दोस्तों आज हम बात करने जा रहें हैं, हमारे हिन्दू धर्म में माँ दुर्गा की आराधना में मनाए जाने वाले सबसे पवित्र और महत्त्वूर्ण त्यौहार की जिसे हम नवरात्रि के नाम से जानते हैं। नवरात्रि का अर्थ है नौ रातें जिनमे माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस त्यौहार को वर्ष में दो बार देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े ही हर्ष व उल्लास से अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता हैं। नवरात्रि का दिन क्यों और किस लिए मनाया जाता है और इसे मानाने का क्या मुख्य कारण है, यह जानने के लिए जो भी छात्र/छात्राएँ नवरात्री के उपलक्ष में स्कूल या कॉलेज में होने वाली लिखित प्रतियोगिता में भाग लेकर नवरात्रि पर निबंध लिखना चाहते हैं, वह हमारे लेख में दिए गए निबंध के माध्यम से प्रतियोगिता में नवरात्रि के बारे में जानकारी प्राप्त कर बेहतर निबंध तैयार कर सकते हैं।
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नवरात्रि जिसे हम नवरात्र, नवराते आदि नामों से भी जानते हैं। इस त्यौहार को भारत के लोग सदियों से माँ दुर्गा के प्रति अपनी भक्ति को दर्शाते हुए उनके नौ रूपों की आराधना करने के लिए मनाते हैं। जिसमे नवरात्री में नौ दिनों तक पूजा-अर्चना कर व्रत रखे जाते हैं। साथ ही धूम-धाम से नाच-गाने के साथ बुराई पर अच्छाई की जीत के दिन के रूप में याद रखकर लोग इसे एक त्यौहार के रूप में मनाते हैं। वर्ष में यह त्यौहार दो बार मनाया जाता है। जिसमे पहली नवरात्रि (चैत्र मास) अप्रैल या मार्च के महीने में और दूसरी (शारदीय नवरात्रि) यानि अक्टूबर के महीने में पूरे नौ दिनों तक मनाने के बाद दसवें दिन दशहरे के रूप में मनाया जाता है। नवरात्रि की नौ रातों को पूरी तरह माँ दुर्गा को समर्पित कर लोग पूरी निष्ठा व भक्ति इस त्यौहार को मनाते हैं, इस दिन माँ दुर्गा के नौ रूपों का पूजन करते समय दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष रूप से किया जाता है। इन नौ दिनों में किए जाने वाली पूजा में माताओं के नाम कुछ इस प्रकार है।
माँ दुर्गा के नौ रूप
- शैलपुत्री :- नवरात्रि के प्रथम दिन माता दुर्गा के पहले स्वरुप माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है, इनका जन्म शैलपुत्र हिमालय के घर होने से इनका नाम शैलपुत्री पड़ा, इनकी सवारी वृषभ है। माँ शैलपुत्री को सौभाग्य व शान्ति की देवी भी माना जाता है। जिनकी अराधना से व्यक्ति को एक प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है, जिससे मन में चल रहे विकार दूर हो जाते हैं और उन्हें सुख, यश व कीर्ति प्राप्त होती है।
- ब्रह्मचारिणी :- नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है, ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है तप का आचरण करने वाली। इस दिन माँ की पूजा कर हमे भी एक अच्छे आचरण का चयन करने व जिंदगी में तप कर आगे बढ़कर कामयाब होने की प्रेरणा मिलती है।
- चंद्रघंटा :- देवी चंद्रघंटा की पूजा तीसरे दिन की जाती है, इन्हे सुंदरता की प्रतिमूर्ति के साथ-साथ शौर्य की देवी के रूप में भी जाना जाता है। देवी के मस्तक पर अर्ध चंद्र धारण करने के कारण इन्हे चंद्र घंटा भी का जाता है। इनकी पूजा से हमारे मन में सकरात्मक सोच उत्पन्न होती है और मन से सभी बुरे विचारधाराएँ खत्म हो जाती है।
- कुष्मांडा :- देवी दुर्गा के चौथे स्वरुप को माँ कूष्मांडा के नाम से जाना जाता है, इन्हे सृष्टि की रचनात्मक देवी माना जाता है। इनकी अराधना से व्यक्ति का मन सिद्धियों में निधियों को प्राप्त करके सभी रोग-शोक से दूर हो जाता है। तथा जीवन में सुख, समृद्धि आदि को प्राप्त करता है।
