निकाय चुनाव, पंचायती चुनाव, विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में क्या अंतर है, क्या है इनकी प्रक्रिया, क्या है इनमें अंतर, जानें

हमारे देश में हर 1-2 महीने में कहीं न कहीं कोई चुनाव जरूर होता है ये निकाय चुनाव, पंचायती चुनाव, विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव मे से कोई हो सकता है जो मुखिया, विधायक, सांसद आदि के लिए होता है, लेकिन निकाय चुनाव, पंचायती चुनाव, विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव होते क्या हैं, आप जानते हैं क्या?

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Reported by Saloni Uniyal

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निकाय चुनाव, पंचायती चुनाव, विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में क्या अंतर है, क्या है इनकी प्रक्रिया क्या है इनमें अंतर, जानें

जैसा की आप सभी जानते हैं कि देश को चलाने के लिए एक सरकार की आवश्यकता होती है, जिसके लिए भारत में हर पांच साल पूरे होने पर चुनाव प्रक्रिया कराई जाती है। इस चुनाव प्रक्रिया में देश की जनता प्रतिभाग करती है और अपने पसंदीदा उम्मीदवार को मतदान देती है। देश में कई प्रकार के चुनाव कराए जाते है जैसे कि निकाय चुनाव, पंचायती चुनाव, विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव आदि। इन सभी चुनाव प्रक्रिया को संपन्न करके देश में नई सरकार बनती है जो देश की जनता के कल्याण एवं विकास के लिए कार्य करती है। आपको बता दें संविधान में पूरे देश के लिए एक लोकसभा और राज्यों के लिए अलग विधानसभा का प्रावधान है। इन्हीं चुनाव के बाद देश में प्रधानमंत्री और राज्य के लिए मुख्यमंत्री पद हेतु उम्मीदवार चुने जाते हैं। तो चलिए जानते हैं इन सभी चुनाव में क्या अंतर होता है तथा इनकी क्या प्रक्रिया होती है।

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भारतीय लोकतंत्र में चुनाव प्रक्रिया

भारत एक लोकतान्त्रिक देश है और यहाँ संविधान के नियम कानून के माध्यम से अलग-अलग स्तर पर चुनाव प्रक्रिया की जाती है। देश में प्रत्येक वर्ष कहीं ना कहीं चुनाव होते रहते हैं लेकिन राज्य में जब राज्य में बनी हुई सरकार को पांच वर्ष पूरे हो जाते हैं तो उसके बाद चुनाव प्रक्रिया शुरू की जाती है। चुनाव ब्लॉक, जिले एवं राज्य में स्तर में होते हैं इस दौरान एक पद के लिए विभिन्न प्रकार की पार्टियां चुनाव के अखाड़े में उतर आती हैं। देश में निकाय चुनाव, पंचायती चुनाव, विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव कराए जाते हैं जिनकी चुनाव प्रक्रिया अलग-अलग प्रकार की होती है। इन चुनावों की जानकारी हम आपको नीचे विस्तार से बताने जा रहें हैं।

लोकसभा चुनाव

देश में लोकसभा का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण चुनाव होता है। लोकसभा जनता के प्रतिनिधियों से बनी होती है। इसका जो चुनाव होता है वह वयस्क मताधिकार के आधार पर प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा किया जाता है। लोकसभा में कुल मिलाकर 543 सीटें होती हैं और इन सभी सीटों के पद के लिए उम्मीदवार का चयन होता है तब जाकर लोकसभा का निर्माण होता है। देश में राज्यों का प्रतिनिधित्व करने के लिए 530 (जनसंख्या के आधार पर आवंटित) सदस्य एवं केंद्र शासित प्रदेश के प्रतिनिधित्व के लिए 20 सदस्य तथा एंग्लो-इंडियन समुदाय में (राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत) 2 सदस्य होते हैं।

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लोकसभा चुनाव में देश के अलग-अलग सांसदों का चयन किया जाता है। 543 शीटों के लिए मतदान कराए जाते हैं जिनके अलग-अलग अधिकार होते हैं। यह चुनाव देश में हर चुनाव की तरह पांच साल में कराए जाते हैं। लोकसभा भवन में सांसदों की बैठकें होती है तथा बहुमत के आधार पर मंत्रियों का चयन होता है। लोकसभा भवन भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है।

