उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के फाइनल ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी है। यह ऐतिहासिक कदम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में दिए गए निर्देश सिद्धांतों के अनुपालन में है, जो सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की वकालत करता है। यूनिफॉर्म सिविल कोड का उद्देश्य समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित करना है। इसे 6 फरवरी को राज्य विधानसभा में पेश किया जाएगा।
UCC ड्राफ्ट की खास बातें
इस ड्राफ्ट में कई प्रगतिशील और समानता आधारित प्रावधान शामिल हैं। इसमें संपत्ति अधिकार, विवाह, तलाक और उत्तराधिकार से जुड़े पहलुओं को समान रूप से लागू करने की बात कही गई है। खास बात यह है कि अवैध संबंधों से जन्मे बच्चों को भी समान संपत्ति अधिकार देने का प्रावधान इस ड्राफ्ट में शामिल है।
संपत्ति अधिकार में बड़ा बदलाव
यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत प्रस्तावित प्रावधानों में अवैध संबंधों से जन्मे बच्चों को समान संपत्ति अधिकार देने की बात कही गई है। यह एक बड़ा सामाजिक सुधार माना जा रहा है, जो बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करेगा और उन्हें समाज में समान दर्जा दिलाएगा।
विवाह और तलाक में समानता
ड्राफ्ट में शादी और तलाक के लिए समान कानून लागू करने का प्रस्ताव है। सभी धर्मों और समुदायों के लोगों के लिए एक ही कानून के तहत विवाह और तलाक के प्रावधान होंगे। यह कदम महिलाओं और पुरुषों को समान अधिकार देने और लैंगिक समानता स्थापित करने की दिशा में बड़ा बदलाव है।
धर्म-निरपेक्षता का आधार
यूनिफॉर्म सिविल कोड का उद्देश्य धर्म-निरपेक्ष आधार पर सभी नागरिकों को एक समान कानून प्रदान करना है। इसमें धर्म, जाति और लिंग के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाएगा।
विधानसभा में क्यों है यह कदम अहम?
6 फरवरी को विधानसभा में इस ड्राफ्ट को पेश किया जाएगा। इसके बाद, यह देखा जाएगा कि अन्य राजनीतिक दल और विधायकों की प्रतिक्रिया क्या होती है। UCC लागू होने से उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन सकता है जो इस कानून को पूरी तरह लागू करेगा। यह कदम राज्य सरकार के चुनावी वादे का भी हिस्सा है, जिसे पूरा करने का दावा मुख्यमंत्री धामी ने किया है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड पर समाज की राय
यूनिफॉर्म सिविल कोड पर समाज में बहस जारी है। समर्थक इसे प्रगतिशील कदम मानते हैं, जबकि विरोधियों का तर्क है कि यह विभिन्न धार्मिक समूहों की परंपराओं और रीति-रिवाजों को खत्म कर सकता है। हालांकि, उत्तराखंड सरकार का कहना है कि यह कदम समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित करेगा।
विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि UCC लागू करना एक जटिल प्रक्रिया है, लेकिन यह भारतीय समाज को आधुनिक और समानता आधारित बनाने में मदद करेगा। संपत्ति अधिकारों में बदलाव और विवाह व तलाक के लिए समान कानून लागू करने जैसे प्रावधान भारतीय न्याय व्यवस्था में सुधार ला सकते हैं।
उत्तराखंड UCC: पूरे देश के लिए उदाहरण?
अगर उत्तराखंड में UCC लागू होता है, तो यह पूरे देश के लिए एक मॉडल के रूप में देखा जाएगा। कई राज्यों ने पहले ही UCC लागू करने की इच्छा जताई है, और उत्तराखंड का यह कदम उन राज्यों को प्रेरित कर सकता है।
FAQs
Q1: यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) क्या है?
UCC सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक कानून लागू करने का प्रावधान है, जिसमें विवाह, तलाक, संपत्ति अधिकार और उत्तराधिकार शामिल होते हैं।
Q2: UCC लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य क्यों है?
उत्तराखंड की सरकार ने अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए UCC का ड्राफ्ट तैयार किया और इसे मंजूरी दी, जो इसे लागू करने वाला पहला राज्य बना सकता है।
Q3: UCC के मुख्य प्रावधान क्या हैं?
इसके प्रावधानों में विवाह, तलाक, संपत्ति अधिकार, और अवैध संबंधों से जन्मे बच्चों को समान संपत्ति अधिकार देना शामिल है।
Q4: क्या UCC धर्मनिरपेक्ष है?
हां, UCC धर्म, जाति और लिंग के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करता और सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करता है।
Q5: क्या UCC लागू होने से परंपराएं खत्म हो जाएंगी?
UCC का उद्देश्य परंपराओं को खत्म करना नहीं, बल्कि न्याय और समानता स्थापित करना है। हालांकि, इसे लागू करने में धार्मिक समूहों के साथ संवाद आवश्यक है।
Q6: UCC के फायदे क्या हैं?
यह समाज में समानता, लैंगिक न्याय और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा। साथ ही, सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करेगा।
Q7: क्या UCC पर विवाद है?
हां, इसे लेकर विभिन्न समुदायों और संगठनों में मतभेद हैं। समर्थक इसे आधुनिक समाज के लिए आवश्यक मानते हैं, जबकि कुछ समूह इसे परंपराओं के खिलाफ मानते हैं।
Q8: क्या अन्य राज्य भी UCC लागू करेंगे?
उत्तराखंड के बाद अन्य राज्य भी इसे लागू करने पर विचार कर सकते हैं, विशेष रूप से वे राज्य जहां समान नागरिक कानून की मांग बढ़ रही है।