पहला करवा चौथ कैसे करें?, जानें लंबी उम्र के लिए सुहागिनें कैसे रखेंगी व्रत

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Reported by Rohit Kumar

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पहला करवा चौथ: दोस्तों जैसा की आप जानते हैं की हिन्दू धर्म में पुरे वर्ष कैलेंडर में विभिन्न तिथियों के अनुसार अलग – अलग त्यौहार मनाये जाते हैं चाहे आप हम बात करें होली, बुद्ध पूर्णिमा, नवरात्रि, दिवाली आदि सभी त्यौहारों के लिए हिन्दू वर्ष कैलेण्डर में तिथि और समय निर्धारित है। लेकिन दोस्तों आज हम बात करेंगे हिन्दू सुहागिन महिलाओं के द्वारा मनाये जाने वाले करवा चौथ व्रत के बारे में। दोस्तों करवा चौथ व्रत त्यौहार विवाहित हिन्दू महिलाओं के द्वारा हिन्दू वर्ष कैलेण्डर के कार्तिक मास की पूर्णिमा के चौथे दिन मनाया जाता है। आपको बताते चलें की Karwa Chauth व्रत मुख्यतः उत्तर और पश्चिम भारत में मनाया जाने वाला त्यौहार है।

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पहला करवा चौथ
पहला करवा चौथ कैसे करें ? जानें करवा चौथ व्रत के नियम और कथा के बारे में।

करवा चौथ वाले दिन हिन्दू विवाहित महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र और घर परिवार की सुख , शान्ति और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें की इस वर्ष में आने वाली 1 नवंबर को देशभर की महिलायें इस करवा चौथ व्रत को करेंगी। दोस्तों आगे आर्टिकल में हम आपको करवा चौथ व्रत के विधि , नियम और इससे जुड़ी पौराणिक परम्पराओं और मान्यताओं के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं इसके साथ आप यह भी जानेंगे की पहली बार इस करवा चौथ व्रत को करने वाली महिलाएं व्रत को किस प्रकार से कर सकती हैं। चलिए आर्टिकल में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इन्हीं सब बातों के बारे में।

पहला करवा चौथ व्रत कैसे करें ?

आपको बता दें की करवा चौथ व्रत एक कठिन निर्जरा व्रत होता है। इस व्रत में सुहागिन महिलाओं को अन्न एवं जल का त्याग कर पुरे दिन उपवास करना होता है। जो भी नवविवाहित महिलाएं पहली बार करवा चौथ व्रत को करने जा रही हैं उन्हें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए। अपने लेख में आगे हमनें इन सभी बातों को विस्तारपूर्वक बताया है आप पढ़ सकते हैं –

