असली सोने की पहचान कैसे करें (How to identify fake gold)-सोना एक बेहद कीमती धातु है। भारतीय संस्कृति में सोने से बने आभूषणों का भी बहुत महत्व है। सोना अन्य धातुओं की अपेक्षा अधिक कीमती है। इसलिये हर व्यक्ति सोने की खरीददारी करते हुये बेहद सावधानी से फैसला लेता है। यदि आप भी सोना या सोने से बने आभूषण खरीदने जा रहे हैं, या फिर अपने घर में मौजूद सोने की गुणवत्ता की जांच करना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिये बेहद उपयोगी है। इस आर्टिकल में हम आपको बतायेंगे कि असली सोने की पहचान कैसे करें (How to identify fake gold)। मिलावटी या नकली सोने और शुद्व सोने में क्या अंतर होता है आदि। अधिक जानकारी के लिये इस लेख को पूरा अवश्य पढें।
असली सोने की पहचान करने के तरीके
सोने में निवेश करना हमेशा से एक अच्छा विकल्प माना जाता है। आमतौर पर महिलाओं को सोने के आभूषणों में अधिक रूचि होती है। सोने के इस बढते क्रेज को देखते हुये आजकल बाजार में सोने जैसी दिखने वाली आर्टिफिशियल ज्वैलरी की भरमार हो गयी है। इसलिये हमें सोने की शुद्वता के बारे में ज्ञान होना आवश्यक है। कुछ ऐसी विधियां है जिनसे कि हम घर बैठे ही नकली सोने की पहचान कर सकते हैं। जैसे कि हालमार्क और एसिड प्रयोग आदि। सोने की पहचान के और तरीके हैं-
- हॉलमार्क के द्वारा (Hallmark Certificate)
- पानी के द्वारा (Floating Test)
- चुंबक के द्वारा (Magnet Test)
- नाइट्रिक एसिड के द्वारा (Nitric Acid Test)
- सिरके के द्वारा (Vinegar Test)
हॉलमार्क के द्वारा
हॉलमार्क भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards) के द्वारा लागू की गयी एक व्यवस्था है। किसी वस्तु या आभूषण की शुद्वता की पहचान और मात्रा के बारे में हमें हॉलमार्किंग के जरिये जानकारी प्राप्त होती है। अलग अलग देशों में अलग अलग प्रकार से शुद्वता की पहचान के लिये हॉलमार्किंग की जाती है। भारत के द्वारा लागू हॉलमार्क व्यवस्था अन्तर्राष्ट्रीय मानक की होती है।
इस व्यवस्था में मुख्यत कीमती आभूषण जैसे सोना, चांदी, प्लैटिनम और हीरा आदि को शामिल किया जाता है। हॉलमार्क किये गये आभूषणों में भारत सरकार एक प्रकार से शुद्वता की गारंटी देती है। हालांकि इस प्रकार के आभूषणों का मूल्य निर्माण लागत में बढोत्तरी के कारण बिना हॉलमार्क के आभूषणों की तुलना में 10 से 15 प्रतिशत तक अधिक होता है। हमारे देश में सोने के आभूषणों पर वर्ष 2000 से हॉलमार्किंग की जा रही है। साथ ही चांदी के आभूषणों पर साल 2004 से हॉलमार्किंग हो रही है।
भारत सरकार हॉलमार्क किये गये सोने पर एक हॉलमार्किंग का निशान मुद्रित करती है। जिसमें कि सोने की शुद्वता का प्रकार और सोने की मात्रा का विवरण अंकित होता है। इसलिये यदि आप सोना खरीद रहे हैं या घर में रखे सोने की शुद्वता की जांच करना चाहते हैं तो सबसे पहले आभूषण पर हॉलमार्क के निशान को ढूंढे। हॉलमार्क से आपको अपने सोने की शुद्वता कैरेट में पता चल जायेगी साथ ही सोने का वजन भी आपको मालूम होगा। सोना एक मुलायम धातु होती है। इसलिये सोने की स्थिरता को बनाये रखने के लिये इसमें कुछ प्रकार की अन्य धातुयें भी मिलायी जाती हैं। इस प्रकार की कुछ अशुद्वियों के साथ सोने की शुद्वता और मात्रा को कैरेट प्रणाली में मापा जाता है। जैसे कि 24 कैरेट या 18 कैरेट। हॉलमार्क के द्वारा आपको सोने के कैरेट का भी पला चलता है।
हॉलमार्क चिन्ह की पहचान
भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards) के द्वारा हॉलमार्क किये गये सोने पर कुछ महत्वपूर्ण निशान मुद्रित होते हैं। इन चिन्हों को देखकर आप असली और नकली सोने की पहचान कर सकते हैं। जैसे-
