भारत की मुख्य नदियों की जानकारी | List of All Major Rivers in India in Hindi

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Reported by Dhruv Gotra

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भारत की मुख्य नदियों की जानकारी : दोस्तों जैसा की हम सभी जानते हैं, की भारत एक नदियों का देश हैं, जहाँ आपको विभिन्न राज्यों में कई तरह की नदियाँ और झील देखने को मिलती हैं। देश की प्रमुख नदियाँ जिनमे कई सहायक नदियाँ मिलकर एक बड़ी नदी का निर्माण करती हैं, यह आर्थिक व सांस्कृतिक दोनों ही रूप में कृषि क्षेत्र में भी सिंचाई व मनुष्य तथा जानवरों के उन्नत जीवन के लिए भी बेहद ही लाभकारी मानी जाती है।

भारत की मुख्य नदियों की जानकारी | List of All Major Rivers in India in Hindi
भारत की मुख्य नदियों की जानकारी

बात करे भारत के अपवाह (जो एक क्षेत्र के नदी तंत्र की बात करता है) तंत्र की तो अपवाह तंत्र का नियंत्रण उनके भौगोलिक आकृतियों के द्वारा पता लगाया जाता है। जिसके आधार पर भारतीय नदियों को दो मुख्य वर्गों हिमालय की नदियाँ और प्रायद्वीपीय नदियाँ (Peninsular River) में बाँटा गया है। भारत का यह नदी तंत्र आखिर कितना बड़ा है और कितनी नदियाँ इस तंत्र में सहायक नदियों के रूप में मुख्य नदियों से मिलकर इसे पूरा करती हैं चलिए जानते हैं इसकी विस्तृत जानकारी।

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भारत की मुख्य नदियों की जानकारी

हमारे देश की प्रमुख नदियों में सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र, गोदावरी, कावेरी, नर्मदा आदि शामिल है, इन नदियाँ मिलकर कई सहायक नदियाँ बड़े नदी तंत्र का निर्माण करती हैं, यह नदी कहाँ से उत्पन्न होती हैं और कहाँ इनका अंत होता है, इसकी जानकारी निम्नानुसार है। भारत की मुख्य नदियों की जानकारी आपको एग्जाम की दृष्टि से व अपने ज्ञान के लिए होनी ज़रूरी है।

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हिमालय से निकलने वाली नदियाँ

हिमालय से निकलने वाली नदियाँ बर्फ और ग्लेशियरों के पिघलने से बनती हैं, जिनमे पूरे वर्ष निरंतर प्रवाह बना रहता है इसलिए यह बारामासी होती हैं। मॉनसून माह के दौरान हिमालय क्षेत्र में अधिक वर्षा होती है, जिससे नदियों के जल स्तर में उतार-चढ़ाव होता रहता है।

हिमालय की नदियों के बेसिन बहुत बड़े होते हैं, साथ ही इनके जल ग्रहण क्षेत्र सैंकड़ों हजारों किलोमीटर वर्ग में फैले हुए हैं। हिमालय से बनने वाली नदियों को तीन तंत्रों (सिंधु नदी तंत्र, गंगा नदी तंत्र और ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र) में विभाजित किया गया है, यह नदियाँ अपने पहाड़ी मार्ग में V आकर में झरने, घाटियाँ और रैपिड्स का निर्माण करती हैं।

यह तीनों नदी-तंत्र अत्यधिक विशाल शिवालिक या जिसे हिन्द ब्रह्म नदी भी कहा जाता है, इससे विकसित हुई है। इन नदियों की विशेषता यह भी है की यह मैदानों में प्रवेश करते समय गोखुर झीलों, समतल घाटियों, बाढ़ के मैदानों और नदी के मुहाने के पास डेल्टा (वह भूभाग जो नदियों द्वारा लाई गई गाद (Sediments) से बनता है) का निर्माण करती हैं।

