भारत में कितने प्रकार के चुनाव होते हैं? | Bharat me kitne prakar ke chunav hote hai

देश में लोकतंत्र का होना बहुत ही जरुरी है और भारत को तो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश कहा जाता है, लोकतंत्र से ही देश में कार्यप्रणाली चलती है, कौनसी सरकार देश में रहेगी इसका फैसला चुनाव करके लिया जाता है। देश या राज्य के लिए कोई भी सरकार चुनने के से पूर्व चुनाव ... Read more

Photo of author

Reported by Saloni Uniyal

Published on

देश में लोकतंत्र का होना बहुत ही जरुरी है और भारत को तो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश कहा जाता है, लोकतंत्र से ही देश में कार्यप्रणाली चलती है, कौनसी सरकार देश में रहेगी इसका फैसला चुनाव करके लिया जाता है।

देश या राज्य के लिए कोई भी सरकार चुनने के से पूर्व चुनाव कराए जाते है। हम आपको भारत में कितने प्रकार के चुनाव होते है इसके बारे में बताएंगे।

भारत में कितने प्रकार के चुनाव होते हैं? | Bharat me kitne prakar ke chunav hote hai
भारत में कितने प्रकार के चुनाव होते हैं?

भारत में चुनाव हमेशा सरकार के पांच साल पूरे होने पर किए जाते है तथा सरकार का गठन बहुमत के आधार पर किया जाता है।

देश के राज्यों में सरकार का गठन करने के लिए विधानसभा चुनाव द्वारा चुनाव किये जाते है तथा केंद्र सरकार के गठन के लिए लोकसभा का चुनाव होता है।

व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp

आज हम आपको इस आर्टिकल में भारत में कितने प्रकार के चुनाव होते हैं? | Bharat me kitne prakar ke chunav hote hai के बारे में आपके साथ जानकारी साझा करेंगे।

Bharat me kitne prakar ke chunav hote hai?

भारत देश में हर साल चुनाव किये जाते है किसी भी राज्य में चुनाव तब किये जाते है जब सरकार को पांच साल पूरे हो जाते है तब ही किसी भी राज्य में चुनाव लड़े जाते है।

आपको बता दे केंद्र और राज्य को जब मिलाया जाता है तो ये एक संघीय ढांचा कहलाता है। इसमें चुनाव कराये जाते है यह जो चुनाव करते है वह ब्लॉक, जिले तथा राज्य में संपन्न किये जाते है।

जब चुनाव शुरू होते है तो एक राज्य की सरकार बनने के लिए अलग-अलग पार्टियां चुनावों को लड़ती है। इसमें देश की जनता अपनी मुख्य भागीदारी निभाती है।

भारत में चयनित सरकार की संरचना का होना बहुत जरुरी है। इससे देश में सरकार द्वारा सही रूप से गए कार्य और भूमिका का पता है। जनता इसमें अपनी मुख्य भागीदारी निभाती है। प्रजा चुनाव में प्रत्यक्ष भागीदारी निभाने के साथ अप्रत्यक्ष भी अदा करती है।

देश के हर राज्य में स्थानीय स्तर पर भी चुनाव होते है ये तीसरी तरह के चुनाव की श्रेणी में आते है। इनको चार भागो में बांटा गया है।

इसमें आकार और जनसँख्या के आधार पर हर एक क्षेत्र को बांटा गया है और इस आधार पर प्रक्रिया को पूर्ण किया जाता है। नीचे निम्न चुनावों के बारे में बताया गया है।

लोकसभा

व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp

देश में लोकसभा सबसे महत्वपूर्ण चुनाव कहा जाता है। लोकसभा देशव्यापी स्तर पर कहे तो ये ही सबसे बड़े चुनाव होते है। चुनाव द्वारा ही देश में नयी सरकार का चुनाव किया जाता है।

इन चुनाव में देश के राज्य के अलग-अलग सांसदों को लोकसभा के लिए चुना जाता है और लोकसभा संसद में बैठाया जाता है।