इनमें मंत्रालय का प्रभार होता है, यह सदस्य बाल विकास, सड़क परिवहन, उद्योग, वित्त, गृह, रेलवे एवं विदेश मंत्रालय आदि का कार्यभार सँभालते हैं। मंत्री और लोकसभा के सांसदों द्वारा देश के प्रमुख मंत्री प्रधानमंत्री का चयन किया जाता है।

विधानसभा चुनाव

देश में 18 वर्ष से अधिक उम्र के उम्मीदवार अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र में मतदान कर सकते हैं। अर्थात राज्य विधानसभा के सभी सदस्य सीधे वोट द्वारा चुने जाते हैं। राज्य विधानसभा सभा चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार को विधान सभा सदस्य (एमएलए) के रूप में जाना जाता है। एक विधायक अपने पद पर पांच साल के लिए कार्य करता है तथा पांच वर्ष पूर्ण होने के बाद फिर से नया विधायक चुनने के लिए इलेक्शन किए जाते हैं।

भारत में राज्यों में कराए जाने वाले राज्य स्तरीय चुना को विधानसभा चुनाव कहते हैं। चुनाव में प्रत्येक राज्य की जनता अपने राज्य स्तर के शासन के लिए अपने प्रतिनिधियों का चयन करके नया विधायक बनाती है। लोकसभा की तरह ही विधानसभा चुनाव का आयोजन निर्वाचन आयोग द्वारा हर पांच साल के अन्तर में कराया जाता है।

निकाय चुनाव या स्थानीय चुनाव

स्थानीय स्तर पर जनता की समस्याओं का निवारण एवं उनका कल्याण करने के लिए स्थानीय चुनाव संपन्न कराए जाते हैं। स्थानीय चुनाव को नगरीय निकाय चुनाव भी कहा जाता है। स्थानीय स्तर का विकास करने के लिए इन चुनावों को कराया जाता है। यह चुनाव शहर, गांव एवं कस्बों में किए जाते हैं। आमतौर पर पहले इन चुनावों का कोई महत्व नहीं था अर्थात पहले निकाय अथवा स्थानीय चुना का भारतीय संविधान में कोई भी प्रावधान नहीं किया गया था। लेकिन स्थानीय स्तर पर पहले मतदान किया जाता था, गांव में पंचायतें की जाती थी परन्तु इनकी कोई भी संवैधानिक व्यवस्था नहीं की गई थी।

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ये इलेक्शन देश की जनसंख्या एवं घनत्व की बुनियाद पर कराए जाते हैं जिन्हें चार भागों में विभाजित किया गया है। यह विभाजित इसलिए चुनें हैं क्योंकि पूरे देश में विभिन्न आकार के बस्तियां मौजूद हैं, जिनमें महानगर, बड़े शहर, छोटे शहर एवं गांव शामिल हैं जहाँ हजारों संख्या में जनता निवास करती है। नीचे हम आपको स्थानीय चुनाव के बारे में बता रहें हैं।

नगर निगम अथवा महानगर पालिका

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निकाय चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण चुनाव नगर निगम अथवा महानगर पालिका चुनाव होते हैं। इन चुनावों को अधिक जनसंख्या वाले बड़े शहरों में कराया जाता है। जब किसी डिस्ट्रिक्ट अथवा नगर में नागरिकों की संख्या 10 लाख से ज्यादा होती है तो यहाँ होने वाले चुनाव नगर निगम अथवा महानगर पालिका चुनाव कहलाते हैं। नगरों में अलग-अलग वार्ड बनाए जाते हैं जहाँ चुनाव किए जा सकें।

