नमस्कार दोस्तों, एक वस्तु को जब हम ऊपर की तरफ फेकते हैं तो वह नीचे क्यों आती है इसका कारण तो आप जानते ही होंगे की यह सब पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण (gravitation) बल के कारण होता है। सालों पहले England के महान वैज्ञानिक सर आइजक न्यूटन (Isaac Newton) ने अपने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत (Gravitational Theory) के द्वारा दुनिया को बताया की जब भी कोई वस्तु पृथ्वी की तरफ गिरती है तो इसके पीछे एक बल कार्य करता है जो की वस्तु को पृथ्वी की ओर खींचता है। आपको तो जानते है हैं की महान वैज्ञानिक आइजक न्यूटन एक गणितज्ञ, भौतिक वैज्ञानिक, ज्योतिष एवं दार्शनिक थे। दोस्तों आज के आर्टिकल में हम आपको गुरुत्वाकर्षण क्या है?
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम और इससे संबंधित विभिन्न थ्योरी (Theory) के बारे में बताने जा रहे हैं। जानने के लिए आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें।
आइजक न्यूटन (Isaac Newton) का संक्षिप्त परिचय
नाम | सर आइजक न्यूटन (Isaac Newton) |
जन्म | 4 जनवरी 1643 |
जन्म स्थान | वूलस्ठोर्पे बाय कोलस्तेरवर्थ लिंकनशायर, इंग्लैंड |
शिक्षा | Trinity College, Cambridge |
राष्ट्रीयता | इंग्लिश |
क्षेत्र | भौतिक विज्ञान, गणित, खगोल, प्राकृतिक दर्शन, Alchemy, Theology |
संस्थान | कैम्ब्रिज विश्विद्यालय रॉयल सोसायटी |
शिष्य | Roger Cotes William Whiston |
खोजें | चिरसम्मत यांत्रिकी गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त कलन न्यूटन के गति नियम प्रकाशिकी न्यूटन विधि प्रिंसिपिया |
मृत्यु | 31 मार्च 1727 |
उम्र | 84 वर्ष |
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क्या है गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत (Theory) का इतिहास ?
दोस्तों आपको बता दें की आइजक न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत से पहले 16वीं शताब्दी में इटली के महान वैज्ञानिक गैलिलीयो गैलिली (Galileo Galilei) ने अपने द्वारा एक प्रयोग से बताया की पृथ्वी की तरफ गिरने वाली वस्तु एक नियत त्वरण (Constant Acceleration) से गिरती है।
गैलिलियो ने इटली की प्रसिद्ध पीसा की मीनार से गेंदों को गिराकर अपने नियत त्वरण के सिद्धांत को दुनिया को बताने की कोशिश की। परन्तु उस समय के एक और दार्शनिक अरस्तु ने गैलीलियो का विरोध करते हुए यह कहा की यदि वस्तु का द्रव्यमान कम है तो हवा के प्रतिरोध के कारण वस्तु को गिरने में अधिक समय लगेगा।
इन विरोधों के कारण लोगों ने गैलीलियो के नियत त्वरण के सिद्धांत पर अधिक ध्यान नहीं दिया। क्योंकि गैलीलियो गैलिली अपने सिद्धांत के लिए कोई वैज्ञानिक तथ्य और गणितीय सूत्र नहीं दी पाए थे।
न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण की खोज कैसे की ?
न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण खोज के संबंध में सेब गिरने की कहानी बहुत प्रचलित है दोस्तों बचपन से हम गुरुवताकर्षण सिद्धांत के संबंध में सेब वाली कहानी सुनते आये हैं।
जिसके बारे में इतिहासकार और वैज्ञानिक मानते हैं की यह कहानी आज से लगभग 350 वर्ष पुरानी है। लेकिन दोस्तों क्या आपको पता है की क्या है .