लोकसभा में सांसदों की करीबन 543 शीट है। और इन शीटों के अधिकार अलग-अलग होते है। और इन सांसदों की शीट में चुने गए व्यक्ति सांसद का Representation होता है।

ये चुनाव भी हर चुनाव की तरह पांच साल में शुरू होते है। पिछली बार 2019 में लड़े गए थे उस समय चुनाव भाजपा पार्टी द्वारा जीता गया था मतलब भाजपा पार्टी से अधिक सांसद चुने गए थे।

भारत की राजधानी दिल्ली में लोकसभा भवन स्थित है, इसी लोकसभा भवन में सांसदों की मीटिंग होती है। लोकसभा में बहुमत के आधार पर मंत्री चुने जाते है।

इनमे मंत्रालय का प्रभार भी है इसमें से कुछ मुख्य मंत्रालय निम्नलिखित है जैसे- बल विकास, उद्योग, सड़क परिवहन, गृह, शिक्षा, वित्त, रेलवे तथा विदेश मंत्रालय आदि।

अब जो ये मंत्री और लोकसभा के सांसद होते है इनके द्वारा प्रधानमंत्री का चुनाव किया जाता है और वो ही देश का प्रधानमंत्री बनता है।

राज्यसभा

आपने अभी पढ़ा जिस तरह से लोकसभा के चुनाव पूर्ण किये जाते है इसमें जो प्रत्यक्ष भागीदारी होती है वह भारत की जनता की होती है। मतलब देश की ही जनता अपने क्षेत्र का सांसद चुनती है यानी उससे चुनने का अधिकार होता है।

राज्यसभा के जो चुनाव होते है वह लोकसभा से बहुत अलग होते है। मतलब यह चुनाव पाँच वर्ष पूरे होते ही नहीं बल्कि 6 वर्ष में लड़े जाते है। ये चुनाव सांसदों के कार्यकाल के आधार पर सुनिश्चित किये जाते है।

अर्थात जो राज्य सभा के चुनाव 6 साल में होते है उनको एक ही बार में पूरा नहीं कराया जाता। जो कोई भी व्यक्ति जो सांसद के लिए चयनित होता है या उसका चयन हो जाता है जब उसका कार्यकाल 6 साल का पूरा हो जाता है तो फिर से चुनाव होते है तो उन चुनाव में दूसरे व्यक्ति को सांसद के लिए चयनित किया जाता है।

ये जो चुनाव होते है वो व्यक्ति के कार्यकाल पूर्ण होने पर किये जाते है ना की संसद के अनुसार पूर्ण होते है।

राज्य सभा को देश की ऊपरी सदन कहा जाता है इसमें कुल सांसद करीबन 250 होते है जो राज्य सभा में बैठते है। इनका जो चुनाव किया जाता है उसमे जनता की कोई भागीदारी नहीं होती है इसमें सारा काम विधायकों द्वारा किया जाता है।

इसमें राज्य का जनसँख्या घनत्व व जनसंख्या के आधार पर चुनाव होते है करीबन 15 से 30 विधायक आपस में बैठ कर एक राज्य के सांसद का चुनाव करते है। और चुने गए सांसद को ही राज्य सभा का सदस्य कहा जाता है। इन चुनाव में जनता की अप्रत्यक्ष भागीदारी देखने को मिलती है।

विधानसभा

अभी तक हमने लोकसभा और राजयसभा के दोनों चुनाओं के विषय में जानकारी ली जो की देशव्यापी स्तर पर किये जाते है।

अब हम इसमें राज्य स्तर पर होने वाले चुनाव के बारे में जानकारी जानेंगे। जैसे देश की बागडोर प्रधानमंत्री के पास होती है वही पूरे देश का प्रतिनिधित्व करता है उसी प्रकार प्रत्येक राज्य को सँभालने के लिए उसका प्रतिनिधित्व करने के लिए एक व्यक्ति सांसद की आवश्यकता होती है उस सांसद को मुख्यमंत्री कहते है।

