राजस्थान के प्रतीक चिन्ह – Rajasthan Ke Pratik Chinh

क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान राज्य भारत गणराज्य का सबसे बडा राज्य है। राज्य का अधिकांश क्षेत्र थार मरूस्थल के अन्तर्गत आता है। वर्तमान में राज्य की राजधानी जयपुर है। राजनीतिक आधार पर देखें तो वर्तमान में अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं, जो कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से सम्बन्ध रखते हैं। राजस्थान के प्रतीक ... Read more

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Reported by Dhruv Gotra

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क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान राज्य भारत गणराज्य का सबसे बडा राज्य है। राज्य का अधिकांश क्षेत्र थार मरूस्थल के अन्तर्गत आता है। वर्तमान में राज्य की राजधानी जयपुर है। राजनीतिक आधार पर देखें तो वर्तमान में अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं, जो कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से सम्बन्ध रखते हैं। राजस्थान के प्रतीक चिन्ह (Rajasthan Ke Pratik Chinh) और इतिहास के बारे में हम आपको इस लेख में बतायेंगे –

राजस्थान के प्रतीक चिन्ह - Rajasthan Ke Pratik Chinh
राजस्थान के प्रतीक चिन्ह

राजस्थान का इतिहास और स्थापना

Rajasthan (राजस्थान) ऐतिहासिक रूप से राजपूत राजाओं का गढ रहा है। राजाओं की भूमि अर्थात राजाओं का स्थान होने से ही राज्य का नाम राजस्थान रखा गया है। यहां के राजपूत राजा तत्कालीन दौर में अपना खासा प्रभाव इस क्षेत्र में रखते थे। प्रारम्भ में यहां छोटे छोटे कबीलों का शासन हुआ करता था। 13 वीं शताब्दी के आते आते इस पूरे क्षेत्र में भीलों ने अपना शासन स्थापित कर लिया। इसके बाद कालान्तर में राजपूत राजाओं का उदय हुआ। इन्होंने धीरे धीरे पूरे राजस्थान के क्षेत्र में अपना शासन स्थापित कर लिया था।

उस दौर में यह एक राज्य न होकर रियासतों में विभक्त था। हर राजा ने अपने वंश अथवा बोली के आधार पर अपनी रियासत का नामकरण किया। जैसे उदयपुर, जोधपुर, सवांई माधोपुर आदि। राजपूत राजा अपनी वीरता के लिये जाने जाते थे। महाराणा प्रताप और राणा सांगा जैसे साहसी और बहादुर राजा अपनी वीरता के लिये जाने गये। ब्रिटिश दौर के आते आते इस क्षेत्र को राजपूताना कहा जाने लगा।

राज्य की स्थापना 30 मार्च 1949 को की गयी। इस दिन अलग अलग रियासतों को एक साथ मिलाकर राजपूताना को राजस्थान का नाम दिया गया और भारतीय गणराज्य में शामिल कर लिया गया। तकरीबन 23 रियासतों का राजनीतिक ऐकीकरण करके राजस्थान राज्य के निर्माण का श्रेय तत्कालीन भारत के गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को दिया जाता है।

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राजस्थान के प्रतीक चिन्ह

राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों और राज्य के इतिहास और विकास के प्रतीक के रूप में राजस्थान के प्रतीक चिन्हों का चुनाव किया गया है। जो इस प्रकार से हैं-

