नमस्कार दोस्तों , दोस्तों यदि आप भी इन गर्मी की छुट्टियों में कहीं घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं पर यह समझ नहीं आ रहा की कहाँ घूमने जाएँ तो थोड़ा रुकिए हम आपके लिए लेकर आये हैं उत्तराखंड की कुछ ऐसी 42 बेहतरीन और खूबसूरत पर्यटक स्थलों (Top Tourist Places In Uttarakhand) की लिस्ट जहाँ आप अपने दोस्त और परिवार के साथ घूमने हेतु जा सकते हैं। दोस्तों जैसा की आप सब जानते हैं की उत्तराखंड राज्य अपने प्राकृतिक नज़ारे, धार्मिक स्थल, घाट, संगम आदि के लिए विश्व प्रसिद्ध है। दुनिया भर के सैलानी और पर्यटक यहाँ घूमने के लिए आते हैं। दोस्तों अपने इस आर्टिकल में हम आपको उत्तराखंड की कुछ ऐसी और दर्शनीय और धार्मिक स्थलों के बारे में जानकारी देंगे। आपको तो पता ही है Uttarakhand राज्य को देवभूमि भी कहा जाता है।
जैसा की आपको पता हो होगा की उत्तराखंड राज्य घूमने आने के लिए सैलानियों की पहली पसंद रहता है। राज्य के प्राकृतिक वादियों की ख़ूबसूरती हर किसी को यहाँ आने के लिए आकर्षित करती है। उत्तराखंड में आपको पहाड़ों की रानी मसूरी , देहरादून, नदियां, पहाड़, पवित्र चार धाम केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री आदि रमणीक स्थल देखने को मिलते हैं। यदि आप भी उत्तराखंड घूमना आना चाहते हैं तो हमारा यह आर्टिकल आपकी बहुत सहायता कर सकता है।
आपको हमारे इस आर्टिकल में इन दर्शनीय स्थलों (उत्तराखंड के पर्यटक स्थल) में घूमने जाने के लिए कैसे जा सकते हैं, जाने हेतु किस माध्यम (ट्रेन,हवाई और सड़क) से जाएँ। आदि सबकी जानकारी मिलेगी।आपसे अनुरोध है की इन सभी जानकारियों के लिए हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
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उत्तराखंड के 42 शीर्ष पर्यटक स्थल :-
अपने इस आर्टिकल में हम आपको देवभूमि उत्तराखंड राज्य के 42 रमणीक, दर्शनीय और धार्मिक स्थलों के बारे में बता रहे हैं ये सभी स्थल सैलानियों के द्वारा घूमने आने के लिए सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली जगहें हैं –
1 पहाड़ों की रानी (मसूरी) Queen of Hills (Mussoorie):-
- उत्तराखंड की बात हो रही हो मसूरी का जिक्र ना हो ऐसा नहीं हो सकता।दोस्तों हम आपको बता दें की मसूरी उत्तराखंड राज्य का एक बहुप्रसिद्ध पर्यटक स्थल है जहाँ लाखों सैलानी गर्मी के मौसम में घूमने के लिए आते हैं। देहरादून से 38 किलोमीटर दूर पहाड़ों के बीच बसा मसूरी एक खूबसूरत स्थान है।
- आपको बताते चलें की समुद्र तल से लगभग 7,000 फ़ीट की ऊंचाई पर मसूरी बसा हुआ है। मसूरी में आपको पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध केम्पटी फाल झरना देखने को मिलता है। केम्पटी फाल के झरने में पानी 40 फ़ीट की ऊंचाई से गिरता है। इस चिलचिलाती गर्मी के मौसम में केम्पटी फॉल झरने में स्नान करना एक सुखद अनुभव का एहसास करवाता है। यहां हम आपको बता दें की मसूरी को जॉन मेकिनन के द्वारा एक पिकनिक स्पॉट के रूप में बसाया गया था। मसूरी चारों तरफ से खूबसुरत पहाड़ , चट्टान और वादियों से घिरा हुआ है।
- मसूरी में पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण “द मॉल “ जिसे माल रोड भी कहा जाता है। मॉल रोड में आपको बहुत से रेस्ट्रोरेंट , दुकान , होटल आदि मिलते हैं। मसूरी में आपको ब्रिटिशकाल के होटल और चर्च भी देखने को मिलते हैं जो पुरातन वास्तुकला के बेहतरीन नमूने हैं। मसूरी के पास धनोल्टी भी प्राकृतिक नजारों के लिए पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है जो यहाँ का एक आकर्षण केंद्र है।
- धनोल्टी की ही तरह गन हिल मसूरी का एक बेहतरीन हिल स्टेशन है। गन हिल जाने के लिए आपको रोपवे का इस्तेमाल करना होगा।
- आपकी जानकारी के लिए बता दें की ब्रिटिशकाल में मसूरी अंग्रेजों की ग्रीषम कालीन राजधानी हुआ करती थी। यदि आप मसूरी घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको बता दें की साल के जून से सितंबर माह के बीच यहाँ आने के लिए उपयुक्त समय होता है। बाकी समय बर्फ और खराब मौसम के कारण आना थोड़ा कठिन और जोखिम भरा हो सकता है।
- मसूरी में हैप्पी वैली मसूरी के नाम से एक बस्ती है जो तिब्बत से आये शरणार्थियों के द्वारा बसाई गयी है। इस बस्ती में लगभग 5,000 से ज्यादा तिब्बती शरणार्थी रहते हैं। आपको बता दें की हैप्पी वैली को मिनी तिब्बत के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ पर एक प्रसिद्ध तिब्बत बौद्ध मंदिर है जो मसूरी बस स्टैंड से लगभग 2.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस बौद्ध मंदिर में आपको सुन्दर चित्र , और बुद्ध के समय की वास्तुकला देखने को मिलती है।
मसूरी में ठहरने हेतु टॉप होटलों की लिस्ट :-
क्रम संख्या | होटल और रेस्टोरेंट |
1 | Welcomhotel by ITC Hotels, The Savoy , Mussoorie |
2 | JW Marriott Mussoorie Walnut Grove Resort & Spa |
3 | Royal Breeze hotel & Restaurant |
4 | The Hillside Cottages |
5 | Hotel SunGrace |
6 | Hotel Phoenix |
7 | Rokeby Manor |
8 | Hotel Vishnu Palace |
9 | Hotel Pine Retreat Mallroad |
10 | FabHotel Clock View |
11 | The three Oaks Boutique Hotel |
12 | Larisa Resort Mussoorie |
13 | The Mountain Quail |
14 | Hotel LA Casa by Aashna Mussoorie |
15 | WelcomHeritage Kasmanda Palace |
16 | Zostel Plus Mussoorie |
17 | The Hosteller Mussoorie by the Stream Side |
18 | The Claridges Nabha Residence |
19 | The Oasis Mussoorie – A Member of Radisson Individuals |
20 | Yog Wellness By Amritara |
21 | Bliss & Company By HNH |
22 | Fortune Resort Grace- Member ITC Hotel Group, Mussoorie |
23 | Ramada by Wyndham Mussoorie Mall Road |
24 | honeymoon Inn Mussoorie |
25 | Capital O3639 Hotel Pioneer |
26 | karma vilas by howard |
27 | Ellbee Mussoorie Hills |
28 | Townhouse OAK Hotel Winter Line Inn |
29 | Hotel Nand Residency MallRoad |
30 | Royal Orchid Fort Resort Mussoorie |
2 औली (Auli):-
- दोस्तों उत्तराखंड में मसूरी की तरह एक और प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है जिसका नाम है “औली” बर्फ में स्किंग करने वालों के लिए यह बेहतरीन जगह है। यदि आप स्किंग करने से शौक़ीन हैं तो आपको औली आना चाहिए। यहाँ के बर्फ के ढके पहाड़ , वादियाँ और ट्रेक करने हेतु बनाये गए रास्ते आपका मन मोह लेंगे।
- आपको बताते चलें की यह पर्वतीय स्थल समुद्र तल से लगभग 2,800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
- दोस्तों हिमालयी क्षेत्र के इस खूबसूरत स्थल में आपको सेब के बाग़ , पुराने ओक के पेड़,देवदार और चीड़ के पेड़ देखने को मिलते हैं जो औली की प्राकृतिक सुंदरता को और भी निखरा हुआ रूप प्रदान करते हैं।
- औली में पर्यटकों की सुविधा के लिए GMVNL (गढ़वाल मंडल विकास निगम लिमिटेड) के द्वारा बहुत से स्की पॉइंट और रिसोर्ट बनाये गए हैं जहाँ पर पर्यटक स्की से संबंधित सामान कि खरीदारी आसानी से कर सकते हैं।
- औली को अपनी चकदार ढलानों और साफ़ एवं स्वच्छ वातावरण की वजह से “भारत का स्किंग गंत्वय” के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर विंटर सीजन में विभिन्न स्किंग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।
- औली में आपको बहुत से धार्मिक स्थल नंदा देवी , माणा पर्वत और कामत कामेट आदि देखने को मिलते हैं। यहां पर प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन हेतु आते हैं। आपको बता दें की स्थानीय लोगों के द्वारा यहाँ नंदा देवी मंदिर जाने हेतु एक विशेष यात्रा का आयोजन किया जाता है जो की हर 12 साल में की जाती है। इस यात्रा को नंदा देवी राज यात्रा के नाम से जाना जाता है।
- औली में त्रिशूल पीक , गुरसो बुग्याल , औली रोपवे , जोशीमठ , कवनि बुग्याल आदि विभिन्न पर्यटक स्थल घूमने हेतु सुप्रसिद्ध है।
- यदि आप औली घूमने आने का प्लान बना रहे हैं तो आप साल के किसी भी मौसम यहां घूमने के लिए आ सकते हैं।
औली में ठहरने हेतु टॉप होटलों की लिस्ट :-
क्रम संख्या | होटल और रेस्टोरेंट |
1 | The Sleeping Beauty Hotel By Vedix Yaatra |
2 | Nandan Kanan hotel |
3 | NotOnMap — Mountain Studio |
4 | Himalayan high , Auli , By Himalayan Eco Lodges |
5 | NotOnMap — Mountain View Abode |
6 | NotOnMap — Chirping Valley View |
7 | Hotel Saidham Joshimath |
8 | Casa Himalaya , Auli |
9 | GMVN Auli |
10 | River Valley |
11 | Vamoose Suri Rudraprayag |
12 | Mountain View Stay in Auli |
13 | Hotel Heaven Chamoli |
14 | Yatra Homestay |
15 | Vamoose Badri Villa |
16 | Blue Poppy Resort |
17 | Ved Villa Home Stay |
18 | Abode Luxurious stay |
19 | BlackBerry Cottages |
20 | Hotel Mountain View |
21 | Villotale Karchi QP |
22 | Shankara Homestay |
23 | Nandan Kanan Auli Resort |
24 | Prithvi Yatra Badrinath |
25 | The Royal Village |
26 | The Maple Leaf |
27 | Shyama home stay |
28 | Sunrise Guest House by Odyssey Stays |
29 | We Are Made of Stories |
30 | Morning calm homestay |
3 नैनीताल (Nainital):-