  • सिंधु नदी तंत्र – सिंधु नदी जो विश्व की लंबी नदियों में से एक 2900 किमी लंबी नदी हैं की उत्पत्ति मानसरोवर झील के निकट तिब्बत से होती है, जहाँ से यह नदी पश्चिम की और बहती हुई यह नदी भारत के जम्मू कश्मीर में प्रवेश करती है, जहाँ इसमें झास्कर, नबरा, श्योक आदि सहायक नदियाँ आकर मिलती है, यह नदी भारत से होकर पाकिस्तान में प्रवेश करती है, जहाँ इसमें सतलुज, ब्यास, चेनाब, रावी और झेलम आपस में मिलकर पाकिस्तान में मिथानकोट के पास सिंधु नदी में मिल जाती हैं, जहाँ से यह बहती हुई करांची के निकट अरब सागर में मिलती है।
  • गंगा नंदी तंत्र – गंगा नदी जिसे भारत में पवित्र नदी के रूप में लोगों द्वारा पूजा जाता है, इस नदी की लंबाई 2500 किमी से अधिक है। इसकी मुख्य धारा गंगोत्री के निकट गोमुख से उत्पन्न होती है जो हिमानी से निकलकर अलकनंदा उत्तराखंड के देवप्रयाग में इससे मिलती है, यह नदी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल से होकर बांग्लादेश से बंगाल की खाड़ी में बह जाती है।
  • ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र – ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत की मानसरोवर झील के पास चेमयुंगडुंग ग्लेशियर से उत्पन्न होती है। इस नदी की लंबाई सिंधु नदी से अधिक है, इसे दक्षिणी तिब्बत में त्सांग्पो के नाम से जाना जाता है। यह दिहांग या सियांग के नाम से हिमालय के समान्तरपूर्व की और बहती है, नामचा बारवा शिखर के पास पहुँचकर यह भारत के अरुणाचल प्रदेश में गॉर्ज के माध्यम से प्रवेश करती है, जहाँ इसके बाएँ किनारे की मुख्य सहायक नदियाँ दिबांग या शिकांग, लोहित और धँसारी जबकी दाईं किनारे की मुख्य सहायक सुबनसिरी, मानस, कामेंग और संकोश है, जहाँ से यह नदी बांग्लादेश में पद्मा नदी में मिलकर बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है।

प्रायद्वीपीय नदी (Peninsular River) प्रणाली

भारत की प्रायद्वीपीय नदियों का निर्माण विभाजक पश्चिमी घाटियों द्वारा किया जाता है। इन नदियों की एक खसियत यह है की इनमे निश्चित जलधारा और पानी का गैर बारहमासी प्रवाह बना रहता है, प्रायद्वीपीय भाग की मुख्य नदियाँ जिनमे गोदावरी, कृष्णा, कावेरी और महानदी पूर्व की और बहकर बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं, ये नदियाँ हिमालय की तुलना में काफी पुरानी हैं जो अपने मुहाने पर डेल्टा का निर्माण करती है, प्रायद्वीपीय नदियों में केवल नर्मदा एवं तापी दो बड़ी नदियाँ हैं जो पश्चिम की तरफ बहती हैं और ज्वारनदमुख का निर्माण करती है, इसके अतिरिक्त सभी नदियाँ पूर्व की और बहती हैं।