राजस्थान का राज्य वृक्ष- खेजडी

  • राजस्थान के प्रतीक चिन्हों में राज्य वृक्ष खेजडी की आयु बहुत अधिक होती है। इस कारण से खेजडी को राजस्थान का कल्प वृक्ष भी कहा जाता है। इस वृक्ष की पत्तियों का उपयोग पशुओं के लिये चारे के रूप में किया जाता है। इसकी फलियों को सुखाकर सब्जी के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
  • खेजडी के वृ़क्ष से लोक मान्यतायें भी जुडी हैं और स्थानीय लोग इसकी पूजा भी करते हैं। इस वृक्ष के नीचे ही थान आदि बनाये जाते हैं और स्त्रियां विशेष रूप से इसकी पूजा करती हैं।
  • वृक्ष को स्थानीय भाषा में शमी या सीमलों कहा जाता है।
  • खेजडी के वृक्ष का वानस्पतिक नाम Prosopis cineraria है। इस वृक्ष को राजस्थान का राज्य वृक्ष 31 अक्टूबर 1983 को घोषित किया गया था।
  • विश्नोई समाज के द्वारा खेजडी के वृक्ष को बहुत महत्व दिया जाता है। इसके लिये 12 सितम्बर को हर साल खेजडली दिवस भी मनाया जाता है।

राजस्थान का प्रतीक पशु वन्यजीव श्रेणी-चिंकारा

  • वन्यजीवों की श्रेणी में चिंकारा को राजस्थान का राज्य पशु घोषित किया गया है। यह प्रजाति हिरन से काफी मिलती है, इसलिये इसे छोटा हिरन भी कहा जाता है। वर्ष 1981 में चिंकारा को राजस्थान का राज्य पशु घोषित किया गया था। चिंकारा का वैज्ञानिक नाम Gazella Bennetti है। यह काफी शर्मीला जीव माना जाता है।
  • राज्य पशु होने के तहत राजस्थान में चिंकारा का शिकार करना अवैध है। इसके लिये राजस्थान सरकार के द्वारा कडे कानून बनाये गये हैं। इसके साथ ही राज्य के नाहरगढ वन्यजीव अभ्यारण्य को चिंकारा के लिये संरक्षित अभ्यारण्य की सूची में रखा गया है।

राज्य पशु पशुधन श्रेणी-ऊँट

  • वर्तमान में राजस्थान में राज्य पशु की दो श्रेणियां है। वन्यजीव और पशुधन श्रेणी। वर्ष 1981 से वर्ष 2014 तक यह श्रेणी नहीं थी। तब तक चिंकारा ही राजस्थान राज्य का एकमात्र राजकीय पशु था।
  • लेकिन राजस्थान जैसे रेगिस्तान की बहुलता वाले राज्य में ऊँट की उपयोगिता को देखते हुये राजकीय पशु की एक पशुधन श्रेणी बनाई गयी और ऊँट को पालतू पशुओं में राजस्थान का राजकीय पशु का दर्जा दिया गया।
  • 30 जून 2014 को राजस्थान सरकार ने ऊँट को राजकीय पशु घोषित किया। ऊँट का वैज्ञानिक नाम Camelus है और इसे रेगिस्तान का जहाज भी कहा जाता है।

राज्य पक्षी- गोडावण ग्रेट इंडियन बस्टर्ड

  • ग्रेट इंडियन बस्टर्ड जिसे स्थानीय भाषा में गोडावण कहा जाता है, को राजस्थान का राज्य पक्षी घोषित किया गया है। इस पक्षी का वैज्ञानिक नाम Ardeotis nigriceps है
  • यह दुनिया के सबसे भारी पक्षियों में से एक है। वर्तमान में इस पक्षी को अर्न्तराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature) के द्वारा गंभीर रूप से संकटग्रस्त और लुप्तप्राय जीवों में शामिल किया गया है। इसके साथ ही वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत वन्यजीवों के विकास की प्रथम सूची में गोडावण को रखा गया है।

राज्य पुष्प – रोहिडा

  • 21 अक्टूबर 1983 को रोहिडा को राजस्थान का राज्य पुष्प घोषित किया गया। रोहिडा पुष्प का वैज्ञानिक नाम Tikomela anduleta है। यह पुष्प राजस्थान के अधिकांश क्षेत्रों में पाया जाता है। इसे मरूशोभा और मरूस्थल का सागवान के उपनामों से भी जाना जाता है।