- उत्तराखंड के सबसे आकर्षक और खूबसूरत पर्यटक हिल स्टेशनों में से एक है नैनीताल। आपको बता दें की नैनीताल आने वाले सबसे ज्यादा पर्यटक दिल्ली और देहरादून से आते हैं। यहां के खूबसूरत बर्फ से ढके पहाड़ हमेशा से ही पर्यटकों को अपनी आकर्षित करते रहे हैं।
- नैनीताल देश के उत्तरी भाग में हिमालयी के तलहटी में बसा शहर है। यह पुरे नार्थ इंडिया में पर्यटकों के द्वारा घुमा और सबसे ज्यादा देखा जाने वाला पर्यटक क्षेत्र है।
- सामन्य तौर पर सप्ताह के अंत में पर्यटकों की भीड़ यहां देखने लायक होती है।
- नैनीताल में पर्यटकों के एडवेंचर हेतु कुछ ट्रेकिंग ट्रेल्स बनाये गए हैं। जहाँ आप ट्रेकिंग का आनंद ले सकते हैं।
- हम आपको बता दें की नैनीताल समुद्र तल से लगभग 2,084 मीटर (6,837 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित है।
- हम आपको बता दें की यहां पर पाई जाने नैनी झील के कारण इस स्थान का नाम नैनीताल पड़ा।
- अंग्रेजों के समय पर बनाया गया उत्तराखंड राज्य का हाई कोर्ट भी नैनीताल में स्थित है।
- यदि आप नैनीताल में खरीदारी करना चाहते हैं तो नैनीताल में स्थित माल रोड यहाँ का प्रसिद्ध बाजार है। यहाँ आपको दुकानें , रेस्तरां आदि सब मिल जाएंगे।
- यदि आप दिल्ली से सड़क मार्ग से नैनीताल आते हैं तो आपको दिल्ली से नैनीताल की दूरी का लगभग 345 किलोमीटर का लम्बा सफर तय करना होगा। और यदि हम बात करें देहरादून की तो आपको लगभग 285 किलोमीटर दूरी तय करनी होगी। यदि ट्रेन से नैनीताल आने की सोच रहे हैं तो आपको ट्रैन से नैनीताल के सबसे करीबी स्टेशन काठगोदाम आना होगा जिसके बाद सड़क मार्ग से नैनीताल जा सकते हैं।
- नैनीताल में अध्यन हेतु अंग्रेजों के द्वारा बनाये गए स्कूल जोसेफ कॉलेज , नैनीताल जिसे MES के नाम से भी जाना जाता है। इसी तरह एक और प्रसिद्ध स्कूल सेंट मैरिज कान्वेंट हाई स्कूल , नैनीताल जो रामनी के नाम से जाना जाता है।
- नैनीताल में आपको नैनी देवी मंदिर , स्नो व्यू पॉइंट , माल रोड नैनीताल , इको केव गार्डन , टिफ़िन टॉप , High Altitude Zoo आदि घूमने हेतु बहुत ही खूबसूरत स्थान हैं।
- नैनी देवी मंदिर में हर साल मेले और यात्राओं का आयोजन होता है जिसमें आपको यहाँ की कुमाउँनी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।
- हल्द्वानी, रामनगर, कालाढूंगी, भीमताल और भवाली आदि नैनीताल शहर के आस – पास की प्रसिद्ध घूमने वाली जगहें हैं।
- थांडी सड़क के पास नैनीताल का पुराना बस स्टैंड है। जहां से आपको दिल्ली और उत्तरखंड के विभिन्न शहरों में जानें हेतु बस सेवाएं 24 घंटे उपलब्ध हैं।
- दोस्तों आप यदि नैनीताल घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आप साल के लगभग हर सीजन में यहां घूमने हेतु आ सकते हैं।
नैनीताल में ठहरने हेतु टॉप होटलों की लिस्ट :-
क्रम संख्या | होटल और रेस्टोरेंट |
1 | The Nature’s Green Resort, Bhimtal, Nainital |
2 | Ayar Jungle Resort |
3 | The Kumaon Retreat |
4 | Shervani Hilltop Resort |
5 | Green Roof Hotel |
6 | The Naini Retreat, Nainital by Leisure Hotels |
7 | Bhikampur Lodge By Howard |
8 | Neemrana’s – Ramgarh Bungalows |
9 | The Manu Maharani |
10 | goSTOPS Nainital |
11 | HOTEL POLOMAX |
12 | Nature Drops |
13 | The Rosefinch Sarovar Portico |
14 | Cygnett Resort Mountain Breeze |
15 | The Hive Cottage |
16 | The Pinewood, Nainital by Leisure Hotels |
17 | Hotel Lakeside Inn Nainital |
18 | Seclude Ramgarh Cliff’s edge |
19 | Hotel Himalaya |
20 | Chevron Fairhavens |
21 | FabHotel Moon II – Fully Vaccinated Staff |
22 | Sterling Nainital |
23 | The Fern Hillside Resort |
24 | Hotel Vikram Vintage Inn |
25 | The Pinewood |
26 | The Pavilion Hotel |
27 | Hotel Cloud7 |
28 | Hotel Neelesh Inn – A Luxury Lake View Hotel 20 KM From Nainital |
29 | Cloud 7 |
30 | Dynasty Resort |
4 ऋषिकेश (Rishikesh) :-
- उत्तराखंड में यदि आप शांति , योग और गंगा आरती का आनंद लेना चाहते हैं तो आप ऋषिकेश आ सकते हैं। ऋषिकेश को गढ़वाल हिमालय का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है।
- ऋषिकेश समुद्र तल से लगभग 372 मीटर (1,220 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित है।
- हम आपको बता दें की गंगा किनारे बसा यह शहर एक विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। जहाँ आपको लक्ष्मण झूला , राम झूला , जानकी सेतु , परमार्थ निकेतन, गीता भवन आदि धार्मिक स्थल देखने को मिलते हैं।
- आपको बताते चलें की प्रत्येक साल देश और विदेशों से लाखों श्रद्धालु और सैलानी यहाँ घूमने और दर्शन हेतु आते हैं।
- ऋषिकेश में प्राकृतिक दृश्यों की कोई कमी नहीं यहां आप नीर वाटर फॉल, पटना वाटर फॉल, गोवा बीच में स्नान कर योग और शांति का अनुभव कर सकते हैं। बहुत से विदेशी सैलानी यहां योग की शिक्षा प्राप्त कर अपने – अपने देशों में योग सीखा रहे हैं जिस कारण योग का विस्तार अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो चुका है।
- आप ऋषिकेश से नील कंठ महादेव मंदिर भी जा सकते हैं। यहाँ से मंदिर जाने हेतु श्रद्धालुओं के लिए पैदल और सड़क दोनों मार्ग उपलब्ध है। सावन के महीने में लाखों कांवड़िये ऋषिकेश से जल भरकर नील कंठ महादेव मंदिर भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक करने के लिए जाते हैं।
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है की जब समुद्र मंथन के समय समुद्र से विष निकला तो सभी देवता और राक्षस भयभीत हो गए और सहायता के लिए पुकारने लगे तब उस समय भगवान विष्णु ने देवताओं और राक्षसों को सलाह दी की वे सभी भगवान शिव के पास जाकर प्रार्थना करें क्योंकि इस संसार में वही हैं जो इस विष को धारण कर सकते हैं। तब इसके बाद भगवान शिव ने इस धरती को बचाने के लिए विषपान किया। विषपान करने के कारण भगवान शंकर का कंठ नीला पड़ गया। जिस कारण भगवान शिव का नाम नीलकंठ महादेव पड़ा। ऐसा माना जाता है की अपने विष के असर को खत्म करने के लिए भगवान शिव ने नीलकंठ महादेव मंदिर में बहुत कड़ी तपस्या की थी और भगवान शिव यहाँ एक शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए। इसी शिवलिंग के स्थान पर बना मंदिर आज नीलकंठ महादेव पवित्र धाम के नाम से जाना जाता है।
- दोस्तों अगर आप जंगल सफारी का शौक रखते हैं तो आप राजा जी टाइगर रिज़र्व पार्क में जंगल सफारी का लुत्फ़ उठा सकते हैं यहां आपको टाइगर, गुलदार , हिरन , काकड़ आदि जंगली जानवर देखने को मिल जाते हैं।
- आपको यहां हम बता दें की ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव मंदिर की पैदल मार्ग की दूरी 13 किलोमीटर है। इस पैदल मार्ग की यात्रा को पूरा करने में श्रद्धालुओं को लगभग 3 से 4 घंटे का समय लगता है। वहीं अगर हम बात करें सड़क मार्ग की तो आप 33 किलोमीटर लम्बे सड़क मार्ग से मंदिर जा सकते हैं जिसको तय करने में 1 से 2 घंटे का समय लगता है।
- यदि आप खरीदारी करना चाहते हैं तो आप रामझूला, लक्ष्मण झूला स्थित बाज़ारों से अपनी जरूरत भर के सामान की खरीदारी कर सकते हैं। आपको बता दें की ऋषिकेश में आप विश्व प्रसिद्ध चोटी वाले होटल में सांस्कृतिक व्यंजनों और खाने का आनंद ले सकते हैं।
- परमार्थ निकेतन और त्रिवेणी घाट में होने वाली शाम की गंगा आरती का दृश्य मन को शांत , मंत्रमुग्ध और विस्मृत कर देता है। हम आपसे कहेंगे की जब भी आप ऋषिकेश आएं तो यहां पर होने वाली गंगा आरती का आनंद जरूर लीजिये।
- ऋषिकेश में आप 84 कुटिया में बने योग स्थानों में बैठकर ध्यान लगा सकते हैं। 84 कुटिया को पुरातन काल में महर्षि महेश योगी के द्वारा बसाया गया था। जो आज के समय में पर्यटकों के लिए एक बहुत बड़ा आकर्षण का केंद्र रहता है। यहां आपको बताते चलें की 84 कुटिया को बीटल्स आश्रम के नाम से भी जाना जाता है। विश्व भर में प्रसिद्ध बीटल्स बैंड के नाम पर 84 कुटियाँ का नाम बीटल्स आश्रम रखा गया। आपको बता दें की 90 के दशक में जब बीटल्स बैंड ऋषिकेश आया था तो यहां आकर Band ने अपने आप को प्रकृति के समीप पाया। यहीं ऋषिकेश में प्रकृति और योग से प्रेरित होकर बीटल्स बैंड के सदस्यों ने अपने बहुत से गानों को लिखा। जो गाने दुनिया भर में प्रसिद्ध हुए।
- ऋषिकेश आने के लिए सड़क, ट्रेन और हवाई मार्ग तीनों ही उपलब्ध हैं। यदि आप हरिद्वार से ऋषिकेश सड़क मार्ग से आना चाहते हैं तो आप 25 से 30 किलोमीटर का सफर तय कर आ सकते हैं। इसी तरह से आप देहरादून से ऋषिकेश बाय रोड आते हैं तो आपको 50 किलोमीटर की यात्रा करनी होगी।
- यदि आप हवाई मार्ग से ऋषिकेश आना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले फ्लाइट्स से जॉलीग्रांट एयरपोर्ट आना होगा। एयरपोर्ट आने के बाद आप बाय टैक्सी या बस से ऋषिकेश आ सकते हैं जो लगभग एयरपोर्ट से 20 से 30 किलोमीटर दूर पड़ता है। जॉलीग्रांट एयरपोर्ट से आपको छोटी और लम्बी दूरी दोनों रुट पर जाने की फ्लाइट्स उपलब्ध हैं।
- एडवेंचर के शौक़ीन लोगों के लिए यहाँ राफ्टिंग और बंजी जंपिंग की सुविधा उपलब्ध है लक्ष्मण झूला से 5 से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राफ्टिंग कैम्प में आप गंगा जी पर राफ्टिंग हेतु बुकिंग करवा सकते हैं। राफ्टिंग में आपको बोट , लाइफ जैकेट सब राफ्ट बेस कैम्प के द्वारा दिया जाता है। इसी प्रकार आप बंजी जंपिंग में ऊंचाई से पूरी सेफ्टी के साथ छलांग मारकर एडवेंचर का आनंद ले सकते हैं।
