पृथ्वीराज चौहान का इतिहास, कहानी, जीवन परिचय | Prithviraj Chauhan Biography Movie in Hindi

देश के अंतिम वीर हिन्दू सम्राट पृथ्वी राज चौहान चौहान वंश के राजा थे जिन्होंने अफगानी लुटेरा और शासक शिहाबुद्दीन मोहम्मद गौरी को युद्ध में 17 बार हराया था। आज हम आपके लिए अपने इस आर्टिकल में महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) के जीवन से जुड़ी जानकारियां लाये हैं। दोस्तों आपको बता दें की ... Read more

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Reported by Rohit Kumar

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देश के अंतिम वीर हिन्दू सम्राट पृथ्वी राज चौहान चौहान वंश के राजा थे जिन्होंने अफगानी लुटेरा और शासक शिहाबुद्दीन मोहम्मद गौरी को युद्ध में 17 बार हराया था। आज हम आपके लिए अपने इस आर्टिकल में महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान (Prithviraj Chauhan) के जीवन से जुड़ी जानकारियां लाये हैं।

दोस्तों आपको बता दें की पृथ्वीराज चौहान के बारे में कोई भी आधिकारीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। इतिहास की किताबों में पृथ्वीराज के बारे में दर्ज जानकारियां प्राचीन शिलालेखों और तत्कालीन दरबारी दार्शनिकों, लेखकों के द्वारा लिखे गए दस्तावेजों और किताबों से ली गयी है।

पृथ्वीराज चौहान का इतिहास, कहानी, जीवन परिचय | Prithviraj Chauhan Biography Movie in Hindi
पृथ्वीराज चौहान का इतिहास, कहानी, जीवन परिचय

आपकी जानकारी के लिए बता दें की पृथ्वीराज रासो किताब को इतिहासकारों के द्वारा सबसे विश्वसनीय और सटीक माना जाता है क्योंकि पृथ्वीराज रासो की रचना पृथ्वीराज चौहान III के बचपन के मित्र चंद्रबरदाई (Chandrabardai) ने की थी।

यदि आप पृथ्वीराज चौहान को अच्छी तरह से जानना और समझना चाहते हैं तो हम आपसे कहेंगे की आपको पृथ्वीराज रासो (Prithviraj Raso) जरूर पढ़नी चाहिए। चलिए आर्टिकल में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं पृथ्वीराज चौहान के जीवन , इतिहास , उनसे संबंधित युद्ध आदि के बारे में।

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कौन थे पृथ्वीराज चौहान जानिए

हम यहाँ आपको पृथ्वीराज चौहान के संबंध में टेबल के माध्यम से संक्षिप्त जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं। आप नीचे दी गयी टेबल में Prithviraj Chauhan III के बारे में पढ़ सकते हैं।

पूरा नाम (Full Name)पृथ्वीराज सिंह चौहान
अन्य प्रचलित नाम (Others Name)राय पिथौरा, भारतेश्वर, सपादलक्षेश्वर, अंतिम हिन्दू सम्राट
जन्मतिथि (Date of Birth)प्राचीन हिंदी पांचांग के अनुसार (1 जून 1163)
जन्म स्थान (Birthplace)पाटन (गुजरात)
गृह नगर (Home Town)सोरों शूकरक्षेत्र, उत्तर प्रदेश (वर्तमान में कासगंज, एटा)
कुछ इतिहासकार विद्वानों के अनुसार जिला राजापुर, बाँदा (वर्तमान में चित्रकूट)
वंश का नाम (Linage’s Name)चौहान वंश
धर्म (Religion)हिन्दू (Hindu)
जाति (Cast)क्षत्रिय (Kshatriya)
पिता जी का नाम (Father’s Name)राजा सोमेश्वर चौहान
माता जी का नाम (Mother’s Name)रानी कर्पूरादेवी
पत्नियों के नाम (Wive’s Name)सम्राट पृथ्वीराज चौहान की 13 पत्नियां थीं जिनके नामों की लिस्ट हमने आपको नीचे बताई है –

रानी संयोगिता
जंभावती
पड़िहारी
पंवारी
इच्छनी
दाहिया
जालंधरी
गुजरी
बड़गुजरी
यादवी
यादवी पद्मावती
शशिव्रता
पुड़ीरानी
छोटे भाई का नाम (Younger Brother’s Name)हरिराज
छोटी बहन का नाम (Younger Sister’s Name)पृथा
पुत्र का नाम (Son’s Name)गोविन्द राजा
शासनवधि का समय (Reign Time)1178 ईस्वी से 1192 ईस्वी तक
आयु (Age)29 वर्ष
मृत्यु (Death)11 मार्च 1192
मृत्यु स्थल (Death Place)अजमेर , राजस्थान
पृथ्वीराज चौहान का इतिहास