  • नर्मदा नदी – नर्मदा नदी प्रायद्वीपीय क्षेत्र की सबसे बड़ी और भारत की तीसरी सबसे अहम बहने वाली नदी है, यह अमरकंटक पठार से उत्पन्न होती है, जहाँ यह नदी राज्य की लाइफ लाइन के नाम से जानी जाती है। यह नदी पश्चिम की और एक भ्रंश घाटी में बहती है, जबलपुर के निकट यह नदी संगमरमर की शैलों में गहरे गॉर्ज में बेहती है, जहाँ तीव्र धार से गिरने पर यह नदी धुआँधार प्रपात का निर्माण करती है। इस नदी से बहुत सी छोटी सहायक नदियाँ जैसे बंजर, शार, कोलर, बरना, हिरन आकर मिलती है, यह नदी मध्य प्रदेश से महाराष्ट्र और गुजरात से होकर अरब सागर में गिरती है।
  • गोदावरी नदी – यह दक्षिण भारत की महत्त्वपूर्ण नदियों में से एक है, जिसे दक्षिणी गंगा भी कहा जाता है। गोदावरी नदी की लंबाई 1500 किमी है और ये नासिक जिले में पश्चिमी घात की ढाल से उत्पन्न होकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। सभी प्रायद्वीपीय नदियों में गोदावरी का अपवाह तंत्र सबसे बड़ा है। गोदावरी में बहुत सी सहायक नदियाँ पेनगंगा, वेनगंगा, पूर्णा, वर्धा, प्राणहिता और मांजरा आकर मिलती हैं, जिनमे मांजरा, पेनगंगा और वेनगंगा ये तीन सबसे बड़ी सहायक नदियाँ हैं। यह सहायक नदियाँ महाराष्ट्र, एमपी, ओड़िशा, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश आदि राज्यों से होकर गुजरती है।
  • तापी नदी – तापी नदी को ताप्ती भी कहा जाता है, जो भारत के पूर्व से निकलकर पश्चिम की और बहती है, यह नदी मध्य प्रदेश के बेतुल जिले में सतपुड़ा की श्रृंखलाओं से उत्पन्न होती है। यह नदी समान्तर भ्रंश घाटी में बहती है जिसकी लंबाई 724 किमी है। इस नदी का क्षेत्र मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्य में है, इन राज्यों से होकर यह नदी अरब सागर में गिरती है।
  • कृष्णा नदी – प्रायद्वीपीय नदियों में कृष्णा नदी पश्चिम से निकलकर पूर्व में बहने वाली दूसरी सबसे बड़ी नदी है। 1400 किमी लम्बी यह यदि नदी महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट के महाबलेश्वर के निकट एक स्रोत से निकलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है, कृष्णा नदी का बेसिन महाराष्ट्र, कर्नाटक और आँध्रप्रदेश को कवर करता है। इस नदी की कुछ मुख्य सहायक नदियाँ हैं जिनमे कोयना, तुंगभद्रा, घाटप्रभा, मुसी और भीमा आदि शामिल है।
  • कावेरी नदी – कावेरी नदी को दक्षिण भारत की गंगा के नाम से जान जाता है, कावेरी कर्नाटक के कोडुग जिले के ब्रह्मागिरि पहाड़ियों से निकलती है। इस नदी की लंबाई 760 किमी है, जो ब्रह्मागिरि से निकलकर तमिलनाडु मे कुडलूर के दक्षिण में बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है, कावेरी नदी कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु राज्यों से दक्षिणी पूर्व दिशा में बहती और पॉन्डिचेरी से होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है, इस नदी की मुख्य सहायक नदियाँ अमरावती, हेमावती, भवानी और कबीनी है।
  • महानदी – महानदी छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले से निकलती है। इस नदी की लंबाई 860 किमी है, यह ओडिशा के क्षेत्र की सबसे बड़ी नदी मानी जाती है, जिसे प्राचीनकाल में चित्रोतपला के नाम से जाना जाता था।इस नदी का 47% अपवाह बेसिन ओडिशा और 53% बेसिन मध्य प्रदेश में स्थित हैं। यह बेसिन उत्तर में मध्य भारत की पहाड़ियों, दक्षिण और पूर्व में पूर्वी घाटों और पश्चिम में मैकाल श्रेणी से घिरा है, यह नदी ओडिशा से बहती हुई बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। इस नदी की कई मुख्य सहायक नदियाँ हैं, जिनमे सिवनाथ, मांड, हसदेव, तेल, जोंकिंग और इब शामिल हैं।