- अगर आप ऋषिकेश घूमने आने का प्लान बना रहे हैं तो आप साल के सभी मौसमों में यहां आ सकते हैं लेकिन सितंबर से नवंबर माह के बीच यहां आने के लिए सबसे उपयुक्त मौसम है।
ऋषिकेश में ठहरने हेतु टॉप होटलों की लिस्ट :-
क्रम संख्या | होटल और रेस्टोरेंट |
1 | Madhuban Inn |
2 | Hill Hoppers Hotel |
3 | The Shivaay – Delight Inn |
4 | Veda5 Ayurveda & Yoga Retreat |
5 | Hotel Ganga Forest View |
6 | Seventh Heaven inn Rishikesh |
7 | HOLYWATER Hotel by Ganga Kinare |
8 | Anand Kashi by the Ganges – IHCL |
9 | Sanidhya Inn |
10 | Hotel Shiva Yog Sthal |
11 | Tebaar Backpackers |
12 | Rudram Hotel Yoga & Ayurveda Retreat |
13 | Taj Rishikesh Resort & Spa Uttarakhand |
14 | Holy River Hotel |
15 | LandLopers Hostel |
16 | Blue Jay Smart Stay |
17 | Yog Niketan By Sanskriti |
18 | Mount Valley Mama Cottage |
19 | Anjali Home Stay |
20 | Maharishi Ayurveda-Boutique Wellness Retreat |
21 | Hill Top Swiss Cottage |
22 | Hotel Yog Vashishth |
23 | Nature Care Village- Rajaji National Park |
24 | HOTEL YOG TAPOVAN |
25 | Hotel Indira Nikunj |
26 | Gungun Homestay |
27 | Orchid Hostel and Hotel |
28 | Green View by Green Tree Hotels |
29 | GANGA KINARE- A Riverside Boutique Resort, Rishikesh |
30 | Sterling Palm Bliss – Rishikesh |
5 हरिद्वार (Haridwar) :-
- पर्यटक स्थल की लिस्ट में हमारा अगला नाम है हरिद्वार का जैसा की आप जानते हैं की हरिद्वार उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है।
- हरिद्वार शहर समुद्र स्थल से लगभग 314 मीटर (1,030 फ़ीट ) की ऊंचाई पर स्थित है।
- गर्मियों के सीजन में आपके लिए हरिद्वार एक बेहतरीन पिकनिक स्पॉट हो सकता है।
- हरिद्वार में स्थित हर की पैड़ी में हर साल लाखों लोग कुम्भ स्नान के लिए यहाँ आते हैं। आपको बता दें प्रत्येक 6 वर्ष में अर्ध कुम्भ और प्रत्येक 12 वर्ष में कुंभ स्नान का आयोजन हरिद्वार में किया जाता है। ऐसा माना जाता है की
- हरिद्वार में स्थित प्राचीन राजा दक्ष का मंदिर तीर्थयात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है।
- हरिद्वार में आपको हर की पैड़ी ( गंगाद्वार ) , कनखल , मनसा देवी मंदिर (बिल्वा तीर्थ ) , चंडी मंदिर (नील पर्वत) आदि धार्मिक स्थान देखने को मिलते हैं।
- हरिद्वार को प्राचीन काल कपिल्स्थान, मायापुरी, गंगाद्वार आदि नामों से जाना जाता था।
- हरिद्वार में आपको संकरी गलियां और आश्रम मिलेंगे जो इस शहर को और भी खूबसूरत बनाते हैं।
- आपको धार्मिक तीर्थ स्थल होने के कारण हरिद्वार शहर में मदिरा पान या शराब पीना , माँसा आहार करना पूर्णतः वर्जित है।
- प्रत्येक शाम को हरिद्वार के हर की पैड़ी में गंगा आरती का आयोजन किया जाता है। गंगा आरती का दृश्य बहुत ही सुन्दर और मनमोहक करने वाला होता है। पौराणिक मान्यता है की जो भी हर की पैड़ी में गंगा में डुबकी लगाता है उसके सारे पाप धुल जाते हैं और वह पापों से मुक्त हो जाता है।
- हरिद्वार में स्थित मनसा देवी मंदिर माता मनसा का एक प्रसिद्ध धाम है। जहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। आपको बता दें की हरिद्वार का मनसा देवी मंदिर धाम बिल्ब पर्वत की चोटी पर स्थित है जिस कारण मंदिर को बिल्वा तीर्थ भी कहा जाता है। मनसा देवी मंदिर से हरिद्वार शहर का मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है जो आपको मंत्रमुग्ध कर देगा। मनसा देवी मंदिर जाने के लिए आपको तीन रास्तों के विकल्प मिलते हैं। पहला पैदल मार्ग जिसमें आपको पहाड़ की खड़ी चढ़ाई करनी होगी। दुसरा है सड़क मार्ग जिसमें आप मंदिर धाम तक आसानी से वाहन से जा सकते हैं। और अंतिम में है तीसर विकल्प रोपवे या उड़न खटोला। रोपवे के माध्यम से आप दर्शन हेतु मनसा देवी मंदिर बिना किसी दिक्क्त के जा सकते हैं।
- आपको बताते चलें की हरिद्वार का चंडी देवी मंदिर भी मनसा देवी मंदिर की तरह प्रसिद्ध माता मंदिर है जो श्रद्धालुओं के लिए साल के प्रत्येक मौसम में दर्शन हेतु खुला रहता है। चंडी देवी मंदिर जो की नील नामक पर्वत पर स्थित है। चंडी देवी मंदिर जाने के लिए आपके पास रास्तों के अलग – अलग विकल्प उपलब्ध हैं। आप मंदिर पैदल मार्ग , सड़क मार्ग और उड़न खटोले से जा सकते हैं।
- आपको बताते चलें की सावन में हर साल हरिद्वार में कावड़ मेले का आयोजन किया जाता है। देश के विभिन्न राज्यों से कांवड़ीये गंगा जी का जल लेने हेतु हरिद्वार आते हैं। तथा जल लेकर भगवान शिव के धाम में जलाभिषेक के लिए जाते हैं। आपको तो पता ही होगा की सावन के महीने में भगवान शिव शंकर पर जल चढ़ाने का कितना महत्व है।
- हरिद्वार के पास “Fun Valley Amusement Park” है जहाँ आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताकर गर्मी की छुट्टियों का मजा ले सकते हैं। हरिद्वार से फन वैली पार्क की दूरी 32 किलोमीटर है। हरिद्वार से पार्क जानें में लगभग 50 से 60 मिनट का समय लगता है।
- अगर आप हरिद्वार आने का मन बना रहे हैं तो आप ट्रेन और सड़क मार्ग से हरिद्वार आ सकते हैं। हरिद्वार आने के लिए ट्रेनों और बसों की सेवा तीर्थ यात्रियों के लिए 24 घंटे उपलब्ध है। यहाँ हम आपको बता दें की देहरादून से हरिद्वार की दूरी लगभग 75 से 80 किलोमीटर है। आप हरिद्वार साल के किसी भी मौसम में आ सकते हैं।
- हरिद्वार को उत्तराखंड के चार धाम का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है।
हरिद्वार में ठहरने हेतु टॉप होटलों की लिस्ट :-
क्रम संख्या | होटल और रेस्टॉरेंट |
1 | Pilibhit House, Haridwar – IHCL SeleQtions |
2 | Hotel The Ganga Castle |
3 | The Haveli Hari Ganga by Leisure Hotels |
4 | HOTEL BANKE BIHARI |
5 | Ganga Lahari by Leisure Hotels |
6 | Hotel Krishna Ji |
7 | Hotel Pardesi’s |
8 | Perfect Stayz Dwarkesh – Hotel Near Haridwar Railway station |
9 | Hotel Gopal |
10 | K K RENUKA DHARAMSHALA |
11 | Fortune Park Haridwar |
12 | DEVNADI “Heritage Hotel” Haridwar |
13 | Hotel KSS Inn |
14 | Ganga Heritage By Howard |
15 | Patnimal Guesthouse |
16 | Hotel Le Roi,Haridwar@Har Ki Pauri |
17 | FabExpress Pramila Haridwar – Fully Vaccinated Staff |
18 | HOTEL SHIVAYE |
19 | Hotel ShivMurti Classic |
20 | Perfect Stays Hotel in Haridwar |
21 | Gobind Bhawan Heritage Hotel |
22 | La Casa |
23 | Hotel Alpana |
24 | Hotel Trimurti |
25 | OYO 10592 Hotel Ganga Palace |
26 | Ambrosia Sarovar Portico |
27 | Umra Grace – Hotel in Haridwar By Perfect Stayz |
28 | Hotel vinayak inn |
29 | Treebo Trend Tropical Roots Bhupatwala |
30 | Hotel Park Grand, at Haridwar |
6 देहरादून (Dehradun) :-
- दोस्तों अब हमारा अगला पर्यटक स्थल है देहरादून जैसा की आप जानते हैं की देहरादून उत्तराखंड राज्य की राजधानी है और देहरादून अपने पिकनिक स्पॉट , शिक्षा हेतु स्कूल / कॉलेज और बाज़ार के लिए प्रसिद्ध है।
- देहरादून शहर मध्य हिमालय के बीच स्थित दून घाटी में बसा हुआ है। इस शहर के आकार दोने या द्रोण जैसा होने के कारण शहर का नाम देहरादून पड़ा।
- हम आपको बता दें की देहरादून में तो वैसे बहुत सी घूमने वाली जगहें हैं लेकिन हम यहां कुछ मुख्य जगहों के बारे में आपको बता रहे हैं।
- देहरादून में स्थित FRI कॉलेज जो फॉरेस्ट्री से संबंधित कॉलेज है यहां स्टूडेंट्स को जंगल में पाए जाने वाली विभिन्न प्रकार की प्रजाति के वनस्पतियों से संबंधित शिक्षा की जाती है और रिसर्च की जाती है। एफ़आरआई जिसे वन अनुसंधान संस्थान के नाम से भी जाना जाता है की स्थापना 1864 में डिट्रिच ब्रैंडिस के द्वारा एक ब्रिटिश इंपीरियल फ़ॉरेस्ट स्कूल के रूप में की गई थी।जिसके बाद 1906 में ब्रिटिश इंपीरियल फ़ॉरेस्ट स्कूल का नाम बदलकर इंपीरियल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट कर दिया गया जिसे वर्तमान में अब एफ़आरआई के नाम से जाना जाता है। FRI के भवन परिसर में आपको ग्रीको-रोमन वास्तुकला देखने को मिलती है।
- देहरादून को उत्तराखंड का “शिक्षा का केंद्र” माना जाता है । यहाँ आपको प्रतिष्ठित स्कूल व कॉलेज मिल जाएंगे।जहां शिक्षा प्राप्त करने हेतु देश – विदेश से विद्यार्थी आते हैं।
- देहरादून में आप इस जलती और झुलसाती गर्मी में ठंडे पानी में स्नान का आनंद लेने के लिए “गूच्चू पानी” जा सकते हैं इस स्थल पर आपको मनोरम प्राकृतिक रोबस गुफाएँ देखने को मिलती हैं। गूच्चू पानी देहरादून शहर से मात्र 8 किलोमीटर है।
- देहरादून में अगर हम धार्मिक स्थल की बात करें तो आप भगवान महादेव के मंदिर “टपकेश्वर महादेव” दर्शन हेतु जा सकते हैं। यह मंदिर एक चोटी सी नदी के किनारे पर बसा हुआ है। देहरादून शहर से टपकेश्वर महादेव मंदिर 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि पर मंदिर में एक भव्य मेले आयोजन किया जाता है जिसमें लाखों श्रद्धालु यहाँ मेले का आनंद लेने आते हैं। टपकेश्वर महादेव मंदिर की एक विशेषता यह है की यहाँ शिवलिंग के ऊपर प्राकृतिक रूप से अपने आप साल के 12 महीने निरंतर जल टपकता रहता है।