- मानक चिन्ह
- सोने की मात्रा
- परीक्षण केंद्र का निशान
- वर्ष कोड
- आभूषण विक्रेता का निशान
पानी के द्वारा असली सोने की पहचान (Floating Test)
सोना एक ऐसी धातु है जिसमें कि तैरने का गुण नहीं पाया जाता है। इसलिये आप पानी के साथ प्रयोग करके पता कर सकते हैं कि आपका सोना असली है या नकली। यह प्रयोग घर में भी किया जा सकता है। किसी बर्तन में पानी लें और अब सोने को पानी में छोड दें। यदि यह पानी की उपरी सतह में तैरने लगता है तो यह असली सोना नहीं है। साथ ही अगर यह नीचे की ओर तलहटी में डूबने लगता है। तो आपका सोना असली है।
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चुंबक के द्वारा असली सोने की पहचान (Magnet Test)
चुंबक के जरिये भी असली सोने का पता लगाया जा सकता है। सोने में चुंबकीय गुण नहीं पाये जाते हैं। सरल शब्दों में कहें तो सोना चुंबक की ओर आकर्षित नहीं होता है। अपने आभूषण को किसी चुंबक के नजदीक ले कर जायें। यदि दोनों के बीच किसी भी प्रकार का आकर्षण उत्पन्न हो रहा है, तो आपका आभूषण सोने का नहीं है। अर्थात सोना नकली है। यदि किसी भी प्रकार का आकर्षण उत्पन्न नहीं हो रहा हैं। तो समझ लीजिये कि सोना असली है।
नाइट्रिक एसिड के द्वारा (Nitric Acid Test)
यह सोने की शुद्वता को जांचने की रासायनिक विधि है। नाइट्रिक अम्ल एक संक्षारित अम्ल है। सोने के साथ इस अम्ल की अभिक्रिया में सोने के रंग में कोई प्रभाव नहीं पडता है। इस विधि से अपने आभूषण की जांच करने के लिये सबसे पहले किसी एक जगह से आभूषण को खुरच दें। अब उसी जगह पर नाइट्रिक अम्ल की कुछ बूंदें डाल दें। अभिक्रिया होने के बाद यदि आभूषण का रंग हल्का पडने लगे या फिर हल्का हरा रंग दिखायी दे तो समझ लीजिये कि आपका आभूषण सोने से नहीं बना है। अर्थात आपका सोना नकली है। वहीं अगर आभूषण के रंग पर कोई प्रभाव नहीं पड रहा हो तो आपका सोना असली है।
सिरके के द्वारा असली सोने की पहचान (Vinegar Test)
यदि नाइट्रिक एसिड उपलब्ध न हो तो एक प्रयोग आप सिरके के द्वारा भी कर सकते हैं। सिरका आमतौर पर सभी घरों में पाया जाता है। सिरके को हम विनेगर भी कहते हैं। इस प्रक्रिया में भी अपने आभूषण को एक स्थान से खुरच दें। इसके बाद सिरके की कुछ बूंदें डालें। यदि सिरके की बूंदे डालने के पश्चात आभूषण अपना रंग बदल रहा है। तो निश्चिित रूप से आपका सोना असली नहीं है। वहीं अगर सिरके की बूंदे डालने के पश्चात आपके आभूषण के रंग में कोई बदलाव नहीं हो रहा है तो निश्चिंत हो जाइये। आपका सोना असली है।
असली सोने की पहचान से सम्बन्धित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-FAQ
भारतीय मानक ब्यूरो के द्वारा प्रमाणित 24 कैरेट सोना सबसे शुद्व सोना होता है। किन्तु शुद्व सोना बेहद मुलायम होता है। इसलिये इसमें कुछ अन्य धातुयें जैसे निकिल तांबा आदि मिलाये जाते हैं। सामान्यत 22 कैरेट का सोना उपयोग में लाया जाता है।
कीमती धातुओं और उनसे बनने वाले आभूषणों जैसे कि सोना, चांदी, प्लैटिनम, हीरा आदि की शुद्वता को भारतीय मानक ब्यूरो के द्वारा प्रमाणित किया जाता है। प्रमाणित किये गये आभूषण पर भारतीय मानक ब्यूरो के द्वारा कुछ चिन्ह मुद्रित किये जाते हैं। इनसे आभूषण की शुद्वता और मात्रा की पहचान होती है। इन्हीं मुद्रित चिन्हों को हॉलमार्क कहा जाता है।
असली सोने की पहचान उस पर लगे हॉलमार्क के जरिये की जा सकती है। इसके साथ ही घर पर भी कुछ प्रयोग करके शुद्व सोने की पहचान की जा सकती है। जैसे कि पानी में रखना, चुंबकीय प्रयोग आदि।