मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास | Mehandipur Balaji Temple History in Hindi

आज हम अपने आर्टिकल में बात करेंगे मेहंदीपुर के बालाजी महराज (Mehandipur Balaji temple) के मदिर के बारे में। मेहंदीपुर बालाजी हनुमान जी का मंदिर है जो राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। यहाँ दूर दूर से लोग बालाजी के दर्शन हेतु आते हैं और अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने की विनती करते हैं। ... Read more

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Reported by Rohit Kumar

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आज हम अपने आर्टिकल में बात करेंगे मेहंदीपुर के बालाजी महराज (Mehandipur Balaji temple) के मदिर के बारे में। मेहंदीपुर बालाजी हनुमान जी का मंदिर है जो राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है। यहाँ दूर दूर से लोग बालाजी के दर्शन हेतु आते हैं और अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने की विनती करते हैं। हनुमान जी अतुलनीय बलशाली हैं जिससे उन्हें बालाजी की संज्ञा दी गयी है। भक्तों की बालाजी धाम में बहुत मान्यता है। उनका मानना है कि किसी भी प्रकार के छूट प्रेत बाधाओं के शिकार लोगों को इन समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास | Mehandipur balaji temple history in hindi
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास

इसके अतिरिक्त बहुत से खतरनाक बीमारियों से पीड़ित भक्त भी यहाँ अपनी बीमारियों का बिना किसी दवा के इलाज कराने आते हैं। आइये आज जानते इसी बालाजी धाम (Mehandipur Balaji temple) के बारे में विस्तार से –

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर

राजस्थान के दौसा जिले में स्थित Mehandipur Balaji temple में भक्त दूर दूर से आते हैं। इस धाम की बहुत मान्यता है। सभी भक्त यहाँ अपनी मनौती पूरी करने के लिए आते हैं। इस मंदिर को मुख्य रूप से भूत प्रेत की बाधा से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए जाना जाता है। यहाँ सभी भुक्तभोगी व उनके परिवार वाले आते हैं जिससे उन्हें इस समस्या से मुक्ति मिल सके। इसके अतिरिक्त अन्य सभी भक्त जो नियमित रूप से दर्शन हेतु आते हैं वो भी यहाँ आकर बालाजी महाराज की कृपा प्राप्त करते हैं।

जैसे की बालाजी धाम में भवन शिव के 11 वें रूद्र अवतार हनुमान जी की पूजा की जाती है, जो यहाँ बालाजी के नाम से प्रसिद्द हैं। कहते हैं कि माता सीता द्वारा दिए गए अमरता के आशीर्वाद के अनुसार कलयुग में भी हनुमान जी हैं और इसी वजह से ही इस युग के सबसे जीवंत देवता भी हनुमान जी ही हैं और इस धाम में हनुमान जी ही सभी भक्तों की प्रार्थना को स्वीकार करते हैं और उन पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं।

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Highlights Of Mehandipur Balaji Temple

आर्टिकल का नाम मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास
स्थित है राजस्थान के दौसा जिले में
समर्पित है भगवान बालाजी हनुमान
किसकी पूजा होती है ?भगवान बालाजी, साथ में प्रेतराज सरकार, और कोतवाल भैरवनाथ जी की।
मान्यता है / किसलिए जाना जाता है ?भूत प्रेत बाधा से ग्रस्त लोगों को मुक्ति, मनोकामनाएं पूर्ण करने हेतु
यहाँ कब जा सकते हैं ?कभी भी।

Mehandipur Balaji temple

मेहंदीपुर के बालाजी मंदिर में मुख्य रूप से तीन मूर्तिया हैं। जिनमे से एक बालाजी महाराज और उनके दो प्रमुख सहायक – प्रेतराज सरकार और भैरव बाबा भी विराजमान हैं। जहाँ पहले सभी प्रेतराज महाराज के दर्शन करते हैं फिर बालाजी महाराज के दर्शन के बाद भैरव बाबा के दर्शन करने का प्रावधान है। भैरव बाबा को कोतवाल कप्तान भी कहा जाता है। यहाँ आने वाले भक्तों को बालाजी को लड्डू, प्रेतराज सरकार को चावल और कोतवाल कप्तान (भैरव) को उड़द का प्रसाद चढ़ाना होता है।

