प्लेटो जीवनी – Biography of Plato in Hindi Jivani

इतिहास में आपने जितने भी दार्शनिकों के नाम सुने या पढ़ें होंगे तो उनमें से आपने प्लेटो जा नाम तो अवश्य सुना होगा क्योंकि इनका नाम दार्शनिकों के नाम पर सब ऊँचा आता है। इनको पाश्चात्य जगत का पहला राजनीतिक दार्शनिक एवं गणितज्ञ बोला जाता है। इनके गुरु सुकरात एवं शिष्य अरस्तु को कहा जाता ... Read more

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Reported by Saloni Uniyal

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इतिहास में आपने जितने भी दार्शनिकों के नाम सुने या पढ़ें होंगे तो उनमें से आपने प्लेटो जा नाम तो अवश्य सुना होगा क्योंकि इनका नाम दार्शनिकों के नाम पर सब ऊँचा आता है। इनको पाश्चात्य जगत का पहला राजनीतिक दार्शनिक एवं गणितज्ञ बोला जाता है। इनके गुरु सुकरात एवं शिष्य अरस्तु को कहा जाता है। इन्हें नीतिशास्त्र, दर्शन, तर्कशास्त्र तथा गणित का बहुत अच्छा (Knowledge) प्राप्त था। समाज के विकास एवं सुधार के लिए इन्होंने ग्रीस एथेंस में एक अकादमी का निर्माण करवाया था। आज इस लेख में हम आपको (प्लेटो जीवनी Biography of Plato in Hindi Jivani) से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी को बताने जा रहे है, इच्छुक नागरिक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस आर्टिकल के लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

प्लेटो का जीवन परिचय

प्लेटो का जन्म कब और कहाँ हुआ था इसके कोई भी सत्य प्रमाण का पता नहीं चला है, इतिहासकारों ने फिर भी कुछ तर्क लगाकर इनके जन्म की बात कही है। इनका जन्म 423-424 ईसा पूर्व बताया गया और इतिहासकारों ने बताया है ही इनका जन्म 427-428 ईसा पूर्व एथेंस, यूनान में हुआ था। इनका जो नाम है वो इनके दादा के नाम पर रखा हुआ है। यह एक कुलीन परिवार था। ऐसा कहा जाता है कि इनके बचपन में ही इनके पिता की मृत्यु हो गई थी जिससे इन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा और जिसके कारण इनकी माता ने इनके चाचा से शादी कर ली थी। जब से ये सुकरात से मिले इनका जीवन ही परिवर्तन हो गया और उसे शिष्य बन गए।

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Biography of Plato in Hindi Jivani

प्लेटो जीवनी - Biography of Plato in Hindi Jivani
प्लेटो जीवनी
नामप्लेटो
जन्म427/428 ईसा पूर्व
जन्म स्थानएथेंस, यूनान
राष्ट्रीयतायूनानी
युगप्राचीन यूनानी दर्शन
मृत्यु347/348 ईसा पूर्व
मृत्यु स्थानएथेंस, यूनान
प्रमुख कृतियांरिपब्लिक, यूथिफ्रो, क्रीतो, थेइटेट्स, फीदो, मोनो

प्लेटो के गुरु सुकरात

Plato के गुरु का नाम सुकरात था जो कि एक प्रसिद्ध यूनानी दार्शनिक थे। Plato की जिंदगी में इनके आने से बहुत प्रभाव पड़ा। सुकरात ने ही Plato की जिंदगी को बदल दिया उन्होंने अपने ज्ञान और विद्या से उसे एक दार्शनिक बनाया। जिस कारण प्लेटो ने इनको अपना गुरु बना लिया और स्वयं को इनका शिष्य बना दिया। कुछ समय पश्चात इनके गुरु सुकरात की मृत्यु हो गई थी उस समय Plato 28 वर्ष रहे होंगे। गुरु की मृत्यु से Plato बहुत दुखी हुआ और उसे प्रजातंत्र से नफरत होने लगी।