- इसी तरह आप देहरादून में लक्ष्मण सिद्ध, कालू सिद्ध, माणक सिद्ध, मॉडु सिद्ध ,टाइगर वाटर फाल, जौनसार बावर, कालसी, मालदेवता, लाखा मंडल, मालसी डीयर पार्क, राजाजी राष्ट्रीय पार्क आदि पर्यटक और धार्मिक स्थलों पर घूमने हेतु जा सकते हैं।
- दोस्तों अगर आप देहरादून आते हैं और सहस्त्रधारा नहीं जाते हैं तो आपका देहरादून घूमने आना कुछ अधूरा सा रह जाता है। बाल्डी नदी के तट पर स्थित सहस्त्र धारा आकर आप गंधक युक्त पानी में स्नान का आनंद ले सकते हैं। देहरादून में यह प्राकृतिक स्थल पर्यटकों के लिए एक बहुत ही बड़ा आकर्षण का केंद्र रहता है। यह पर्यटक स्थल देहरादून शहर से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहां आपको जाने में 40 से 50 मिनट का समय लगता है। यहाँ अनेक धाराओं से गंधक युक्त पानी निकलता है जिस कारण इस स्थल का नाम सहस्त्र धारा पड़ा।
- यदि आप देहरादून आने का प्लान रहे हैं तो आप साल के किसी भी समय यहाँ घूमने के लिए आ सकते हैं।
देहरादून में ठहरने हेतु टॉप होटलों की लिस्ट :-
क्रम संख्या | होटल और रेस्टॉरेंट |
1 | Treebo Trend Kanopy Greens Patel Nagar |
2 | Clarks Collection Epicure Dehradun |
3 | Spree Hotel Kriday |
4 | Stayble Homestay |
5 | LEMARQ |
6 | LP Vilas |
7 | DUGGAL HOMESTAY |
8 | Mango Tree Courtyard Dehradun |
9 | JJK @ STAY HOME |
10 | The Park Residency |
11 | Sahastradhara RiverResort |
12 | Hotel KSS Inn |
13 | Hotel Kailash Plaza |
14 | Lemon Tree Hotel Dehradun |
15 | Entire 3 bedrooms Apartment Olee |
16 | Fairfield by Marriott Dehradun |
17 | FabExpress Central Plaza |
18 | Treebo Trend Blessing Bells Ballupur Chowk |
19 | Nandini Homestay |
20 | Red Fox Hotel Dehradun |
21 | FabExpress Bzoie Heritage |
22 | Four Points by Sheraton Dehradun |
23 | Himalayan Villa |
24 | Gokul guest house |
25 | Gokul Grand |
26 | FabHotel Surya Residency GMS Road – Fully Vaccinated Staff |
27 | Hotel Abhinandan Grand |
28 | Hotel Rajpur Heights |
29 | Home Stay Green View Doon |
30 | goSTOPS Dehradun Maldevta |
7 केदारनाथ (Kedarnath):-
- उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
- यह मंदिर समुद्र ताल से लगभग 3,584 मीटर (11,758.53 फीट) की ऊंचाई पर मंदाकिनी नदी के किनारे पर स्थित है।इस मंदिर के आस पास का प्राकृतिक नजारा बड़ा ही मनोरम है।
- केदारनाथ के नाम पर ही गढ़वाल का प्राचीन नाम केदारखंड पड़ा।श्रद्धालुओं की मंदिर के प्रति आस्था और महत्ता बहुत है।
- केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की एक त्रिकोण आकार की बड़ी सी ग्रेनाइट की मूर्ति है।जिसके दर्शन करने हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
- मंदिर के चारों तरफ बर्फ से ढके हुए पहाड़
- 8वीं शताब्दी में दार्शनिक आदि शंकराचार्य की मृत्यु होने पर यहां केदारनाथ मंदिर के समीप ही आदि शंकराचार्य की समाधि बनाई गयी।
- केदारनाथ के नाम का जिक्र हमारे पुरातन पुराणों में से एक स्कन्द पुराण में मिलता है।
- यदि आप दर्शन हेतु केदारनाथ मंदिर आना चाहते हैं तो आप मई से अक्टूबर माह के बीच आ सकते हैं। आपको बता दें श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु मंदिर के कपाट मई माह में खोले जाते हैं और अक्टूबर में दिवाली के बाद मंदिर के कपाट सर्दियों के आगमन पर बंद कर दिए जाते हैं।
केदारनाथ में ठहरने हेतु टॉप होटलों की लिस्ट :-
क्रम संख्या | होटल और रेस्टॉरेंट |
1 | Kedar camp resorts |
2 | Hotel Mountain View |
3 | Cafe Buransh |
4 | GMVN Guptkashi |
5 | KEDAR VALLEY |
6 | Perfect Himalayan Camping and Trekking |
7 | Tridev (Triveni) Hotel and Restaurant |
8 | BEHLFORESTRETREAT |
9 | SHRI Narayan Residency (Resort) |
10 | Mount Holiday Camp Chopta |
11 | 2nd Home |
12 | Laxmi Homes |
13 | Krishna Resorts |
14 | Chaukhamba View Resort |
15 | HOTEL PUSPWAN AND RESTAURANT by StayApart |
16 | Regenta Resort Madhuganga Ukhimath |
17 | Campsite With Bonfire(Breakfast & Dinner Free) |
18 | Pine tree home stay |
19 | Akash Kamini Homestay Sari Chopta |
20 | Deoriatal Adventure Camping by StayApart |
21 | Chopta Meadows Camps |
22 | Kafal Tree Homestay by StayApart |
23 | Nanda Devi Home Stay |
24 | Snowview Adventure by StayApart |
25 | Chaukhamba View Resort |
26 | Firstview by StayApart, Ukhimath |
27 | Green Valley Home Stay by StayApart |
28 | Lord Shiva Camps by StayApart |
29 | Kholi Dandyaali – A Rural Homestay by StayApart |
30 | Himalayan Rose Hotel By StayApart |
8 बद्रीनाथ (Badrinath):-
- बद्रीनाथ उत्तराखंड के चार धामों में से एक है। यह तीर्थस्थल चमोली जिले में एक नगर के रूप में बसा हुआ है।
- बद्रीनाथ धाम की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 3,300 मीटर (10,800 फीट) है।
- बद्रिनाथ धाम मन्दिर एक प्राचीन पुरातन मंदिर है जो भगवान विष्णु को समर्पित है।
- पुराणों में बद्रीनाथ धाम को बद्रायण के नाम से उल्लेखित किया गया है।
- बदरीनाथ की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य जी ने 8वीं शताब्दी में एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में की थी।
- पुराने समय में श्रद्धालु सैकड़ों मील की पैदल यात्रा कर धाम के दर्शन हेतु जाया करते थे। पर अब ऑल वेदर सड़क बन जाने के कारण बद्रिनाथ धाम जाना तीर्थयात्री के लिए आसान हो गया है।
- यहाँ हम आपको बता दें की बदरीनाथ दर्शन हेतु मंदिर के कपाट मई माह में खोले जाते हैं और यह कपाट अक्टूबर माह तक मंदिर के दर्शन हेतु खुले रहते हैं।
- यदि आप बद्रीनाथ धाम दर्शन हेतु आना चाहते हैं तो आप सड़क और हवाई मार्ग दोनों से यहां आ सकते हैं। सड़क मार्ग से आने पर देहरादून से बद्रीनाथ धाम की दूरी लगभग 328.5 किलोमीटर है। यदि आप बाय एयर बदरीनाथ आना चाहते हैं तो आप सहस्त्रधारा में बने हेलीपैड से हेलीकाप्टर की यात्रा कर सकते हैं।
- आपको बता दें की बद्रीनाथ का उल्लेख हमारे प्राचीन ग्रन्थ महाभारत में मिलता है। ऐसा माना जाता है की महर्षि वेद व्यास जी ने यहीं बदरीनाथ धाम में महाभारत को लिखा था।
9 गंगोत्री (Gangotri):-
- हमारा अगला पर्टयक स्थल है माँ गंगा का पवित्र गंगोत्री धाम। जहाँ के गोमुख को गंगा नदी का उद्गम स्थल माना जाता है। यह पवित्र धाम हिमालय के तटीय क्षेत्र तिब्बत के समीपवर्ती इलाके में स्थित है।
- गंगोत्री पवित्र धाम समुद्र तल से लगभग 3,753 मीटर (12,313 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित है। इस पवित्र धाम के दाईं ओर प्राकृतिक नज़ारे आकर्षक और मनोहारी हैं।
- हम आपको बता दें की गंगोत्री पवित्र धाम मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में गोरखा राइफल में कमांडर रहे अमर सिंह थापा जी के द्वारा किया गया। लेकिन वर्तमान समय में मंदिर का पुर्नोद्धार जयपुर राजघराने के द्वारा किया गया।
- गंगोत्री धाम दर्शन हेतु आपको उत्तराखंड राज्य के “उत्तरकाशी” जिले में आना होगा। यह पवित्र धाम उत्तरकाशी जिले से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- मां गंगा के उद्गम का प्रमुख स्त्रोत गंगोत्री हिमानी जो की उत्तराखण्ड राज्य का बहुत बड़ा ग्लेशियर है। यह ग्लेशियर 27 किलोमीटर घन आकार के साथ 30 किलोमीटर लम्बा और लगभग 4 किलोमीटर चौड़ा है।
- गंगोत्री हिमानी की शुरुआत चौखम्बा पर्वत के हिमगहर से माना जाता है। यहां से निकलने वाले ग्लेशियर के पानी का बहाव पश्चिम दिशा की ओर है।
- आपको बता दें की जहाँ पर गंगोत्री हिमानी ग्लेशियर का अंत होता है वही से गोमुख की शुरुआत होती है। गाय के मुख के समान होने के कारण इस स्थान का नाम गोमुख पड़ा। गंगोत्री धाम मंदिर से 19 किलोमीटर दूर गंगा का उद्गम गोमुख स्थित है। गोमुख और गंगोत्री के बीच एक घास का मैदान पड़ता है जिसे तपोवन के नाम से जाना जाता है।
- यदि आप गंगोत्री धाम आने की योजना बना रहे हैं तो आप मई से अक्टूबर महीने के बीच यहां गोमुख के दर्शन हेतु आ सकते हैं। इस समय दर्शन हेतु मौसम सबसे उपयुक्त होता है।
10 यमुनोत्री (Yamunotri):-
- गंगोत्री की तरह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में एक और पवित्र तीर्थ स्थल है यमुनोत्री धाम मंदिर जो की यमुना नदी का उद्गम स्थल माना जाता है।
- यमुनोत्री धाम का यह मंदिर सूर्य की पुत्री यमुना देवी को समर्पित है।
- यमुनोत्री धाम की महिमा के बारे में हमारे पुराणों में श्लोक के रूप में बताया गया है यह श्लोक इस प्रकार से है –
सर्वलोकस्य जननी देवी त्वं पापनाशिनी। आवाहयामि यमुने त्वं श्रीकृष्ण भामिनी।।
तत्र स्नात्वा च पीत्वा च यमुना तत्र निस्रता सर्व पाप विनिर्मुक्तः पुनात्यासप्तमं कुलम |
अर्थात :- जिस स्थान से यमुना नदी का जन्म हुआ है वहां के जल को पीने से मनुष्य के सभी पाप कर्म समाप्त हो जाते हैं एवं मनुष्य अपने पापों से मुक्त हो जाता है।
- यमुनोत्री मंदिर धाम समुद्र तल से लगभग 3,235 मीटर (10,613.52 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित है।
