भारत में महिलाओं के संपत्ति अधिकारों को लेकर अक्सर भ्रम बना रहता है। बॉम्बे हाई कोर्ट की गोवा बेंच ने हाल ही में यह स्पष्ट किया कि शादी के बाद भी महिला का मायके की संपत्ति पर अधिकार खत्म नहीं होता। यह फैसला महिलाओं को उनके वित्तीय और संपत्ति अधिकारों के प्रति जागरूक करने का एक बड़ा कदम है। इस आर्टिकल में हम महिलाओं के विभिन्न संपत्ति अधिकारों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
मायके की संपत्ति पर महिला का अधिकार
खुद अर्जित संपत्ति
यदि संपत्ति व्यक्ति द्वारा खुद अर्जित की गई है और उसने वसीयत नहीं बनाई, तो वह संपत्ति उनके बेटों और बेटियों में समान रूप से बांटी जाएगी। मरने वाले व्यक्ति के पति/पत्नी और मां को भी इस संपत्ति पर अधिकार मिलेगा। लेकिन अगर वसीयत बनाकर संपत्ति किसी एक व्यक्ति को दी जाती है, तो केवल वही व्यक्ति उसका उत्तराधिकारी होगा।
पैतृक संपत्ति
हिंदू सक्सेशन एक्ट, 1956 के तहत पहले पैतृक संपत्ति में केवल बेटों को अधिकार दिया गया था। 2005 के संशोधन के बाद बेटियों को भी बराबर का अधिकार मिलने लगा। अब शादीशुदा बेटी और गोद लिए गए बच्चों को भी समान अधिकार दिया गया है। हालांकि, पैतृक संपत्ति के मामले में वसीयत नहीं बनाई जा सकती।
ससुराल की संपत्ति पर महिला का अधिकार
पति की खुद अर्जित संपत्ति
पति की खुद अर्जित संपत्ति में पत्नी का क्लास वन एअर (Class 1 Heir) के तौर पर अधिकार होता है। यदि पति की मौत बिना वसीयत के होती है, तो संपत्ति सभी क्लास वन उत्तराधिकारियों में समान रूप से बांटी जाएगी।
पैतृक संपत्ति
अगर पति की पैतृक संपत्ति है, तो पत्नी को उसमें अधिकार नहीं मिलेगा। लेकिन ससुराल के घर से पत्नी को निकाला नहीं जा सकता। पति की मौत के बाद महिला को ससुराल वालों से मेंटेनेंस का अधिकार है, जिसका निर्धारण कोर्ट महिला और परिवार की आर्थिक स्थिति के आधार पर करता है।
तलाक के बाद महिला के अधिकार
भरण-पोषण
हिंदू मैरिज एक्ट के तहत तलाक के दौरान महिला अपने पति से भरण-पोषण की मांग कर सकती है। यह वन-टाइम सेटलमेंट या मासिक भत्ता हो सकता है।
बच्चों का अधिकार
तलाक के बाद बच्चों को उनके पिता की संपत्ति पर पूरा अधिकार मिलता है। यदि पति-पत्नी की कोई संपत्ति जॉइंटली ओन की गई हो, तो तलाक के समय वह बराबर बांटी जाएगी।
स्त्रीधन पर महिला का अधिकार
शादी के दौरान और बाद में महिला को जो भी गिफ्ट, कैश, गहने, या अन्य संपत्ति मिलती है, उस पर महिला का पूरा अधिकार होता है। यदि उसे इसके अधिकार से वंचित किया जाता है, तो वह डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट के तहत शिकायत कर सकती है।
मुस्लिम महिलाओं के संपत्ति अधिकार
मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत महिला का पति की प्रॉपर्टी पर अधिकार तय है। यदि बच्चा है, तो पत्नी को प्रॉपर्टी का 1/8 हिस्सा मिलेगा। बच्चे न होने पर यह हिस्सा 1/4 होगा। इसके अलावा, शादी के समय तय मेहर पर भी महिला का पूरा अधिकार होता है।
ईसाई और पारसी महिलाओं के संपत्ति अधिकार
ईसाई और पारसी महिलाओं के संपत्ति अधिकार इंडियन सक्सेशन एक्ट, 1925 के तहत आते हैं। यदि पति की मौत हो जाती है और बच्चे हैं, तो महिला को संपत्ति का 1/3 हिस्सा मिलेगा। बच्चों और करीबी रिश्तेदारों के न होने पर महिला को पूरी प्रॉपर्टी दी जाएगी।
पारसी धर्म में संपत्ति में लिंग आधारित भेदभाव नहीं है। पति और पत्नी को समान अधिकार मिलते हैं।
FAQs
1. क्या शादी के बाद बेटी का मायके की संपत्ति पर अधिकार खत्म हो जाता है?
नहीं, बेटी का मायके की संपत्ति पर अधिकार बरकरार रहता है, चाहे उसकी शादी हो चुकी हो।
2. पति की पैतृक संपत्ति में पत्नी का क्या अधिकार है?
पति की पैतृक संपत्ति में पत्नी का कोई हिस्सा नहीं होता, लेकिन वह ससुराल के घर में रहने की हकदार है।
3. तलाक के बाद पत्नी को क्या अधिकार मिलते हैं?
तलाक के बाद महिला पति से भरण-पोषण और बच्चों के लिए आर्थिक सहायता की मांग कर सकती है।
4. स्त्रीधन पर महिला का क्या अधिकार है?
शादी से पहले, शादी के दौरान, और शादी के बाद जो भी स्त्रीधन मिलता है, वह महिला की संपत्ति होती है।
5. मुस्लिम महिला का पति की संपत्ति पर कितना अधिकार है?
मुस्लिम महिला को पति की संपत्ति का 1/8 हिस्सा मिलता है, यदि बच्चे हैं। बच्चों के न होने पर यह हिस्सा 1/4 हो जाता है।
6. हिंदू बेटी को पैतृक संपत्ति में क्या अधिकार है?
हिंदू बेटी को पैतृक संपत्ति में बेटे के बराबर अधिकार है।
7. क्या ससुराल से महिला को निकाला जा सकता है?
नहीं, पति की मौत के बाद भी महिला को ससुराल के घर से निकाला नहीं जा सकता।
8. ईसाई महिलाओं को पति की संपत्ति पर कितना अधिकार है?
ईसाई महिला को पति की संपत्ति का 1/3 हिस्सा मिलता है, यदि बच्चे हैं। बच्चों के न होने पर वह आधी संपत्ति की हकदार होती है।