहाराविपत्ति में पड़े हुए मनुष्यों को थोड़ा सहारा भी काफी होता है
104अपनी करनी पार उतरनीअपने ही परिश्रम से सफलता मिलती है
105ऊंट के गले में बित्लीअनुचित, अनुपयुक्त या बेमेल संबंध विवाह
106अंधा क्या चाहे दो आंखेंमनचाही वस्तु देने वाले से और कुछ नहीं चाहिए
107डेढ़ पाव आटा पुल पर रसोईथोड़ी पूँजी पर झूठा दिखावा करना
108अपनी-अपनी डफली अपना-अपना रागसब लोगों का अपनी-अपनी धुन में मस्त रहना
109बाँझ का जाने प्रसव की पीड़ापीड़ा को सहकर ही समझा जा सकता है
110बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़छोटे का बड़े से बढ़ जाना

Lokoktiyan In Hindi FAQs –

लोकोक्तियाँ किसे कहते हैं ?

शब्दों का वह रूप जो किसी वाक्य के अर्थ को पूर्ण रूप से स्पष्ट करता है, उसे लोकोक्तियाँ कहते है। हमारे महापुरुषों, कवियोंएवं संतों के द्वारा कहे हुए कुछ ऐसे कथन, जो स्वतंत्र और आम बोलचाल की भाषा में बोले जाते है, इस कथनों के पीछे कोई-न-कोई घटना व कहानी होती है।

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जैसा मुँह वैसा तमाचा का’ इस लोकोक्ति का हिंदी अर्थ क्या हैं ?

इस शब्द का अर्थ है, जैसा आदमी होता है वैसा ही उसके साथ व्यवहार किया जाता है।

जिसकी लाठी उसकी भैंस‘ इस लोकोक्ति का हिंदी अर्थ क्या हैं ?

इस शब्द का हिंदी अर्थ है, शक्ति सम्पन्न आदमी अपना काम बना लेता है

‘बिल्ली के सपने में चूहा’ शब्द का लोकोक्ति अर्थ क्या होगा ?

इस शब्द का अर्थ है, जरूरतमंद को सपने में भी जरूरत की ही वस्तु दिखाई देती है।

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