नमस्कार दोस्तों, दोस्तों आजकल एक फिल्म बहुत चर्चा में है जिसका नाम है सम्राट पृथ्वीराज चौहान। इस फिल्म में हमारे देश में विदेश से आने वाले आक्रांता मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज सिंह चौहान के बीच हुए युद्ध के बारे में बताया गया है। हो सकता है आप में से बहुत से लोगों यह फिल्म देखी हो।
लेकिन हम यहाँ फिल्म की नहीं अफगान लुटेरा और शासक शिहाबुद्दीन मोहम्मद गौरी के बारे में बात कर रहे हैं। आपने तो अपनी इतिहास की किताबों या इंटरनेट पर अफगान शासक मोहम्मद गौरी के बारे में जरुर पढ़ा होगा। लेकिन हमारे कुछ पाठक दोस्त ऐसे भी हो सकते हैं जिनकों इतिहास की इतनी जानकारी नहीं है यह आर्टिकल उनके लिए काम का हो सकता है।
![मोहम्मद गौरी जीवन परिचय Muhammad Ghori (death Father name history) biography in Hindi 3 मोहम्मद गौरी जीवन परिचय Muhammad Ghori (death Father name history) biography in Hindi](https://hindi.nvshq.org/wp-content/uploads/2023/06/Muhammad-Ghori-biography-in-Hindi-1024x683.jpg)
यहां हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से मोहम्मद गौरी कौन था, गौरी ने कितने युद्ध लड़े, गौरी ने भारत पर कितनी बार आक्रमण किया, गौरी की मृत्यु कैसे हुई आदि से संबंधित सभी तरह की जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं।
क्या है गोर शब्द का मतलब ?
दोस्तों इतिहासकारों के अनुसार मुइज़ुद्दीन मोहम्मद ने अपने नाम के पीछे जो गौरी नाम लगाया है वह अफगानिस्तान में स्थित गौर क्षेत्र से लिया होगा। क्योंकि अफगानिस्तान की पुरानी भाषा पश्तो और संस्कृत काफी मिलती जुलती भाषा है। यह पश्तो भाषा हिंदी ईरानी भाषा का एक मिलाजुला रूप है।
सलजुकों के द्वारा बोली जाने वाली सुग़्दाई भाषा में भी इस गौर शब्द का वर्णन मिलता है। इस गौर शब्द का अर्थ है “पहाड़” अब क्योंकि अफगान का गौर क्षेत्र भी पहाड़ों से घिरा हुआ है। हो सकता है इस कारण लोगों द्वारा गौर क्षेत्र को गौर कहा जाने लगा।
![मोहम्मद गौरी जीवन परिचय Muhammad Ghori (death Father name history) biography in Hindi 4 afganistan gaur prant](https://hindi.nvshq.org/wp-content/uploads/2022/07/afganistan-gaur-prant.jpg)
मोहम्मद गौरी का संक्षिप्त जीवन परिचय
नाम (Name) | मुइज़ुद्दीन मोहम्मद ग़ौरी |
उपनाम (Nick Name ) | शिहाबुद्दीन, मोहम्मद गौरी, गोर के मोहम्मद |
शासनावधि का समय (Reign Timeline) | 1173–1192 (अपने भाई ग़ियासुद्दीन मोहम्मद के साथ) 1188–1192 (बतौर एकल शासक) |
शासनावधि नाम (Reign name) | सुल्तान शहाबुद्दीन मोहम्मद ग़ौरी |
मोहम्मद ग़ौरी का जन्म (Birth) | शिहाबुद्दीन वर्ष 1149 में |
जन्मस्थान (Birthplace) | ग़ौर (वर्तमान अफगानिस्तान में) |
वंश (Linage) | घुरिद वंश साम्राज्य |
मृत्यु (Death) | इतिहास साक्ष्य के अनुसार (15 मार्च 1206) |
मृत्यु का स्थान (Death Place) | धमियाक, झेलम जिला (वर्तमान पाकिस्तान में) |
मृत्यु का कारण (Reason Of Death) | हत्या |
मृत्यु के समय उम्र (Age) | इतिहास साक्ष्यों के अनुसार (56-57 वर्ष) |
मोहम्मद गौरी का मकबरा (Tomb) | धमियाक, झेलम जिला (वर्तमान पाकिस्तान में) |
मोहम्मद गौरी के पिता (Father) | बहालुद्दीन साम प्रथम |
मोहम्मद गौरी का भाई (Brother) | ग़ियासुद्दीन मोहम्मद |
धर्म (Religion) | इस्लाम |
पराजय (Defeat) | चौहान वंश के शासक पृथ्वीराज चौहान से लगातार 17 बार हार का सामना। |