- हम यहाँ आपको बता दें की यमुनोत्री धाम से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर यमुना नदी का उद्गम स्थल है। यह उद्गम स्थल कालिंदी पर्वत पर स्थित है।
- मंदिर के कपाट खुलने का समय हिन्दू माह बैशाख की अक्षय तृतीया के दिन। तथा बंद होने का समय कार्तिक माह की यम द्वितीया तिथि को।
- यमुनोत्री धाम का निर्माण सन 1885 में गढ़वाल के राजा सुदर्शन शाह ने एक लकड़ी के मंदिर के रूप में करवाया था।
- नदी के उद्गम स्थल से बन्दर पूंछ चोटी के पश्चिम सिरे तक फैला हुआ यमुनोत्री ग्लेशियर का नजारा बहुत ही विस्मरणीय और रोमांचकारी होता है।
- ऋषिकेश से यमुनोत्री धाम की दुरी लगभग 200 किलोमीटर है। ऋषिकेश से आपको चारों धाम की यात्रा हेतु बस, जीप, टैक्सी आदि आसानी से मिल जाती है। और यदि आप हरिद्वार से यमुनोत्री मंदिर धाम आते हैं तो आपको लगभग 255 किलोमीटर लंबा सफर तय करके आना होता है।
- यमुनोत्री धाम जाने हेतु सड़क मार्ग सिर्फ हनुमान चट्टी तक ही है। जहाँ से इसके बाद आप 14 किलोमीटर की लम्बी पैदल यात्रा कर दर्शन हेतु धाम जा सकते हैं।
- यदि वायु मार्ग से यमुनोत्री धाम आना चाहते हैं तो आप जॉलीग्रांट हवाई अड्डे बाय प्लेन से आ सकते हैं जॉलीग्रांट आने के बाद आपको आधे घंटे का सफर तय करके ऋषिकेश आना होगा जिसके बाद ऋषिकेश से आपको यमुनोत्री धाम जाने हेतु टैक्सी या बस मिल जाती है।
- मई से अक्टूबर माह के समय के बीच यमुनोत्री धाम का तापमान न्यूनतम 6 डिग्री सेंटीग्रेट से अधिकतम 20 डिग्री सेंटीग्रेट तक होता है।
- मई माह में कपाट खुलने के साथ ही भारी संख्या में श्रद्धालुओं का आना प्रारम्भ हो जाता है। मंदिर के समीप एक सूर्य कुंड नामक जगह है जहाँ गर्म पानी का प्रवाह हमेशा आरम्भ रहता है। इस सूर्य कुंड से निकलने वाले गर्म पानी का तापमान करीब 90०C तक होता है।
- नवंबर से लेकर फरवरी तक यहां बर्फ के ढके होने के कारण मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
11 फूलों की घाटी (Vally of Flowers) :-
- दोस्तों यदि आप प्रकृति और वनस्पति प्रेमी हैं तो आप उत्तराखण्ड के एक और पर्यटक स्थल फूलों की घाटी आ सकते हैं। फूलों की घाटी उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है।
- फूलों की घाटी समुद्र तल से लगभग 3,600 मीटर (11,811.02 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित है। इस घाटी को नंदा देवी और वैली ऑफ़ फ्लावर्स नेशनल पार्क के नाम से भी जाना जाता है।
- आपको बता दें की यूनेस्को के द्वारा फूलों की घाटी को एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में सूची में शामिल किया गया है।
- यहां हम आपको बता दें की सन 1931 में पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ के द्वारा पहली बार इस स्थान को खोजा गया। स्मिथ के अनुसार यह घाटी पश्चिमी और पूर्वी हिमालय के मिलान बिंदु पर स्थित है।
- स्मिथ ने अपनी किताब “The Valley of Flowers: An Adventure in the Upper Himalaya” में इस घाटी के बारे में बताया है। स्मिथ ने अपनी किताब में लिखा है की उन्होंने यहां फूलों की घाटी में लगभग 500 प्रजाति के फूल देखे और यह स्थान उन्हें स्वर्ग के समान सुंदर महसूस हुआ।
- इस फूलों की घाटी में अनेक प्रकार की औषधीय जड़ी बूटी और विदेशी किस्म के फूल और पौधें पाए जाते हैं।
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब लक्ष्मण युद्ध में मूर्क्षित हो गए थे तो मूर्क्षित का इलाज खोजते – खोजते हनुमान जी की मुलाक़ात लंका के प्रसिद्ध सुषैन वैद्य से हुई और वैद्य जी ने हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने को कहा। जिसके बाद हनुमान संजीवनी बूटी को खोज में हिमालय आये और उन्हें यहीं फूलों की घाटी पर संजीवनी बूटी प्राप्त हुई। माना जाता है की फूलों की घाटी के पास आज भी वह द्रोणगिरि पर्वत के साक्ष्य मौजुद हैं जो हनुमान जी यहाँ से उठाकर अपने साथ श्री लंका ले गये थे।
- यदि आप फूलों की घाटी घूमने के लिए आना चाहते हैं तो आप मई से अक्टूबर माह के बीच यहां घूमने आ सकते हैं।
12 कौसानी (Kausani) :-
- दोस्तों अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं तो आपके लिए कौसानी एक बेहतर जगह हो सकती है। कौसानी उत्तराखंड राज्य के बागेश्वर जिले में स्थित एक खूबसूरत नजारों से युक्त हिल स्टेशन है। अल्मोड़ा से यह हिल स्टेशन लगभग 51 किलोमीटर दूर है।
- कौसानी में आपको हिमालय के बर्फ से ढके पहाड़ , नंदा देवी और पंचुल चोटियां आदि रमणीक स्थल देखने को मिलते हैं।
- कौसानी समुद्र तल से 1,890 मीटर (6,200 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित है।
- शीतकाल के सर्दियों के महीने में यहाँ बहुत तेज बर्फबारी होती है। जहाँ लाखों की संख्या में पर्यटक बर्फ का आनंद लेने हर साल कौसानी आते हैं।
- कौसानी में आपको पहाड़ी ओक, देवदार और चीड़ के पेड़ों का जंगल बहुतायत में देखने को मिलते हैं। इन पेड़ों की लकड़ियां फर्नीचर, खाना बनाने आदि कार्यों के उपयोग में लायी जाती है।
- पहाड़ों पर ट्रेकिंग करने वालों के लिए यहां कौसानी में कैलाश ट्रेक, बेस कौसानी ट्रेक और बागेश्वर-सुंदरधुंडा ट्रेक आदि रास्ते बने हुए हैं जहां आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ ट्रेकिंग का आनंद ले सकते हैं।
- कौसानी का टिनसेल शहर चारों तरफ से प्राकृतिक ख़ूबसूरती और देवदार के जंगलों से घिरा है। जो इस शहर के नज़ारे को और भी मनोरम और मनमोहक बना देता है।
- आपको बता दें की कौसानी को पहले वलना के नाम से जाना जाता था। कौसानी आप अप्रैल-जून, सितंबर-दिसंबर माह के समय आ सकते हैं यह समय कौसानी घूमने हेतु सर्वोत्तम समय है।
- कौसानी आप सड़क, हवाई और ट्रेन किसी भी मार्ग से आ सकते हैं। यहां आने के लिए बस, ट्रैन ,टैक्सी आदि की सुविधा 24 घंटे पर्यटकों के लिए उपलब्ध हैं।
13 चकराता (Chakarata) :-
- चकराता देहरादून शहर के पास समुद्र तल से 2,118 मीटर (6,949 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित है।
- चकराता शहर अपने जंगलों , ट्रेक, गुफाओं और प्राचीन मंदिरों के लिए पर्यटकों के बीच बहुत ही प्रसिद्ध है। यहाँ के प्राकृतिक झरने, टाइगर वाटर फॉल, प्राकृतिक शांत स्थल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
- आपको हम बता दें की चकराता शहर को अंग्रेजों के समय ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारीयों के द्वारा बसाया गया था। जिसमें एक सैन्य छावनी भी शामिल है।
- चकराता शहर की सबसे ऊँची चोटी खारम्बा चोटी जो की 10,000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह चोटी चारों तरफ से घने जगंलों से घिरी हुई है।
- चकाराता के पास स्थित जंगल में आपको जंगली मुर्गी, तेंदुआ, चित्तेदार हिरण आदि जानवर देखने को मिल जायेंगे।
- आपको बता दें की चकराता से कुछ दूर कालसी एक बहुत प्राचीन और ऐतिहासिक स्थल है जहाँ आपको सम्राट अशोक से जुड़े शिलालेख देखने को मिलते हैं। इतिहास प्रेमियों के लिए यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं। यह ऐतिहासिक स्थल चकराता से लगभग 43.7 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। आपको हम बता दें की यदि आप देहरादून से कलसी आते हैं तो कालसी देहरादून से आपको नजदीक पड़ेगा जो सिर्फ 43.5 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
- आपको बताते चलें की चकराता से 15 किलोमीटर दूर स्थित जौनसार बावर क्षेत्र है जो यहाँ पर रहने वाले जौनसार जाति के लोगों के द्वारा बसाया गया। इस जौनसार बावर क्षेत्र को दो भागों में बांटा गया है। जिसमें ऊपरी भाग को जौनसार और नीचे के भाग को बावर के नाम से जाना जाता है। यह जौनसार बावर क्षेत्र यमुना और टौंस नदी के बीच स्थित है। इस क्षेत्र में पाए जाने वाले प्राकृतिक गुफाएं , प्राचीन मंदिर पर्यटकों के घूमने हेतु पसंद की जाने वाली सबसे अच्छी जगहों में से एक है।
14 रानीखेत (Ranikhet):-
- उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले से 56 किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे 109 पर स्थित एक हिल स्टेशन से है रानीखेत।
- रानीखेत की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 1,869 मीटर (6131.89 फ़ीट) है। दोस्तों रानीखेत के नाम का अर्थ है की “रानी की भूमि”
- इस हिल स्टेशन के नाम से जुड़ा एक किस्सा यह है की राजा कत्यूरी सुधारदेव ने अपनी रानी जिया का दिल यहीं पर जीता था। जिसके बाद इस स्थान को रानी की भूमि या रानीखेत के नाम से जाना जाने लगा। यहां के लोकगीतों में अक्सर इस किस्से को गाया और सुनाया जाता है।
- रानीखेत में पर्यटन हेतु आपको गोल्फ कोर्स, सैंट ब्रिजेट चर्च, कुमाऊं रेजिमेंटल सेंटर, आशियाना पार्क, मनकामेश्वर मंदिर, रानी झील, बिनसर महादेव, भालूधाम, मजखाली, ताड़ीखेत, चौबटिया आदि स्थल देखने और घूमने को मिल जाते हैं। ये सभी पर्यटन स्थल सैलानियों के लिए हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहते हैं।
- यदि आप हवाई मार्ग से रानीखेत आना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले पंतनगर हवाई अड्डे आना होगा जो इस हिल स्टेशन के सबसे नजदीक हवाई अड्डा है। और यदि ट्रैन से रानीखेत आते हैं तो आपको ट्रैन से काठगोदाम रेलवे स्टेशन आना होगा। यह स्टेशन रानीखेत के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है।