भारत की अन्य प्रमुख नदियाँ

  • ब्यास नदी – ब्यास नदी रोहतांग दर्रे के पास स्थित व्यसकुंड से उत्पन्न होती है। इसकी कुल लंबाई 470 किमी है, यह नदी पंजाब, हिमाचल प्रदेश में बहने वाली प्रमुख नदियों में से एक है, ब्यास नदी समुद्र तल से 4330 मीटर की उचाई पर है। इस नदी का उद्गम मध्य हिमाचल प्रदेश में, वृहद हिमालय की जास्कर पर्वतमाला के रोहतांग दर्रे से होता है, यहाँ से यह कुल्लू घाटी से होते हुए दक्षिण की और बहती है। इस नदी की मुख्य सहायक नदियों में से तीर्थं, पार्वती और हरला शामिल हैं।
  • सतलुज नदी – सतलुज जिसे पौराणिक समय में शातुर्दि के नाम से जाना जाता था, यह पंजाब में बहने वाली नदियों में सबसे बड़ी नदी है। इस नदी का उद्गम मानसरोवर के निकट राकस्ताल से होता है, जिसके बाद यह हिमाचल प्रदेश से होकर पंजाब में प्रवेश करती है। पंजाब में यह नदी ब्यास नदी से जुड़ने के बाद चेनाब नदी में शामिल हो जाती है, जिसके बाद यह पाकिस्तान से होती हुई अरब सागर में गिर जाती है, इस सतलुज नदी की लंबाई 1500 किलोमीटर है।
  • भागीरथी नदी – भागीरथी नदी जिसे उत्तराखंड की पवित्र नदियों में से एक माना जाता है, यह उत्तरकाशी जनपद के गंगोत्री हिमनद के गोमुख ग्लेशियर से निकलती है, इस नदी की लंबाई 205 किलोमीटर है, यह सफर तय करने के बाद यह नदी अलकनंदा नदी से मिल जाती है, गंगा की एक सहायक भागीरथी जंगीपुर के ठीक पूर्वोत्तर में इससे अलग होती है और 190 किमी प्रवाह के बाद नबद्वीप में जलांगी से मिलकर हुगली नदी बनाती है। भागीरथी नदी की सहायक नदियों में अलकनंदा, जाडगंगा, सियागंगा, केदार गंगा शामिल है।
  • अलकनंदा नदी – अलकनंदा भारत में उत्तराखंड राज्य की नदी है, जिसे गंगा की सहयोगी कहा जाता है। इस नदी की प्राचीन नाम विष्णु गंगा है और इसे केदारनाथ में अलकनंदा नदी के नाम से जाना जाता है, यह चमोली के उत्तरी भाग में स्थित सतोपंत शिखर के अलकापुरी बांक हिमनद और संतोपाल से निकलती है। अलकनंदा नदी शथपथ और भगीरथ खड़क ग्लेशियर से अपना सफर शुरू करती है और घाटी से लगभग 195 किमी की दूरी तक बहने के बाद यह भागीरथी नदी से आकर मिल जाती है। सरस्वती, लक्ष्मण गंगा, नंदाकिनी, पश्चिम धोलीगंगा, पिंडर व मंदाकिनी आदि इसकी सहायक नदियाँ हैं, जिनके किनारे कीर्तिनगर, नंदप्रयाग, बद्रीनाथ, जोशीमठ, कर्णप्रयाग, देवप्रयाग और चमोली शहर बसे हुए हैं।
  • दामोदर नदी – दामोदर नदी जिसे बंगाल का शोक (Sorrow of Bengal) के नाम से जाना जाता है। यह नदी झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर पूर्व से पश्चिम की और बहती है। यह नदी छोटानागपुर की पहाड़ियों से 610 मीटर उचाई से निकलती है, जो 290 किमी का सफर झारखंड में तय करती है बाकी 240 किमी का सफर यह बंगाल में प्रवेश करके हुगली नदी में मिल जाती है। इस नदी की महत्त्वपूर्ण सहायक नदियों में बोकारो, बरकार और कोनार शामिल है।
  • भीम नदी – इस नदी को भीमरथी नदी के नाम से जाना जाता है, जिसका उद्गम महारष्ट्र के पुणे जिले में पश्चिमी घात के भीमशंकर पर्वतश्रेणी से होता है। यह नदी कृष्णा नदी के प्रमुख संगमों में से एक है जो समुद्र तल से 945 मीटर की उंचाईपर पश्चिमी घाट के पश्चिमी किनारे के भीमशंकर पहाड़ियों से निकलती है, यह नदी महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना के राज्यों में बहती है, इन राज्यों में इस नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ कुंडली, सीना और नीरा है, जिसके बाद यह कर्नाटक की कृष्णा नदी में शामिल हो जाती है।
  • कोसी नदी – यह नदी नेपाल और उत्तरी भारत में बहती है, जो भारत की प्रमुख नदियों में से एक है। यह गंगा सहायक नदी है जो नेपाल के पहाड़ों से निकलकर भारत के बिहार राज्य में प्रवेश करती है और बिहार के राजमहल के निकट गंगा नदी में मिल जाती है। यह नदी 720 किमी लंबी है, जिसकी कुल 118 सहायक नदियाँ और छोटी जल धाराएँ हैं। इन प्रमुख सहायक नदियों और जल धाराओं में सुयाल, रामगाड़, कुजगाड और उबालगाड आदि शामिल है।
  • यमुना नदी – यमुना नदी गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी मानी जाती है, जिसे जमुना नदी के नाम से भी जाना जाता है। इस नदी का उद्गम यमनोत्री ग्लेशियर से होता है जिसकी लंबाई 1376 किमी है। यह नदी देश के कई राज्यों जिनमे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से होकर गुजरती है, यह नदी यमनोत्री ग्लेशियर से होकर इलाहाबाद गंगा नदी के साथ मिल जाती है। जहाँ इसकी मुख्य सहायक नदियों में चम्बल, बेतवा, टोंस, बेतवा, सिंध शामिल है।
