भारत में मकान मालिकों को अब अपने घर किराए पर देने में पहले से अधिक सावधानी बरतनी होगी। केंद्र सरकार ने हाल ही में कुछ नए नियम और कर संबंधी शर्तें लागू की हैं, जो किराए पर मकान देने को कठिन बना रही हैं। मकान मालिकों को अब अपनी किराए से होने वाली आय को सही तरीके से घोषित करना होगा और इनकम टैक्स के नए प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य होगा।
आसान नहीं होगा अब किराए पर घर देना
सरकार ने मकान मालिकों के लिए कुछ कड़े नियम लागू किए हैं, जिनका पालन करना अब अनिवार्य हो गया है। मकान मालिकों द्वारा टैक्स चोरी और किराए की आय को गलत तरीके से घोषित करने की घटनाओं को रोकने के लिए ये कदम उठाए गए हैं। नए नियमों के तहत, किराए पर दी गई संपत्ति से होने वाली आय को इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी के रूप में घोषित करना अनिवार्य होगा।
कैसे बढ़ेंगी मकान मालिकों की मुश्किलें?
सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-2025 के बजट में यह स्पष्ट किया है कि किराए की आय पर टैक्स भरना अनिवार्य होगा। पहले कई मकान मालिक बिना रेंट एग्रीमेंट के घर किराए पर देकर टैक्स बचाते थे, लेकिन अब ऐसा संभव नहीं होगा। नए नियमों के तहत:
- मकान मालिकों को टैक्स रिटर्न फाइल करते समय किराए से हुई पूरी आय घोषित करनी होगी।
- टैक्स चोरी की स्थिति में भारी पेनल्टी लगाई जाएगी।
- टैक्स बचाने के लिए रेंट एग्रीमेंट और किराए की वास्तविक आय को दर्ज करना होगा।
क्या है ‘इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी’?
इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी एक ऐसी कर नीति है जिसके तहत मकान मालिकों को किराए पर दी गई संपत्ति से होने वाली आय पर टैक्स चुकाना पड़ता है।
पहले कई मकान मालिक इस आय को छिपाकर या कम दिखाकर टैक्स से बच जाते थे। अब, सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि ऐसा न हो। हर मकान मालिक को टैक्स रिटर्न में किराए से होने वाली वास्तविक आय को दर्ज करना होगा।
कब से लागू होगा नया नियम?
यह नया नियम वित्तीय वर्ष 2024-2025 से लागू किया गया है। इसका पालन करते हुए मकान मालिकों को टैक्स रिटर्न में अपनी प्रॉपर्टी से होने वाली आय को सही से घोषित करना होगा।
अगर कोई मकान मालिक ऐसा करने में विफल रहता है, तो उसे जुर्माना भरना पड़ेगा।
मकान मालिकों को मिलेगी कुछ राहत
सरकार ने मकान मालिकों को टैक्स संबंधी नई शर्तों के साथ कुछ राहत भी दी है।
- प्रॉपर्टी से हुई आय पर 30% तक टैक्स छूट का प्रावधान रखा गया है।
- यह छूट मकान मालिकों को किराए की आय में से मरम्मत और अन्य खर्चों को घटाने की अनुमति देती है।
- इस छूट का लाभ उठाकर मकान मालिक अपने कर दायित्व को कम कर सकते हैं।
सरकार का उद्देश्य और संभावित प्रभाव
इन नियमों का मुख्य उद्देश्य टैक्स चोरी की घटनाओं को रोकना और सरकारी राजस्व में वृद्धि करना है। सरकार चाहती है कि हर नागरिक टैक्स कानूनों का पालन करे और राष्ट्रीय विकास में योगदान दे।
इन कड़े नियमों से:
- टैक्स चोरी में कमी आएगी।
- मकान मालिकों की वित्तीय पारदर्शिता बढ़ेगी।
- सरकारी खजाने को पर्याप्त आय प्राप्त होगी।
हालांकि, मकान मालिकों को इन नियमों का पालन करते हुए अधिक सतर्क रहना होगा और अपनी आय का सही हिसाब-किताब रखना होगा।
1. नए नियम कब से लागू होंगे?
नए नियम वित्तीय वर्ष 2024-2025 से लागू किए गए हैं और टैक्स रिटर्न फाइल करते समय इनका पालन करना अनिवार्य है।
2. क्या होगा अगर मकान मालिक टैक्स नहीं चुकाता?
अगर कोई मकान मालिक अपनी आय को सही तरीके से घोषित नहीं करता, तो उसे पेनल्टी और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
3. टैक्स रिबेट का लाभ कैसे मिलेगा?
मकान मालिक अपनी प्रॉपर्टी से होने वाली आय पर मरम्मत और अन्य खर्चों को घटाकर 30% तक की टैक्स छूट का लाभ उठा सकते हैं।
4. क्या रेंट एग्रीमेंट बनाना अब अनिवार्य है?
जी हां, टैक्स नियमों का पालन करने और आय की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए रेंट एग्रीमेंट बनाना आवश्यक हो गया है।
5. मकान मालिकों को अपनी आय कहां और कैसे घोषित करनी होगी?
मकान मालिकों को अपनी प्रॉपर्टी से होने वाली आय को टैक्स रिटर्न में इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी के रूप में घोषित करना होगा।
6. क्या यह नियम सभी मकान मालिकों पर लागू होता है?
हां, यह नियम सभी मकान मालिकों पर लागू होता है जो अपनी प्रॉपर्टी से किराए की आय अर्जित करते हैं।
7. टैक्स चोरी के मामलों को सरकार कैसे रोकेगी?
सरकार ने इनकम टैक्स रिटर्न में किराए की आय को सही तरीके से दर्ज करना अनिवार्य किया है और ऐसा न करने पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
8. क्या इन नियमों से किराए पर मकान देना मुश्किल हो जाएगा?
मकान मालिकों को अपनी वित्तीय स्थिति का सही हिसाब रखना होगा, लेकिन कुछ टैक्स रियायतों के साथ यह प्रक्रिया संतुलित की गई है।