आपको बता दे प्रत्येक राज्य की जो राजधानी होती है वह उस राज्य की एक विधानसभा भी कहलाती है। जिले तथा नगर के आधार पर एक एक विधायक को चयनित किया जाता है।

इसमें जिन विधायको का चयन होता है वह राज्य की जनसँख्या व घनत्व के आधार पर चुने जाते है। जैसे कई राज्यों विधान सभा के सदस्य संख्या 200 है तो किसी राज्य में सदस्य संख्या 300 है आदि।

अतः हर पाँच वर्ष में राज्य के नगर और क्षेत्र के लिए विधायक का चुनाव किया जाता है तथा ये उस विधान सभा में बैठते है। अब जो विधायक चुने होते है इनके बहुमतों द्वारा एक व्यक्ति को प्रधान विधायक के लिए चयनित किया जाता है इस प्रधान विधायक को ही मुख्यमंत्री कहा जाता है। ये मुख्यमंत्री ही राज्य की बागडोर संभालता है।

विधान परिषद

जिस प्रकार देश में लोकसभा और विधान सभा होती है उसी प्रकार प्रत्येक राज्य में विधान परिषद होता है। परन्तु यह सटीक तरीके से नहीं कहा जा सकता की हर एक राज्य में विधान परिषद हो। विधान परिषद पूरे तरीके से राज्य की सरकार पर आश्रित रहती है राज्य सरकार द्वारा ही निर्णय लिया जाता है की राज्य में विधान परिषद का गठन होगा की नहीं होगा।

देश के सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व राज्य सभा द्वारा ही किया जाता है ठीक इसी प्रकार विधान परिषद द्वारा महानगरों एवं जिलों का प्रतिनिधित्व किया जाता है।

भारत में कई राज्यों में आपको विधान परिषद देखने को मिलेगी इन विधान सभा को कभी भी किसी भी समय में बना दिया जाता है तथा भंग भी किया जा सकता है। इसमें को निर्देश नीतियां नहीं बनायीं गयी है। यह सब राज्य की सरकार की इच्छा पर किया जाता है।

स्थानीय स्तर पर जिन नेता और विधायकों का चुनाव किया जाता है उनके द्वारा ही विधान परिषद के सदस्यों का चुनाव किया जाता है।

ये भी एक अप्रत्यक्ष चुनाव होता है जो विधान सभा की तरह होता है। इन चुनाव में जनता भाग नहीं लेती है। जिस तरह जनता द्वारा ब्लॉक प्रमुख, स्थानीय अभिनेता, ग्राम प्रधान, विधायक तथा सभापति आदि का चुनाव होता है तब इनके द्वारा ही विधान परिषद के सदस्यों का चुनाव किया जाता है।

स्थानीय निकाय व पंचायत

अभी तक आपने देश एवं राज्य स्तर पर होने वाले चुनाव के बारे में पढ़ा अब हम स्थानीय निकाय व पंचायत स्तर पर होने वाले चुनाव के बारे में जानेंगे।

ये भी देश के घनत्व व जनसंख्या के आधार पर होते है इनको चार भागो में बांटा हुआ है। यह इसलिए विभाजित किया जाता है क्योंकि कही तो महानगर है तो कहि बड़े शहर तो कही छोटे शहर है तथा पूरे देश में गांव भी है जहाँ जनता रहती है।

और जनता को ही अपने नेता चुनने का अधिकार है। हम आपको यहां पर स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाओं के बारे में बताएँगे।

नगर निगम या महानगर पालिका

स्थानीय निकाय में होने वाले चुनाव में नगर निगम के चुनाव बहुत मेन होते है। ये चुनाव मुख्य रूप से बड़े-बड़े शहरों और अधिक घनत्व वाले शहरों में लिए जाते है।

