बिहार सरकार ने राज्यव्यापी भूमि सर्वेक्षण (Land Survey) की समय सीमा को एक साल के लिए बढ़ा दिया है। अब यह प्रक्रिया जुलाई 2026 तक पूरी होगी। यह निर्णय राज्य के लोगों को असुविधाओं से बचाने और कार्य में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है। बिहार राजस्व और भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS) दीपक कुमार सिंह ने सोमवार को पटना में इस बात की जानकारी दी।
बिहार का भूमि सर्वेक्षण कार्यक्रम राज्य के विकास और सामाजिक स्थिरता के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल भूमि विवादों को सुलझाने में मदद करेगा, बल्कि राज्य के आर्थिक विकास को भी नई दिशा देगा। डिजिटल रिकॉर्ड्स और तकनीकी सहायता के साथ, यह योजना लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।
भूमि सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य
एसीएस दीपक कुमार सिंह ने बताया कि इस सर्वेक्षण का उद्देश्य राज्य के निवासियों को भूमि का डिजिटल रिकॉर्ड उपलब्ध कराना है। इससे भूमि विवादों को हमेशा के लिए समाप्त किया जा सकेगा। साथ ही, भूमिहीनों को भूमि मुहैया कराने और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए भूमि उपलब्ध कराने में भी यह प्रक्रिया सहायक होगी।
उन्होंने कहा कि बिहार में भूमि संबंधी विवादों की दर पहले 60 प्रतिशत से अधिक थी, लेकिन यह घटकर 46.69 प्रतिशत हो गई है। इससे यह साबित होता है कि भूमि रिकॉर्ड्स की पारदर्शिता से विवादों में कमी आई है।
1911 के बाद पहला बड़ा भूमि सर्वेक्षण
बिहार में अंतिम भूमि सर्वेक्षण 1911 में ब्रिटिश शासन के दौरान किया गया था। इसके बाद यह पहली बार है जब राज्य सरकार इतने बड़े पैमाने पर भूमि का सर्वेक्षण कर रही है। राज्य के 38 जिलों में से 20 जिलों (5,657 गांवों को कवर करते हुए) में यह प्रक्रिया लगभग अपने अंतिम चरण में है।
शेष 18 जिलों में, जिसमें 37,384 गाँव शामिल होंगे, यह कार्य जल्द ही शुरू किया जाएगा। इस व्यापक भूमि सर्वेक्षण से सरकार को जमीन से जुड़े विवाद सुलझाने और विकास परियोजनाओं के लिए भूमि उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
भूमि विवादों का समाधान और डिजिटल रिकॉर्ड का महत्व
डिजिटल भूमि रिकॉर्ड्स (Digital Land Records) के माध्यम से लोग अपनी संपत्तियों के कानूनी दावों को स्पष्ट और प्रमाणित कर सकेंगे। इससे न केवल अपराधों की संख्या में कमी आएगी, बल्कि न्यायिक प्रक्रियाओं में भी तेजी आएगी।
दीपक कुमार सिंह ने कहा कि यह कार्य राज्य के आर्थिक विकास और सामाजिक स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। भूमि सर्वेक्षण के जरिए न केवल भूमि वितरण को व्यवस्थित किया जाएगा, बल्कि गरीब और भूमिहीन वर्गों को जमीन उपलब्ध कराने में भी यह योजना प्रभावी होगी।
भूमि सर्वेक्षण: सरकारी परियोजनाओं के लिए मील का पत्थर
बिहार सरकार ने भूमि सर्वेक्षण को प्राथमिकता दी है, क्योंकि यह राज्य में कई बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं (Infrastructure Projects) के लिए आवश्यक है। एसीएस ने बताया कि सरकार की कई योजनाएं, जैसे कि सड़क निर्माण, औद्योगिक कॉरिडोर और रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) प्रोजेक्ट्स, भूमि की उपलब्धता पर निर्भर हैं।
इस सर्वेक्षण से भूमि अधिग्रहण और आवंटन की प्रक्रिया में तेजी आएगी, जिससे राज्य के विकास कार्यों को गति मिलेगी।
पारदर्शिता और तकनीक का उपयोग
भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया में पारदर्शिता और तकनीक का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। इसके तहत ड्रोन सर्वेक्षण (Drone Survey) और सैटेलाइट इमेजिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि भूमि रिकॉर्ड्स में कोई त्रुटि न हो और इसे समयबद्ध तरीके से पूरा किया जा सके।
सरकार का वादा: समय सीमा और प्रक्रिया पर ध्यान
बिहार सरकार ने जनता को आश्वस्त किया है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और समयबद्ध होगी। 2026 तक इसे पूरा करने के लिए सभी आवश्यक संसाधनों का उपयोग किया जाएगा।
FAQs
1. बिहार में भूमि सर्वेक्षण कब तक पूरा होगा?
जुलाई 2026 तक भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है।
2. बिहार में आखिरी भूमि सर्वेक्षण कब हुआ था?
बिहार में आखिरी भूमि सर्वेक्षण 1911 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ था।
3. भूमि सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इसका मुख्य उद्देश्य डिजिटल भूमि रिकॉर्ड्स तैयार करना और भूमि विवादों को खत्म करना है।
4. कौन-कौन सी तकनीकें भूमि सर्वेक्षण में उपयोग हो रही हैं?
ड्रोन सर्वेक्षण और सैटेलाइट इमेजिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।
5. राज्य में कितने जिलों में भूमि सर्वेक्षण हो चुका है?
20 जिलों (5,657 गांवों) में सर्वेक्षण लगभग पूरा हो चुका है।
6. बिहार सरकार भूमि विवादों को कैसे कम कर रही है?
डिजिटल भूमि रिकॉर्ड्स तैयार करके और सर्वेक्षण के माध्यम से भूमि विवादों को कम किया जा रहा है।
7. भूमि सर्वेक्षण से राज्य को क्या लाभ होंगे?
यह भूमि विवादों को खत्म करेगा, भूमि रिकॉर्ड्स में पारदर्शिता लाएगा और विकास परियोजनाओं के लिए भूमि उपलब्ध कराएगा।
8. क्या भूमि सर्वेक्षण से अपराधों में कमी आई है?
हां, भूमि विवादों के कारण होने वाले अपराधों की दर 60 प्रतिशत से घटकर 46.69 प्रतिशत हो गई है।