Plato की यात्रायें

अपने गुरु सुकरात की मृत्यु के बाद प्लेटो ने 399 ईसा पूर्व एथेंस शहर को छोड़ दिया और वहां से मिश्र की यात्रा के लिए निकल गया। उस समय में मिश्र की कमान पुरोहित वर्गों द्वारा संभाली जाती थी तथा या एक सभ्यता वाला देश था जो प्रगति कर रहा था।

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मिश्र की यात्रा पूरी होने के बाद ये सिसली चले गए थे और फिर इटली देश में यात्रा के लिए चले गए यहां पर पाइथागोरस का एक संप्रदाय बनाया हुआ था वे इसमें शामिल हो गए। और उन्होंने अपने विचारों को सब के सामने प्रकट किया। उनका मानना था कि इस संप्रदाय में होशियार लोग शामिल हो सकते है, उनके पहले से ही बहुत उच्च विचार थे।

करीबन इन्होंने 12 वर्ष तक कई देशों एवं स्थानों की यात्रा की और वहां से ज्ञान प्राप्त किया। इतिहासकारों एवं विद्वानों का कहना है कि Plato भारत भी आया था जहां से उन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया तथा गंगा नदी के इतिहास को भी जाना एवं गंगा किनारे सन्यासियों के साथ ज्ञान प्राप्त किया।

प्लेटो के साथ सुकरात तथा अरस्तु

जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया की सुकरात Plato के गुरु थे तथा ज्ञान प्राप्त होने तथा एक दार्शनिक बनने के बाद Plato का भी एक प्रमुख शिष्य बन गया जिसका नाम अरस्तु था। यह उनका सबसे प्रिय शिष्य था। इन दोनों के साथ मिलकर Plato ने पश्चिमी दर्शनशास्त्र तथा विज्ञान को स्थापित किया था। आपको बता दे प्लेटो पश्चिमी ज्ञान को भली भांति जानते थे इसके अलावा वे गणित, पश्चिमी धर्म, साहित्य, दर्शनशास्त्र एवं क्रिस्चियन धर्म के प्रतिस्ठापक का कार्य भी करते थे। इन्होंने क्रिस्चियन धर्म के लिए अपने भावनाओं को व्यक्त किया तथा धर्म के इतिहास का दर्शन शास्त्री इन्हें ही कहा जाता है।

दर्शनशास्त्र विषय के बारे में सबसे पहले इन्होंने ही लिखा था तथा कई विधियों का भी निर्माण किया गया और इनके ही बताए गए विचारों को अन्य दर्शनशास्त्र के लेखकों ने भी माना है और गणना की है। इनके द्वारा इस विषय पर कई आवश्यक कार्य एवं तथ्य बताए गए।

प्लेटो ने अपनी मृत्यु से पहले कई स्थानों पर भ्रमण किया था जैसे- इटली, इजिप्त तथा सिसिली आदि। सुकरात, पलटो तथा अरस्तु ने पश्चिमी संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सुकरात ने भी कई रचनाएं थी जिसको Plato ने अपनी भाषा में व्यक्त किया था।

प्रमुख रचनाएँ

  • क्रीटो
  • जोर्जियस
  • लॉज
  • रिपब्लिक
  • मीनो
  • प्रोटागोरस
  • अपोलॉजी
  • युथीफ्रो
  • फेडो
  • फेडो
  • फेड्रस
  • कथोपकथन
  • सिंपोजियम
  • पार्मिनिडीज
  • टायमीयस
  • सोफिस्ट
  • थिटिटस
  • फीलिबस
  • स्टेट्समैन

दि रिपब्लिक

Plato ने कई कृतियों की रचना की है परन्तु उनकी जो सबसे प्रमुख दि रिपब्लिक है, जो उस समय बहुत प्रसिद्ध हुई थी। इस किताब को Plato ने करीबन 375 ई. पू. लिखा था इस पुस्तक को सुकराती सवांद पर लिखा गया है। इसमें गणतंत्र एवं न्याय के बारे में बताया गया है इसमें लिखा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति का न्यायपूर्ण होना बहुत जरूरी है। रिपब्लिक ग्रन्थ को रचने का मुख्य उद्देश्य समाज में हो रही हिंसा को रोकना, वर्ग संघर्ष, बीमार-पीड़ित लोगों के रोगों का उपचार करना, समाज को बुरे प्रभाव से बचाना, एवं स्वास्थ्य का ध्यान, शिक्षा को बढ़ावा आदि के बारे में बताया गया है।

