उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल: यदि आप इस बार की छुट्टियों (Holiday) पर कहीं घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको बता दें की आप उत्तर पूर्व भारत के खूबसूरत राज्यों में से एक उत्तराखंड घूमने आ सकते हैं। दोस्तों जैसा की आप जानते हैं की उत्तराखंड राज्य को देव भूमि भी कहा जाता है। उत्तराखंड राज्य में आपको प्राचीन मंदिर, तीर्थ स्थल, प्राकृतिक पहाड़ियां एवं खूबसूरत मनोरम दृश्य देखने को मिलेंगे। उत्तराखंड राज्य में आने के बाद हर कोई यहां की दिव्यता और आध्यात्मिक माहौल, प्रकृति की सुंदरता में खो जाता है। आपको बता दें हर साल विभिन्न प्रकार की यात्राओं, मेलों और धार्मिक कार्यक्रम के आयोजनों में देश भर से श्रद्धालु, पर्यटक और तीर्थ यात्री लाखों की संख्या में उत्तराखंड राज्य घूमने आते हैं।
यह भी देखें: उत्तराखंड में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहे
आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से उत्तराखंड के कुछ प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों की जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं। यदि आप इन सभी स्थलों को जानने के इच्छुक हैं तो आपको हमारा यह आर्टिकल अंत जरूर पढ़ना चाहिए।
उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल सूची
देवभूमि के नाम से विश्वभर में विख्यात उत्तराखंड राज्य में आपको घूमने और दर्शन के लिए अनेकों तीर्थ स्थल देखने को मिल जाएंगे। आइये अब जान लेते हैं ऐसे ही कुछ प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों के बारे में जो अपनी कुछ प्रमुख विशेषताओं के कारण पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है –
1. हरिद्वार (Haridwar):
- हरिद्वार उत्तराखंड का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है जो भारत की पवित्र नदियों में से एक गंगा के किनारे बसा हुआ है। आपको बताते चलें की हरिद्वार में हर 12 साल में पूर्ण कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है। इसी तरह हर 6 साल में अर्द्ध कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है।
- 12 साल में होने वाले कुम्भ मेले में देश के कोने-कोने से विभिन्न अखाड़ों के साधु, संत और श्रद्धालु पवित्र नदी गंगा में स्नान के लिए हरिद्वार आते हैं।
- आपकी जानकारी के लिए बता दें की हरिद्वार जनसंख्या की दृष्टि से उत्तराखंड राज्य का दुसरा सबसे बड़ा शहर है वहीं हम बात करें जिले की तो जनसंख्या की दृष्टि से हरिद्वार राज्य का सबसे बड़ा जिला है। वर्ष 2011 के अनुसार हरिद्वार की जनसंख्या 2,28,832 है।
- ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार हरिद्वार के सबसे प्रसिद्ध घाटों में से एक हर की पैड़ी (Har Ki Pauri) घाट की स्थापना राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई संत भरती हरी की याद में पहली शताब्दी में करवाया था। आपको बता दें की हर साल लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान और गंगा आरती के दर्शन के लिए हर की पैड़ी आते हैं।
- पुराणों में हरिद्वार का प्राचीन नाम मायापुरी (Mayapuri) बताया गया है।
2. धनौल्टी स्थित माता सुरकंडा देवी मंदिर – Surkanda Devi Temple:
- उत्तराखंड राज्य का एक और प्रमुख तीर्थ स्थल है माता सुरकंडा देवी मंदिर जो की मसूरी रोड पर धनौल्टी में स्थित है। मंदिर के सबसे नजदीक शहर देहरादून से दूरी (Distance) लगभग 66 किलोमीटर है।
- माता के मंदिर के संबंध में पौराणिक कथा यह है की जब भगवान शिव की पत्नी सती ने अपने पिता द्वारा करवाए गए यज्ञ में जब देखा की शिव का अपमान हुआ है तो इस घटना से आहत होकर सती ने यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहुति दे दी। जिसके बाद शिव अपनी मृत पत्नी सती का शरीर जब कैलाश ले जा रहे थे तो सती के शरीर का जो भाग जहाँ गिरा वह स्थान के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित हो गया।
