हुमायूँ जीवनी – Biography of Humayun in Hindi Jivani

मुग़ल शासकों की बात करें तो आपने हुमायूँ का नाम तो जरूर सुना होगा, आपको बता दे प्रथम मुग़ल सम्राट बाबर के पुत्र तथा महान मुग़ल शासक अकबर के पिता थे। इनका पूरा नाम नाम नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ था। मुग़ल साम्राज्य की नींव का विकास करने में इनके द्वारा बहुत महान कार्य किए गए थे। ... Read more

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Reported by Saloni Uniyal

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मुग़ल शासकों की बात करें तो आपने हुमायूँ का नाम तो जरूर सुना होगा, आपको बता दे प्रथम मुग़ल सम्राट बाबर के पुत्र तथा महान मुग़ल शासक अकबर के पिता थे। इनका पूरा नाम नाम नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ था। मुग़ल साम्राज्य की नींव का विकास करने में इनके द्वारा बहुत महान कार्य किए गए थे। मुग़ल शासन के दौरान इन्होंने कई परेशानियों व कष्टों का सहा था, अपने पिता की बात मान कर इन्होंने मुग़ल साम्राज्य को अपने चारों भाइयों में बांटा था। इनके भाइयों ने इन्हें कई दुख दिए और इनकी मृत्यु के लिए कई योजनाएं भी बनाई गई। तो आज हम इस लेख में आपको हुमायूँ जीवनी (Biography of Humayun in Hindi Jivani) से सम्बंधित प्रत्येक जानकारी साझा करने वाले है, यदि आप इनकी जीवनी को जानने के लिए इच्छुक है तो इस आर्टिकल के लेख को अंत तक ध्यानपूर्वक जरूर पढ़ें।

हुमायूँ का जीवन परिचय

हुमायूँ का जन्म काबुल के विख्यात मुग़ल सम्राट के परिवार में 6 मार्च 1508 में हुआ था। इनके पिता का नाम बाबर था जो मुग़ल वंश के पहले सम्राट थे एवं इनकी माता का नाम महाम बेगम था जो कि एक रानी थी। यह अपनी माता-पिता के सबसे बड़े पुत्र थे इसके पश्चात इनके छोटे भाई थे। इन्हें बचपन में नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ कहकर बुलाते थे। इनके पिता भाई भाइयों से इन्हें सबसे ज्यादा लाड-प्यार करते थे। इनके चार भाई थे इनका नाम अस्करी, काबुल, कांधार तथा हिन्दाल था।

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Biography of Humayun in Hindi Jivani

हुमायूँ जीवनी - Biography of Humayun in Hindi Jivani
हुमायूँ जीवनी
नामहुमायूँ
पूरा नाम नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ
जन्म6 मार्च 1508
जन्म स्थानकाबुल
मक़बराहुमायूँ का मकबरा
माता का नाममहाम बेगम
पिता का नामबाबर
पत्नियांचाँद बीबी, हमीदा बानू बेगम, माह-चूचक, बिगेह बेगम, शहजादी बेगम, हाजी बेगम, मिवेह-जान तथा शहजादी खानम
संतानअकीकेह बेगम, बख्तुन्निसा बेगम, बख्शी बानु बेगम, अकबर तथा मिर्जा मुहम्मद हाकिम
मृत्यु27 जनवरी 1555
मृत्यु स्थानदिल्ली

राज्याभिषेक

हुमायूँ के पिता बाबर जो कि मुग़ल वंश के शासक थे उन्होंने मृत्यु से पहले ही फैसला कर दिया था कि मेरी मृत्यु के बाद हुमायूँ को मुग़ल वंश का संस्थापक बनाया जाएगा और यही हुआ मुग़ल शासक बाबर की मृत्यु होने के बाद उनकी इच्छा का मान रखते हुए प्रजा ने हुमायूँ को संस्थापक बना दिया। 30 दिसंबर 1530 को ईसवी को इनका राज्याभिषेक किया गया। परन्तु एक और राजा के अन्य चार पुत्रों के बीच राज्य के पद के लिए लड़ाई ना हो इसके लिए बाबर ने पहले ही नए मुग़ल शासक की घोषणा कर दी गई थी।