- रानीखेत पर्यटन के शिक्षा के लिए भी प्रसिद्ध है यहाँ कुछ विश्वविद्यालय नेशनल इंटर कॉलेज, रानीखेत , रानीखेत छावनी विद्यालय, रानीखेत कैनोसा कान्वेंट विद्यालय, बीरशिव उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, रानीखेत (मिशन) इंटर कॉलेज , सरस्वती शिशु मन्दिर, रानीखेत आदि में शिक्षा लेने हेतु देश – विदेशों से लाखों में स्टूडेंट आते हैं।
- रानीखेत में सामान्यतः तापमान 12 डिग्री सेंटीग्रेट से 20 डिग्री सेंटीग्रेट के बीच रहता है आप यहाँ साल की किसी भी समय पर्यटन हेतु आ सकते हैं।
15 उत्तरकाशी (Uttarakashi):-
- उत्तराखंड का उत्तरकाशी जिला हिमालय क्षेत्र के भागीरथी नदी के तट पर स्थित है।
- उत्तराखंड के जिले उत्तरकाशी का गठन 1960 में किया गया था।
- उत्तरकाशी की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 1,158 मीटर (3,799 फ़ीट) है।
- हिन्दुओं की धार्मिक आस्था के अनुसार यह शहर एक महत्व पूर्ण स्थान है।
- उत्तरकाशी में आपको भगवान विश्वनाथ का विश्व प्रसिद्ध मंदिर देखने को मिलता है जो अपने प्राकृतिक खूबसूरतों नजारों , नदियां, पहाड़ और घने जंगलों आदि के लिए धार्मिक श्रद्धालुओं और पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है।
- उत्तरकाशी में आपको द्रौपदी का डांडा और चोटी धार्मिक स्थल देखने को मिलते हैं जो महाभारत काल से संबंधित हैं
- उत्तरकाशी में पर्यटकों का सबसे बड़ा आकर्षण पर्वतारोहण यहां के पहाड़ों में आप ट्रेकिंग का आनंद ले सकते हैं। ट्रेकिंग की ट्रेनिंग आप यहाँ के प्रसिद्ध संस्थान नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी से ले सकते हैं।
- यदि हम यहाँ के खान पान की बात करें तो आपको उत्तरकाशी के अधिकतर होटल और रेस्टॉरेंट में शाकाहारी खाना देखने को मिलता है। रोटी, चावल, झंगुरा, मंडुआ, रायता आदि उत्तरकाशी में रहने वाले लोगों का प्रिय व्यंजन है। कुछ होटलों में गढ़वाली व्यंजन का भी आनंद ले सकते हैं।
- उत्तरकाशी आने के लिए आप सड़क मार्ग से यहां आ सकते हैं। दिल्ली से उत्तरकाशी की दूरी लगभग 372 किलोमीटर है। यदि आप ऋषिकेश से उत्तरकाशी आना चाहते हैं तो आपको 155 किलोमीटर लम्बा सफर तय करना होगा जिसमें आपको 2 से 3 घंटे का समय लगता है।
16 जोशीमठ (Joshimath) :-
- जोशीमठ जिसका प्राचीन नाम ज्योर्तिमठ था चमोली जिले में स्थित एक पहाड़ी शहर है।
- जोशीमठ की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 1,874.52 मीटर (6,150 फ़ीट) है।
- आदि गुरु शंकराचार्य के द्वारा स्थापित चार मठों में से एक जोशीमठ हिन्दू लोगों का एक प्रमुख आस्था का केंद्र है।
- आदि गुरु शंकराचार्य के द्वारा जोशीमठ की स्थापना 8वीं शताब्दी में की गयी थी।
- उत्तराखंड के जोशीमठ को ट्रेकिंग का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। विष्णु प्रयाग में अलकनंदा और धौलीगंगा के संगम पर बसा जोशीमठ अपने प्राकृतिक वातावरण खूबसूरत नजारों के लिए पर्यटकों की पहली पसंद रहा है।
- ट्रेकिंग हेतु ट्रेक वैली ऑफ फ्लावर्स रास्ते को सबसे उपयुक्त माना जाता है। जहाँ ट्रेकिंग करना आसान और आनंदमयी है। इस रास्ते में ट्रेकिंग करने पर आप बिलकुल भी थकान महसूस नहीं करेंगे।
- पौराणिक तथ्यों की बात करें तो जोशीमठ का उल्लेख हमारे वेद अथर्ववेद में मिलता है।
- सर्दियों में बद्रीनाथ के कपाट बंद होने पर भगवान विष्णु की मूर्ति को नरसिंह मंदिर में विधिवत स्थापित कर दिया जाता है और कपाट बंद होने पर पुनः भगवान विष्णु की मूर्ति को बद्रिनाथ धाम में कर दिया जाता है।
17 तुंगनाथ चंद्रशिला (Tungnath and Chandrashila Trek) :-
- उत्तराखण्ड राज्य का पर्यटन हेतु बहुत ही प्रसिद्ध गांव है तुंगनाथ चंद्रशिला ट्रेक जहाँ आपको भगवान शिव का प्राचीन हजारों वर्ष मंदिर देखने को मिलता है। जहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन हेतु आते हैं।
- तुंगनाथ चद्रशिला मन्दिर समुद्र तल से लगभग 2,680 मीटर (8792.65 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित है।
- यह मंदिर साल के अधिकतर समय बर्फ से ढका रहता है।
- मंदिर आने के लिए आपको उखीमठ से 8 घंटे की पैदल यात्रा कर तुंगनाथ जाना होगा। देहरादून से तुंगनाथ मंदिर की दूरी लगभग 282 किलोमीटर है। देहरादून से मन्दिर जाने हेतु पहले आपको सड़क मार्ग से उखीमठ जाना होगा जिसके लिए बस, टैक्सी, जीप कमांडर आदि आसानी से मिल जाते हैं ।
18 टिहरी गढ़वाल (Tehri Garhwal) :-
- उत्तराखंड का एक और स्थान टिहरी गढ़वाल भागीरथी नदी के तट पर बसा एक रमणीक और मनमोहक स्थान है।
- यहीं टिहरी पर आपको देश का सबसे लम्बा बाँध Tehri Dam देखने को मिलता है जिसकी ऊंचाई लगभग 260.5 मीटर (855 फ़ीट) है। वर्तमान में टिहरी बाँध के द्वारा लगभग 2,400 MW बिजली का उत्पादन किया जाता है। आपको बता दें की Tehri Dam देश का सबसे बड़ा Hydroelectric power plant है। डैम की पानी को स्टोर करने की क्षमता लगभग 2,615 Mm3 है।
- टिहरी में आपको धार्मिक स्थलों के साथ – साथ बेहतरीन पर्यटक स्थल देखने को मिलते हैं जैसे :- सुरकंडा देवी मंदिर , नाग टिब्बा, विश्वनाथ गुफा, डोबरा चांठी पुल, खत लिंग ग्लेशियर आदि।
- टिहरी आप हवाई , सड़क दोनों मार्ग से आ सकते हैं। देहरादून के जॉलीग्रांट एयरपोर्ट से टिहरी की दूरी 1 घंटे 15 मिनट की रह जाती है और यदि आप सड़क मार्ग से टिहरी आते हैं आप वाया ऋषिकेश भी आ सकते हैं।
19 रूपकुंड ट्रेक (Roopkund Trek):-
- उत्तराखंड की त्रिशूल और नंदा घुंटी चोटियों के बीच स्थित रूपकुंड ट्रेक किसी रहस्यमयी जगह से कम नहीं।
- रूपकुंड को “मिस्ट्री ऑफ़ लेक ” के नाम से जाना जाता है।
- रूपकुंड समुद्र तल से लगभग 5,029 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
- रूपकुंड के पहाड़ और गुफाओं में आपको पाषाण युग के बने घोड़ों के चित्र देखने को मिल जाते हैं। भूगोलविद और इतिहासकारों के लिए ये जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं।
- रूपकुंड में आपको सबको अपनी ओर आकर्षित करने वाले बड़े बड़े अल्पाइन घास के मैदान देखने को मिलते हैं।
- रूप कुंड के नजदीक बेदनी बुग्याल से कुंड तक जाने हेतु खड़ी चढ़ाई और बहुत ही कठिन पैदल मार्ग है।
- रूप कुंड से 5 किलोमीटर पहले बगुबासा नामक जगह है जो समुद्र तल से लगभग 4,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। जहाँ आपको प्राकृतिक सुन्दर नज़ारे देखने को मिलते हैं। साल के किसी भी मौसम में यहाँ घूमने हेतु आ सकते हैं।
20 चम्पावत (Champawat):-
- उत्तराखंड का चम्पावत जिला राज्य का सबसे कम आबादी और सबसे कम विकसित जिला है।
- चम्पावत में आपको चंद्र शासन के काल में बने मंदिरों में सर्वोत्तम नक्काशियों और वास्तुकला देखने को मिलती है।
- चम्पावत को उत्तराखण्ड के रोमांच, आध्यात्म और धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है।
- समुद्र तल से चम्पावत की ऊंचाई 5,299 फीट है।
- चम्पावत में आपको पर्यटन हेतु बागेश्वर मंदिर, लोहाघाट, नागनाथी, श्यामला ताल (विवेकानन्द आश्रम), बाणासुर का किला, क्रांतिेश्वर महादेव मंदिर आदि स्थल यहां देखने को मिल जाते हैं।
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहीं पर भगवान विष्णु ने अपने कूर्म अवतार में जन्म लिया था।
- चम्पावत आने हेतु सबसे उपयुक्त समय साल के जून से अक्टूबर माह के बीच होता है।
21 मध्यमहेश्वर (Madhyamaheshwar) :-
- मध्यमहेश्वर उत्तराखंड का एक छोटा और पवित्र शहर है जो अपने रहस्यमयी कारणों के वजह से पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है।
- यहां पर आपको भगवान शिव को समर्पित प्राचीन मध्यमहेश्वर मंदिर देखने को मिलता हैं जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है।
- मध्यमहेश्वर में पहाड़ों की संस्कृति और अपनी विशेष परम्पराओं को समेटे छोटी – छोटी झोंपड़ियों में बसे गांव दिख जाएंगे। जिनका रहन – सहन , खानपान पहाड़ों की पुरातन संस्कृति को दर्शाता है।
- मध्यमहेश्वर मंदिर के आस – पास विशाल अल्पाइन घास के मैदान और जंगल , प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को अपने ओर आकर्षित करते हैं।
- मध्यमहेश्वर मंदिर धाम समुद्र तल से 3,265 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
- मध्यमहेश्वर शहर में बुद्ध मध्यमहेश्वर , कंचन ताल , ओंकारेश्वर मंदिर आदि धार्मिक पर्यटक स्थल मौजूद हैं।
22 रामगढ़ (Ramgarh) :-
- उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले के आस पास हिमालय की तलहटी में बसा रामगढ़ एक प्राकृतिक और विश्व पर्यटन आकर्षण का केंद्र है।
- प्रकृति प्रेमियों के लिए यह स्थान किसी स्वर्ग से कम नहीं। जो देखने में रमणीक, मनमोहक और मंत्रमुग्ध करने वाला है।
- रामगढ़ समुद्र तल से लगभग 1,789 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
- रामगढ़ ने महान कवि और लेखक रवींद्रनाथ टैगोर और नारायण स्वामी आदि को अपनी ओर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण यहां आने को विवश किया जिनके नाम पर बने आश्रम आपको यहां देखने को मिल जाएंगे।
- रामगढ़ में आपको पर्यटकों के रुकने हेतु अच्छे और सस्ते होटल एवं रिसोर्ट किफायती बजट में मिल जाते हैं।
- यहाँ के सन व्यू पॉइंट से सूर्योदय और सूर्यास्त का बड़ा हो मनमोहक नजारा देखने को मिलता है। आप जब भी घूमने आएं तो सन व्यू पॉइंट जरूर जाएं।