- आपको बता दें की सती का सर जहाँ गिरा उस स्थान को सुरकंडा कहा गया। जहां आज सुरकंडा देवी मंदिर स्थित है।
- हर साल दशहरे पर यहां एक भव्य स्थानीय मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें दूर-दूर से लोग मेले में घूमने आते हैं।
- बहुतायत में मंदिर के आस-पास के क्षेत्रों में जड़ी-बूटी और आयुर्वेदिक दवाइयों की खेती की जाती है।
3. यमुनोत्री मंदिर – Yamunotri Temple:
- देवभूमि उत्तराखंड राज्य का एक और प्रसिद्ध मंदिर है यमुनोत्री मंदिर जो की सूर्य की पुत्री यमुना देवी को समर्पित है।
- पवित्र यमुनोत्री मंदिर धाम उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में कोलिंद पर्वत पर स्थित है।
- इतिहास के विद्वानों के अनुसार इस प्राचीन यमुनोत्री देवी मंदिर का निर्माण टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रताप शाह ने 18 वीं शताब्दी में करवाया था। जो की बाद में आक्रमणकारियों के द्वारा तोड़ दिया गया था।
- लेकिन बाद में यमुनोत्री मंदिर धाम का जीर्णोद्धार जयपुर की महारानी गुलेरिया जी के द्वारा करवाया गया।
- आपको बता दें की मंदिर के गर्भगृह में यमुना देवी की काले रंग के संगमरमर की मूर्ति स्थापित की हुई है।
- मंदिर धाम में आने वाले पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण यमुना मंदिर धाम के पास स्थित जानकी चट्टी है। जानकी चट्टी में आपको मनोरम दृश्य देखने को मिलते हैं।
- दोस्तों आपको बताते चलें की मंदिर के पास एक प्राकृतिक प्राचीन सूर्य कुंड है जिसमें प्राकृतिक रूप से गर्म जल धार निकलती रहती है। इस सूर्य कुंड की ख़ास बात यह है की जब कोई श्रद्धालु कपड़े की पोटली चावल बांधकर कुंड में डालते हैं तो चावल कुछ समय में ही अपने आप पक जाते हैं।
- यहाँ आने वाले तीर्थ यात्रियों का कहना होता है की सूर्य कुंड में स्नान करने से उनकी सभी तनाव और थकावट दूर हो जाते हैं।
4. केदारनाथ (Kedarnath):
- उत्तराखंड राज्य में हिमालय पर्वत की गोद में रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मंदिर एक प्रसिद्ध हिन्दू धार्मिक स्थल है। यह पवित्र धाम मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
- उत्तराखंड में पंच केदार मंदिरों में से यह एक प्राचीन केदारनाथ मंदिर है।
- इतिहासकार मानते हैं की पुरातन काल में पांडव वंश के राजा जनमेजय ने मंदिर का निर्माण करवाया था। लेकिन बाद में मंदिर क्षतिग्रस्त हो जाने पर आदि गुरु शंकराचार्य ने केदारनाथ मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।
- ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं की प्राचीन केदारनाथ मंदिर धाम का निर्माण कत्यूरी शैली में किया गया है।
- यदि आप यहाँ दर्शन के लिए आना चाहते हैं तो साल में अप्रैल से नवंबर महीने के बीच मंदिर के कपाट दर्शन हेतु खुले रहते हैं।
- आपकी जानकारी के लिए बता दें की केदारनाथ मंदिर को देश के बारह प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से एक माना गया है।
5. बद्रीनाथ मंदिर (Badrinath Temple):
- उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित पवित्र बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यहाँ हर साल चार धाम यात्रा में लाखो श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
- यदि हम समुद्र तल से ऊंचाई की बात करें तो बद्रीनाथ मंदिर समुद्र तल से 10,171 फ़ीट (3,100 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है।
- दोस्तों आपको बता दें की बद्रिनाथ मंदिर के गर्भ गृह में स्थित विष्णु भगवान की मूर्ति को बद्रीनारायण कहा जाता है।
