Hindi Swar | हिंदी स्वर की परिभाषा और भेद

हिंदी व्याकरण में सबसे अधिक महत्व स्वर का है, हिंदी भाषा को लिखने और समझने के लिए स्वर और व्यंजनों को सीखना एवं समझना बहुत जरुरी है। तो आइये जानते है हिंदी स्वर (Hindi Swar) की परिभाषा क्या है और इसके कितने भेद होते है। आर्टिकल से जुड़ी सभी जानकारी को प्राप्त करने के लिए ... Read more

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Reported by Saloni Uniyal

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हिंदी व्याकरण में सबसे अधिक महत्व स्वर का है, हिंदी भाषा को लिखने और समझने के लिए स्वर और व्यंजनों को सीखना एवं समझना बहुत जरुरी है। तो आइये जानते है हिंदी स्वर (Hindi Swar) की परिभाषा क्या है और इसके कितने भेद होते है। आर्टिकल से जुड़ी सभी जानकारी को प्राप्त करने के लिए हमारे लेख को अंत तक पढ़े।

Hindi Swar | हिंदी स्वर की परिभाषा और भेद
Hindi Swar

हिंदी स्वर की परिभाषा

जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी दूसरे वर्ण की सहायता से होता है, उसे हिंदी स्वर कहते है। ये सभी स्वर स्वयं में स्वतंत्र होते है। इन स्वरों की संख्या मुख्य रूप से 11 होती है। जैसे – अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ऋ,ए,ऐ,ओ,औ आदि। हिंदी व्याकरण में 11 स्वर के अतिरिक्त 41 व्यंजन एवं 4 संयुक्त व्यंजन होते है, क्या आप जानते हो हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन के अंतर्गत कितने व्यंजन होते है।

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स्वर के भेद

हिन्दी स्वर के तीन भेद होते है –

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  • ह्रस्व स्वर
  • दीर्घ स्वर
  • प्लुत स्वर

1). ह्रस्व स्वर

जिन स्वरों के उच्चरण के कम -से -कम समय लगता है, उसे ह्रस्व स्वर कहते है। इस स्वर को मूल स्वर भी कहते है। इन स्वरों की संख्या 4 होती है, जैसे – अ, इ, उ, ऋ आदि।

2). दीर्घ स्वर

ऐसे स्वर जिनका उच्चारण करने में ह्रस्व स्वर से अधिक समय लगता है, उसे दीर्घ स्वर कहते है। जैसे- आ, ई, ऊ ,ए, ऐ, ओ, औ।

3). प्लुत स्वर

ऐसे स्वर जिनका उच्चारण करने में दीर्घ स्वर से अधिक समय अथवा ह्रस्व स्वर से तिगुना समय लगता है, उसे प्लुत स्वर कहते हैं। इस स्वर को ( ऽ ) चिन्ह से दर्शाया जाता है। जैसे – ओऽऽऽम्।

हिंदी स्वर के भेदों का वर्गीकरण

इन स्वरों को 7 अलग -अलग प्रकार से वर्गीकरण किया गया है –

  • जिह्वा की स्थिति के आधार पर 
  • रचना के आधार पर
  • मुख खुलने व बंद होने का आधार पर 
  • होठों की बनावट /स्थिति के आधार पर 
  • जिह्वा पेशियों में तनाव के आधार पर  
  • स्वर तंत्रिकाओं के कंपन के आधार पर 
  • उच्चारण स्थान के आधार पर 

1 ) जिह्वा की स्थिति के आधार पर 

इस स्वरों को जिह्वा की स्थिति के आधार पर तीन भागों में बांटा गया है –

  • अग्र स्वर – ऐसे स्वर जिनका उच्चाण करते समय जीभ के अग्रभाग का प्रयोग होता है, उन्हें अग्र स्वर कहते है। जैसे –  इ, ई, ए, ऐ।
  • मध्य स्वर – ऐसे स्वर जिनका उच्चारण करते समय जीभ के मध्य भाग का प्रयोग हो, उसे मध्य स्वर कहते है। जैसे – अ।
  • पश्च स्वर – वे स्वर जिनका उच्चारण करने में जीभ का पश्च भाग उठता है, उसे पश्च स्वर कहते है। जैसे – आ, उ, ऊ, ओ, औ, ऑ।