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मुग़ल शासक की घोषणा के साथ हुमायूँ को बाबर ने यह आदेश दिया कि मुग़ल साम्राज्य को तुम्हें अपने चारों भाइयों में बाँटना है जिससे साम्राज्य को और अधिक मजबूत बनाया जा सके। अपने पिता का कहना मानते हुए हुमायूँ ने भी ऐसा ही किया और अपने चार भाइयों में मुग़ल साम्राज्य का बराबर बंटवारा कर दिया इसके अतिरिक्त बदखशा की जागीरी को अपने चचेरे भाई सुलेमान मिर्जा को भी प्रदान की।

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परन्तु साम्राज्य का बंटवारा और जागीर को सौंपना हुमायूँ की सबसे बड़ी गलती थी। इस कारण उसके सामने कई कठिनाइयां आई। इसका एक सौतेला भाई भी था जो इससे बहुत ईर्ष्या करता था और समस्त मुग़ल साम्राज्य को हथियाना चाहता था। सौतेला भाई तो दुश्मन ही था लेकिन अपने सगे भाइयों ने भी उसकी कभी मदद नहीं की। हुमायूँ की लड़ाई अफगानों से होती थी क्योंकि अफगान इनके सबसे बड़े दुश्मन थे परन्तु इनके भाइयों ने इनकी कोई सहायता नहीं।

दौहरिया का युद्ध

वर्ष 1532 ईसवी में अगस्त के महीने में मेहमूद लोदी और हुमायूँ की के बीच युद्ध हुआ था उस समय हुमायूँ की सेना जौनपुर की और अग्रसर हो रही थी। इस युद्ध को दौहरिया नामक युद्ध कहा गया। इस युद्ध में मुग़ल सेना ने मेहमूद लोदी की सेना को मुंह तोड़ जवाब दिया और हरा दिया।

कन्नौज का युद्ध

एक बार फिर से वर्ष 1540 ईस्वी में कन्नौज का युद्ध हुआ जिसमे मुग़ल एवं अफगान सेना के बीच संघर्ष था। परन्तु इस युद्ध में मुग़ल सेना अफगान से अधिक देर तक संघर्ष नहीं कर पायी और अफगानों ने मुग़ल सेना को पराजित कर दिया। युद्ध से पराजित होकर हुमायूँ भारत छोड़कर भाग गया और निर्वासन पर चला गया। इन्होंने करीबन 15 साल तक निर्वासन में अपना जीवन जिया। इसके पश्चात यह वापस आया और असकरी के कंधार में आक्रमण करके कब्जा कर दिया। फिर यह कमरान से युद्ध करने लगा और वर्ष 1547 में काबुल कब्जा कर विजयी हासिल की।

चौसा का युद्ध

वर्ष 1539 में मुग़ल और अफगानी सेना के मध्य चौसा का युद्ध हुआ था। मुग़ल सेना का नेतृत्व हुमायूँ तथा अफगानी सेना का नेतृत्व शेरशाह ने किया। चौसा के युद्ध में अफगानी सेना ने मुग़ल सेना को बुरी तरह से हरा दिया और भारत से हुमायूँ को निकाल दिया गया।

बहादुर शाह से युद्ध

वर्ष 1531 में गुजरात के राजा बहादुर शाह ने 1531 में मालवा के किले पर कब्जा कर उसे हासिल कर लिया इसके पश्चात इसने रायसीन किले की और प्रस्थान किया और इसे हथियाने के लिए आक्रमण कर लिया और अपना अधिकार जमा लिया। अब यह चितौड़ पर आक्रमण करना चाहता था इसलिए इसने एक योजना बनाई और वर्ष 1534 में चितौड़ पर आक्रमण किया और संधि करने के लिए लाचार किया गया। बहादुर शाह एक शक्तिशाली तोपखाना बनवाना चाहता था इसलिए उसने तोपची रूमी खां को अपने पास बुलाया, यह उस समय टर्की का प्रसिद्ध तोपची था। इसी समय शेर शाह भी अपने संघर्ष पर लगा हुआ था उसने सूरजगढ़ पर राज किया था और इसी दौरान बंगाल को भी पराजित कर प्रतिष्ठा प्राप्त की।