- बदरीनाथ मंदिर में पूजा करने वाले पुजारियों को “रावल” कहा जाता है और यह सभी पुजारी पंडित दक्षिण भारत के केरल राज्य से आते हैं।
- विद्वान बताते हैं की बद्रीनाथ मंदिर में स्थित बद्रीनारायण की प्रतिमा भगवान विष्णु के 108 दिव्य रूपों में से एक है।
- बदरीनाथ मंदिर के समीप स्थित चार मंदिर योगध्यान-बद्री, भविष्य-बद्री, वृद्ध-बद्री और आदि बद्री को पंच बद्री के रूप में जाना जाता है।
- यदि आप बद्रीनाथ मंदिर आना चाहते हैं तो मार्च से अक्टूबर माह के बीच मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शन हेतु खुले रहते हैं।
- ऋषिकेश शहर से बदरीनाथ मंदिर की दूरी लगभग 294 किलोमीटर है जिसको तय करने में आपको 7 से 8 घंटे का समय लग जाता है।
6. गंगोत्री मंदिर (Gangotri Temple):
- हिमालय पर्वत की गोद में बसा मनोहर उत्तरकाशी जिले में भागीरथी नदी के किनारे स्थित गंगोत्री धाम मंदिर पवित्र गंगा नदी को समर्पित मंदिर है।
- माना जाता है की भागीरथ ने गंगा नदी को स्वर्ग से धरती पर लाने के लिए इसी स्थान पर कई सालों तक कठोर तपस्या करी थी। जिसके बाद भगवान शिव ने भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा नदी को अपनी जटाओं से पृथ्वी पर उतारा। मान्यता है की देवी गंगा ने इसी स्थान पर धरती का स्पर्श किया।
- गंगोत्री धाम के आस -पास का दृश्य आकर्षक एवं मनोहारी है। जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
- समुद्र तल से मंदिर की ऊंचाई 11,204 फीट (3,415 मीटर) है।
- दोस्तों इतिहासकारों के मुताबिक़ 18 शताब्दी में सेना में गोरखा कमांडर रहे अमर सिंह थापा ने गंगोत्री मंदिर का निर्माण करवाया था।
- परन्तु बाद में मंदिर का पुर्नोद्धार जयपुर के राजघराने के द्वारा करवाया गया।
7. कल्पेश्वर मंदिर – Kalpeshwar Temple:
- भगवान शिव को समर्पित यह कल्पेश्वर मंदिर उत्तराखंड के पांच केदारों में से एक माना जाता है।
- कल्पेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव की जटा की पूजा की जाती है।
- आप साल के किसी भी समय यहां दर्शन के लिए आ सकते हैं। यहां का मौसम पुरे साल भर साफ़ और खुशनुमा बना रहता है जो की घूमने के लिए सबसे उपयुक्त मौसम माना जाता है।
- मंदिर में प्रवेश करने के लिए आपको छोटे-छोटे पत्थरों से बनी गुफाओं से होकर गुजरना पड़ता है।
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऋषि दुर्वासा ने इस पवित्र तीर्थ स्थान पर कल्प वृक्ष के नीचे बैठकर कड़ी तपस्या की थी। जिसके बाद से इस स्थान को कल्पेश्वर के नाम से जाना जाने लगा।
- आपकी जानकारी के लिए बता दें की कल्पेश्वर का प्राचीन नाम हिरण्यवती था।
- कल्पेश्वर महा देव मंदिर से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन रामनगर है। आप यहाँ सड़क और रेल दोनों ही माध्यमों से आ सकते हैं। देहरादून से कल्पेश्वर महादेव मंदिर की दूरी लगभग 266 किलोमीटर है।
8. तुंगनाथ मंदिर – Tungnath Temple:
- भगवन शिव को समर्पित तुंगनाथ मंदिर गढ़वाल क्षेत्र के चमोली जिले में स्थित है। मंदिर के आस-पास हिमालय पर्वत की प्राकृतिक सुंदरता मौजूद है। जो पर्यटकों को यहां आने के लिए हमेशा ही आकर्षित करती रहती है।
- दुनिया में तुंगनाथ मंदिर को भगवान शिव का पुराना और सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है।
- ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार तुंगनाथ शिव मंदिर आज से लगभग 5,000 वर्ष पुराना है।
- मंदिर के संबंध में एक पौराणिक कथा प्रसिद्ध है की महाभारत काल के समय जब पांडवों ने अपने चचेरे भाइयों की हत्या कर दी थी हो अपने ऊपर से हत्या का दोष हटाने के लिए पांडव व्यास मुनि के पास गए जहाँ व्यास ऋषि ने पांडवों को इसी स्थान पर भगवान की पूजा और तपस्या करने की सलाह दी।
- अपने ऊपर से हत्या का दोष हट जाने के बाद पांडव इसके बाद गुप्तकाशी चले गए। जहाँ भगवान शिव ने पांडवों को दर्शन और आशीर्वाद दिया।
