विक्रम साराभाई जीवनी – Biography of Vikram Sarabhai in Hindi Jivani

दोस्तों आपने देश में कई महान वैज्ञानिकों के नाम तो जरूर सुने होंगे जिन्होंने अपनी खोज के दम पर भारत का नाम पूरे विश्व में ऊंचा किया है, आज हम भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक एवं इसरो के खोजकर्ता के बारे में बताने जा रहे है जिनका नाम विक्रम अंबालाल साराभाई था। कुछ ही ... Read more

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Reported by Saloni Uniyal

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दोस्तों आपने देश में कई महान वैज्ञानिकों के नाम तो जरूर सुने होंगे जिन्होंने अपनी खोज के दम पर भारत का नाम पूरे विश्व में ऊंचा किया है, आज हम भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक एवं इसरो के खोजकर्ता के बारे में बताने जा रहे है जिनका नाम विक्रम अंबालाल साराभाई था। कुछ ही वर्षों के भीतर अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में भारत ने दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया है जो कि इन महान वैज्ञानिक की ही बदौलत है। आपको बता दे विक्रम साराभाई के नाम पर ही चंद्रयान-2 मिशन में चंद्रमा पर उतरने वाले रोवर का नाम भी रखा गया था। इस लेख के माध्यम से हमने आपको विक्रम साराभाई जीवनी (Biography of Vikram Sarabhai in Hindi Jivani) से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी को साझा कर दिया है, इच्छुक नागरिक जानकारी प्राप्त करने के लिए अंत तक इस आर्टिकल को अवश्य पढ़ें।

विक्रम साराभाई जीवनी

Vikram Sarabhai का जन्म गुजरात राज्य के अहमदाबाद शहर में 12 अगस्त 1919 को हुआ था। इनका पूरा नाम विक्रम अंबालाल साराभाई है। इनके पिता का नाम अंबालाल साराभाई तथा माता का नाम सरला साराभाई था। यह एक सम्पूर्ण उद्योगपति परिवार था इसलिए इनका बचपन खूब ललन-पोषण से हुआ था अर्थात इन्हें किसी भी चीज़ की कमी महसूस नहीं होने दी। ये सब आठ भाई-बहन थे। इनका परिवार देशभक्त था और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया करते थे इसलिए इनके घर मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गाँधी एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर जैसे महान व्यक्तियों का इनके घर आना-जाना रहता था।

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Biography of Vikram Sarabhai in Hindi Jivani

विक्रम साराभाई जीवनी - Biography of Vikram Sarabhai in Hindi Jivani
विक्रम साराभाई जीवनी
नाम विक्रम साराभाई
पूरा नामविक्रम अंबालाल साराभाई
जन्म12 अगस्त 1919
जन्म स्थानअहमदाबाद, गुजरात
पेशावैज्ञानिक, प्रवर्तक, उद्योगपति एवं दिव्यदर्शनदृष्टा
राष्ट्रीयताभारतीय
माता का नामसरला साराभाई
पिता का नामअंबालाल साराभाई
धर्मजैनिज्म
उल्लेखनीय सम्मानपद्म भूषण (1966), पद्म विभूषण (1972) मरणोपरांत
कार्य क्षेत्रभौतिकी
मृत्यु30 दिसंबर 1971 (52 साल)
मृत्यु स्थानतिरुवंतपुरम, केरल
मृत्यु का कारणदिल का दौरा
शिक्षागुजरात कॉलेज, St. John’s कॉलेज, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी
प्रसिद्धिभारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम, भारत का परमाणु कार्यक्रम
गृहनगरअहमदाबाद
अन्य नामभारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम के पिता, भारतीय विज्ञानं के पुनर्जागरण व्यक्ति

शिक्षा

विक्रम अंबालाल साराभाई शिक्षा की बात करें तो उन्हें बचपन से ही विज्ञान विषय में बहुत रुचि थी जो उनको आगे चलकर एक वैज्ञानिक बनाती है। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पारिवारिक स्कूल में ही पूर्ण की थी। उसके पश्चात वर्ष 1935 में मेट्रिक की शिक्षा को पास किया। तब उन्होंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई को अहमदाबाद, गुजरात कॉलेज से पूर्ण किया। इंग्लैंड जाकर इन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में इन्होंने अपना दाखिला लिया और पढ़ाई को पूरा किया। इन्होंने गणित और भौतिक शास्त्र में बी.ए की डिग्री वर्ष 1940 में हासिल की थी। जब द्वितीय विश्व की शुरुआत हुई थी तो उस समय ये भारत वापस लौट आए थे।