अकादमी की स्थापना

शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्लेटो ने एक स्कूल का निर्माण 365 ईसा पूर्व के मध्य करवाया था। उस समय के यह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने ही विश्व में यह पहली शिक्षा अकैडमी खोली थी उससे पहले किसी ने भी इस प्रकार की अकैडमी नहीं स्थापित की थी। विद्यालय की स्थापना के बाद ये स्कूल अच्छे से चल रहा था यहां बच्चों को ज्योतिष, दर्शन, जीव विज्ञान, गणित तथा राजनीति के विषय पढ़ाए जाते थे, परन्तु रोम के शासक जस्टिनियन प्रथम ने 529 ईस्वी में इसे बंद करवा दिया था। शासक जस्टिनियन का मानना था कि इस स्कूल में मूर्तिपूजा का ज्ञान दिया जाता है जो उसे बिल्कुल भी पसंद ना था और इसे (Christianity) के लिए संकट बताता था।

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समाज में शिक्षा के स्तर में बढ़ोतरी करना इनका मुख्य उद्देश्य था इसलिए इन्होने इस स्कूल का निर्माण कराया। पश्चिमी संस्कृति तथा दर्शनशास्त्र में होने वाले विकास का सबसे बड़ा और पहला योगदान इन्हीं का था। इसके अतिरिक्त भी इन्होंने कई ऐसे काम किए जिससे समाज का भला हुआ।

मृत्यु

प्लेटो की मौत की बात करें तो उनकी मृत्यु का कोई सटीक प्रमाण नहीं मिलता है। इतिहासकारों ने अलग-अलग मत पर अपने सुझाव दिए है वैसे तो उनकी मृत्यु को 348 ईसा पूर्व बताया गया है जब वे 80 साल के थे परन्तु कुछ इतिहासकारों द्वारा बताया गया है कि इनकी मृत्यु 82 या फिट 84 वर्ष की आयु में हुई थी।

ऐसा कहा जाता है कि उनके मृत्यु सोते समय हुई उनके प्राण कब गए यह किसी को पता नहीं चला। इसके अतिरिक्त ये भी बोला जाता है कि वे किसी के विवाह समारोह में गए तो और वहीं पर उनकी मृत्यु भी हो गई।

प्लेटो का जीवन परिचय से सम्बंधित प्रश्न/उत्तर

प्लेटो का जन्म कब हुआ था?

इनका जन्म 427 से 428 ईसा पूर्व के मध्य एथेंस, यूनान में बताया जाता है।

प्लेटो की राष्ट्रीयता क्या थी?

इनकी यूनानी राष्ट्रीयता थी।

रिपब्लिक किसकी सचना है?

रिपब्लिक प्लेटो की रचना है जिसमे सुकरात की बातें वर्णित हो रखी है, यह रचना इनकी सर्वश्रेष्ठ महत्वपूर्ण मानी जाती है।

Plato का गुरु कौन था?

सुकरात प्लेटो का गुरु था।

प्लेटो की मृत्यु तिथि क्या है?

इनकी मृत्यु को लेकर इतिहासकारों ने अपने अपने राय दिए है, इनकी मृत्यु 347 से लेकर 348 ईसा पूर्व के बीच ही बताई जाती है।

Plato का प्रिय शिष्य कौन था?

अरस्तु प्लेटो का प्रिय शिष्य था।

Biography of Plato in Hindi Jivani से जुड़ी प्रत्येक जानकारी को हमने इस आर्टिकल के माध्यम से साझा कर दिया है। यदि फिर भी आपको लेख से सम्बंधित कोई अन्य जानकारी या प्रश्न पूछना है तो आप नीचे दिए हुए कमेंट सेक्शन में अपना मैसेज लिख सकते है, जल्द ही हमारी टीम द्वारा आपने प्रश्रों का उत्तर दिया जाएगा। उम्मीद करते है कि आपको हमारा लेख पसंद आया हो और इससे सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने में सहायता मिली हो। इसी तरह की जानकारी पाने के लिए हमारी साइट से ऐसे ही जुड़े रहे।

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