- रामगढ़ में आपको आड़ू, सेब, प्लम, नाशपाती, स्ट्रॉबेरी और खुबानी आदि के बगीचे देखने को मिलते हैं। जो यहाँ के प्रसिद्ध फसलें हैं।
- रामगढ़ हवाई और सड़क एवं रेल मार्ग तीनों से आया जा सकता है। सामान्यतः यहां का तापमान 5 से 18 डिग्री सेंटीग्रेट के बीच ही रहता है। आप यहां साल के मई से अक्टूबर माह के बीच घूमने हेतु आ सकते हैं।
23 गुप्तकाशी (Guptkashi):-
- उत्तराखंड के चार धामों में से एक केदारनाथ धाम मंदिर से 48 किलोमीटर दूर स्थित गुप्तकाशी एक पवित्र शहर है।
- गुप्तकाशी की समुद्र तल से ऊंचाई 1,319 मीटर है।
- गुप्तकाशी एक धार्मिक स्थल होने के कारण अपने दो विश्व विख्यात प्राचीन मंदिर की वजह से तीर्थयात्रियों के बीच प्रसिद्ध है। यह दो प्रसिद्ध मंदिर हैं – अर्धनारेश्वर मंदिर और विश्वनाथ मंदिर।
- यह दोनों ही मंदिर भगवान महादेव शिव को समर्पित हैं जहाँ पर प्राकृतिक रूप से शिवलिंग मौजूद है।
- केदारनाथ धाम आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए गुप्तकाशी आकर इन मंदिरों के दर्शन करना महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है की जो भी यात्री केदारनाथ दर्शन हेतु आते हैं और वह केदारनाथ के दर्शन के बाद इन दो शिव मंदिरों के दर्शन नहीं करते हैं तो उनकी यात्रा असफल और अपूर्ण मानी जाती है।
- गुप्तकाशी का अद्भुत मौसम, हरे भरे जंगल और चौखमाबा रेंज हमेशा से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहते हैं।
- गुप्तकाशी का सबसे लोकप्रिय स्थान घूमने हेतु मणिकर्णिक कुंड बहुत ही रमणीक जगह है।
- यदि आप गुप्तकाशी आने की योजना बना रहे हैं तो साल के मार्च से जून और सितंबर से नवंबर माह के बीच पर्यटन हेतु आ सकते हैं। सामन्यतः यहाँ का तापमान 19 डिग्री सेंटीग्रेट के आस – पास ही रहता है।
24 चम्बा (Chamba):-
- टिहरी गढ़वाल जिले में बसा चम्बा शहर एक खूबसूरत हिल स्टेशन है।
- यहाँ हम आपको बता दें की चम्बा शहर मसूरी से मात्र 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- यदि आप नरेंद्र नगर ऋषिकेश – हरिद्वार हाईवे से होते टिहरी के चम्बा शहर आते हैं तो आपको करीबन 7 से 8 घंटे का समय लगता है।आपकी जानकारी के लिए बता दें की इस हाईवे को अब ऑल वेदर रोड में बदल दिया गया है। जो की इस यात्रा को और भी सुगम तथा आसान बना देता है।
- उत्तराखंड का चम्बा शहर समुद्र तल से 1,524 मीटर (5,000 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है।
- आपको बता दें की वीर महान सैनिक गब्बर सिंह नेगी की याद में हर वर्ष 21 अप्रैल को एक विशेष मेले का आयोजन किया जाता है।
- वीर महान सैनिक गब्बर सिंह नेगी अंग्रेजों की सेना रेजिमेंट में शामिल होकर प्रथम विश्व युद्ध में भाग लिया था। ब्रिटेन में आज भी ऐसे कई सैनिकों के नाम स्मारक मौजूद हैं।
- चम्बा घूमने हेतु आप साल के किसी भी मौसम में यहाँ आ सकते हैं।
25 चोपता (Chopta):-
- चमोली जिले में स्थित एक छोटा सा गाँव चोपता अपने पहाड़ों और तुंगनाथ मंदिर के लिए प्रसिद्ध है.
- पर्वतारोही और पहाड़ों पर ट्रैकिंग के शौक़ीनों के लिए चोपता सबसे पसंदीदा जगह में से एक है।
- देहरादून से चोपता की दूरी लगभग 200 किलोमीटर है। इस लम्बे सफर को पूरा करने में आपको लगभग 7 से 8 घंटे का समय लग जाता है।
- विश्व प्रसिद्ध भगवान शिव का मंदिर तुंगनाथ चोपता से मात्र 3 से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- यहाँ आने का सबसे उपयुक्त समय साल के मार्च से जून महीने के बीच का है।
26 मुनस्यारी (Munsyari) :-
- उत्तराखंड कुमाऊं क्षेत्र के पिथौरागढ़ जिले में स्थित मुनस्यारी एक छोटा सा और प्यारा गाँव है।
- मुनस्यारी को भारत का “छोटा कश्मीर ” और ” ‘गेटवे टू जौहर वैली ” के नाम से भी जाना जाता है।
- मुनस्यारी गांव समुद्र तल से लगभग 2,298 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
- भारत ,तिब्बत और नेपाल की सीमाओं के मध्य में स्थित मुनस्यारी अपने तीन बहुप्रसिद्ध ग्लेशियर तीन ग्लेशियरों नामिक, मिलम और रालम हेतु पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है।
- प्राचीन काल में मुनस्यारी का जोहर घाटी तिब्बत और भारत के बीच एक बड़ा व्यापारिक केंद्र था।
- मुनस्यारी में आपको घूमने हेतु बिरथी वाटर फॉल , माहेश्वरी कुंडी , पंचचूली पीक , थमारी कुंडी , कालामुनि तोप , खलिया तोप आदि स्थान देखने को मिलते हैं।
- मुनस्यारी आप साल के अप्रैल से जून और अक्टूबर से नवंबर माह के बीच घूमने के लिए आ सकते हैं।
27 एबट माउंट (Abbott Mount) :-
- उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में चम्पावत जिले में स्थित एबट माउंट एक मनोरम दृश्य से भरपूर हिल स्टेशन है।
- यहां की अद्भुत और प्राचीन चर्च अंग्रेजी वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है।
- एबट माउंट समुद्र तल से लगभग 7,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
- 20वीं शताब्दी में एक ब्रिटिश बिजनेसमैन जॉन हेरोल्ड एबॉट के द्वारा इस जगह को बसाया गया और उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम एबट माउंट रख दिया गया।
- यहां आपको बर्फ से ढके पहाड़ , देवदार के जंगल , शांत वातावरण का अनूठा मनमोहक दृश्य देखने को मिलता है।
- प्रकृति प्रेमियों के लिए ट्रेकिंग, एंगलिंग, बर्ड वॉचिंग करने हेतु यह बेहतरीन जगह है।
- देहरादून से एबट माउंट की दूरी लगभग 565 किलोमीटर है जिसकी यात्रा करने में आपको 10 से 11 घंटे का समय लगता है।
- एबट माउंट घूमने आने के लिए आप साल के किसी भी मौसम में यहाँ आ सकते हैं। सामान्यतः यहां का तापमान 20०C से 25०C के बीच रहता है।
28 धारचूला (Dharchula):-
- उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में बसा धारचुला एक प्राकृतिक सुंदरता वाला स्थान है।
- धारचूला भारत और नेपाल की सीमा पर काली नदी के तट पर स्थित है।
- धारचूला अपनी पंचचुली रेंज की ऊंची चोटियों और ग्लेशियरों के लिए पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है।
- धारचूला के जगलों में आपको ओक ,चीड़, सेब और देवदार के पेड़ देखने को मिल जाएंगे। यह स्थान इन पेड़ों के जगलों से चारों ओर से घिरा हुआ है।
- इन जगलों में आपको जानवरों और वनस्पतियों की प्रचुरता में विविधता देखने को मिल जाती है।
- कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले यात्रियों के मार्ग पर पड़ने वाला यह महत्व पूर्ण स्थान है।
- धारचूला में काली नदी , अस्कोट कस्तूरी मृग अभ्यारण्य , नारायण आश्रम , ओम पर्वत चोटी , जौल्जिबि आदि जगहें घूमने और देखने हेतु मिल जाती हैं।
- साल के मई से दिसंबर माह के बीच आप यहां घूमने हेतु आ सकते हैं। घूमने हेतु यहां का तापमान सामान्यतः 25०C के आस पास रहता है।
29 देवप्रयाग (Devprayag):-
- उत्तराखंड का देवप्रयाग पवित्र नदियां अलकनदा और भागीरथी के संगम तट पर बसा एक पवित्र और लोकप्रिय तीर्थस्थल है।
- उत्तराखंड के पांच प्रयाग रुद्रप्रयाग , कर्णप्रयाग , नंदप्रयाग , विष्णु प्रयाग और देवप्रयाग में से देवप्रयाग हिन्दू आस्था का प्रतीक है।
- देवप्रयाग अपने यहाँ होने वाले वाटर स्पोर्ट्स और ट्रेकिंग हेतु विश्व प्रसिद्ध है।
- देवप्रयाग समुद्र तल से लगभग 830 मीटर (2,723 फ़ीट ) की ऊंचाई पर स्थित है।
- प्राकृतिक परिवेश के साथ – साथ प्राचीन मंदिरों के बीच यह स्थान सुन्दर और शांत वातावरण की अनुभूति कराता है।
- एकांत और शांति की खोज करने वालों के लिए यह स्थान सबसे उपयुक्त है।
- देवप्रयाग में आपको दो पवित्र मंदिर चंद्रबदानी मंदिर और रघुनाथजी मंदिर देखने को मिलते हैं जो हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक हैं।
- ऋषिकेश से देवप्रयाग की दूरी 70 किलोमीटर है।और देहरादून की बात करें तो देवप्रयाग 116 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- आप देव प्रयाग साल के किसी भी मौसम में हवाई , सड़क दोनों मार्ग से आ सकते हैं।
30 पाताल भुवनेश्वर (Patal Bhuvaneshwar):-
- उत्तराखंड,पिथौरागढ़ का पाताल भुवनेश्वर मंदिर एक रहस्यमयी और आध्यात्मिक धार्मिक स्थल है।
- इस स्थान पर पवित्र शिव मंदिर गुफा है जो दर्शन के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
- मान्यताओं के अनुसार गुफा में लगभग 33 करोड़ हिन्दू देवी – देवताओं का निवास स्थान बताया जाता है।
- इतिहास की माने तो इस स्थान की खोज अयोध्या के राजा रहे सूर्यवंशी शासक ऋतुपर्ण ने की थी।
- समुद्र तल से यह स्थान 90 फ़ीट गहराई में स्थित है।
- पाताल भुवनेश्वर का अर्थ है पृथ्वी और ब्रह्माण्ड के देवता।
- किवदंती और पुरातन मान्यताओं के कारण इस स्थान के बारे में बहुत से रहस्य और कहानियां आज भी प्रचलित हैं।
- पाताल भुवनेश्वर में बेरीनाग , हाट कलिका मंदिर , पाताल भुवनेश्वर गुफाएं आदि स्थान पर्यटन हेतु पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए प्रसिद्ध है।
- आप यहाँ जून से अक्टूबर के बीच में घूमने हेतु आ सकते हैं।
31 पंगोट (Pangot):-
- नैनीताल से 15 किलोमीटर दूर स्थित पंगोट गाँव अपने मनोरम दृश्यों के लिए पर्यटकों के बीच बहुत ही प्रसिद्ध है।
- पंगोट गांव समुद्र तल से लगभग 6,300 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
- पंगोट गाँव के आस पास प्राकृतिक और सुन्दर नजारों युक्त जंगल है।