वैवाहिक जीवन

वर्ष 1942 में विक्रम साराभाई की शादी शास्त्रीय नृत्यांगना मृणालिनी के साथ हुई थी। नृत्यांगना की दो संताने हुई एक पुत्री जिसका नाम मालिका तथा बीटा जिसका ना कार्तिकेय रखा था। आगे चलकर मालिका साराभाई एक अभिनेत्री बनी तथा कार्तिकेय साराभाई एक साइंटिस्ट तथा भारतीय अंतरिक्ष के संस्थापक है।

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करियर

आरंभिक काल में इंग्लैंड से शिक्षा पूरी करने के बाद साराभाई भारत लौट आए थे। उसके पश्चात साराभाई ने अपने परिवार के लोगों, अपने दोस्तों को एकत्रित किया ताकि वे अहमदाबाद में उपस्थित शोध संस्थान को बंद करा सके। इसके साथ ही वे धर्मार्थ ट्रस्ट को भी मनाने की पूरी कोशिश करने लगे। इस संस्थान को बंद कराने का मुख्य कारण प्रदूषण था और यह उनके घर के नजदीक ही था। इसके कारण पर्यावरण में बहुत अधिक प्रदूषण हो रहा था जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक हो रहा था। अब उन्होंने एक योजना बनाई कि वे देश में एक भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना करें।

अब उन्होंने भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला का निर्माण करने के लिए अहमदाबाद एजुकेशन सोसाइटी में जमीन खरीदी और कुछ समय बाद वहां पर प्रयोगशाला की स्थापना कर दी। इसके अतिरिक्त एमजी कॉलेज ऑफ़ सांइस का निर्माण भी जारी था, वहां अनुसंधान कार्यों के लिए दो छोटे कमरे बनाए गए। कार्य पूर्ण होने के पश्चात भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला का निर्माण पूरा हो गया और विक्रम जी का करियर विज्ञान की तरफ वृद्धि की करता जा रहा था।

Vikram Sarabhai द्वारा की गई खोज

Vikram Sarabhai द्वारा की गई खोज एवं प्रयोग की जानकारी हमने नीचे निम्न प्रकार से दे दी है आप सकते है।

  • साराभाई ने सर्वप्रथम एक दूरबीन का आविष्कार किया था जो कि कॉस्मिक किरणों का पर्यवेक्षण कर सके। इस दूरबीन द्वारा गुलमर्ग कैसे अलग-अलग स्थानों पर जो कॉस्मिक किरणें निकलती है उनकी निकलने की तीव्रता, क्षमता तथा उनके बदलते हुई शक्ति की जाँच की जाती थी।
  • आपको बता दे भारत में पहले किसी भी प्रकार की रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन नहीं हुआ करता था, यह देखकर Sarabhai ने एक योजना बनाई और डॉ होमी भव से मिले जिन्हें परमाणु विज्ञान का जनक भी कहा जाता है, दोनों ने एक-दूसरे का समर्थन किया और प्रथम रॉकेट इंप्रेशन लॉन्च किया गया।
  • जब से रुसी स्पूतनिक लॉन्च किया गया था तो भारत ने भी इसकी आवश्यकता को जाना और सरकार ने अंतरिक्ष कार्य में ध्यान देने के लिए कहा। उसके पश्चात स्वतंत्रता दिवस के दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन की घोषणा की शुरुआत की गई। तथा कुछ समय पश्चात भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) स्थापित किया गया और इसका श्रेय Vikram Sarabhai को ही जाता है।