- स्कंदमाता :- देवी के पाँचवे स्वरुप को हम स्कंदमाता के नाम से जानते हैं। यह देवी कार्तिकेय की माँ के रूप में जानी जाती हैं, इनका वाहन सिंह है। देवी को शक्ति का भी प्रतीक माना जाता है। जिनकी आराधना से व्यक्ति के मन व व्यवहार में बेहतर बदलाव आता है। साथ ही इनकी पूजा से भक्तों की सारी इच्छाएँ भी पूरी होती हैं।
- कात्यानी :- नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यानी की आराधना की जाती है। माता के इस स्वरुप को भी शक्ति का प्रतीक माना जाता है। और एहि वजह है कि इन्हे युद्ध की देवी भी कहा जाता है। इनके पूजन से व्यक्ति को धरम, मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनके मन से भय व रोग शोक दूर हो जाते हैं।
- कालरात्रि :- सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है। इनके रूप को भयावय माना जाता है। यह दुष्टों व बुराई का सर्वनाश करती है। इनकी कृपा से व्यक्ति के गृह बाधाएँ दूर होती है और यह अपने भक्तों की सुरक्षा करती है।
- महागौरी :- नवरात्रि के आठवे दिन हम सभी माता महागौरी की पूजा करते हैं। इनके दिन को अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इनका रंग सफ़ेद होता है और इन्हे बुद्धि व शांति का प्रतीक भी माना जाता है इनकी उपासना से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती है।
- सिद्धिदात्री :- नवरात्रि के अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है। इस दिन को नवमीं के रूप में मनाया जाता है, देवी सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धियों को धारण करने वाली देवी माना जाता है साथ ही इन्हे भगवान शिव की अर्ध शक्ति के रूप में भी जाना जाता है। इनकी कृपा से भक्तों को सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं और उनके जीवन में सुख शान्ति बनी रहती है।
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- नवरात्रि का त्यौहार पूरे भारत वर्ष में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है, जिसमे माता की पूजा अर्चना कर उनकी आराधना में महिलाएँ द्वारा व्रत रखकर माता की पूजा की जाती है और नवें दिन कन्याओं को भोग लगाया जाता है। साथ ही इस समय रामलीला का मंचन भी किया जाता है।
- यदि हम बात करें बंगाल की तो नवरात्रि के नौ दिनों तक बंगाल में माँ दुर्गा की पूजा हेतु माता के पंडाल सजाए जाते हैं। यहाँ गली व शहरों में पंडालों पर माता की मूर्तियों को स्थापित कर उनकी पूजा धूम-धाम से नाच गाने के साथ की जाती है।
- गुजरात में भी माँ दुर्गा की आराधना बड़ी ही धूम-धाम से की जाती है। इस दिन को गुजरात के नागरिक डांडिया व गरबा के साथ नाच गाना करके माता की पूजा अर्चना करते हैं। जिसमे दुर्गा पूजा से पहले गरबा किया जाता हैं और बाद में डांडिया कर पूरे नौ दिन इस त्यौहार को ख़ुशी व उल्लास के साथ मनाया जाता है।
- तमिलनाडु व कर्नाटक में इस त्यौहार के समय माता की छोटी-छोटी खिलोने जैसी मूर्तियों के साथ-साथ गुड्डे गुड़िया, घोड़े आदि बहुत सी मूर्तियों से बाजारों को सीढ़ी के आकार के मंच पर सजाया जाता है और इनकी पूजा की जाती है।
- महाराष्ट्र में इस दिन को अयुद्ध कहाँ जाता है, इस दिन महाराष्ट्र में भी लोग अपने घरों में दीप जलाकर माता की अर्चना करते हैं तथा अष्टमी व नवमी के दिन व्रत कर कंचिका में 9 बालिकाओं को भोग लगाकर अपने व्रत को संपन्न करते हैं।