पृथ्वीराज चौहान का जीवन परिचय (Biography in hindi):-

पृथ्वीराज चौहान जैसे महान राजाओं का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है और देश के हर एक नागरिक को उनके बारे में जानना चाहिए इसलिए हमने यहां पृथ्वीराज के जीवन से संबंधित घटनाओं को समावेश करते हुए उनके परिचय के बारे में बताया है। आप आर्टिकल में पढ़ सकते हैं।

Prithviraj Chauhan का प्रारम्भिक जीवन :

इतिहास में उपलब्ध जानकारियों के अनुसार सम्राट पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1163 ईस्वी में गुजरात के पाटन नामक स्थान के पतंग गाँव में चौहान वंश के राजा सोमेश्वर चौहान और रानी कर्पूरादेवी के घर पहली संतान के रूप में हुआ था। राजा सोमेश्वर चौहान ने अपने पुत्र के नामकरण और भविष्यफल को जानने हेतु राज्य भर के विद्वानों को दरबार में बुलाया जहाँ विद्वानों ने सोमेश्वर चौहान के पुत्र का नाम “पृथ्वीराज” रखा।

विद्वानों ने पृथ्वीराज चौहान के भविष्यफल के बारे में बताया की हे राजन आपका पुत्र आगे चलकर एक प्रभावी यशस्वी सम्राट बनेगा। विद्वानों का मानना है की पृथ्वीराज चौहान बचपन से तीक्ष्ण बुद्धि और प्रतिभाशाली थे।

पृथ्वीराज चौहान की शिक्षा :

दोस्तों आपको बता दें की पृथ्वीराज चौहान की प्रारभिक शिक्षा राजस्थान के अजमेर में स्थित सरस्वती कण्ठाभरण विद्यापीठ से हुई थी। वर्तमान में यह विद्यापीठ अढ़ाई दिन का झोपड़ा के एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में स्थित है। इतिहासकारों का मानना है की इस विद्यापीठ में अपने छोटे भाई हरिराज के साथ रहते हुए लगभग छः भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया था।

पृथ्वीराज को संस्कृत , प्राकृत , मगधी ,पैशाचिक , शौर और अपभ्रंश भाषाओं का ज्ञान था। इसके अलावा विद्यापीठ में रहते हुए अपनी परम्परागत शिक्षा के साथ वेदांत, पुराण, इतिहास, सैन्य विज्ञान, मीमांसा और चिकित्सा आदि की शिक्षा प्राप्त की।

Prithviraj Chauhan और शब्द भेदी बाण

कहते हैं जैसे रामायण में भगवान श्री राम के पिता राजा दशरथ शब्दभेदी बाण चलाना जानते थे उसी तरह पृथ्वीराज को भी शब्दभेदी बाण चलाने का ज्ञान था। पृथ्वीराज को शब्दभेदी बाण चलाने की शिक्षा उनके दादा अंगम्म ने दी थी जो उस समय दिल्ली के शासक हुआ करते थे।

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बहुत ही कम उम्र में ही पृथ्वीराज शब्दभेदी बाण चलाने में पारंगत हो गए थे। शब्द भेदी बाण के साथ-साथ पृथ्वीराज संगीत और चित्रकला में रूचि रखते थे। अपने चंद्रबरदाई से पृथ्वीराज ने अपना एक चित्र भी बनवाया था।

13 वर्ष की उम्र में बने राजा

दिल्ली युनिवेर्सिटी के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ संतोष राय बताते हैं की जब पृथ्वीराज चौहान मात्र 13 वर्ष की अल्प आयु में थे तो उनके पिता सोमेश्वर चौहान का निधन हो गया। जिसके बाद पृथ्वीराज को उत्तराधिकारी के रूप में अजमेर राज्य की गद्दी पर बिठाया गया। हालाँकि पृथ्वीराज की उम्र कम थी लेकिन फिर भी उन्होंने अपने राजा होने के कर्तव्यों का अच्छी तरह से निर्वहन किया।

पृथ्वीराज जब बने दिल्ली के शासक :

पृथ्वीराज की वीरता और बहादुरी के किस्से तो उनके दादा अंगम्म ने दिल्ली में बहुत सुने थे। अंग्गम चाहते थे की उनकी मृत्यु के बाद पृथ्वीराज को दिल्ली का शासक बनाया जाए। जब पृथ्वीराज के दादा अंग्गम की मृत्यु हुई तो राज सिहांसन की गद्दी पर बिठाकर पृथ्वीराज को दिल्ली का शासक बना दिया गया।

रानी संयोगिता (Sanyogita) और पृथ्वीराज चौहान III का विवाह प्रसंग:

दोस्तों आपको बता दें की रानी संयोगिता और पृथ्वीराज चौहान के विवाह की अपनी एक रोचक कहानी है जिसका उल्लेख चंद्रबरदाई ने अपने काव्य पृथ्वीराज रासों में किया है। आपको बताते चलें की रानी संयोगिता कन्नौज के राजा जयचंद राठौड़ की पुत्रीं थीं।

चन्द्रबरदाई लिखते हैं की पन्ना रे नामक एक प्रसिद्ध चित्रकार के द्वारा बनाई गयी रानी संयोगिता का चित्र जब मैंने महान सम्राट पृथ्वीराज को दिखाई तो वह चित्र को देखकर रानी संयोगीता पर सम्मोहित हो गए और रानी से प्रेम करने लगे। इसी तरह रानी संयोगिता ने पृथ्वीराज चौहान की बहादुरी और युद्ध के बारे में सुना तो रानी संयोगिता मन ही मन पृथ्वीराज से प्रेम करने लगीं।

पृथ्वीराज चौहान ने जब अपने बचपन के मित्र चंद्रबरदाई से रानी संयोगिता से मिलने की इच्छा जताई तो चंद्रबरदाई ने यह बताया की रानी संयोगिता हमारे शत्रु राजा जयचंद की पुत्री हैं जो आपसे बहुत ईर्ष्या करते हैं वो आपको कभी भी आपको रानी संयोगिता से मिलने नहीं देंगे। पर हे राजन एक तरीका है जिससे आप रानी से मिल सकते हैं।

मैंने एक सन्देश सुना है की राजा जयचंद ने अपने राज्य में कन्नौज में अपने शक्तिप्रदर्शन के लिए राजसयू यज्ञ के आयोजन का निश्चय किया है और उसी दिन रानी संयोगिता का स्वयंबर भी है जिसमें आस -पास के सभी राजाओं को आमंत्रित किया जायेगा।

परन्तु राजा जयचंद ने पृथ्वीराज को छोड़कर बाकी सभी राजाओं को रानी संयोगिता के स्वयंवर के लिए बुलाया और इसी के साथ अपने दरबार में पृथ्वीराज का अपमान करने के लिए एक पृथ्वीराज चौहान जैसी दिखने वाली मूर्ति अपने दरबार में लगवा दी। लेकिन जब पृथ्वीराज को पता चला की स्वयंवर के लिए उन्हें नहीं बुलाया गया है।

तो पृथ्वीराज अपने घोड़े पे सवार होकर राजा जयचंद के दरबार पहुँच गए जहाँ रानी संयोगिता ने पृथ्वीराज चौहान को देखते ही उनके गले में फूलों की माला डाल दी। इसके बाद पृथ्वीराज चौहान रानी को घोड़े पर बिठाकर अपने राज्य अजमेर ले आये। तो इस तरह रानी संयोगिता और सम्राट पृथ्वीराज चौहान का विवाह संपन्न हुआ। यही है रानी संयोगिता और राजा पृथ्वीराज चौहान के विवाह की कहानी जिसका उल्लेख पृथ्वीराज रासों में है।

पृथ्वी राज चौहान के द्वारा लड़े गए युद्ध :

पृथ्वी राज ने अपनी जीवन काल में बहुत से युद्ध लड़े जिसमें से वह कई युद्ध जीते और हारे भी। हम आपको यहाँ पृथ्वीराज चौहान के द्वारा लड़े गए कुछ युद्धों के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं –

  • तराइन का प्रथम युद्ध (1190 ईस्वी से 1191 ईस्वी तक) :- आपको बता दें की तराइन का प्रथम युद्ध अफगानी लुटेरे मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान तृतीय के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध में मोहम्मद गौरी ने तबर-ए-हिन्द (वर्तमान में बठिंडा) क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के लिए आक्रमण किया था। उस समय यह क्षेत्र जियाउद्दीन तुल्क के आधीन था। लेकिन जब पृथ्वीराज चौहान को इसके बारे में पता चला तो वह अपने पुत्र गोविंदराजा के साथ जियाउद्दीन की सहयता करने बठिंडा निकल पड़े। जिसके बाद मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच भीषण युद्ध हुआ। इस भीषण युद्ध का निर्णायक रूप आने पर मोहम्मद गौरी को अपनी हार का सामना पड़ा।
  • तराइन का द्वितीय युद्ध (1192 ईस्वी):- अपनी हार के बाद मोहम्मद गौरी दोबारा लौटा और पृथ्वीराज चौहान को युद्ध के लिए ललकारने लगा। इस युद्ध के लिए मोहम्मद गौरी ने अपनी सेना को और मजबूत किया था। मोहम्मद गौरी ने इतनी बड़ी सेना तैयार करने के लिए 1 लाख से अधिक अफगान घुड़सवार सैनिक और पैदल तुर्क सैनिकों को अपनी सेना में शामिल किया। तराइन का द्वितीय युद्ध मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान दोनों के बीच एक भयंकर भीषण युद्ध था। इस युद्ध में एक तरफ अफगान मुसलमानों की विशाल सेना थी तो दूसरी तरफ राजपूती सेना। तराइन के द्वितीय युद्ध में मोहम्मद गौरी ने बड़ी चालकी से पृथ्वीराज की गलतियों का फायदा उठाकर पृथ्वीराज चौहान को बंधी बना लिया था। इतिहासकारों का मानना है तराइन के द्वितीय युद्ध में राजा जयचंद ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए मोहम्मद गौरी की सहायता की थी जो पृथ्वीराज की हार का सबसे बड़ा कारण बना।