यदि किसी भी जिले व नगर में जनसँख्या 10 लाख से अधिक होती है तो इसमें जो चुनाव होता है वह नगर निगम में होता है। चुनाव कराने के लिए नगरों में कई तरह के वार्ड अलग-अलग किये जाते है।

इन वार्डो का विभाजन कर इनमे राजनेता चुनाव लड़ते है और वार्ड पार्षद का चुना जाता है जिसे जनता चुनती है। उसके बाद पार्षद मिलकर महापौर और मेयर चुनते है जिसे नगर निगम का मेयर कहा जाता है। मेयर का कार्याकाल और चुनाव की ही तरह पांच सालों का होता है। विधायक से अधिक महापौर को शक्तियां प्रदान है।

नगर पालिका तथा नगर परिषद एवं नगर पालिका परिषद

स्थानीय निकाय में होने वाले चुनाव में नगर निगम के चुनाव के बाद नगर पालिका के चुनाव की बारी आती है। इसे नगर परिषद के नाम से भी जाना जाता है परन्तु इसे एक ही नाम से नहीं बल्कि विभिन्न राज्यों में अलग नाम से बुलाया जाता है। इसमें नगर पालिका तथा नगर परिषद आवश्यक है।

इसमें भी जिन शहरों में घनत्व व जनसँख्या दस लाख से से निम्न होती है उन शहरों में नगर पालिका के चुनाव कराये जाते है।

इनमे भी आपको नगर निगम की तरह ही वार्डो के विभाजन बंटे हुए दिखाई देते है। इसमें भी वार्ड व्यक्तियों के द्वारा किसी एक व्यक्ति को पार्षद चुना जाता है।

इसको ही नगरपालिका सभापति या चैयरमेन भी कहते है। इनका कार्याकाल नहीं हर चुनाव की तरह पांच सालों में कराया जाता है।

नगर पंचायत

नगर पंचायत का चुनाव कस्बो या डिस्ट्रिक की तहसील में कराये जाते है। इनको हम छोटे शहर भी कहा जाता है। इसमें भी जिन शहरों में घनत्व व जनसँख्या 20,000 से अधिक होना चाहिए तथा एक लाख से से निम्न होती है उन शहरों में नगर पंचायत के चुनाव कराये जाते है।

इसे पहले नगर पालिका के नाम से बुलाया करते थे परन्तु अब इसे नगर पंचायत के नाम से बुलाया जाता है।

ग्राम पंचायत

नगर पंचायत चुनाव की जानकारी जानने के बाद अब हम आपको ग्राम पंचायत चुनाव के विषय में जानकारी देंगे।

भारत में राज्य है और राज्यों में जिले है जिलों में कहे तो ब्लॉक आते है और इन सब में चुनाव कराये जाते है और जिस प्रकार इनमे चुनाव होते है तो साफ सीधी बात है गांव में चुनाव प्रक्रिया पूर्ण की जाती है।

लोगो द्वारा अपना नेतृत्व कर चुनाव पूरे कराये जाते है गांव में जो चुनाव होते है वो पंचो के होते है। गांव में इनको पंचायत सदस्य के रूप में चुना जाता है। चुने गए सदस्यों में से एक व्यक्ति को चुनकर प्रधान या कहे सरपंच कहा जाता है।

भारत में कितने प्रकार के चुनाव होते हैं? से सम्बंधित प्रश्न/उत्तर

लोकसभा में कितनी सीटे होती है?

लोकसभा में 543 सीटे होती है।

लोकसभा में कौन से राज्य में सबसे कम सीट है?

सबसे कम सीटें अरुणाचल प्रदेश में है जो की 2 है।

भारत की संसद में कितने सदन है?

भारत की संसद में 2 सदन है पहला लोकसभा और दूसरा राजयसभा।

नगर पंचायत को पहले किस नाम से बुलाया जाता था?

नगर पंचायत को पहले नगर पालिका के नाम से बुलाया जाता था।

Photo of author

Leave a Comment