गिरिजा टिक्कू कौन थीं, गिरिजा टिक्कू जीवन परिचय, परिवार, बैकग्राउंड, रियल फोटो – The Kashmir Files

The Kashmir Files- विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्मित “द कश्मीर फाइल्स “ने देशभर में कश्मीरी पंडितों की समस्याओं को जनता के सामने लाया है। फिल्म द्वारा कश्मीरी पंडितों के दर्द और उनकी पीड़ा को भली भांति दर्शको के सामने लाया गया। आखिर कैसे एक सुशिक्षित कश्मीरी हिन्दुओं को अपने ही घर से पलायन करना पड़ा। कश्मीरी ... Read more

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Reported by Dhruv Gotra

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The Kashmir Files- विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्मित “द कश्मीर फाइल्स “ने देशभर में कश्मीरी पंडितों की समस्याओं को जनता के सामने लाया है। फिल्म द्वारा कश्मीरी पंडितों के दर्द और उनकी पीड़ा को भली भांति दर्शको के सामने लाया गया। आखिर कैसे एक सुशिक्षित कश्मीरी हिन्दुओं को अपने ही घर से पलायन करना पड़ा। कश्मीरी पंडितों पर आधारित फिल्म “द कश्मीर फाइल्स “ जिसमे कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार की घटना को दर्शाया गया है। इसी मूवी में वह सब बखूबी दर्शाया गया है जिसकी वजह से कश्मीरी हिन्दुओं को अपनी ही जन्मभूमि से बेदखल किया गया इतना ही नहीं वह सभी हदें पार की गयी जिनकी कल्पना मात्र से ही रूह काँप उठती है।

The Kashmir Files “मूवी कश्मीरी पंडितों के पलायन और उन पर हुए अमानवीय अत्याचारों को भली भांति हमारे सामने पेश करती है। इन्ही अत्याचारों से गुजरने वाला कई दर्दनाक किस्सों में से एक दर्दनाक किस्सा गिरिजा टिक्कू का भी है। जो की 1990 के दौर में अपनी ही जन्मभूमि में आतंकियों का शिकार हुयी और आतंकियों द्वारा उसकी निर्ममता से हत्या की गयी।

गिरिजा टिक्कू कौन थीं,
गिरिजा टिक्कू कौन थीं,

आज के इस लेख में हम आपको गिरिजा टिक्कू कौन थीं, और गिरिजा टिक्कू जीवन परिचय और उनके परिवार के बारे में बताने जा रहे हैं। गिरिजा टिक्कू कौन थीं और 11 जून 1990 को ऐसा क्या हुआ था उनके साथ आपको लेख के माध्यम से जानकारी मिल सकेगी।

गिरिजा टिक्कू कौन थी

नामगिरिजा टिक्कू
निक नामबबली
जन्म15 फरवरी 1969
जन्म स्थानअरिगम, बांदीपोरा, जम्मू और कश्मीर में
राशिकुंभ
आँखों का रंगकाला
बालों का रंगकाला
भाई का नामसतीश रैना
पति का नामगिरधारी लाल टिक्कू
बच्चे2 (एक बेटा ,एक बेटी)
हत्या 25 जून 1990

गिरिजा टिक्कू जीवन परिचय, परिवार,बैकग्राउंड

सन्न 1990 में कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम हुआ था और उन्हें उन्ही के जन्मभूमि से पलायन करने के लिए मजबूर किया गया था अब तक 5 लाख से भी अधिक पंडितों को उन्ही के घर से निकला जा चूका है कई लोगों की हत्या की गयी है और कई महिलाओं का रैप किया गया है। ऐसी ही एक घटना सन्न 1990 में भी हुयी थी जिसे मीडिया तक में नहीं आने दिया गया था और शायद ही कई लोग इस घटना के बारे में जानते होंगे।

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गिरिजा टिक्कू कौन थीं –जी हाँ हम बात कर रहे है गिरिजा टिक्कू की गिरिजा टिक्कू एक कश्मीरी पंडित विवाहित महिला थी जो बारामुला जिले में अरीगाम गाँव की निवासी थी वर्तमान में अरीगाम बांदीपोरा जिले में है। गिरिजा टिक्कू कश्मीर घाटी के एक सरकारी स्कूल में लैब असिस्टेंट (लैब सहायिका )के रूप में काम करती थी। वह 1990 के कश्मीर में हुए आतंकी दंगों के बाद अपने परिवार के साथ कश्मीर क्षेत्र से भाग गयी थी और जम्मू में जाकर बस गयी थी। गिरिजा टिक्कू का हँसता- खेलता एक छोटा सा परिवार था। परिवार में उनकी 60 साल की माँ ,उनके 26 वर्षीय पति, 4 साल का बेटा और 2 साल की एक बेटी थी।