- हिमालयी की गोद में बसा यह गाँव सर्दियों के मौसम में आने वाले प्रवासी विभिन्न प्रजाति के पक्षियों की पसंदीदा जगह है।
- इस गांव के जंगल में गोरल, तेंदुआ बिल्ली, सीरो, जंगली सूअर, लाल लोमड़ी आदि स्तनधारी जीव देखने को मिल जायेंगे।
- पंगोट गांव से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान जो उत्तराखंड का एक विश्वप्रसिद्ध टाइगर रिज़र्व पार्क है।
- यहां के जंगलों में आपको मोटे ओक, देवदार और रोडोडेंड्रोन के पेड़ देखने को मिलते हैं।
- पंगोट घूमने आने के लिए आप साल के किसी भी मौसम में आ सकते हैं।
32 जिम कार्बेट राष्ट्रीय रिज़र्व पार्क (Jim Corbett National Park):-
- उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान एक टाइगर रिज़र्व पार्क है।
- गर्वनर विलियम मैल्कम हैली के नाम पर बना यह पार्क पहले हैली नेशनल पार्क के नाम से जाना जाता था तथा बाद में साल 1956 में इसका नाम बदलकर प्रसिद्ध Naturalist के नाम पर कॉर्बेट नेशनल पार्क कर दिया गया यह नेशनल पार्क प्रोजेटक्ट टाइगर का ही नतीजा था जिसे लुप्त और शिकार होते टाइगर को बचाया जा सके।
- कॉर्बेट नेशनल पार्क का 520.8 किलोमीटर का क्षेत्रफल पहाड़ी क्षेत्र में आता है।
- इस नेशनल पार्क में विभिन्न प्रजातियों के लगभग 110 प्रजातियों के पेड़ , 50 ख़ास किस्म की प्रजातियों के जीव , 580 प्रजाति के पक्षी और 25 अलग – अलग प्रकार के सरीसृप पाए जाते हैं।
- पशु प्रेमी और जंगल सफारी का शौक रखने वाले लोगों को इस कॉर्बेट नेशनल पार्क में जरूर जाना चाहिए।
- यहां आने का सबसे उपयुक्त समय साल के अक्टूबर माह के मध्य और जून माह के मध्य है।
33 लैंसडौन (Lansdowne):-
- उत्तराखंड के पौड़ी जिले में स्थित एक खूबसुरत हिल स्टेशन है जिसका नाम लैंसडौन।
- यह एक छोटी पहाड़ी स्थित एक मनोरम और सुन्दर प्राकृतिक नजारों से भरपूर शहर है।
- समुद्र तल से लैंसडौन की ऊंचाई 1,700 मीटर (5,600 फीट) स्थित है।
- इस शहर की खोज अंग्रेजों के समय वायसराय रहे लॉर्ड लैंसडाउन के द्वारा 1887 में की गयी थी। जिसके बाद इस स्थान का नाम लैंसडाउन पड़ा।
- लैंसडौन की टैग लाइन है “अजीब छोटा पहाड़ी शहर”
- लैंसडौंन का पुराना नाम “कालूडाण्डा” था जिसका यहां की क्षेत्रीय गढ़वाली भाषा में अर्थ होता है काले पहाड़।
- दिल्ली से लैंसडौन की दूरी लगभग 262 किलोमीटर है। जो आप 6 से 7 घंटे का लम्बा सफर तय करके यहां घूमने के लिए या गर्मी की छुट्टियां बिताने के लिए आ सकते हैं।
- यहाँ आपको 100 साल पुरानी सेंट मैरीज़ चर्च देखने को मिल जायेगी।
- लैंसडौन आने के लिए साल के किसी विशेष समय की कोई जरूरत नहीं आप साल के किसी भी समय यहां छुट्टियों का आनंद लेने आ सकते हैं।
34 मुक्तेश्वर (Mukteshwar):-
- नैनीताल से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह एक छोटा सा शहर है।
- यहां पर भगवान शिव का मुक्तेश्वर धाम नामक 350 साल पुराना मंदिर है।
- यहां पर आने के बाद आप पगडंडियों और संकरी गलियों में रॉक क्लाइम्बिंग और रैपलिंग, ट्रेकिंग का आनंद ले सकते हैं।
- मुक्तेश्वर समुद्र तल से लगभग 2,286 मीटर (7,500 फ़ीट ) की ऊंचाई पर स्थित है।
- मक्तेश्वर शिव मंदिर में शिव जी की मूर्ति के साथ ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, हनुमान और नंदी जी की मूर्तियां मौजूद हैं।
- यहाँ 1890 में स्थापित “भारतीय पशु चिकित्सा शोध संस्थान” है।
35 हाटकलिंका मंदिर (Haatkalinka Mandir):-
- उत्तरखंड के पिथौरागढ़ जिले के गंगोली हाट में स्थित हाट कलिंका देवी मंदिर महिसासुर मर्दिनी का एक प्रसिद्ध सिद्ध पीठ है ।
- समुद्र तल से इस मंदिर की ऊंचाई 1,760 मीटर है।
- यह मंदिर पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के बीच अपने रहस्यों के कारण विख्यात है ।
- इस मंदिर में स्थित कुंड में नवरात्र के अवसर पर हजारों बकरों की बली दी जाती है।जिसके बाद भी यह कुंड कभी भी नहीं भरता।
- पुरानी मान्यताओं के अनुसार हर रात माता के मंदिर में बिस्तर की व्यस्था कर बाहर से ताला लगा दिया जाता है।
- मंदिर आने के लिए आप सड़क ,हवाई और ट्रेन तीनों मार्ग से आ सकते हैं। देहरादून से हाटकालिंका मंदिर की दूरी लगभग 40 किलोमीटर है।
36 बैजनाथ (Baijnath):-
- यह उत्तराखंड के बागेश्वर से 26 किलोमीटर पश्चिम तथा कौसानी से 19 किलोमीटर उत्तर की ओर गोमती और गरुणगंगा नदी के संगम पर स्थित है।
- बैजनाथ मन्दिर आपस में बहुत से मन्दिरों का एक समूह है।
- बैजनाथ मंदिर के मुख्य मंदिरों में आदमकद पार्वती जी की पत्थर की मूर्ती स्थापित है। जिसे देखने में ऐसा लगता है की जैसे कांस के धातु से बनी हो.
- इस मंदिर को समय – समय विभिन राजवंशों के राजाओं के द्वारा जीणोद्धार करवाया गया।
- बैजनाथ मंदिर के समीप एक चौपड़ – चबूतरा है जो की कत्यूरी राजाओं की राजधानी होने के प्रमाण को प्रस्तुत करता है।
37 पांडुस्थल (Pandusthal):-
- पांडुस्थल बागेश्वर जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर कुमांऊ व गढ़वाल सीमा पर स्थित है।
- यह स्थल अत्यंत मनमोहक और रमणीक है।
- पांडुस्थल समुद्र तल से लगभग 1,800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
- पुरातन किवदंतियों के अनुसार महाभारत काल में पांडवों ने यहां अज्ञातवास के समय निवास किया था।
- श्री कृष्ण जन्माष्टमी में यहाँ हर वर्ष एक सुप्रिसद्ध मेले का आयोजन किया जाता है।
38 लोहाघाट (Lohaghat):-
- यह मनमोहक पर्यटक स्थल चम्पावत जिले से 14 किलोमीटर दूर और पिथौरागढ़ से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- यहां हम आपको बता दें की लोहाघाट की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 1,754 मीटर है।
- अंग्रेजों के समय उनके निवास स्थान के लिए यह जगह सबसे पसंदीदा जगहों में से एक थी।
- इस स्थल का प्राकृतिक सौंदर्य और शांत वातावरण पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
- यहां पर आपको देवदार के वृक्ष , मखमली घास के मैदान ,और फूलों से ढके रास्ते देखने को मिल जायेंगे।
- लोहावती नदी के तट पर स्थित होने के कारण इस जगह का नाम लोहाघाट पड़ा।
- पर्यटकों और इतिहासकारों के बीच यह स्थल अपने ऐतिहासिक महत्त्व के प्रसिद्ध है।
39 राम शिला मंदिर (Ram Shila Mandir):-
- उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले के नगर के मध्य में बसा यह मंदिर चंद वश के राजा के समय का है।
- पुराने समय में यह मंदिर मल्ला महल के नाम से जाना जाता था।
- चंद वश के राजाओं का अष्ट दुर्ग महल भी यहाँ रहा।
- 1588 में राजा रूपचंद ने अष्ट दुर्ग महल के अंदर इस राम शिला मंदिर का निर्माण करवाया।
- देहरादून से राम शिला मंदिर की दूरी 341 किलोमीटर है। जिसको तय करने में आपको लगभग 8 से 9 घंटे का समय लगता है। ऋषिकेश से इस मंदिर की दुरी लगभग 310 किलोमीटर है।
40 दुगड्डा (Dugadda):-
- पंडित धनीराम मिश्र के अपने खेत में बसाया गया यह स्थल कोटद्वार से लगभग 16 किलोमीटर दूर स्थित है।
- अंग्रेजों के ब्रिटिश काल के समय यह जगह बहुत बड़ी व्यापारिक और राजनीतिक केंद्र के रूप में स्थापित थी।
- दुगड्डा प्रसिद्ध हिन्दी कवि एवं साहित्यकार शिवप्रसाद डबराल की साधना स्थली रहा है।
- गढ़वाल क्षेत्र में कुली बेगारी प्रथा, डोला पालकी आंदोलन, आर्य समाज की स्थापना एवं स्वराज की भावना को जागृत कर जन – जन तक पहुंचना इन सभी का श्रेय इसी क्षेत्र दुगड्डा को जाता है।
- देश के पहले प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू दो बार 1945 और 1950 में दुगड्डा आए थे।
41 धारी देवी मंदिर (Dhari devi Mandir):-
- श्री नगर से लगभग 14 किलोमीटर दूर कलियासौड़ में अलकनदा नदी के तट पर बसा प्रसिद्ध माता का मंदिर है।
- धारी देवी मंदिर माता काली को समर्पित पुरातन मंदिर है।
- श्री नगर जल विघुत परियोजना के निर्माण के समय अलकनंदा नदी में बनी झील यह मंदिर डूब गया था।
- सिद्ध पीठ धारी देवी का नया मंदिर प्राचीन स्थल से 21 मीटर की ऊंचाई पर वर्तमान में निर्माणाधीन पड़ा हुआ है।
- लोगों का मानना है की जैसे – जैसे दिन बीतता जाता है । वैसे – वैसे माता की मूर्ती में बदलाव होता रहता है।
- ऋषिकेश से धारी देवी मंदिर की दूरी लगभग 120 किलोमीटर है। मंदिर आप सड़क और हवाई मार्ग दोनों से आ सकते हैं।
42 कमलेशवर महादेव मंदिर (Kamleshwar Mahadev Temple) :-
- हिमालय की तलहटी में अलकनंदा नदी के किनारे पर बसा कमलेश्वर मंदिर भगवान शिव का एक सुप्रसिद्ध मंदिर है।
- प्रत्येक वर्ष बैकुंठ चतुर्दशी के दिन मंदिर में विशेष पूजा एवं अनुष्ठान किए जाते हैं।
- मंदिर में भगवान शिव को 100 व्यंजनों से बना प्रसाद चढ़ाया जाता है।
- मंदिर के अपने ऐतिहासिक एवं धार्मिक मेले का अपना ही महत्व है।
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण की भक्त जामवंती के इसी मंदिर में अनुष्ठान करने से संतान की प्राप्ती हुई थी।जिसके कारण हर साल लाखों निः संतान दंपति यहाँ भगवान शिव का आशीर्वाद लेने और पूजा करने आते हैं। जिसके फलस्वरूप उन्हें संतान की प्राप्ति हो।
- लोगों की मान्यता यह है कि कमलेशवर मंदिर में जो भी नि:संतान दंपति खड़े होकर जलते दीये के पवित्र अनुष्ठान में पूजा करते हैं उन्हें भगवान शिव की कृपा से संतान की प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है।