दोस्तों जैसा की हम सब जानते हैं हमारे देश में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों के पीछे बहुत सी मुख्य व पौराणिक कथाएँ होती हैं। उनसे सीख लेकर या उस दिन को याद करके हम बहुत से त्यौहारों को पूरे भारतवर्ष में मानते हैं। नवरात्री को मनाने के पीछे भी कुछ महत्त्वपूर्ण कथाएँ हैं जो इससे जुडी हुई है। जिनमे सबसे प्रचलित कथा महिषासुर नामक राक्षस व देवी की मानी जाती है।
जिसमे पौराणिक कथाओं के अनुसार एक महिषासुर नामक राक्षस हुआ करता था। जिसने अथक और कड़ी तपस्या के बाद ब्रह्मा जी को प्रसन्न करके अमर होने का वरदान माँगा। परन्तु संसार में जन्म लेने वाले हर प्राणी को एक दिन इसे छोड़ना ही पड़ता है, इसलिए उसे यह वरदान प्राप्त नहीं हुआ। जिसके बदले उसने अजेय होने का वरदान माँगते हुए यह माँग रखी की न तो उसे कोई देवता पराजित कर सकें और ना ही कोई अन्य प्राणी , यदि कोई उसे पराजित कर सके तो वह केवल एक स्त्री हो, जिसका वरदान ब्रह्मा जी ने उसे दे दिया।
वरदान प्राप्त होने के बाद उसने देवताओं पर आक्रमण कर उनसे उनका राज्य व अधिकार छीनकर वह सभी प्राणियों पर अत्याचार करने लगा। और ऐसा उसने ब्रह्मा जी द्वारा दिए गए वरदान के कारण किया। जिसके चलते कोई भी उसका सामना करने में समर्थ नहीं था। वरदान में मांगे गए वर के दम्भ में उसने अपने अत्याचार जारी रखे और साथ ही खुद वो अमर भी समझने लगा। उसकी सोच थी की भला कोई अबला स्त्री उसे कैसे हरा सकेगी। इस प्रकार और कोई भी उसे चुनौती देने की स्थिति में नहीं था। ऐसी स्थिति को देखते हुए सभी देवताओं ने माता का आह्वान कर उनसे राक्षस के अंत करने की कामना की। जिसके बाद माँ दुर्गा ने महिषासुर से पूरे नौ दिनों तक युद्ध करके दवताओं व अन्य सभी प्राणियों को उसके अत्याचारों से मुक्त किया, जिसके बाद से आज तक हम इस दिन को नवरात्री के रूप में मनाते हैं।
अन्य पौराणिक कथा के अनुसार नवरात्रि को मनाने का एक कारण यह भी माना जाता है कि रामायण के समय में रावण द्वारा सीता जी के हरण के बाद रावण से युद्ध करने से पहले प्रभु श्री राम जी ने माता दुर्गा की पूजा अर्चना कर 9 दिनों तक उनका हवन किया। यह हवन होने वाले युद्ध से पूर्व माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया गया था। जिसके बाद 10 वे दिन राम जी द्वारा रावण का वद्ध कर दिया गया। जिसके बाद से ही हम सभी नवरात्रि के नौ दिन पूरे हो जाने के बाद हर वर्ष रामलीला का आयोजन कर दसवे दिन दशहरे के रूप में रावण के पुतले को जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में याद करके इस दिन को बड़ी धूम-धाम से मानते हैं।
वर्ष 2023 में पड़ने वाले चैत्र नवरात्रि का त्योहार 21 मार्च 2023 की रात 10 बजकर 52 मिनट से शुरू होकर 30 मार्च गुरुवार तक है।
नवरात्रि में आदिशक्ति के सभी देवी स्वरूपों के पूजन का प्रावधान है। ऐसा करने से श्रद्धालुओं को देवी धनधान्य और सौभाग्य प्रदान करती हैं , जिसके लिए सभी इन दिनों विशेष तौर से देवी पूजन करते हैं। इसके पीछे विभिन्न मान्यताएं और कथाये हैं। जिसमे देवी और महिषासुर की कथा आती है। साथ ही राम व रावण युद्ध से जुडी कथा भी है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। अधिक जानने के लिए लेख को पूरा पढ़ें।
दोस्तों यहाँ हमने आपको अपने लेख के माध्यम से नवरात्रि के पावन उत्सव को मनाने व उससे संबंधित सभी जानकारी अपने निबंध में प्रदान करवा दी है और हमे उम्मीद है की हमारे द्वारा दिए गए नवरात्रि पर निबंध से संबंधित जानकारी आपको आपके विद्यालय व कॉलेज की लेख प्रतियोगिता के लिए बहुत मददगार होगी।
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