राजकीय नृत्य- घूमर

  • घूमर राजस्थान का पारंपरिक नृत्य है। इसे राजस्थान का राजकीय नृत्य भी घोषित किया गया है। इस नृत्य में मूल रूप से केवल स्त्रियां ही भाग लेती हैं। एक गोल घेरे में घूमते हुये पारंपरिक परिधानों के साथ यह नृत्य किया जाता है। लगभग सभी मांगलिक कार्यों जैसे विवाह आदि में यह नृत्य विशेष रूप से किया जाता है।

राज्य का राज्य गीत- केसरिया बालम

  • केसरिया बालम राजस्थान का पारंपरिक लोकगीत है। इस गीत को राजस्थान का राजकीय गीत का दर्जा दिया गया है। यह पारंपरिक रूप से राजपूताना के वीरों के लिये महिलाओ के द्वारा गाया जाने वाला गीत है। पूर्व में इस गीत को राजाओं के दरबार में गाया जाता था। गीत के बोल इस प्रकार से हैं-

केसरिया बालम आवोनी पधारो म्हारे देस
नि केसरिया बालम आवोनी सा पधारो म्हारे देस
पधारो म्हारे देस, आओ म्हारे देस नि
केसरिया बालम आओ सा पधारो म्हारे देस

मारू थारे देस में निपूजे तीन रतन
एक ढोलो, दूजी मारवन,
तीजो कसूमल रंग पधारो म्हारे देस, पधारो म्हारे देस नि,
केसरिया बालम, आवोनी पधारो म्हारे देस

केसर सू पग ला धोवती, घरे पधारो जी..
हे केसर सू पग ला धोवती,
घरे पधारो जी और बढ़ाई क्या करू पल पल वारू जीव
पधारो म्हारे देस, आओ म्हारे देस नि
केसरिया बालम आओ सा पधारो म्हारे देस आंबा मीठी आमरी,
चोसर मीठी छाछ नैना मीठी कामरी रन मीठी तलवार

पधारो म्हारे देस, आओ म्हारे देस नि
केसरिया बालम आवोनी पधारो म्हारे देस
पधारो म्हारे देस, आओ म्हारे देस जी
केसरिया बालम आवोनी पधारो म्हारे देस

राज्य मिठाई-घेवर

  • घेवर को राजस्थान की राज्य मिठाई का दर्जा दिया गया है। राजस्थान की घेवर मिठाई अपने स्वाद के लिये विश्व प्रसिद्व है। सभी प्रमुख तीज त्यौहारों में घेवर मिठाई बनायी जाती है। उपहार देने के लिये भी घेवर मिठाई दी जाती है।

राजस्थान के प्रतीक चिन्ह से सम्बन्धित प्रश्न

राजस्थान में दो राज्य पशु क्यों हैं?

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राज्य सरकार के द्वारा राजस्थान में राजकीय पशु को दो श्रेणी में बांटा गया है। वन्यजीव की श्रेणी में चिंकारा तथा पशुधन की श्रेणी में उंट को राजस्थान का राज्य पशु घोषित किया गया है।

राजस्थान का राज्य गीत कौन सा है?

केसरिया बालम राजस्थान का पारंपरिक और समारोहों तथा उत्सवों में गाया जाने वाला गीत है। राज्य सरकार के द्वारा इसे राजस्थान का राज्य गीत घोषित किया गया है।

रेगिस्तान का जहाज किसे कहा जाता है?

रेतीले स्थानों में उंट बहुत ही उपयोगी पशु साबित होता है। इसे रेगिस्तान का जहाज भी कहा जाता है। राजस्थान सरकार के द्वारा उंट को राज्य पशु घोषित किया गया है।

राजस्थान की स्थापना कब हुयी?

30 मार्च 1949 को लगभग 23 रियासतों को मिलाकर राजस्थान राज्य का भारत गणराज्य में विलय कर दिया गया।

राजस्थान का प्राचीन नाम क्या है?

राजस्थान के भारत में विलय से पूर्व इसे राजपूताना के नाम से जाना जाता था।

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