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  • जैसा की हम आप को पहले ही बता चुके हैं की प्रत्येक वर्ष देशभर में बहुत भारी संख्या में नवविवाहित महिलाओं के द्वारा इस व्रत को किया जाता है। करवा चौथ वाले दिन अपने पति की लम्बी उम्र के लिए नवविवाहित महिलाओं को शाम को चाँद उगने से पहले तक बिना कुछ खाये पीये निर्जरा व्रत करना होता है।
  • करवा चौथ व्रत की परम्पराओं के अनुसार व्रत के लिए महिलाओं को दुल्हन की तरह सज संवरकर 16 श्रृंगार के साथ व्रत की पूजा में बैठना होता है। करवा चौथ के लिए महिला के श्रृंगार को शुभ माना जाता है।
  • आपको बता दें की व्रत के लिए तैयार होते समय आप नयी नवेली दुल्हन की तरह शादी का लाल जोड़ा पहन सकती हैं। नहीं तो लहंगा और शादी का दुप्पटा पहनकर भी करवा चौथ व्रत को किया जा सकता है। इसके अलावा आपके पास यह विकल्प है की आप लाल रंग की साड़ी पहनकर इस व्रत को कर सकती हैं।
  • ऐसा माना जाता है जो भी नवविवाहित महिला इस व्रत को पहली बार कर रही है उसे अपने घर में बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना चाहिए।
  • करवा चौथ की मान्यता के अनुसार नवविवाहित महिला की सास सरगी के रूप में अपनी बहु को आशीर्वाद के साथ मिठाई , कपड़े और श्रृंगार का सामान देती है। इसी तरह महिला के मायके से आने वाले व्रत और श्रृंगार के सामान को बाया कहा जाता है। जिसमें महिला को मायके की तरफ से मिठाई , कपड़े और गिफ्ट दिया जाता है।
  • व्रत की पूजन विधि के अनुसार सास द्वारा दिए गए सरगी के मिठाई एवं खाने के सामान को बहु को सुबह 4 बजे से पहले खाना होता है। ठीक उसी तरह शाम को चंद्रोदय के बाद नवविवाहित महिला को मायके से आये हुए मिठाई एवं खाने के सामान को खाकर ही अपना व्रत पूरा करना होता है।
  • आपकी जानकारी के लिए बता दें की व्रत वाले दिन पूरी विधि के अनुसार पूजा पाठ करके महिलाओं को शाम 4 से 5 बजे की बीच करवा चौथ व्रत कथा को सुनना होता है। विद्वानों की राय मानें तो आप पूजा करके चाय या जूस पी सकती हैं। फलाहार और अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन करवा चौथ व्रत में वर्जित है।
  • शाम को पूजा कर लेने के बाद महिलाओं को रात में चाँद निकल जाने पर छन्नी में दिया रखकर चाँद और पति की आरती करनी होती है इसके बाद महिला को मिट्टी के मटकीनुमा छोटे से बर्तन अर्थात करवा से चाँद देवता को जल का अर्घ्य देना होता है। चाँद को अर्घ्य देने के बाद छलनी से अपने पति का चेहरा देखकर पति के हाथों से जल ग्रहण कर अपना उपवास तोड़ना होता है।
  • इस तरह से सम्पूर्ण विधि विधान के अनुसार आपका करवा चौथ व्रत पूरा हो जाता है।

करवा क्या होता है जानें इसका मतलब ?

दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दें की करवा का अर्थ होता है (काली मिट्टी से बना एक छोटा सा घड़ा या मटकीनुमा बर्तन) संस्कृत में करवा चौथ को कड़क चतुर्थी के नाम से सम्बोधित किया गया है। उसी तरह चौथ का अर्थ है हिन्दू वर्ष कैलेंडर की कार्तिक मास की पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी तिथि जो चौथे दिन को दर्शाती है। आपको बता दें की इस करवा से ही चाँद को जल का अर्घ्य चढ़ाया जाता है।

करवा चौथ से जुड़ी पौराणिक कथाएं ?

दोस्तों हमारे पुराणों में करवा चौथ से संबंधित कई तरह की पौराणिक कथाएं (mythology) प्रचलित है। दोस्तों यहाँ हम आपको करवा चौथ व्रत की उन कथाओं के बारे में बताएँगे जो व्रत के दौरान बहुत ही ज्यादा कही और सुनी जाती हैं। यह कथाएं इस प्रकार निम्नलिखित हैं –