11 जून 1990 की घटना –सन्न 1990 में एक दिन जब दंगा शांत हो गया तो गिरजा टिक्कू 11 जून को अपनी बची हुयी सेलरी लेने के लिए कश्मीर रवाना हुयी थी सेलरी लेने के बाद वह जैसे ही अपने मुस्लिम सहकर्मी के घर के लिए जो की उसी गांव में थी रवाना हुयी उसी दौरान कुछ आतंकवादियों ने उनका अपहरण सभी गांव वालों के सामने कर लिया और कोई भी गांव वाला कुछ नहीं कर सका गिरिजा की आँखों में पट्टी बांधकर आतंकवादी उसे अनजान जगह पर ले गए और हैवानियत की सारी हदें पार की उसके साथ 4 दिनों तक सामूहिक बलात्कार किया गया और कई तरह से प्रताड़ित भी किया गया और जब इससे भी उन आतकवादियों का मन नहीं भरा तो उसे जिन्दा आरा मशीन से दो हिस्सों में काटा गया इतना ही नहीं उसके क्षत – विक्षत शरीर को निर्वस्त्र स्थिति में सड़क के किनारे फेंक दिया गया। गिरिजा को उसके हिन्दू और कश्मीरी पंडित होने की वजह से इस बर्बरता का शिकार होना पड़ा। इस बर्बरता का एकमात्र उद्देश्य आतंकियों द्वारा कश्मीरी पंडितों और हिन्दुओं को यह सन्देश देना था की कश्मीर में सिर्फ और सिर्फ मुसलमान या निज़ाम-ऐ-मुस्तफा को मानने वाले लोग ही रह सकेंगे यदि ऐसा न किया तो उनका नरसंहार या उनके पूरे परिवार को मार डाला जायेगा। आतंकवादियों के लिए हिन्दू काफिर थे उनके पास सिर्फ 3 विकल्प रखे गए थे पहला -वे सभी स्थायी लोग इस्लाम अपना लें ,दूसरा विकल्प उनकी हत्या की जाएगी और तीसरा विकल्प था कश्मीर छोड़कर यहाँ से चले जाना।

1990 में जब यह नरसंहार हो रहा था तो गैर मुस्लिम लोगों के पास अपने जन्मभूमि से पलायन करने के अतिरिक्त कोई और विकल्प नहीं था। हिन्दुओं और कश्मीरी पंडितों के परिवार की महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया क्या बच्चे और क्या बूढ़े किसी को नहीं बक्शा गया। धर्म के ठेकेदार मौन थे किसी को उनकी पीड़ा नहीं दिखाई दी।

गिरजा टिक्कू बीस साल की थी जिसने प्रयोगशाला में लेब सहायक के रूप में कार्य किया था उनका किसी राजनीति से कोई संबंध नहीं था एक सामान्य परिवार से एक 20 साल की लड़की जिसका बस इतना गुनाह था की वह एक हिन्दू थी उसे इतना प्रताड़ित किया गया जिसकी कोई सीमा नहीं थी पहले उसका अपहरण और फिर सामूहिक बलात्कार और अंत में उसके जिन्दा शरीर को दो हिस्सों में आरा मशीन से काटा गया सुनते ही रूह काँप उठती है ऐसी ही न जाने कितनी ही घटनाएं उस दौर में हिन्दुओं और कश्मीरी पंडितों के साथ घटित हुयी शायद ही आज के दौर में उन कश्मीरी पंडितों और हिन्दुओं के अलावा कोई समझ सकेगा।

गिरिजा टिक्कू एक हिन्दू महिला थी जिसके साथ यह सब हुआ और न जाने कितनी ही घटनाएं उस दौर में हुयी जो शायद हम में से किसी को ज्ञात ही नहीं क्यूंकि उन घटनाओं का न वर्णन किया गया न मीडिया द्वारा उसे हाईलाइट किया गया। अभी तक गिरिजा टिक्कू को न्याय नहीं मिल पाया है ऐसे ही न जाने कितने ही कश्मीरी पंडित और कश्मीर के हिन्दुओं को अभी तक न्याय नहीं मिला जिनका उन्हें 90 के दशक से इन्तजार है।

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1989 -90 के बाद से कई ऐसी घटनाएं हुयी हैं जो साफ़ तौर पर यही दर्शाती है की कैसे कश्मीर में हिन्दू अल्पसंख्यकों को डर डर कर अपना जीवन व्यतीत करना पड़ता है कई ऐसे मामले सामने आये हैं जिसमे हिन्दुओं के घरों के बाहर “आजादी आजादी “के नारे लगाए गए उनके घरों में किस प्रकार से घुसपैठ की जाने लगी कैसे हिन्दू परिवार की महिलाओं के साथ जबरदस्ती की जाने लगी हिन्दू पुरुषों को उन्ही के परिवार की अंकों के सामने गोली मार दी जाती थी। इतना आतंकित माहौल था की मज़बूरी में हिन्दुओं को अपने परिवार की रक्षा और अपनी महिलाओं की इज्जत के बचाव के लिए अपना धर्म परिवर्तन करना पड़ा और इस्लाम धर्म अपनाना पड़ा।

अभी भी वह कश्मीर घाटी हिन्दुओं पर हुए उन अत्याचार और हैवानियत को चीख चीख कर बयां करती है उनका दर्द शायद ही कोई समझ सकेगा। राजनीती करने वाले अपना पल्ला झाड़ लेते हैं और बचता है तो सिर्फ उन कश्मीरी पंडितों के आँखों का सूखा हुआ आंसू।

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विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्मित “द कश्मीर फाइल्स “ने उन सभी घटनाओं को उजागर किया है जो शायद आज तक कोई अन्य फिल्म निर्माता नहीं कर पाया। यदि अपने भी यह फिल्म नहीं देखी है तो जरूर देखें।

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