हिंदी वर्णमाला के अंतर्गत कुल 52 अक्षर होते है, जिनमे से 11 स्वर और 41 व्यंजन होते है और उन व्यंजनों में से कुछ अक्षर स्पर्श व्यंजन होते है। अपने अभी तक विभिन्न व्यंजनों के बारें में पढ़ा होगा, लेकिन आज हम आपको स्पर्श व्यंजन की सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है। तो आइये जानते है स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं कौन -कौन से होते है और कितने होते है। आर्टिकल से जुड़ी सभी जानकारी को प्राप्त करने के लिए हमारे साथ अंत तक बने रहे।
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स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं ?
ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण करते समय अर्थात बोलते समय मुँह के किसी -न -किसी अंग का स्पर्श होता है, तो उसे स्पर्श व्यंजन कहते है। सरल भाषा में, ऐसे व्यंजन जिनका उच्चरण करते समय वायु मुँह के किसी-न-किसी आंतरिक भाग का स्पर्श करके आती है, तो ऐसे व्यंजनो को स्पर्श व्यंजन कहते है। इन स्पर्श व्यंजनों की संख्या 25 होती है। हिंदी वर्णमाला का सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के लिए स्पर्श व्यंजन के अतिरिक्त हिंदी व्यंजन, परिभाषा, भेद आदि की जानकारी होनी भी आवश्यक है।
जैसे –
- क, ख, ग, घ, ङ
- च, छ, ज, झ, ञ
- ट, ठ, ड, ढ, ण
- त, थ, द, ध, न
- प, फ, व, भ, म।
स्पर्श व्यंजन वर्ण के प्रकार ,उदाहरण सहित
स्पर्श व्यंजन को आसान तरीके से समझने के लिए इसे 5 वर्गों में बांटा गया है, 5 अलग -अलग वर्गों का उच्चारण करते समय मुख के अलग -अलग भाग का स्पर्श होता है जैसे –
1. | क वर्ग | क, ख, ग, घ, ङ | कण्ठ का स्पर्श |
2. | च वर्ग | च, छ, ज, झ, ञ | तालु का स्पर्श |
3. | ट वर्ग | ट, ठ, ड, ढ, ण | मूर्धा का स्पर्श |
4. | त वर्ग | त, थ, द, ध, न | दाँतो का स्पर्श |
5. | प वर्ग | प, फ, ब, भ, म | होठों का स्पर्श |
हिंदी वर्णमाला में 25 स्पर्श व्यंजन होते हैं, 25 स्पर्श व्यंजनों की शुरुआत ‘क वर्ग’ के लेकर ‘म’ तक होती है।
स्पर्श व्यंजन से सम्बंधित महत्वपूर्ण सवालों के जवाब
स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं ?
ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण करते समय हमारी जीभ मुँह के किसी -न -किसी भाग का स्पर्श करती है, तो ऐसे वर्णो को स्पर्श व्यंजन कहते हैं।
Sparsh Vyanjan की संख्या कितनी होती हैं ?
स्पर्श व्यंजन की कुल संख्या 25 होती हैं।
स्पर्श व्यंजन वर्ण कौन -कौन से होते है ?
क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, व, भ, म आदि ये सभी स्पर्श व्यंजन हैं।
स्पर्श व्यंजन के दो उदाहरण दीजिए ?
जब हम ‘त’ और ‘द’ शब्द का उच्चारण करते है तो हमारी जीभ दांत और मुँह के अंदर तलवे एक दूसरे को स्पर्श करते है, उसी प्रकार से ‘क’ और ‘ग’ बोलते समय गले में वायु का बहाव रोकना होता है।