न्यूटन के सेब गिरने की असल कहानी यदि नहीं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं इस कहानी के बारे में। दोस्तों आइजक न्यूटन के शिष्य रहे विलियम स्ट्यूक्ली के द्वारा लिखी अपनी एक किताब में सेब गिरने वाली घटना का जिक्र किया है।
विलियम स्ट्यूक्ली लिखते हैं की यह सेब वाली घटना 1660 के मध्य दशक की है। यह बात है जब आइजक न्यूटन इंग्लैंड के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय कैम्ब्रिज में पढ़ा करते थे।
1726 में एक बसंत की शाम विश्वविद्यालय बंद होने के कारण न्यूटन अपने घर उत्तर इंग्लैंड चले गए। घर आने के बाद न्यूटन कुछ सोचते हुए अपने घर के बगीचे में लगे सेब के पेड़ के नीचे बैठे थे। और तभी उसी अवस्था में एक सेब पेड़ से टूटकर न्यूटन के सर के ऊपर गिरा। विलियम स्ट्यूक्ली ने आगे इस घटना के बारे में लिखा की न्यूटन सोचने लगे की यह सेब पेड़ से टूटकर सीधा मेरे ऊपर ही क्यों गिरा।
यह सेब मेरे आस-पास धरती पर भी गिर सकता था या पर आसमान में जा सकता था पर ऐसा नहीं हुआ। न्यूटन ने इस घटना का मतलब यह निकाला की इस पृथ्वी में आकर्षण शक्ति है जो वस्तुओं को अपनी ओर खींचती है। इसके बाद न्यूटन ने अपने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत की खोज की।
क्या है न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम (Law of universal gravitation)
दोस्तों 16वीं और 17वीं शताब्दी में दुनियाभर में नए – नए सिद्धांतों और वस्तुओं की खोजें की जा रही थीं। जिनमें एक सबसे बड़ी खोज थी आइजक न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम। न्यूटन की खोज से पहले किसी ने भी इस गुरुत्वाकर्षण बल के बारे में कभी किसी ने सोचा भी नहीं था।
उस समय में पृथ्वी (Earth) के बारे में हर किसी की अपनी अलग मान्यताएं हुआ करती थीं। लेकिन न्यूटन ने पुरानी दकियानूसी मान्यताओं का विरोध करते हुए वैज्ञानिक गणितीय सूत्रों के आधार पर अपना गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत प्रतपादित किया और दुनिया को बताया की हमारी पृथ्वी में एक बल मौजूद है जिसे हम गुरुत्वाकर्षण बल कहेंगे।
न्यूटन ने अपने इस खोज के बारे में “प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धांतों” से संबंधित शोध पत्र में 1687 में प्रकाशित किया।
न्यूटन के सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम (Law of universal gravitation) के अनुसार :-
जब भी दो सामान भार वाले पिंडों को आपस में किसी परस्पर दूरी पर रखा जाता है तो पिंडों के बीच कार्य करने वाले आकर्षण बल पिंडों के भार के गुणनफल के समानुपाती और परसपर दूरी के वर्ग के व्युक्रमानुपाती होता है।
“यदि हम मानें की दो समान भार वाले पिंड m1 और m2 हैं जो की आपस में d दूरी पर स्थित हैं। तो उन पिंड पर कार्य करने वाला आकर्षण बल f पिंडों के सामान भार के गुणनफल के समानुपाती (Proportional) और दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती (Inversely Proportional) होता है”
उपरोक्त नियम के आधार पर ही गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत कार्य करता है जिसके लिए गणितीय सूत्र इस प्रकार से है –
उपरोक्त फॉर्मूले में हम एक Constant नियतांक G का उपयोग करते हैं जिसे समानुपाती नियतांक कहा जाता है। यहाँ सूत्र में उपयोग हुए G को गुरुत्व नियतांक (Gravitational Constant) कहा जाता है।
गैलिलीयो गैलिली (Galileo Galilei) का नियत त्वरण का नियम