  • पहली कथा : दोस्तों करवा चौथ की पहली कथा महाभारत काल से संबंधित है। कथा के अनुसार पांच पांडव पुत्रों में से एक अर्जुन जब तपस्या करने के लिए नीलगिरि पर्वत चले गए थे तो कौरवों द्वारा बाकी पांडव पुत्रों के लिए बहुत प्रकार के संकट पैदा किये गए जिससे की पांडवों के जीवन को खतरा हो गया था। इन सब समस्याओं के समाधान को लेकर जब पांडवों की पत्नी द्रौपदी भगवान श्री कृष्ण के पास गयी तो श्री कृष्ण ने द्रौपदी को कार्तिक कृष्ण चतुर्थी अथवा करवा चौथ व्रत के बारे में बताया श्रीकृष्ण (Sri Krishna) पांडवों की पत्नी द्रौपदी से कहते हैं की हे देवी पांडव पुत्रों और अर्जुन के संकट और कष्ट तभी समाप्त होंगे जब आप मेरे द्वारा बताये इस करवा चौथ व्रत को करेंगी। इसके बाद द्रौपदी ने इस व्रत को किया तो पांडवों के ऊपर आने वाले सभी संकट टल गए और उन्हें अपना छीना हुआ राज्य वापस मिल गया। बस तभी से ऐसा मान जाता है की संसार में करवा चौथ व्रत करने की प्रथा की शुरुआत हुई।
  • दूसरी कथा : पुराणों में करवा चौथ की एक और कथा का उल्लेख मिलता है। इस कथा के अनुसार प्राचीन समय में सत्यवान नाम के एक व्यक्ति की मृत्यु हो गयी तो उसकी आत्मा को लेने यमराज आये। जब यमराज धरती पर आकर सत्यवान की आत्मा को ले जाने लगे तो सत्यवान की धर्मपत्नी सावित्री ने यमराज से प्रार्थना कर अपने पति के प्राणों की भीख मांगने लगी। परन्तु यमराज ने रोती हुई सावित्री की बातों को अनसुना कर दिया और बेसुध होकर एक जगह बैठ गई एवं रोने लगी। मृत्यु के देवता यमराज (Yamraj) से सावित्री का इस तरह रोना और विलाप करना देखा नहीं गया। यमराज ने सावित्री की दशा को देखते हुए कोई वरदान मांगने को कहा। इस सावित्री कहती है हे यमराज जी मेरे पति के प्राणों को बख्क्ष दीजिये और उन्हें जीवन दान दे दीजिये। लेकिन यमराज ने कहा हे देवी जीवन और मृत्यु सब विधि के विधान के द्वारा पहले से निश्चित है जिसे बदला नहीं जा सकता परन्तु सावित्री के बार-बार कहने पर यमराज को विवश होकर सत्यवान को जीवनदान देना पड़ा। अपने पति को जीवित देखकर सावित्री का चेहरा खिल उठा और दोनों ने यमराज का धन्यवाद किया। दोस्तों यह सब इस कारण हो पाया क्योंकि सावित्री ने सत्यवान के जीवित रहते हुए पूरी निष्ठा एवं श्रद्धा के साथ करवा चौथ व्रत को किया था। इसके बाद ऐसा माना जाता है की सावित्री की इस कथा को सुनकर लोगों ने करवा चौथ का व्रत करना शुरू कर दिया।
करवा चौथ से संबंधित Frequently Asked Question (FAQs):

16 श्रृंगार क्या होता है ?

महिला के अपने श्रृंगार में उपयोग होने वाली सजावट की 16 वस्तुओं एवं कार्यों को सोलह श्रृंगार की श्रेणी में रखा गया है यह निम्नलिखित इस प्रकार से हैं –
1 बिंदी, 2 सिंदूर, 3 काजल, 4 मेहंदी, 5 चूड़ियां, 6 मंगल सूत्र, 7 नथ, 8 गजरा, 9 मांग टीका, 10 झुमके, 11 बाजूबंद, 12 कमरबंद, 13 बिछिया, 14 पायल, 15 अंगूठी और 16 स्नान।

वर्ष 2023 में करवा चौथ कब है ?

हिन्दू वर्ष पंचांग के अनुसार साल 2023 में नवंबर माह की 1 तारीख को पुरे देश में करवा चौथ व्रत मनाया जाएगा।

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करवा चौथ 2023 के पूजा का मुहूर्त क्या है ?

ज्योतिष एक्सपर्ट्स के अनुसार करवा चौथ व्रत की पूजा के मुहूर्त का समय शाम 5 बजकर 44 मिनट से 7 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।

1 नवंबर करवा चौथ वाले दिन चाँद कब निकलेगा ?

ज्योतिष विद्वानों के अनुसार 1 नवंबर अर्थात करवा चौथ वाले दिन चाँद के उगने का समय रात 8 बजकर 26 मिनट है।

करवा चौथ में बाया क्या होता ?

दोस्तों नवविवाहित महिला के मायके से आने वाला करवा चौथ व्रत का सामान को बाया कहा जाता है। इस बाया में महिला के घर से मिठाई, गिफ्ट, श्रृंगार आदि का सामान ससुराल भेजा जाता है।

मिट्टी के करवा के अलावा किस धातु के बने करवा का उपयोग करवा चौथ व्रत में कर सकते हैं ?

विद्वानों की मानें तो मिट्टी के करवा के अलावा आप तांबे के बने करवा का उपयोग कर सकते हैं।

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