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) | इतिहास में कोई साक्ष्य मौजूद नहीं |
मोहम्मद गौरी की जीवनी (Biography) :-
आप तो जानते होंगें की मोहम्मद गौरी एक अफगानी शासक और लुटेरा था जिसका जन्म गोरी राजवंश में हुआ था। आपको बता दें की गोरी राजवंश की स्थापना अलाउद्दीन जहानसोज ने की थी। जब सन 1169 में अलाउद्दीन जहानसोज की मृत्यु हुई तो उसके स्थान पर अलाउद्दीन के बेटे सैफुद्दीन को गद्दी पर बिठाया गया। लेकिन अलाउद्दीन ने अपनी मृत्यु से पहले अपने दोनों भतीजे ग़ियासुद्दीन मोहम्मद और मुइज़ुद्दीन मोहम्मद को कैद कर रखा था।
परन्तु अलाउद्दीन की मृत्यु के बाद सैफुद्दीन ने अपने दोनों भाई ग़ियासुद्दीन, मुइज़ुद्दीन को रिहा कर दिया। उस समय अफगानिस्तान में गजनवियों और सलजुकों का शासन था। गोरी वंश उस समय इनकी आधीनता से निकलने का प्रयास कर रहा था। सन 1148-1149 तक अफगानिस्तान के गौर प्रान्त पर गजनवियों का शासन था। इसके बाद गौर क्षेत्र में सलजुकों का शासन हो गया।
जिस समय सैफुद्दीन शासक था उस समय उसकी लड़ाई सलजुकों के सरदार से हो गयी जिसमें वह मारा गया इसके बाद ग़ियासुद्दीन मोहम्मद को गौर प्रान्त का राजा बनाया गया और इसी के साथ ग़ियासुद्दीन मोहम्मद के छोटे भाई मुइज़ुद्दीन मोहम्मद को गजना का शासक बनाया गया। जिसके बाद मुइज़ुद्दीन मोहम्मद अपने राज्य के क्षेत्र विस्तार के लिए विभिन्न देशों और प्रांतों पर कब्ज़ा कर इस्लाम धर्म की स्थापना की।
लेकिन जब सन 1202 में मोहम्मद गौरी का भाई ग़ियासुद्दीन मोहम्मद मारा गया तो उसके बाद गौर प्रान्त का शासक मुइज़ुद्दीन मोहम्मद को बनाया गया जिसके बाद से मुइज़ुद्दीन मोहम्मद को मोहम्म्मद गौरी कहा जाने लगा। अपने शासन काल में गौरी ने बहुत सी लड़ाईयां लड़ी।
मोहम्मद गौरी ने भारतवर्ष पर कितनी बार आक्रमण किया
- जब मोहम्मद गौरी ने भारत पर कब्ज़ा करने की सोची तो उसने भारत पर आक्रमण किया। इतिहासकारों के अनुसार मोहम्मद गौरी ने पहला आक्रमण 1175 ईस्वी में मुल्तान पर किया था जिसमें मोहम्मद गोरी को विजय प्राप्त हुई थी।
- इस आक्रमण के बाद मोहम्मद ने सन 1176 के आस – पास लाहौर और पंजाब पर कब्ज़ा किया।
- इसके बाद गौरी ने भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों पर कब्ज़ा करने के लिए आक्रमण किया उस समय इस क्षेत्र में पृथ्वीराज सिंह चौहान का शासन था। यहां पर मोहम्मद गौरी का सामना पृथ्वीराज से हुआ और तराइन को दोनों ( तराइन का प्रथम युद्ध, तराइन का दूसरा युद्ध) लड़ाइयां लड़ी जिसमें दोनों बार मोहम्मद गोरी की करारी हार हुई।
- इस तरह से मोहम्मद गोरी ने 17 बार पृथ्वीराज सिंह चौहान पर आक्रमण किया और 17 बार गौरी को पृथ्वीराज सिंह से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन 18वीं बार गौरी ने गाहड़वाल राजपूत वंश के राजा जयचंद से हाथ मिलाया जिसके बाद गौरी ने राजा जयचंद के साथ मिलकर पृथ्वी राज सिंह चौहान को हराया।
- पृथ्वीराज को बंदी बनाकर गौरी ने अपनी हार का बदला लिया।
- इस तरह से पृथ्वी राज को हराने के बाद गौरी ने भारत में इस्लाम धर्म की स्थापना की।
- मोहम्मद गौरी इतना मतलबी था की जिसने उसका युद्ध में साथ दिया बाद में उसी के साथ युद्ध करके उसके राज्य पर कब्ज़ा कर लिया दोस्तों गौरी ने पृथ्वी को हराने के बाद कन्नौज के राजा जयचंद के साथ युद्ध किया जिसमें राजा जयचंद की हार हुई।
Muhammad Ghori की मृत्यु
