Property: आपके हिस्से की जमीन भी बेच रहा हिस्सेदार, यहाँ करें शिकायत तुरंत होगी सुनवाई और कार्रवाई भी

अगर आप भी जॉइंट ओनरशिप में फंसे हैं और प्रॉपर्टी बेचने की समस्या का सामना कर रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए है। जानें कानूनी तरीके से कैसे समाधान पाएं और स्टे एप्लीकेशन से कैसे बचा सकते हैं अपने हिस्से की प्रॉपर्टी

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Reported by Saloni Uniyal

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Property: आपके हिस्से की जमीन भी बेच रहा हिस्सेदार, यहाँ करें शिकायत तुरंत होगी सुनवाई और कार्रवाई भी
Property: आपके हिस्से की जमीन भी बेच रहा हिस्सेदार, यहाँ करें शिकायत तुरंत होगी सुनवाई और कार्रवाई भी

प्रॉपर्टी की खरीदारी आजकल बहुत महंगी हो चुकी है, और अक्सर लोग इसे खरीदने के लिए मिलकर पैसे लगाते हैं। इस प्रक्रिया में प्रॉपर्टी के मालिकानें का अधिकार एक से ज्यादा व्यक्तियों के पास होता है, जिसे ‘जॉइंट ओनरशिप’ या साझा मालिकाना हक कहा जाता है। ऐसे में प्रत्येक को प्रॉपर्टी पर कब्जे का अधिकार, उपयोग करने का अधिकार और यहां तक कि उसे बेचने का अधिकार भी होता है। लेकिन कई बार यह विवादों का कारण बन सकता है, खासकर तब जब कोई एक हिस्सेदार पूरी प्रॉपर्टी को बेचने की कोशिश करता है। इस स्थिति में कानूनी पहलुओं के बारे में जानकारी होना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है।

सब-रजिस्ट्रार के पास शिकायत का तरीका

अक्सर देखा जाता है कि लोग अपने प्रॉपर्टी विवादों के मामले में सबसे पहले सब-रजिस्ट्रार का दरवाजा खटखटाते हैं। सब-रजिस्ट्रार का काम रजिस्ट्री करना होता है, और बहुत से लोग मानते हैं कि यहां आवेदन करने से उनके मामले पर सुनवाई होगी। हालांकि, यह एक सामान्य भ्रांति है। सब-रजिस्ट्रार का कार्य विवादों का समाधान करना नहीं है। वह केवल डीड को रजिस्टर्ड करने का अधिकारी होता है, और उसका काम सरकार के लिए रेवेन्यू जेनरेट करना है। अगर किसी जॉइंट ओनरशिप में विवाद हो तो सब-रजिस्ट्रार इसे हल नहीं कर सकता।

पुलिस थाने में शिकायत का असर

कुछ लोग यह समझते हैं कि पुलिस थाने में जाकर भी वे अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं, लेकिन पुलिस का कार्य भी इस मामले में सीमित होता है। पुलिस केवल आपको और दूसरे हिस्सेदार को समझाने का प्रयास कर सकती है, लेकिन वह आपको कानूनी रूप से आपके हिस्से की प्रॉपर्टी बेचने से रोक नहीं सकती। पुलिस के पास ऐसे विवादों को सुलझाने का कोई अधिकार नहीं होता है, और उनका दखल केवल तब हो सकता है जब विवाद हिंसक रूप धारण कर ले या हाथापाई जैसी स्थिति उत्पन्न हो।

सिविल कोर्ट में अर्जी दाखिल करना

प्रॉपर्टी के जॉइंट ओनरशिप विवादों में सबसे प्रभावी तरीका है सिविल कोर्ट में अर्जी दाखिल करना। सिविल कोर्ट में प्रॉपर्टी के बंटवारे को लेकर एक केस दायर किया जा सकता है, जिसके माध्यम से विवाद को हल किया जा सकता है। अगर किसी हिस्सेदार को यह डर है कि उसका साथी प्रॉपर्टी को जल्दी बेच सकता है, तो वह सिविल कोर्ट में स्टे एप्लीकेशन भी दायर कर सकता है। इस एप्लीकेशन पर कोर्ट तत्काल सुनवाई करता है और प्रॉपर्टी पर स्टे लगा सकता है। हालांकि, बंटवारे की अर्जी पर सुनवाई में समय लग सकता है, लेकिन स्टे एप्लीकेशन पर तुरंत फैसला लिया जाता है।

सिविल कोर्ट का फैसला

सिविल कोर्ट में दायर किए गए केस में दोनों पक्षों को बुलाया जाता है और उनके तर्कों को सुना जाता है। इसमें सब-रजिस्ट्रार को भी एक पक्षकार के रूप में शामिल किया जाता है। कोर्ट के निर्णय के बाद, अगर मामला बंटवारे से संबंधित होता है, तो कोर्ट इस पर फैसला करेगा। अगर कोर्ट को यह लगता है कि बंटवारे के मामले में निर्णय आने तक प्रॉपर्टी को बेचा नहीं जा सकता है, तो वह स्टे लगा सकता है, जिससे किसी भी हिस्सेदार को प्रॉपर्टी की बिक्री से रोका जा सके।

कानूनी अधिकार और समाधान

जॉइंट ओनरशिप में किसी भी विवाद का समाधान करने के लिए उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करना जरूरी होता है। अगर कोई हिस्सा बेचा जाना चाहता है, लेकिन अन्य हिस्सेदार असहमत है, तो सिविल कोर्ट में अर्जी डालकर इस पर कानूनी नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है। स्टे के माध्यम से तत्काल समाधान मिलने की संभावना होती है, जबकि बंटवारे के मामले में समय लगता है। इस प्रकार, सही कानूनी कदम उठाकर आप अपने हिस्से की सुरक्षा कर सकते हैं और किसी भी गलतफहमी से बच सकते हैं।

FAQ

1. जॉइंट ओनरशिप क्या होती है?
जॉइंट ओनरशिप का मतलब है जब एक प्रॉपर्टी का मालिकाना हक दो या दो से ज्यादा व्यक्तियों के पास होता है। इसमें सभी मालिकों को प्रॉपर्टी पर कब्जे और उसके उपयोग का अधिकार होता है।

2. क्या सब-रजिस्ट्रार विवाद सुलझा सकता है?
नहीं, सब-रजिस्ट्रार का कार्य केवल डीड को रजिस्टर करना होता है। वह प्रॉपर्टी विवादों को सुलझाने के लिए अधिकृत नहीं है।

3. पुलिस थाने में शिकायत करने से क्या फायदा होता है?
पुलिस केवल विवाद को समझाने का प्रयास कर सकती है, लेकिन वह कानूनी रूप से प्रॉपर्टी पर कब्जा या उसे बेचना रोकने का अधिकार नहीं रखती है।

4. अगर मैं अपनी प्रॉपर्टी बेचना चाहता हूं, तो क्या मुझे सब-रजिस्ट्रार से अनुमति लेनी चाहिए?
नहीं, अगर आप प्रॉपर्टी के जॉइंट ओनर हैं, तो आपको इस बारे में सभी हिस्सेदारों से सहमति लेनी चाहिए। सब-रजिस्ट्रार केवल रजिस्ट्री करता है, वह बिक्री की अनुमति नहीं देता।

5. सिविल कोर्ट में केस दायर करने का क्या फायदा है?
सिविल कोर्ट में केस दायर करके आप अपनी प्रॉपर्टी के बंटवारे का कानूनी समाधान प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही, आप स्टे एप्लीकेशन के जरिए प्रॉपर्टी की बिक्री पर रोक भी लगा सकते हैं।

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