Makar Sankranti 2024: दोस्तों आपको तो पता ही होगा मकर संक्रांति हिन्दू धर्म में मानने वाले लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व हर साल अंग्रेजी कैलेंडर के जनवरी महीने की 14 या 15 तारीख को मनाया जाता है। लोग इस दिन गंगा में स्नान कर सूर्य भगवान की पूजा-आराधना करते हैं। मकर संक्रांति के दिन दान पुण्य का बड़ा ही महत्व है लोग इस दिन अन्न, उड़द की दाल, वस्त्र, तिल और लड्डू आदि का दान करते हैं।
मकर संक्रांति भारत ही नहीं दुनिया के कई अन्य देश जैसे (नेपाल, बांग्लादेश, थाईलैंड, लाओस, म्यांमार आदि) में बड़े ही धूम धाम और हर्षोलास से मनाया जाता है। मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है मान्यता है की इस दिन सूर्य भगवान धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। भारत के पश्चिमी सीमा से सटे गुजरात राज्य में मकर संक्रांति वाले दिन बहुत बड़े पैमाने पर पतंगबाज़ी की जाती है।
मकर संक्रांति का क्या है महत्व जानें:
मकर संक्रांति का हिन्दू त्योहारों में बड़ा ही महत्व है इस दिन सभी हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग पवित्र गंगा नदी में स्नान आदि कर सूर्य भगवान की पूजा करते हैं। माना जाता है की मकर संक्रांति के दिन गंगा जी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। पूजा करने के बाद अन्न, गुड़, तिल से बने प्रसाद का भोग लगाकर अन्न, वस्त्र आदि का दान किया जाता है। लोगों की मान्यता है की सूर्य भगवान की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
मकर संक्रांति 2024 शुभ मुहूर्त:
- ज्योतिषचार्यों के अनुसार वर्ष 2024 में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जायेगा।
Makar Sankranti History and Story (पौराणिक कथा)
मकर संक्रांति की पौराणिक कथा: आपको बताते चलें की मकर संक्रांति के संबंध में एक पौराणिक कथा काफी प्रचलित है। यह कथा कुछ इस प्रकार से है। मान्यता है की प्राचीन समय में सगर नाम के प्रतापी राजा थे जिनको हम भगीरथ के नाम से भी जानते हैं जो अपने परोपकार और पुण्य कर्मों के कारण तीनों लोकों के साथ चारों दिशाओं में काफी प्रसिद्ध थे। राजा सगर की इतनी प्रसिद्धि को देखते हुए देवताओं के राजा इंद्र को यह चिंता होने लगी की कहीं राजा सगर स्वर्ग पर अपना अधिकार न जमा लें और स्वर्ग के राजा ना बन जाएँ।
जब इंद्र इन्हीं सब चिंताओं में डूबे हुए थे तो तब राजा सगर ने अपने राज्य में एक अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन करवाया। इस यज्ञ में कई देशों के राजा शामिल हुए। राजा सगर ने यज्ञ में इंद्र को भी आमंत्रित किया। जब यज्ञ की पूजा समाप्त हुई और घोड़े को छोड़ा गया तो देवताओं के राजा इंद्र ने घोड़ा चुराकर कपिल मुनि के आश्रम में बाँध दिया। जब राजा सगर को इस बात की सुचना हुई तो उन्होंने अपने सभी साठ हजार पुत्रों को घोड़े की खोज के लिए भेज दिए।
अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को खोजते हुए जब राजा सगर के सभी पुत्र कपिल मुनि के आश्रम में पहुंचे तो उन्होंने देखा की उनके द्वारा अश्वमेघ यज्ञ की पूजा के छोड़ा गया घोड़ा कपिल मुनि के आश्रम में बंधा हुआ है। यह सब देख राजा सगर ने पुत्रों ने कपिल मुनि पर घोड़ा चोरी करने का आरोप लगा दिया। अपने ऊपर लगे झूठे आरोपों के कारण कपिल मुनि बहुत ही क्रोधित हो गए और अपनी तपशक्ति से श्राप देकर राजा के पुत्रों को जलाकर भस्म कर दिया।
जब इस घटना के बारे राजा सगर को पता चला तो वह तुरंत ही भागकर कपिल मुनि के आश्रम पर पहुंचे। आश्रम पहुंचकर राजा सगर ने कपिल मुनि से अपने पुत्रों को जीवनदान देने की प्रार्थना करने लगे। लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ। बहुत बार निवेदन करने पर कपिल मुनि ने कहा की हे राजन आपके सभी पुत्रों के मोक्ष का एक ही रास्ता है की आप स्वर्ग में बहने वाली मोक्षदायिनी मां गंगा (Ganga) को स्वर्ग से धरती पर ले आएं। यह सुनकर राजा सगर के पोते अंशुमन ने यह प्रण लिया की जब मोक्षदायिनी मां गंगा को पृथ्वी पर नहीं लाते वह और उनके वंश का कोई भी राजा शान्ति से नहीं बैठेगा। गंगा को धरती पर उतारने के लिए राजकुमार अंशुमान कड़ी तपस्या करने लगे। लेकिन राजकुमार अंशुमन की मृत्यु के बाद राजा सगर (भगीरथ) को कड़ी तपस्या करनी पड़ी।
अपने कठिन तप से राजा सगर (भगीरथ) ने मां गंगा को प्रसन्न कर दिया। लेकिन मां गंगा का वेग बहुत ज्यादा था। यदि मां गंगा अपने इस वेग से पृथ्वी पर उतरती तो पृथ्वी पर सब सर्वनाश हो जाता। गंगा के वेग को रोकने के लिए राजा भगीरथ अपने कठिन तप से भगवान शिव को प्रसन्न किया और भगवान शिव से गंगा के वेग को रोकने हेतु सहायता माँगी। भगीरथ से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर लिया। जिससे गंगा का वेग कम हो गया और गंगा सामान्य रूप में पृथ्वी पर अवतरित हो गई।
गंगा को अपनी जटाओं में धारण करने के कारण ही भगवान शिव गंगाधर कहलाये। जब राजा भगीरथ मां गंगा को कपिल मुनि के आश्रम में लेकर आये तो कपिल मुनि ने राजा के सभी 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया। मान्यता है की जिस दिन राजा सागर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्राप्त हुआ उस दिन मकर संक्रांति का त्योहार था।
मकर संक्रांति से संबंधित प्रश्न एवं उत्तर (FAQs):
गंगा नदी जहाँ समुद्र में मिलती है उस स्थान को गंगासागर के नाम से जाना जाता है।
वर्ष 2024 यानी की अगले वर्ष मकर संक्रांति 15 जनवरी को है।
मकर संक्रांति के दिन तमिलनाडु राज्य में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्योहार है।
हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में मकर संक्रांति को माघी के नाम से जाना जाता है।
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