आप की जानकारी के लिए बता दें कि मंदिर में स्थापित मेहंदीपुर बालाजी की बायीं छाती में एक छोटा सा छेद है, जिससे लगातार जल निकलता है। भक्तों में ऐसी मान्यता है कि कहा जाता है की यह बालाजी का पसीना है। इसके साथ ही राम सीता मंदिर भी सामने पर स्थित है और इसे ऐसे बनाया गया है जिससे हनुमान जी भगवान राम और माता सीता के हर पल दर्शन कर सकें।

यहाँ जानिए देवताओं के पद और उनके भोग :
यहाँ उपस्थित तीन देवताओं में से बालाजी महाराज के भोग के लिए लड्डुओं का प्रसाद लगता है। इन्हे मेहंदीपुर के राजा भी कहते हैं। बालाजी महाराज के सामने ही सभी बुरी आत्माओं की पेशी लगती है। प्रेतराज सरकार को पके हुए चावल और खीर का भोग लगाने का प्रचलन है। ये बालाजी महाराज के दरबार के दंडनायक के रूप में विराजित हैं। इन्हे सभी बुरी आत्माओं को दण्ड देने का अधिकार प्राप्त है।

भैरव कोतवाल यानी की भैरव बाबा बालाजी महराज की सेना के सेनापति के रूप में जाना जाता है साथ ही इन्हे कोतवाल कप्तान भी कहा जाता है। बाबा भैरव भी भगवान शिव के अवतार हैं। बाबा भैरव को उड़द से बनी हुई चीज़ों का भोग लगाया जाता है। अधिकतर भैरव बाबा को मिठाइयों में जलेबी और गुलगुले का भोग लगाया जाता है। साथ ही उड़द की दाल के बने दही भल्ले भी।

Mehandipur Balaji temple में भयावह हो सकता है दृश्य

भगवान बालाजी का धाम पहाड़ियों के बीच घिरा है जिस वजह से इस स्थान को घाटा मेंहदीपुर मंदिर भी कहा जाता है। बालाजी धाम पहुंचकर हो सकता है शुरुआत में कुछ लोगों के लिए ये भयावह अनुभव हो। कहते हैं कि यहाँ आने के कुछ समय बाद ही यहाँ का दृश्य बदल जाता है और हर तरफ बहुत से महिलाओं और पुरुषों के चीखने की आवाज़ें आने लगती हैं। दरअसल यहाँ आते ही सबसे पहले आते ही सभी भक्त लाये हुए प्रसाद को चढ़ाते हैं। जिसके बाद भूत प्रेत बाधाओं से ग्रस्त व्यक्तियों के व्यवहार में बदलाव आने लगता है।

यहाँ एक तरफ हनुमान चालीसा का पाठ करते लोग तो कभी जय श्री राम का उच्चारण सुनाई देने लगता है। वहीं प्रेतबाधा से पीड़ित लोगों को व्यवहार कुछ डरावना हो जाता है जैसे की वो अपने सिरों को चारों तरफ घुमाने लगते हैं तो कोई गाने लगता है, कोई चिल्लाता है, भागता है, सर पटकता है व ऐसी ही तमाम अजीब अजीब हरकतें करने लगते हैं। जिससे माहौल काफी डरावना लग सकता है। यहाँ शरीर को प्रेतात्मा से मुक्त करने के लिए उसे कठोर से कठोर दंड दिया जाता है जिससे पीड़ित व्यक्ति जल्द ठीक हो जाता है।

यहाँ मिलने वाला प्रसाद नहीं ले जा सकते घर

बालाजी के श्रद्धालुओं को जानकारी दे दें कि इस मंदिर की विशेषता ये है कि यहाँ से मिलने वाला प्रसाद आप अपने घर नहीं ले जा सकते। शास्त्रों में कहा गया है कि मीठी चीजें और सुगन्धित चीजों की तरफ नकारात्मक शक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इसलिए ये चीज़ें तो दूर आप यहाँ पर मिलने वाले प्रसाद को भी यहीं खाकर बाकी मंदिर परिसर में ही छोड़ जाएँ। बताते हैं कि जैसे ही पीड़ित व्यक्ति बालाजी का प्रसाद यानी लड्डू खाते हैं वैसे ही उनके अंदर भूत प्रेत छटपटाने लगते हैं।