- इसके बाद पांडवों के बड़ी संख्या में यहां शिव मंदिरों का निर्माण करवाया। जिनमें से एक तुंगनाथ शिव मंदिर भी है।
- दोस्तों यदि आप मंदिर के दर्शन और घूमने हेतु जाना चाहते हैं तो आप साल के जुलाई और अगस्त महीने में यहां आ सकते हैं। इन महीनों में यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और भी बढ़ जाती है।
9. गैराड गोलू देवता मंदिर:
- उत्तराखंड के कुमांऊ क्षेत्र में अल्मोड़ा जिले में स्थित कालबिष्ट मंदिर न्याय के देवता गोलू गैराड को समर्पित है। यहाँ कालबिष्ट जी देवता के रूप में विराजमान हैं।
- यहाँ के लोगों का मानना है की गोलू देवता की उत्पत्ति गौर भैरव (शिव) के अवतार के रूप में हुई थी।
- आपको बताते चलें इस प्रसिद्ध धाम मंदिर के बारे में एक कहानी बहुत ही प्रचलित है।
- कथा के अनुसार दोस्तों ऐसा माना जाता है की श्री कल्याण सिंह बिष्ट जी का जन्म पाटिया क्षेत्र के पास कटयूड़ा गाँव में हुआ था। यहाँ पर काल बिष्ट राजा के दीवान के रूप में कार्यरत थे।
- दोस्तों कालबिष्ट जी ने बहुत ही छोटी उम्र में कटयूड़ा गाँव के सभी शैतानों को मारकर खत्म कर दिया था। काल बिष्ट जी हमेशा ही गरीब और समाज में वंचित लोगों की मदद किया करते थे। उनके इस समाज कार्य को देखकर उनके रिश्तेदार उनसे ईर्ष्या किया करते थे।
- इसी ईर्ष्या के कारण कालबिष्ट के एक निकटस्थ रिश्तेदार ने कुल्हाड़ी से कालबिष्ट का सिर काटकर उनकी हत्या कर दी थी। ऐसा माना जाता है की जहां कालबिष्ट का शरीर रहा वह स्थान आज काल बिष्ट गोलू गैराड धाम से जानी जाती है वहीँ जहाँ कालबिष्ट का सिर गिरा वो जगह अल्मोड़ा से काफी दूर कपूड़खान में स्थित है।
- भक्त अपनी मन की इच्छा पूर्ति के लिए मंदिर में घंटियां चढ़ाते हैं। मंदिर के परिसर में लोगों द्वारा चढ़ाई गई घंटियां देख सकते हैं। एक बात यह भी देखी जाती है की लोग अपनी याचिका एक पर्ची में लिखकर लाते हैं और मंदिर के दान पात्र में जमा करवा देते हैं।
10. जागेश्वर धाम मंदिर:
- उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़े जिले से 38 से 40 किलोमीटर दूर स्थित देवदार के जंगलों के बीच प्राकृतिक नज़ारों से घिरा हुआ है।
- जागेश्वर धाम मंदिर एक प्रकार से बड़े समूह का मंदिर है। इस धाम में छोटे-बड़े मंदिरों के बहुत सारे समूह हैं।
- पौराणिक मान्यताओं मानें तो यह स्थान भगवान शिव की तपस्थली रही है।
- आपको बताते चलें की हर साल सावन के महीने में यहां जागेश्वर धाम पर्व और मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु और भक्त दूर-दूर से आते हैं।
- इतिहासकारों का मानना है की जागेश्वर धाम के सभी मंदिरों का निर्माण केदारनाथ शैली में किया गया है।
- इस धाम में आपको नव दुर्गा ,सूर्य, हनुमान जी, कालिका, कालेश्वर आदि के मंदिर देखने को मिल जाएंगे।
- मंदिर में अक्सर ही कर्मकांड, जप, पार्थिव पूजन आदि चलता रहता है।
- जागेश्वर धाम मंदिर विदेशों से आने वाले सैलानियों के लिए हमेशा ही घूमने हेतु आकर्षण केंद्र बना रहता है।
- तथ्यों की माने तो जागेश्वर धाम मंदिर 125 से अधिक छोटे बड़े मंदिरों का समूह है।
उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल (FAQs):
हरिद्वार में घूमने लायक तीर्थ स्थल कौन से हैं ?
हरिद्वार में घूमने लायक तीर्थ स्थल मनसा देवी, भारत माता मंदिर, चंडी देवी मंदिर, हर की पैड़ी आदि हैं।
उत्तराखंड में मंदिरों की नगरी किसे कहा जाता है?
उत्तराखंड में मंदिरों की नगरी हरिद्वार को कहा जाता है।
देहरादून में घूमने लायक जगहें कौन सी हैं?
देहरादून में आप FRI, बुद्धा टेंपल, तिब्बती मार्केट, मसूरी, टपकेश्वर मंदिर, जॉर्ज एवरेस्ट आदि स्थलों पर घूम सकते हैं।
उत्तराखंड टूरिज़्म की आधिकारिक वेबसाइट क्या है ?
उत्तराखंड टूरिज़्म की आधिकारिक वेबसाइट uttarakhandtourism.gov.in है।