पृथ्वीराज चौहान की विशाल पराक्रमी सेना (Army) :

इतिहास में दर्ज जानकारी के अनुसार 17 बार मोहम्मद गोरी को युद्ध में हराने का कारण यह भी था की पृथ्वीराज चौहान के पास एक बड़ी विशाल पराक्रमी सेना थी जिसमें 3 लाख से अधिक पैदल सैनिक थे , 2 लाख से ज्यादा घुड़सवार सैनिक थे। इसके अलावा पृथ्वीराज चौहान तृतीय की सेना में लगभग 3,000 हाथी शामिल थे। इस विशाल पराक्रमी सेना का जिक्र 16वीं सदी के प्रसिद्ध मुस्लिम इतिहासकार फेरिश्ता ने अपनी किताब में किया है।

पृथ्वीराज चौहान के संबंध में लिखी गयी किताबें :

दोस्तों वैसे तो इतिहास में कई लेखकों के द्वारा लिखी किताबों में पृथ्वीराज चौहान के बारे में जिक्र मिलता है लेकिन विद्वानों ने जिन काव्यों को सर्वाधिक मान्यता दी हुई है हम यहाँ आपको उनके बारे में बता रहे हैं। नीचे टेबल में हमने किताब या महाकाव्य के नाम और उसके रचयिता के बारे में जानकारी दी है –

किताब का नाम (Book’s Name)रचयिता (Author)
पृथ्वी राज विजय महाकाव्यजयानक कश्मीरी राजकवि
हम्मीर महावाक्यनयचन्द्र सूरी
पृथ्वीराज रासोचंद्रबरदाई

पृथ्वीराज चौहान का इतिहास (FAQs):

पृथ्वीराज चौहान का शासन कब से कब तक रहा ?

पृथ्वीराज चौहान का शासन 12वीं शताब्दी में 1178 ईस्वी से 1192 ईस्वी तक रहा।

रानी संयोगिता किसकी पुत्री थीं ?

रानी संयोगिता उत्तर भारत के गाहड़वाल वंश के राजा जयचंद राठौड़ की पुत्री थीं।

हम्मीर महावाक्य क्या है ?

आपकी जानकारी के लिए बता दें की हम्मीर महावाक्य एक संस्कृत भाषा में लिखा हुआ महाकाव्य है जिसके रचयिता जैन विद्वान नयचंद्र सूरी जी हैं।

पृथ्वीराज चौहान ने दिल्ली की गद्दी कब संभाली ?

दादा अंग्गम की मृत्यु के बाद पृथ्वीराज चौहान को दिल्ली का शासक बनाया गया।

राजा जयचंद कहाँ के राजा थे ?

गाहड़वाल वंश के राजा जयचंद कन्नौज के राजा थे।

पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु कैसे हुई ?

जब पृथ्वीराज चौहान ने शब्दभेदी बाण चलाकर मोहम्मद गौरी की हत्या की तो गौरी के सैनिकों ने चंदरबरदाई और पृथ्वीराज को घेर लिया। लेकिन पृथ्वीराज और चंदरबरदाई दोनों ने सोचा की मोहम्मद गौरी के सैनिकों के हाथों से मरने से अच्छा है की स्वयं ही प्राण त्याग दिए जाएँ। जिसके बाद दोनों ने एक दूसरे पर तेज कटार चाक़ू से वार अपने प्राण त्याग दिए और मृत्यु को प्राप्त हुए।

ताज-उल-मासीर , तबक़ात-ए-नासिरी और तारिख-ए-फ़िरिश्ता किसके द्वारा रचित काव्य हैं ?

ताज-उल-मासीर , तबक़ात-ए-नासिरी और तारिख-ए-फ़िरिश्ता 12वीं सदी के फ़ारसी लेखक और इतिहासकार फिरिश्ता के द्वारा रचित काव्य हैं जिसमें पृथ्वीराज चौहान का जिक्र मिलता है।

मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच कितनी बार लड़ाई हुई ?

मोहम्मद गौरी

राजा जयचंद के पिता का क्या नाम था ?

राजा जयचंद के पिता का नाम विजयचंद्र था।

यह भी पढ़ें :- मोहम्मद गौरी जीवन परिचय

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