  • शिप्रा नदी – यह नदी भारत की पवित्र नदियों में से एक है, शिप्रा नदी मध्य प्रदेश में बहने वाली एक बेहद ही ऐतिहासिक और प्रसिद्ध नदी है, उज्जैन में कुम्भ का मेला इस नदी के किनारे लगता है, जिसे देखने के लिए लाखों की संख्या में लोग आते हैं, यह नदी धार जिले के उत्तर में निकलती है और मंदसौर जिले में मध्य प्रदेश के राजस्थान सीम में चंबल नदी में शामिल होने के लिए मलावा पठार के उत्तर में बहती है।
  • तुंगभद्रा नदी – दक्षिण भारत की प्रमुख नदियों में से तुंगभद्रा नदी भी सदियों से एक पवित्र नदी की मान्यता कायम रखे हुए हैं, यह नदी कर्नाटक राज्यों और आँध्रप्रदेश के हिस्से से होकर आंध्रप्रदेश में कृष्णा नदी में मिल जाती है। यह कृष्णा नदी की एक मुख्य सहायक नदी है, जिसका उद्गम पश्चिमी घाटी में गंगा मूल नामक स्थान पर वराह पर्वत पहाड़ी से होता है, जहाँ इस 531 किमी लंबी नदी में दो नदियों तुंग और भद्रा नाम की दो नदियों के संगम से मिलकर बनती है।
  • सोन नदी – इस नदी को सोनभद्र नाम से जाना जाता है, यह भारत के मध्य भाग में बहने वाली गंगा की एक सहायक नदी है। गंगा के बाद यह दक्षिणी उपनदियों में सबसे बड़ी नदी है। जिसका उद्गम मध्य प्रदेश राज्य में होता है, इस नदी की लंबाई 784 किमी है, जो मिर्जापुर जिले के दक्षिणी भाग से प्रवाहित होती है और पटना से पहले दीनापुर से 16 किलोमीटर उपगंगा नदी में मिल जाती है, जिसमे इसकी मुख्य सहायक नदियों में कुंहड़, रिहंद नदी शामिल है।
  • हुगली नदी – हुगली नदी पश्चिम बंगाल की प्रमुख नदियों में से एक है, यह गंगा की एक धारा है जो कोलकता को बंगाल की खाड़ी से जोड़ती है। यह नदी सदियों से लगभग 260 किमी लंबी गंगा नदी की एक शाखा के रूप में अस्तित्व मे है, इस नदी पर हुगली नाम का एक पुल भी बनाया गया है।
  • झेलम नदी – झेलम नदी कश्मीरी घाटी के पूर्वी दक्षिणी हिस्से में पीरपंजाल के पास स्थिति वर्नाग स्प्रिंग से निकलती है, इस नदी का वास्तविक नाम वितस्ता है, जिसकी लंबाई 725 किमी है जो पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण नदी है, इस नदी की सहायक नदियां दामोदर नदी और रूपनारायण नदी है।
  • माहि नदी – माहि नदी का उद्गम मध्य प्रदेश की धार जिले के अमरोरु पहाड़ी के सरदारपुरा के निकट विध्यांचल की पहाड़ी में मेहद झील से होता है, यह पश्चिम भारत की नदियों में से एक है, जो मध्य प्रदेश से शुरू होती है, जिसके बाद यह राजस्थान और गुजरात से होती हुई अरब सागर में बहती है।
  • चिनाब नदी – चिनाब नदी हिमाचल प्रदेश के लाहौल और सपीटी जिले के ऊपरी हिमालय में टांडी में चंद्रा और भगा नदी के संगम से बनती है, यह नदी 960 किमी लंबी है जो भारत से होकर पाकिस्तान में प्रवेश करती है। चिनाब नदी सिंधु नदी की एक सहायक नदी है, जो लगभग 46 किलोमीटर तक उत्तर-पश्चिमी की और बहती है। चिनाब की मुख्य सहायक नदियों में मियार नाला, थिरोट, लेदरारी, भुट नाला आदि शामिल है।
  • साबरमती नदी – यह नदी पश्चिमी भारत की एक मुख्य नदी है, जो राजस्थान के उदयपुर जिले के अरावली रेंज से निकलती है, जिसकी लंबाई 371 किमी है। यह नदी राजस्थान में 84 किमी की दूरी तय करती है, जिसके बाद गुजरात में 323 किमी की दूरी तय कर यह अरब सागर की खाड़ी में गिर जाती है।
  • घाघरा नदी – घाघरा नदी जिसे करनाल नदी के नाम से जाना जाता है, यह नदी गंगा की मुख्य सहायक नदी है। ये नदी उत्तर भारत में बहने वाली नदियों में से एक है, ये दक्षिणी परत के ऊँचे शिखर हिमालय से निकलती है, जिसके बाद यह नेपाल से होकर भारत में उत्तर प्रदेश और बिहार से प्रवाहित होती है, इस नदी को सरयू नदी के नाम से भी जाना जाता है। घाघरा नदी की कुल लंबाई 1080 किमी है, शिवालिक पहाड़ियों में घाघरा नदी की घाटियों की चौड़ाई 180 मीटर और गहराई 600 मीटर से अधिक है, इस नदी घाटियों में पर्वतीय क्षेत्र से टीला, बेरी और सेती नदियाँ आकर मिलती है।
  • रावी नदी- यह नदी भारत के उत्तरी भाग में बहने वाली नदी है, जो हिमाचल प्रदेश राज्य में काँगड़ा जिले के हिमालय पर्वतीय क्षेत्र में मनाली के समीप से निकलती है, यह पश्चिमी भारत और पूर्वतरिया पाकिस्तान में बहने वाली एक नदी है, 725 किलोमीटर यह लंबी नदी पंजाब में प्रवाहित होने वाली पाँच नदियों में से एक है।