चारों तरफ हो रहे संघर्ष और अधिकारी के कारण हुमायूँ के लिए कई समस्याएं उत्त्पन हो गई क्योंकि एक और शेर शाह आक्रमण करने पर लगा था तो दूसरी और सबसे बड़ी परेशानी बहादुर शाह था जिसने उस समय हर ओर आतंक फैलाया हुआ था। वर्ष 1535 में सारंगपुर में हुमायूँ और बहादुर शाह के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में बहादुर शाह को हारना पड़ा और वह अपनी जान बचने के लिए मांडू में जाकर छुप गया। बहादुर शाह को हराने के बाद हुमायूँ ने चम्पानेर और मांडू पर कब्जा कर लिया और मालवा तथा गुजरात में विजय हासिल की। बहादुर शाह की पराजय हुई और वह अत्यंत क्रोध में आ गया और फिर से चितौड़ पर अपना अधिकार करने के लिए आक्रमण करने लगा और सम्पूर्ण चितौड़ पर अपनी सेना द्वारा घेरा डाल दिया गया।

उस समय चितौड़ पर विक्रमाजीत शासन करता था। उन्होंने बहादुर शाह के खिलाफ में युद्ध लड़ने के लिए हुमायूँ से मदद मांगी और हुमायूँ ने इसे मंजूर कर दिया। एक साल बाद शाह ने मालवा और गुजरात पर हमला बोल दिया इस बार उसने पुर्तगालियों से सहायता ली और 1536 में गुजरात एवं मालवा में विजय प्राप्त की। परन्तु उसके भाग्य में अधिक दिन तक शासन करना नहीं लिखा था वर्ष 1537 में इसका देहांत हो गया।

हुमायूँ का मकबरा

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भारत में मुग़ल सम्राट हुमायूँ की मृत्यु के बाद इनकी पहली पत्नी एम्प्रेस बेगा बेगम (इस बेगम को हाजी बेगम भी कहा जाता था) ने अपने पति की मृत्यु के बाद दिल्ली में एक मकबरा बनाया था जिसे हुमायूँ का मकबरा कहा जाता है। इस मकबरे के निर्माण में लाल बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है।

मृत्यु

दिल्ली का शासन मिलने के बाद हुमायूँ अधिक दिन तक गद्दी पर नहीं बैठ पाए। एक दिन ये दिल्ली दीनपनाह भवन में स्थित लाइब्रेरी की सीढ़ियों से उतर रहें थे और गिर गए और उसी समय अचानक 27 जनवरी 1555 को इनका देहांत हो गया। मृत्यु होने के पश्चात इनके 14 वर्षीय पुत्र अकबर को दिल्ली का सिंहासन सौंपा गया। इसके पश्चात अकबर ने अपने मुग़ल साम्राज्य का विकास किया और पूरे भारत में इसका विकास किया।

हुमायूँ जीवनी से सम्बंधित प्रश्न/उत्तर

हुमायूँ का वास्तविक नाम क्या था?

इनका वास्तविक नाम नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ था।

हुमायूँ का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

इनका जन्म 6 मार्च 1508 को काबुल में हुआ था।

हुमायूँ के माता-पिता का नाम क्या था?

इनके पिता का नाम बाबर तथा माता का नाम महाम बेगम था।

नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ की मृत्यु के बाद दिल्ली राज्य का शासन किसने संभाला?

नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ की मृत्यु के बाद दिल्ली राज्य का शासन इनके पुत्र अकबर ने संभाला था।

नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूँ की कितनी पत्नियां थी?

इनकी आठ पत्नियां थी जिनके नाम ये है- चाँद बीबी, मिवेह जान, माह-चूचक, बिगेह बेगम, बेगा बेगम, हाजी बेगम, हमीदा बेगम तथा शहजादी बेगम आदि।

Humayun का निधन कब हुआ?

इनका निधन 27 जनवरी 1555 ईस्वीं में दिल्ली शहर में हुआ था?

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