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यहाँ जो प्रसाद चढ़ाया जाता है उसे दरख्वास्त या अर्जी भी कहते हैं। बता दें की मंदिर में एक बार दरख्वास्त का प्रसाद लगने के बाद मंदिर में एक पल भी नहीं ठहरना चाहिए और जितनी जल्दी हो उतनी जल्दी निकल जाना होता है। वहीँ अर्जी का प्रसाद उसे कहते हैं जिसे लेने के बाद अपने पीछे की ओर फेकना होता है। इस दौरान सभी को ये ध्यान रखना होता है कि वो प्रसाद को फेकते समय पीछे न देखें। जिनके घर के सदस्य पर भूत प्रेत का साया हो वो अपने साथ कोई भी सुगन्धित वस्तु या मीठा प्रसाद साथ नहीं ले जा सकते। यही नहीं अन्य लोगों को भी इसकी मनाही होती है।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास

बताते हैं कि बालाजी धाम में उपस्थित तीन देव आज से 1000 वर्ष पूर्व यहाँ प्रकट हुए थे और तब से इनकी सेवा एक महंत परिवार की पीढ़ियां कर रही हैं। अभी तक 12 महंत इस मंदिर में अपनी सेवा दे चुके हैं। बालाजी धाम के इतिहास की शुरुआत होती है श्री गणेशपुरी जी महाराज से जो कि इस धाम के सर्वप्रथम महंत थे। उनके समय में धाम के स्थान पर कभी बहुत ही घना और बीहड़ जंगल हुआ करता था। यहाँ बहुत ही खतरनाक जंगली जानवर रहा करते थे। साथ ही चोर डाकुओं की भी समस्या थी और फिर एक रात महंत श्री गणेशपुरी जी महराज को एक सपना आया और वो सपने में ही उठकर कहीं जाने लगे।

और चलते चलते किसी विचित्र से स्थान पर पहुँच गए। वहां उन्होंने देखा कि हज़ारों दिए जले हैं और हाथी घोड़ों के साथ एक फ़ौज चली आ रही है। उन्होंने उस स्थान की तीन प्रदक्षिणाएं की और उनके प्रमुख ने उतर कर वहां अपना शीश नवाया। इसके बाद वो जहाँ से आये थे वहीँ चले गए।

ये सब देखकर महंत जी घबरा गए और वापस अपने घर की तरफ चले गए। बहुत सोचने पर भी उन्हें कुछ समझ नहीं आया और जैसे ही उनकी आँख लगी उन्हें एक और स्वप्न दिखा जिसमें उन्हें तीन मूर्तियां और विशाल मंदिर की झलक दिखाई दी। साथ ही उन्होंने आवाज सुनी जिसमें उन्हें उठने को कहा गया और उनकी सेवा का भार ग्रहण करने को कहा, साथ ही आवाज ने ये भी बताया की वो अपनी लीला का विस्तार करना चाहते हैं। लेकिन जब महंत जी ने इस पर भी ध्यान नहीं दिया तो उन्होंने स्वयं उन्हें दर्शन देकर इस बारे में आदेश दिया।

अगले दिन महंत जी ने गाँव वालों से अपने सपने के बारे बात की और सबकी सहायता से संबंधित स्थान की खुदाई की गयी। और फिर वहाँ हनुमान जी की मूर्ती निकल आयी। जिसके बाद वहाँ एक छोटे से मंदिर की स्थापना और प्रसाद की व्यवस्था की गयी। हालांकि कुछ लोगों ने इस बात पर भरोसा नहीं किया। जिसकी वजह से प्रतिमा वापस वहीँ समाहित हो गयी जहाँ से निकली थी लेकिन फिर उनके माफ़ी मांगने पर वापस स्थापित हो गयी। और तब से अब तक उनकी अनवरत पूजा जारी है। आज वहां एक भव्य मंदिर हैं।

Mehandipur Balaji Temple से जुड़े चमत्कार

आइये अब बात करते हैं इस मंदिर से जुड़े कुछ चमत्कारों की, जिससे जानने के बाद आप भी इस स्थान की भव्यता और महात्मय को समझ जाएंगे।