2) रचना के आधार पर

इन स्वरों को दो भागों में बांटा गया है –

  • मूल स्वर – ऐसे स्वर जिनकी रचना किसी अन्य स्वर से नहीं होती है। जैसे – अ, इ, उ, ऋ ।
  • संयुक्त स्वर – ऐसे स्वर जिनकी रचना अन्य स्वर से होती है। जैसे – ए, ऐ, ओ, औ ।

3) मुख खुलने व बंद होने का आधार पर 

इन स्वरों को 4 भागों में बांटा गया है –

  • विवृत – ऐसे स्वर जिनको बोलने समय अधिक मुख द्वार खुलता है जैसे – आ।
  • अर्धविवृत – ऐसे स्वर जिनका उच्चारण समय अधिक मुख द्वार नहीं खुलता है, जैसे – अ, ऐ,ओ,औ ।
  • संवृत – ऐसे स्वर जिनको बोलते समय सबसे कम मुख द्वार खुलता है, जैसे – इ, ई, उ, ऊ आ।
  • अर्ध संवृत –  “ए” स्वर ऐसा है जिसका उच्चारण करते समय मुख द्वार संवृत की तुलना में अधिक खुलता है।

4 ) होठों की बनावट /स्थिति के आधार पर 

  • वर्तुल स्वर – वे स्वर जिन्हें बोलते समय होठों की बनावट वृतुलाकार होती है, जैसे – उ, ऊ, ओ, औ ।
  • अवर्तुल स्वर – वे स्वर जिन्हें बोलते समय होंठों की स्थिति दीर्घ वृत्त के सामान होती है, जैसे – इ, ई, ए, ऐ |
  • अर्धवर्तुल स्वर – ऐसे स्वर जिनका उच्चारण करते समय होंठों की स्थिति बनावटी अर्धवृत्तालुकार होती है। जैसे- आ।

5) जिह्वा पेशियों में तनाव के आधार पर  

  • शिथिल – वे स्वर जिन्हें बोलते समय जीभ की पेशियों पर कोई तनाव नहीं पड़ता है, जैसे – अ, इ, उ ।
  • कठोर – ऐसे स्वर जिनका उच्चारण करते समय जीभ की पेशियों पर तनाव पड़ता है, जैसे – आ,ई, ऊ।

6) स्वर तंत्रिकाओं के कंपन के आधार पर 

  •  घोष – ऐसे वर्ण जिनका उच्चारण करते समय स्वर तंत्रिका झंकृत करती है, जैसे – अ,आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ आदि।
  • अघोष – वे स्वर जिनका उच्चारण हम आसानी से कर सकते है, उन्हें अघोष वर्ण कहते है।

7) उच्चारण स्थान के आधार पर 

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उच्चारण स्थान के स्वरों को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकरण किया गया है –

उच्चारण स्थानस्वर
कंठअ, आ, अः
तालुइ, ई
मूर्धा
ओष्ठउ, ऊ
नासिकाअं
कंठ + तालुए, ऐ
कंठ + ओष्ठओ, औ

Hindi Swar से संबंधित प्रश्नोत्तर –

हिंदी भाषा में स्वरों की संख्या कितनी हैं ?

हिंदी वर्णमाला में 13 स्वर बताएं गए है, लेकिन अं, अः स्वर की गणना नहीं की जाती है, इसलिए हिंदी भद्दा में मूल रूप से 11 स्वर होते है।

स्वर के कितने भेद होते हैं ?

स्वर के तीन भेद होते है – ह्रस्व स्वर, दीर्घ स्वर एवं प्लुत स्वर।

हिंदी और अंग्रेजी भाषा में कितने और कौन-कौन से स्वर होते हैं ?

हिंदी भाषा में 11 स्वर होते है – अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ऋ,ए,ऐ,ओ,औ आदि और अंग्रेजी भाषा में 5 स्वर होते है – A – ए, E – इ, I – आई,O – ओ, U – यू आदि।

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