भारत की मुख्य नदियों से जुड़े प्रश्न/उत्तर

भारत के नदियों कितने वर्ग में विभाजित है ?

भारत के नदियाँ दो मुख्य वर्गों हिमालय की नदियाँ और प्रायद्वीपीय नदियाँ (Peninsular River) में विभाजित हैं।

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गोमती नदी की लंबाई कितने किलोमीटर है ?

गोमती नदी की लंबाई 900 किलोमीटर है।

हिमालय से बनने वाली नदियाँ कितने तंत्रों में विभाजित हैं ?

हिमालय से बनने वाली नदियाँ तीन तंत्रों (सिंधु नदी तंत्र, गंगा नदी तंत्र और ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र) में विभाजित। हैं।

प्रायद्वीपीय नदियों में कौन से नदियाँ हैं जो पश्चिम की तरफ बहती है ?

प्रायद्वीपीय नदियों में नर्मदा एवं तापी दो ऐसी नदियाँ हैं जो पश्चिम की तरफ बहती है।

काली सिंध नदी कहाँ स्थित है ?

काली सिंध नदी का उद्गम देवास मध्य प्रदेश के पास बागली गाँव की पहाड़ियों से होता है, यह नदी राजस्थान के झालावाड़ बारा तथा कोटा में बहते हुए नौनेरा नामक स्थान पर चम्बल नदी में मिल जाती है।

भारत की मुख्य नदियों की जानकारी से संबंधित सभी सूचना हमने आपको अपने लेख में प्रदान करवा दी है और हमे उम्मीद है की यह जानकारी आपके लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगी, इसके लिए यदि आपको हमारा लेख पसंद आए या भारत की मुख्य नदियों की जानकारी से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं, हम आपके प्रश्नो का उत्तर देने की पूरी कोशिश करेंगे।

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