  • सबसे पहले बात करें बालाजी महराज की प्रतिमा की। जिसमें उनके बांये छाती के नीचे से अनवरत एक पतली जलधारा निकलती है। पूरा चोला चढ़ने के बाद भी ये जलधारा बंद नहीं होती। जिसे बालाजी महाराज का आशीर्वाद माना जाता है। इसके छींटे भक्तों को आरती के समय लगाए जाते हैं जिनसे उनके दुःख बीमारियां नष्ट होते हैं।
  • इसी पानी को नीचे एक टैंक में जमा किया जाता है जो बाद में प्रसाद रूप में भक्त अपने घर भी ले जाते हैं।
  • बताते हैं की बहुत पहले एक बार जब भगवान बालाजी ने स्वेच्छा से अपना चोला बदल दिया था तब उनके उतारे हुए चोले को भक्त गंगा जी में प्रवाहित करने के लिए ले जा रहे थे। वहां मंडावर स्टेशन पर रेलवे अधिकारीयों ने छोले को सामान समझकर उस पर शुल्क लगाने के लिए उसको तौलना चाहा। हालांकि वो ऐसा कर क्यूंकि तौलने पर कभी वो भार एक मन घट जाता या फिर एक मन बढ़ जाता। बहुत प्रयास करने पर भी जब अधिकारी असफल रहे तो उन्होंने हार मान ली और चोले को जाने दिया।जिसे बाद में भक्तों ने सम्मान सहित गंगा जी में विसर्जित कर दिया।

मेहंदीपुर बालाजी के नियम / Mehandipur Balaji temple

बालाजी महाराज के दर्शन करने को जाने वाले हर भक्त को वहां जाने से पहले कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना होगा। जिससे उनकी यात्रा और दर्शन सफल हो और वो हर व्याधि से बिना किसी संकट के निकल आएं। यूँ तो बालाजी धाम जाने वाले सभी भक्त वहां से अपनी मनोकामना पूर्ण करके ही आते हैं लेकिन फिर भी जरुरी है कि सभी भक्त इन नियमों का पालन अवश्य करें।

  • जो भी भक्त बालाजी महाराज के दर्शन हेतु जाने वाले हैं उन्हें सबसे पहले कुछ दिन पूर्व (कम से कम एक सप्ताह पूर्व) से ही सात्विक भोजन ग्रहण करना होगा।
  • सभी तामसिक वस्तुओं से दूर रहे हैं। जैसे की मांसाहार, मदिरा या किसी अन्य प्रकार का नशा।
  • बालाजी के मंदिर पर पहुंचने पर हाजरी लगाने के लिए दरखास्त करनी होती है।
  • बालाजी धाम पहुँचने पर सबसे पहले प्रेतराज सरकार के दर्शन करने होंगे। प्रेतराज चालीसा का पाठ भी आवश्यक रूप से करें।
  • अब आप बालाजी महराज के दर्शन करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • इसके बाद आप कोतवाल भैरव नाथ के दर्शन करें और भैरव चालीसा का पाठ करें।
  • जब भी बालाजी धाम जाएँ तो सुबह और शाम की आरती में अवश्य शामिल हों और आरती के छींटे लें , इससे रोगों से मुक्ति और ऊपरी हवा से रक्षा होती है।
  • मंदिर परिसर में किसी से बात न करें और न ही स्पर्श करें। ऐसी मान्यता है कि यहाँ लोग जो प्रेत बाधा से पीड़ित होते हैं उनके स्पर्श से आप पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
  • कृपया इस बात का ख़ास ध्यान रखें कि आप मंदिर में न किसी को कुछ दें और न ही किसी भी व्यक्ति से कुछ लें। फिर चाहे प्रसाद ही क्यों न हो।
  • मुख्य मंदिर से मिलने वाले प्रसाद को ही ग्रहण करें।
  • ये भी याद रखें की मंदिर से मिला प्रसाद आप को मंदिर परिसर में ही खाना होगा। आप प्रसाद घर भी न ले जाएँ और बचा हुआ प्रसाद भी मंदिर में ही छोड़ आएं। आप मदिर से बाहर कोई भी मीठी या सुगन्धित वस्तुएं नहीं ले जाएँ।
  • मंदिर से मिलने वाला जल और भभूत आप अपने साथ रख सकते हैं अन्य कुछ नहीं।
  • जब मंदिर से जा रहे हों तो भूलकर भी पीछे मुड़कर देखने की गलती न करें।
  • सबसे महत्वपूर्ण बात – आप बाबा से मंदिर आने और जाने की दरख्वास्त लगाकर ही जाएँ। क्यूंकि मेहंदीपुर में आना और जाना दोनों ही बालाजी महाराज की आज्ञा से ही संभव हो पाता है।
  • जाने की अर्जी देने के बाद प्रसाद का लड्डू न खाएं। बल्कि इसके बाद कोई भी कार्य न करें। नहाना धोना आदि सभी कार्य निपटाने के बाद ही अंत में ही जाने की अर्जी लगाएं।
  • लौटते समय प्रार्थना करें कि आप घर जा रहे हैं और आप की प्रभु रक्षा करें।
  • मंदिर व गाँव से निकलते वक्त आप के साथ कुछ भी खाने पीने की वस्तु न हो। यदि हो तो उसे वहीँ छोड़ दें।
  • आप को बालाजी धाम की यात्रा पूरी करने के बाद भी अगले 41 दिन तक सात्विक आहार ही लेना होता है।