Galileo Galilei के यह कल्पना की कोई अज्ञात शक्ति है जो वस्तुओं को पृथ्वी को अपनी तरफ खींचती है। गैलिलियो ने अपने सिद्धांत के द्वारा यह बताया की पृथ्वी की तरफ गिरने वाली हर वस्तु का अपना एक निश्चित त्वरण होता है। और त्वरण (Acceleration) का मान सभी वस्तुओं के लिए एक सामान रहता है लेकिन अपने इस सिद्धांत के लिए गैलिली कोई वैज्ञानिक तथ्य और गणितीय सूत्र नहीं दी पाए थे।
गैलिलियो गैलिली का संक्षिप्त परिचय
नाम | गैलिलीयो गैलिली (Galileo Galilei) |
जन्म | 15 फरवरी 1564 |
जन्म स्थान | पीसा , पाडुआ , फ्लोरेंस (इटली) |
क्षेत्र | खगोल विज्ञानी,दार्शनिक,गणितज्ञ,भौतिक विज्ञानी, आविष्कारक,बहुश्रुत,विश्वविद्यालय शिक्षक, वैज्ञानिक,अभियन्ता,दार्शनिक |
धर्म | कैथोलिक |
मृत्यु | 8 जनवरी 1642 |
उम्र | 78 वर्ष |
केप्लर के ग्रह के गति के नियम :-
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत के आधार पर ही प्रसिद्ध जर्मन खगोल वैज्ञानिक केप्लर ने अपने ग्रहों की गति से संबंधित तीन नियम दिए जो इस प्रकार से हैं –
- पहला नियम :- केप्लर का पहला नियम ग्रहों की कक्षाओं का नियम कहा जाता है। जिसके अनुसार सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं।
- दुसरा नियम :- केप्लर के द्वितीय नियम के अनुसार सूर्य से मिलान वाली रेखा समान समय में समान क्षेत्रफल पार करती हैं सरल भाषा में कहें तो जब ग्रह सूर्य के नजदीक रहता है तो ग्रह की चाल नियत रहती है और ग्रह सूर्य से दूर होता है तो ग्रह की चाल कम हो जाती है।
- तीसरा नियम :- केप्लर के तीसरे नियम को परिक्रमण काल का नियम भी कहा जाता है। इस नियम के अनुसार ग्रह के परिक्रमण काल का वर्ग ग्रह की दीर्घवृत्ताकार कक्षा के अर्ध-दीर्घ अक्ष की तृतीय घात के समानुपाती (Proportional) होता है।
भास्कराचार्य का गुरुत्वाकर्षण नियम का सिद्धांत
भारत के पुरातन प्रकांड विद्वान एवं वैज्ञानिक भास्कराचार्य ने अपने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांतों को संस्कृत के श्लोकों में बताया है जो की भास्कराचार्य और उनकी बेटी लीलावती की बातचीत पर आधारित हैं –
मरुच्लो भूरचला स्वभावतो यतो
विचित्रावतवस्तु शक्त्य:॥
सिद्धांतशिरोमणि, गोलाध्याय – भुवनकोश
आकृष्टिशक्तिश्च मही तया यत् खस्थं
गुरुस्वाभिमुखं स्वशक्तत्या।
आकृष्यते तत्पततीव भाति
समेसमन्तात् क्व पतत्वियं खे॥
सिद्धांतशिरोमणि गोलाध्याय – भुवनकोश
उपरोक्त श्लोक के अर्थ के अनुसार :- पृथ्वी में एक आकर्षण शक्ति है जिस कारण सभी वस्तुएं और पदार्थ पृथ्वी की ओर खींचतीं हैं और कोई वस्तु ऊपर जाने पर लौटकर वापस पृथ्वी की ओर आती हैं। इसी के साथ अंतरिक्ष में पिंडों और ग्रहों पर चारों दिशाओं से लगने वाले बल के कारण ग्रह पृथ्वी को ओर नहीं गिरते क्योंकि ग्रहों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति आपस में संतुलन बना के रखती हैं।
गुरुत्वाकर्षण से संबंधित FAQs
न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत की खोज 16वीं शताब्दी में सन 1726 में की थी। जब न्यूटन इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ते थे।
गैलीलियो गैलिली इटली के महान खगोल वैज्ञानिक, दार्शनिक, ज्योतिष, अविष्कारक, बहुश्रुत आदि थे।
न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत के अलवा कलन, न्यूटन के गति नियम, प्रकाशिकी आदि सिद्धांतों की खोज की।
भारतीय वैज्ञानिक भास्कराचार्य की बेटी का नाम लीलावती था।