मोहम्मद गौरी की मृत्यु के बारे में इतिहासकारों के मत बटे हुए हैं। कुछ इतिहासकार का मानना है की जब मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज को बंदी बनाकर अपने यहाँ जेल में डाल दिया था तो उस समय पृथ्वीराज के बचपन के दोस्त चंदरबरदाई पृथ्वी को मुक्त करने की योजना बना रहे थे। एक दिन सुल्तान गौरी ने अपने यहाँ तीरंदाजी प्रतियोगिता का आयोजन रखा। जिसमें आस-पास के योद्धाओं को अपना युद्ध कौशल प्रस्तुत करने के लिए गौरी के यहाँ बुलाया गया।
इसका पता जब चंद्रबरदाई को लगा तो वह भेष बदलकर गौरी के महल में जा घुसे जहां उन्होंने देखा की एक खुले मैदान में पृथ्वी को अंधा बनाकर जंजीरों में बांधकर खड़ा किया हुआ है। यह देखकर चंद्रबरदाई को ख़याल आया की सुल्तान को मारने का इससे अच्छा मौक़ा नहीं मिल पायेगा तो वह पृथ्वी की मदद करने के लिए मैदान में कूद पड़े और सुल्तान से कहा की सुलतान सम्राट पृथ्वी शब्दभेदी बाण चलाना जानते हैं।
यदि आप मौक़ा दें तो सम्राट अपनी विद्या का प्रदर्शन करना चाहते हैं सुलतान पहले कभी ऐसी विद्या का नाम नहीं सूना था तो जानने और समझने को बहुत ही उत्सुक था की यह शब्दभेदी बाण विद्या क्या है सुलतान ने कहा हाँ दिखाओ अपनी विद्या हम भी देखें की एक अंधा कैसे बाण चलाता है। इसके बाद चंद्रबरदाई ने कविता की पंक्तियों के माध्यम से सम्राट को सुलतान की स्थिति बताई यह पंक्ति इस प्रकार है –
“चार बाँस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण। ता ऊपर सुलतान है, मत चुके चौहान।।”
उपरोक्त लाइन का अर्थ है की “24 गज की दूरी पर 4 बांस और 8 अंगुल की ऊंचाई पर बने मंच पर सुल्तान गौरी बैठा है सम्राट ऐसा तीर चलाओ की सुल्तान मृत्यु को प्राप्त हो।” इसके बाद पृथ्वीराज ने शब्दभेदी बाण चलाया और तीर सीधे सुलतान की छाती पर जाकर लगा जिससे सुल्तान मोहम्म्मद गोरी मृत्यु को प्राप्त हो गया। इस तरह से मोहम्मद गौरी के अंत के साथ गौरी वंश का शासन ख़तम हो गया।
मोहम्मद गौरी का मकबरा
Muhammad Ghori की मृत्यु के बाद झेलम नदी के किनारे बसा धमियाक नामक जगह पर मोहम्मद गौरी का मकबरा बनवाया गया। यह मकबरा गौरी के शासकों ने गौरी की याद में बनवाया था। वर्तमान में यह स्थान पाकिस्तान में है। इस मकबरे को देखने के लिए विदेशों से काफी सैलानी पाकिस्तान आते हैं –
![मोहम्मद गौरी जीवन परिचय Muhammad Ghori (death Father name history) biography in Hindi 5 Tomb_of_Muhammad_of_Ghori](https://hindi.nvshq.org/wp-content/uploads/2022/07/Tomb_of_Muhammad_of_Ghori.jpg)
मोहम्मद गौरी जीवन परिचय से जुड़े FAQs
तराइन का प्रथम युद्ध कब मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज सिंह चौहान के बीच सन 1191 में लड़ा गया था।
इतिहासकारों के अनुसार सम्राट पृथ्वीराज के द्वारा चलाये गए शब्दभेदी बाण से सुलतान मोहम्मद गोरी की मृत्यु हुई।
आपको बता दें की इतिहास में कहीं पर भी मोहम्मद गौरी के विवाह के बारे में कोई जानकारी दर्ज नहीं है। और गौर वंश का अंतिम शासक मोहम्मद गौरी था जिसके बाद कुबुद्दीन ऐबक ने गद्दी पर बैठकर
Muhammad Ghori का शासन काल सन 1173–1192 तक रहा।
जाम मीनार जिसे मीनार-ए-जाम के नाम से भी जाना जाता है। इसे यह नाम जाम नदी के किनारे स्थित होने पर मिला है।
इतिहासकारों के अनुसार पृथ्वीराज रासो को सन 1343 में लिखा माना जाता है।
पृथ्वीराज सिंह चौहान का जन्म कब 1149 ईस्वी में हुआ था।