मेहन्दीपुर बालाजी कैसे जाएँ ?

यदि आप भी मेहंदीपुर जाकर बालाजी के दर्शन करना चाहते हैं तो आप इसके लिए सड़क मार्ग, रेल मार्ग या वायु मार्ग भी चुन सकते हैं। सड़क मार्ग से जाते हैं तो दौसा जिला तक पहुंचन होगा जो कि अनेक शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। इनमे से कुछ जैसे कि आगरा, मथुरा, वृन्दावन, अलीगढ से तो जयपुर के लिए सीधी बस मिल जाएगी जो बालाजी मोड़ पर रूकती हैं।
वहीँ यदि आप रेल मार्ग से आना चाहते हैं तो आप बांदीकुई तक आ सकते हैं। ऐसे ही वायु मार्ग से भी आप यहीं पहुँच सकते हैं। इसके बाद आप हिण्डोन होकर बस से बालाजी के धाम पहुँच सकते हैं। हिण्डोन से धाम की दूरी लगभग सवा घंटे की है।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर कब जा सकते हैं ?

यूँ तो बालाजी महाराज के दर्शन करने के लिए आप साल में किसी भी मौसम या माह में जा सकते हैं। लेकिन बालाजी धाम में पूजा और त्योहारों के अवसर पर जैसे होली, हनुमान जयंती और दशहरा आदि के समय बहुत धूम धाम होती है। आप इस समय भी जाकर दर्शन कर सकते हैं।

Mehandipur balaji temple से जुड़े प्रश्न उत्तर

बालाजी धाम जाने के लिए क्या क्या नियम होते हैं ?

आप को मंदिर जाने से पूर्व एक हफ्ते पहले ही तामसिक खान पान का सेवन बंद करना होगा। जैसे की – मांस मदिरा , लहसुन प्याज अंडा इत्यादि। साथ ही सात्विक जीवन जीना होगा। वहां पहुँचने पर आप को दर्शन हेतु हाजिरी लगानी होगी। अधिक जानने के लिए लेख को पढ़ें।

बालाजी से आने के बाद क्या करना चाहिए?

आप को बालाजी धाम की यात्रा पूरी करने के बाद भी अगले 41 दिन तक सात्विक आहार ही लेना होता है।

मेहंदीपुर बालाजी अर्जी कैसे लगाई जाती है?

हाजरी के प्रसाद को दो बार खरीदना पड़ता है और अर्जी में 3 थालियों में प्रसाद मिलता है। मंदिर में दर्खावस्त एकबार लगाने के बाद, वहां से तुरंत निकल जाना होता है। अर्जी का प्रसाद लौटते समय लेते हैं जिन्हें अपने पीछे फेंकना होता है। नियम है कि प्रसाद फेंकते समय पीछे नहीं देखना चाहिए।

मेहंदीपुर बालाजी से आने के बाद क्या क्या नहीं खाना चाहिए?

यात्रा के बाद व्यक्ति को अंडा, मांस, मदिरा, व अन्य ऐसी तामसिक वस्तुओं का त्याग करना होता है।

बालाजी का प्रसाद क्यों घर नहीं लाना चाहिए?

Mehandipur Balaji temple से प्रसाद घर नहीं लाना चाहिए क्यूंकि वहां ऊपरी साये और भूत प्रेत आदि से पीड़ित लोग उपचार हेतु आते हैं। यदि आप प्रसाद घर लाये तो ये समस्या आप को भी हो सकती है।

आज इस लेख में आप ने Mehandipur Balaji temple के बारे में जानकारी दी गयी है , उम्मीद है आप को ये जानकारी पसंद आयी होगी । यदि आप ऐसी ही अन्य जानकारी चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट Hindi NVSHQ से जुड़ सकते हैं।

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