इसरो (ISRO) के पिता

उन्होंने भारत सरकार को विश्वास दिलाया कि यदि भारत में स्पेस सेंटर खोला होगा तो भारत का विकास होगा और यह प्रगति करेगा इस जानकारी को आने वाली पीढ़ियां अच्छे से समझेगी और यह तब ही संभव है जब भारत में अंतरिक्ष सेंटर स्थापित किया जाएगा। और यह सब बातें सुनकर भारत सरकार ने अपनी अनुमति दे दी और उन्होंने स्पेस सेंटर का निर्माण किया। अर्थात इनके ही कहने पर यह सब संभव हो पाया इसलिए इन्हें इसरो का (ISRO) का पिया कहा जाता है।

पुरस्कार और सम्मान

विक्रम अंबालाल साराभाई को उनके योगदान एवं कार्य के लिए सम्मान एवं पुरस्कार से सम्मानित किया गया है जिनकी जानकारी हमने नीचे निम्न प्रकार से दी है-

  • वर्ष 1962 में इनको शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • भारत सरकार द्वारा इनको पद्म भूषण पुरस्कार वर्ष 1972 में प्रदान किया गया था।
  • मरणोपरांत भारत सरकार द्वारा वर्ष 1972 में पद्म विभूषण पुरस्कार प्रदान किया गया था।
  • विक्रम साराभाई के नाम पर चंद्रयान-2 मिशन में भेजे गए भारतीय रोवर का नाम रखा गया है।

डॉ. साराभाई द्वारा स्थापित संस्थान

डॉ. साराभाई द्वारा कई संस्थान स्थापित किए है जो निम्नलिखित है-

  • भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), अहमदाबाद
  • यूरेनियम कार्पोरेशन ऑफ़ इण्डिया लिमिटेड (यूसीआईएल), जादूगुडा, बिहार
  • वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन प्रोजेक्ट, कोलकाता
  • कम्यूनिटी साइंस सेंटर, अहमदाबाद
  • स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, अहमदाबाद
  • दर्पण अकाडेमी फॉर परफोर्मिंग आर्ट्स, अहमदाबाद
  • विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम
  • फास्टर ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर (एफबीटीआर), कल्पकम

मृत्यु

Vikram Sarabhai का देहांत तिरुवनंतपुरम (केरल) में 30 दिसंबर 1971 को हुआ था। और अंतरिक्ष के जनक कहलाने वाले व्यक्ति इस दुनिया को छोड़कर चले गए इससे भारतीय वैज्ञानिक केंद्र को बहुत बड़ा आघात पहुंचा। उनकी मृत्यु की वजह दिल का दौरा था। मृत्यु के समय उनकी आयु 52 वर्ष थी।

विक्रम साराभाई जीवनी से सम्बंधित सवाल/जवाब

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Vikram Sarabhai का जन्म कब हुआ था?

इनका जन्म गुजरात के अहमदाबाद में 12 अगस्त 1919 को हुआ था।

Vikram Sarabhai की माता का क्या नाम था?

सरला साराभाई इनकी माता का नाम था।

Vikram Sarabhai का पूरा नाम क्या है?

इनका पूरा नाम विक्रम अंबालाल साराभाई है।

Vikram Sarabhai को वर्ष 1966 में किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था?

Vikram Sarabhai को वर्ष 1966 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

विक्रम अंबालाल साराभाई की मृत्यु कब और किस कारण हुई थी?

अचानक दिल का दौरा पड़ने के कारण 30 दिसंबर 1971 में केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में 52 वर्ष की उम्र में इनकी मृत्यु हो गई।

भारतीय अनुसंधान का जनक किसे कहा जाता है?

डॉ. विक्रम विक्रम अंबालाल साराभाई को भारतीय अनुसंधान का जनक कहा जाता है, इन्हे अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक का पिता कहा जाता है।

Biography of Vikram Sarabhai in Hindi Jivani से सम्बंधित सभी जानकारी हमने आपको अपने लेख के जरिये प्रदान कर दी है और उम्मीद करते है की यह जानकारी आपके लिए अवश्य उपयोगी होगी। यदि आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो या आप इससे सम्बंधित कोई प्रश्न पूछना चाहते है तो आप नीचे दिए हुए कमेंट सेक्शन में अपना प्रश्न लिख सकते है, हम कोशिश करेंगे कि आपके प्रश्नों का जल्दी उत्तर दे पाए। इसी तरह की और जानकारी के लिए हमारी साइट से ऐसे ही जुड़े रहे।

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