वार्डों को बांटा जाता है इसमें राजनेता पद के लिए चुनाव लड़ा जाता है तथा वार्ड पार्षद का चयन होता है। वार्ड पार्षद को जनता द्वारा चुना जाता है। पार्षद मिलकर नगर निगम का मेयर चुनते हैं जिसे महापौर भी कहते हैं। मेयर का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है अर्थात पांच वर्ष के बाद फिर से चुनाव प्रक्रिया होती है। महापौर को विधायक से अधिक शक्तियां मिली होती है।

नगर पालिका / नगर परिषद / नगर पालिका परिषद

नगर निगम अथवा महानगर पालिका चुनाव के बाद स्थानीय चुनाव में नगर पालिका परिषद चुनाव सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। इस चुनाव को आने नाम से भी बुलाया जाता है जैसे- नगर पालिका तथा नगर परिषद आदि। जितने भी शहरों में 10 लाख से निम्न जनता निवास करती हैं वहां पर नगर पालिका के चुनाव कराए जाते हैं। नगर निगम के जैसे ही यहाँ पर वार्डों का विभाजन किया जाता है। वार्ड व्यक्ति मिलकर किसी एक उम्मीदवार को चुनकर पार्षद बनाते हैं। इसे ही नगरपालिका सभापति अथवा चैयरमेन कहा जाता है। इनका चुनाव भी हर पांच वर्षों में किया जाता है।

नगर पंचायत

स्थानीय एवं निकाय चुनाव के अंदर नगर पंचायत के चुनाव होते हैं। यह चुनाव जिले अथवा कस्बों में संपन्न किए जाते हैं। जितने भी शहरों की जनसंख्या 20 हजार से ज्यादा होती है एवं एक लाख से निम्न होती है उन शहरों में नगर पंचायत चुनाव कराए जाते हैं। पहले इसे नगर पालिका कहा जाता था लेकिन अब इसका नाम बदलकर नगर पंचायत कर दिया गया है।

ग्राम पंचायत

भारत में ग्रामीण स्तर पर स्थानीय शासन की इकाई ग्राम पंचायत होती है। इसका जो गठन होता है वह चुनाव के माध्यम से किया जाता है। गांव के जितने भी वयस्क नागरिक होते हैं वे मतदान प्रक्रिया में भाग लेते हैं। अर्थात जिस प्रकार राज्य, जिले एवं ब्लॉक में इलेक्शन होते हैं उसकी प्रकार गांव में भी चुनाव किए जाते हैं।

गांव में प्रधान पद के लिए चुनाव होता है जो गांव के विकास के लिए कार्य करता है। प्रधान पद के लिए कई उम्मीदवार चुनाव लड़ते हैं तथा गांव की जनता द्वारा (18 वर्ष से अधिक आयु) अपने पसंदीदा उम्मीदवार को मतदान दिया जाता है। मतदान प्रक्रिया में जिसके सबसे अधिक वोट होते हैं उसे गांव का प्रधान चुना जाता है।

निकाय चुनाव, पंचायती चुनाव, विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में क्या अंतर है?

अंतरलोकसभा चुनावविधानसभा चुनावनिकाय चुनावपंचायती चुनाव
1लोकसभा चुनाव में 543 सीटों का चुनाव होता है, इनमे से ही एक पद प्रधानमंत्री का होता है।विधानसभा में विधायक के पद के लिए चुनाव किया जाता है।निकाय चुनाव में नगर निगम, नगर पालिका एवं नगर पंचायत के सदस्यों का चुनाव होता है।पंचायती चुनाव में ग्राम पंचायत, पंचायत समिति एवं जिला परिषद् के सदस्यों का चुनाव किया जाता है।
2इनका पांच वर्ष का कार्यकाल होता है।इनका पांच वर्ष का कार्यकाल होता है।इनका पांच वर्ष का कार्यकाल होता है।इनका पांच वर्ष का कार्यकाल होता है।
3भारत निर्वाचन आयोग द्वारा इस चुनाव का संचालन होता है।राज्य निर्वाचन आयोग की देखरेख में होते हैं।राज्य निर्वाचन आयोग की देखरेख में होते हैं।राज्य निर्वाचन आयोग अथवा राज्य सरकार द्वारा गठित राज्य पंचायती चुनाव आयोग द्वारा आयोजित किए जाते हैं।

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